< يوحنَّا 17 >

تَكَلَّمَ يَسُوعُ بِهَذَا وَرَفَعَ عَيْنَيْهِ نَحْوَ ٱلسَّمَاءِ وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلْآبُ، قَدْ أَتَتِ ٱلسَّاعَةُ. مَجِّدِ ٱبْنَكَ لِيُمَجِّدَكَ ٱبْنُكَ أَيْضًا، ١ 1
यह कह कर ईसा ने अपनी नज़र आसमान की तरफ़ उठाई और दुआ की, “ऐ बाप, वक़्त आ गया है। अपने बेटे को जलाल दे ताकि बेटा तुझे जलाल दे।
إِذْ أَعْطَيْتَهُ سُلْطَانًا عَلَى كُلِّ جَسَدٍ لِيُعْطِيَ حَيَاةً أَبَدِيَّةً لِكُلِّ مَنْ أَعْطَيْتَهُ. (aiōnios g166) ٢ 2
क्यूँकि तू ने उसे तमाम इंसान ों पर इख़्तियार दिया है ताकि वह उन सब को हमेशा की ज़िन्दगी दे जो तू ने उसे दिया हैं। (aiōnios g166)
وَهَذِهِ هِيَ ٱلْحَيَاةُ ٱلْأَبَدِيَّةُ: أَنْ يَعْرِفُوكَ أَنْتَ ٱلْإِلَهَ ٱلْحَقِيقِيَّ وَحْدَكَ وَيَسُوعَ ٱلْمَسِيحَ ٱلَّذِي أَرْسَلْتَهُ. (aiōnios g166) ٣ 3
और हमेशा की ज़िन्दगी यह है कि वह तुझे जान लें जो वाहिद और सच्चा ख़ुदा है और ईसा मसीह को भी जान लें जिसे तू ने भेजा है। (aiōnios g166)
أَنَا مَجَّدْتُكَ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ٱلْعَمَلَ ٱلَّذِي أَعْطَيْتَنِي لِأَعْمَلَ قَدْ أَكْمَلْتُهُ. ٤ 4
मैं ने तुझे ज़मीन पर जलाल दिया और उस काम को पूरा किया जिस की ज़िम्मेदारी तू ने मुझे दी थी।
وَٱلْآنَ مَجِّدْنِي أَنْتَ أَيُّهَا ٱلْآبُ عِنْدَ ذَاتِكَ بِٱلْمَجْدِ ٱلَّذِي كَانَ لِي عِنْدَكَ قَبْلَ كَوْنِ ٱلْعَالَمِ. ٥ 5
और अब मुझे अपने हुज़ूर जलाल दे, ऐ बाप, वही जलाल जो मैं दुनियाँ की पैदाइश से पहले तेरे साथ रखता था।”
«أَنَا أَظْهَرْتُ ٱسْمَكَ لِلنَّاسِ ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي مِنَ ٱلْعَالَمِ. كَانُوا لَكَ وَأَعْطَيْتَهُمْ لِي، وَقَدْ حَفِظُوا كَلَامَكَ. ٦ 6
“मैं ने तेरा नाम उन लोगों पर ज़ाहिर किया जिन्हें तू ने दुनियाँ से अलग करके मुझे दिया है। वह तेरे ही थे। तू ने उन्हें मुझे दिया और उन्हों ने तेरे कलाम के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारी है।
وَٱلْآنَ عَلِمُوا أَنَّ كُلَّ مَا أَعْطَيْتَنِي هُوَ مِنْ عِنْدِكَ، ٧ 7
अब उन्होंने जान लिया है कि जो कुछ भी तू ने मुझे दिया है वह तेरी तरफ़ से है।
لِأَنَّ ٱلْكَلَامَ ٱلَّذِي أَعْطَيْتَنِي قَدْ أَعْطَيْتُهُمْ، وَهُمْ قَبِلُوا وَعَلِمُوا يَقِينًا أَنِّي خَرَجْتُ مِنْ عِنْدِكَ، وَآمَنُوا أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي. ٨ 8
क्यूँकि जो बातें तू ने मुझे दीं मैं ने उन्हें दी हैं। नतीजे में उन्हों ने यह बातें क़बूल करके हक़ीक़ी तौर पर जान लिया कि मैं तुझ में से निकल कर आया हूँ। साथ साथ वह ईमान भी लाए कि तू ने मुझे भेजा है।
مِنْ أَجْلِهِمْ أَنَا أَسْأَلُ. لَسْتُ أَسْأَلُ مِنْ أَجْلِ ٱلْعَالَمِ، بَلْ مِنْ أَجْلِ ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي لِأَنَّهُمْ لَكَ. ٩ 9
मैं उन के लिए दुआ करता हूँ, दुनियाँ के लिए नहीं बल्कि उन के लिए जिन्हें तू ने मुझे दिया है, क्यूँकि वह तेरे ही हैं।
وَكُلُّ مَا هُوَ لِي فَهُوَ لَكَ، وَمَا هُوَ لَكَ فَهُوَ لِي، وَأَنَا مُمَجَّدٌ فِيهِمْ. ١٠ 10
जो भी मेरा है वह तेरा है और जो तेरा है वह मेरा है। चुनाँचे मुझे उन में जलाल मिला है।
وَلَسْتُ أَنَا بَعْدُ فِي ٱلْعَالَمِ، وَأَمَّا هَؤُلَاءِ فَهُمْ فِي ٱلْعَالَمِ، وَأَنَا آتِي إِلَيْكَ. أَيُّهَا ٱلْآبُ ٱلْقُدُّوسُ، ٱحْفَظْهُمْ فِي ٱسْمِكَ ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي، لِيَكُونُوا وَاحِدًا كَمَا نَحْنُ. ١١ 11
अब से मैं दुनियाँ में नहीं हूँगा। लेकिन यह दुनियाँ में रह गए हैं जबकि मैं तेरे पास आ रहा हूँ। क़ुद्दूस बाप, अपने नाम में उन्हें मह्फ़ूज़ रख, उस नाम में जो तू ने मुझे दिया है, ताकि वह एक हों जैसे हम एक हैं।
حِينَ كُنْتُ مَعَهُمْ فِي ٱلْعَالَمِ كُنْتُ أَحْفَظُهُمْ فِي ٱسْمِكَ. ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي حَفِظْتُهُمْ، وَلَمْ يَهْلِكْ مِنْهُمْ أَحَدٌ إِلَّا ٱبْنُ ٱلْهَلَاكِ لِيَتِمَّ ٱلْكِتَابُ. ١٢ 12
जितनी देर मैं उन के साथ रहा मैं ने उन्हें तेरे नाम में मह्फ़ूज़ रखा, उसी नाम में जो तू ने मुझे दिया था। मैं ने यूँ उन की निगहबानी की कि उन में से एक भी हलाक नहीं हुआ सिवाए हलाकत के फ़र्ज़न्द के। यूँ कलाम की पेशीनगोई पूरी हुई।
أَمَّا ٱلْآنَ فَإِنِّي آتِي إِلَيْكَ. وَأَتَكَلَّمُ بِهَذَا فِي ٱلْعَالَمِ لِيَكُونَ لَهُمْ فَرَحِي كَامِلًا فِيهِمْ. ١٣ 13
अब तो मैं तेरे पास आ रहा हूँ। लेकिन मैं दुनियाँ में होते हुए यह बयान कर रहा हूँ ताकि उन के दिल मेरी ख़ुशी से भर कर छलक उठें।
أَنَا قَدْ أَعْطَيْتُهُمْ كَلَامَكَ، وَٱلْعَالَمُ أَبْغَضَهُمْ لِأَنَّهُمْ لَيْسُوا مِنَ ٱلْعَالَمِ، كَمَا أَنِّي أَنَا لَسْتُ مِنَ ٱلْعَالَمِ، ١٤ 14
मैं ने उन्हें तेरा कलाम दिया है और दुनियाँ ने उन से दुश्मनी रखी, क्यूँकि यह दुनियाँ के नहीं हैं, जिस तरह मैं भी दुनियाँ का नहीं हूँ।
لَسْتُ أَسْأَلُ أَنْ تَأْخُذَهُمْ مِنَ ٱلْعَالَمِ بَلْ أَنْ تَحْفَظَهُمْ مِنَ ٱلشِّرِّيرِ. ١٥ 15
मेरी दुआ यह नहीं है कि तू उन्हें दुनियाँ से उठा ले बल्कि यह कि उन्हें इब्लीस से मह्फ़ूज़ रखे।
لَيْسُوا مِنَ ٱلْعَالَمِ كَمَا أَنِّي أَنَا لَسْتُ مِنَ ٱلْعَالَمِ. ١٦ 16
वह दुनियाँ के नहीं हैं जिस तरह मैं भी दुनियाँ का नहीं हूँ।
قَدِّسْهُمْ فِي حَقِّكَ. كَلَامُكَ هُوَ حَقٌّ. ١٧ 17
उन्हें सच्चाई के वसीले से मख़्सूस — ओ — मुक़द्दस कर। तेरा कलाम ही सच्चाई है।
كَمَا أَرْسَلْتَنِي إِلَى ٱلْعَالَمِ أَرْسَلْتُهُمْ أَنَا إِلَى ٱلْعَالَمِ، ١٨ 18
जिस तरह तू ने मुझे दुनियाँ में भेजा है उसी तरह मैं ने भी उन्हें दुनियाँ में भेजा है।
وَلِأَجْلِهِمْ أُقَدِّسُ أَنَا ذَاتِي، لِيَكُونُوا هُمْ أَيْضًا مُقَدَّسِينَ فِي ٱلْحَقِّ. ١٩ 19
उन की ख़ातिर मैं अपने आप को मख़्सूस करता हूँ, ताकि उन्हें भी सच्चाई के वसीले से मख़्सूस — ओ — मुक़द्दस किया जाए।”
«وَلَسْتُ أَسْأَلُ مِنْ أَجْلِ هَؤُلَاءِ فَقَطْ، بَلْ أَيْضًا مِنْ أَجْلِ ٱلَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِي بِكَلَامِهِمْ، ٢٠ 20
“मेरी दुआ न सिर्फ़ इन ही के लिए है, बल्कि उन सब के लिए भी जो इन का पैग़ाम सुन कर मुझ पर ईमान लाएँगे
لِيَكُونَ ٱلْجَمِيعُ وَاحِدًا، كَمَا أَنَّكَ أَنْتَ أَيُّهَا ٱلْآبُ فِيَّ وَأَنَا فِيكَ، لِيَكُونُوا هُمْ أَيْضًا وَاحِدًا فِينَا، لِيُؤْمِنَ ٱلْعَالَمُ أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي. ٢١ 21
ताकि सब एक हों। जिस तरह तू ऐ बाप, मुझ में है और मैं तुझ में हूँ उसी तरह वह भी हम में हों ताकि दुनियाँ यक़ीन करे कि तू ने मुझे भेजा है।
وَأَنَا قَدْ أَعْطَيْتُهُمُ ٱلْمَجْدَ ٱلَّذِي أَعْطَيْتَنِي، لِيَكُونُوا وَاحِدًا كَمَا أَنَّنَا نَحْنُ وَاحِدٌ. ٢٢ 22
मैं ने उन्हें वह जलाल दिया है जो तू ने मुझे दिया है ताकि वह एक हों जिस तरह हम एक हैं,
أَنَا فِيهِمْ وَأَنْتَ فِيَّ لِيَكُونُوا مُكَمَّلِينَ إِلَى وَاحِدٍ، وَلِيَعْلَمَ ٱلْعَالَمُ أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي، وَأَحْبَبْتَهُمْ كَمَا أَحْبَبْتَنِي. ٢٣ 23
मैं उन में और तू मुझ में। वह कामिल तौर पर एक हों ताकि दुनियाँ जान ले कि तू ने मुझे भेजा और कि तू ने उन से मुहब्बत रखी है जिस तरह मुझ से रखी है।
أَيُّهَا ٱلْآبُ أُرِيدُ أَنَّ هَؤُلَاءِ ٱلَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي يَكُونُونَ مَعِي حَيْثُ أَكُونُ أَنَا، لِيَنْظُرُوا مَجْدِي ٱلَّذِي أَعْطَيْتَنِي، لِأَنَّكَ أَحْبَبْتَنِي قَبْلَ إِنْشَاءِ ٱلْعَالَمِ. ٢٤ 24
ऐ बाप, मैं चाहता हूँ कि जो तू ने मुझे दिए हैं वह भी मेरे साथ हों, वहाँ जहाँ मैं हूँ, कि वह मेरे जलाल को देखें, वह जलाल जो तू ने इस लिए मुझे दिया है कि तू ने मुझे दुनियाँ को बनाने से पहले प्यार किया है।
أَيُّهَا ٱلْآبُ ٱلْبَارُّ، إِنَّ ٱلْعَالَمَ لَمْ يَعْرِفْكَ، أَمَّا أَنَا فَعَرَفْتُكَ، وَهَؤُلَاءِ عَرَفُوا أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي. ٢٥ 25
ऐ रास्तबाज़, दुनियाँ तुझे नहीं जानती, लेकिन मैं तुझे जानता हूँ। और यह शागिर्द जानते हैं कि तू ने मुझे भेजा है।
وَعَرَّفْتُهُمُ ٱسْمَكَ وَسَأُعَرِّفُهُمْ، لِيَكُونَ فِيهِمُ ٱلْحُبُّ ٱلَّذِي أَحْبَبْتَنِي بِهِ، وَأَكُونَ أَنَا فِيهِمْ». ٢٦ 26
मैं ने तेरा नाम उन पर ज़ाहिर किया और इसे ज़ाहिर करता रहूँगा ताकि तेरी मुझ से मुहब्बत उन में हो और मैं उन में हूँ।”

< يوحنَّا 17 >