< يوحنَّا 13 >

أَمَّا يَسُوعُ قَبْلَ عِيدِ ٱلْفِصْحِ، وَهُوَ عَالِمٌ أَنَّ سَاعَتَهُ قَدْ جَاءَتْ لِيَنْتَقِلَ مِنْ هَذَا ٱلْعَالَمِ إِلَى ٱلْآبِ، إِذْ كَانَ قَدْ أَحَبَّ خَاصَّتَهُ ٱلَّذِينَ فِي ٱلْعَالَمِ، أَحَبَّهُمْ إِلَى ٱلْمُنْتَهَى. ١ 1
फ़सह की ईद अब शुरू होने वाली थी। ईसा जानता था कि वह वक़्त आ गया है कि मुझे इस दुनियाँ को छोड़ कर बाप के पास जाना है। अगरचे उस ने हमेशा दुनियाँ में अपने लोगों से मुहब्बत रखी थी, लेकिन अब उस ने आख़िरी हद तक उन पर अपनी मुहब्बत का इज़हार किया।
فَحِينَ كَانَ ٱلْعَشَاءُ، وَقَدْ أَلْقَى ٱلشَّيْطَانُ فِي قَلْبِ يَهُوذَا سِمْعَانَ ٱلْإِسْخَرْيُوطِيِّ أَنْ يُسَلِّمَهُ، ٢ 2
फिर शाम का खाना तय्यार हुआ। उस वक़्त इब्लीस शमौन इस्करियोती के बेटे यहूदाह के दिल में ईसा को दुश्मन के हवाले करने का इरादा डाल चुका था।
يَسُوعُ وَهُوَ عَالِمٌ أَنَّ ٱلْآبَ قَدْ دَفَعَ كُلَّ شَيْءٍ إِلَى يَدَيْهِ، وَأَنَّهُ مِنْ عِنْدِ ٱللهِ خَرَجَ، وَإِلَى ٱللهِ يَمْضِي، ٣ 3
ईसा जानता था कि बाप ने सब कुछ मेरे हवाले कर दिया है और कि मैं ख़ुदा से निकल आया और अब उस के पास वापस जा रहा हूँ।
قَامَ عَنِ ٱلْعَشَاءِ، وَخَلَعَ ثِيَابَهُ، وَأَخَذَ مِنْشَفَةً وَٱتَّزَرَ بِهَا، ٤ 4
चुनाँचे उस ने दस्तरख़्वान से उठ कर अपना चोग़ा उतार दिया और कमर पर तौलिया बाँध लिया।
ثُمَّ صَبَّ مَاءً فِي مِغْسَلٍ، وَٱبْتَدَأَ يَغْسِلُ أَرْجُلَ ٱلتَّلَامِيذِ وَيَمْسَحُهَا بِٱلْمِنْشَفَةِ ٱلَّتِي كَانَ مُتَّزِرًا بِهَا. ٥ 5
फिर वह बासन में पानी डाल कर शागिर्दों के पैर धोने और बँधे हुए तौलिया से पोंछ कर ख़ुश्क करने लगा।
فَجَاءَ إِلَى سِمْعَانَ بُطْرُسَ. فَقَالَ لَهُ ذَاكَ: «يَا سَيِّدُ، أَنْتَ تَغْسِلُ رِجْلَيَّ!». ٦ 6
जब पतरस की बारी आई तो उस ने कहा, “ख़ुदावन्द, आप मेरे पैर धोना चाहते हैं?”
أَجَابَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُ: «لَسْتَ تَعْلَمُ أَنْتَ ٱلْآنَ مَا أَنَا أَصْنَعُ، وَلَكِنَّكَ سَتَفْهَمُ فِيمَا بَعْدُ». ٧ 7
ईसा ने जवाब दिया, “इस वक़्त तू नहीं समझता कि मैं क्या कर रहा हूँ, लेकिन बाद में यह तेरी समझ में आ जाएगा।”
قَالَ لَهُ بُطْرُسُ: «لَنْ تَغْسِلَ رِجْلَيَّ أَبَدًا!». أَجَابَهُ يَسُوعُ: «إِنْ كُنْتُ لَا أَغْسِلُكَ فَلَيْسَ لَكَ مَعِي نَصِيبٌ». (aiōn g165) ٨ 8
पतरस ने एतराज़ किया, “मैं कभी भी आप को मेरे पैर धोने नहीं दूँगा!” ईसा ने जवाब दिया “अगर मैं तुझे न धोऊँ तो मेरे साथ तेरी कोई शराकत नहीं।” (aiōn g165)
قَالَ لَهُ سِمْعَانُ بُطْرُسُ: «يَا سَيِّدُ، لَيْسَ رِجْلَيَّ فَقَطْ بَلْ أَيْضًا يَدَيَّ وَرَأْسِي». ٩ 9
यह सुन कर पतरस ने कहा, “तो फिर ख़ुदावन्द, न सिर्फ़ मेरे पैर बल्कि मेरे हाथों और सर को भी धोएँ!”
قَالَ لَهُ يَسُوعُ: «ٱلَّذِي قَدِ ٱغْتَسَلَ لَيْسَ لَهُ حَاجَةٌ إِلَّا إِلَى غَسْلِ رِجْلَيْهِ، بَلْ هُوَ طَاهِرٌ كُلُّهُ. وَأَنْتُمْ طَاهِرُونَ وَلَكِنْ لَيْسَ كُلُّكُمْ». ١٠ 10
ईसा ने जवाब दिया, “जिस शख़्स ने नहा लिया है उसे सिर्फ़ अपने पैरो को धोने की ज़रूरत होती है, क्यूँकि वह पूरे तौर पर पाक — साफ़ है। तुम पाक — साफ़ हो, लेकिन सब के सब नहीं।”
لِأَنَّهُ عَرَفَ مُسَلِّمَهُ، لِذَلِكَ قَالَ: «لَسْتُمْ كُلُّكُمْ طَاهِرِينَ». ١١ 11
(ईसा को मालूम था कि कौन उसे दुश्मन के हवाले करेगा। इस लिए उस ने कहा कि सब के सब पाक — साफ़ नहीं हैं)।
فَلَمَّا كَانَ قَدْ غَسَلَ أَرْجُلَهُمْ وَأَخَذَ ثِيَابَهُ وَٱتَّكَأَ أَيْضًا، قَالَ لَهُمْ: «أَتَفْهَمُونَ مَا قَدْ صَنَعْتُ بِكُمْ؟ ١٢ 12
उन सब के पैरो को धोने के बाद ईसा दुबारा अपना लिबास पहन कर बैठ गया। उस ने सवाल किया, “क्या तुम समझते हो कि मैं ने तुम्हारे लिए क्या किया है?
أَنْتُمْ تَدْعُونَنِي مُعَلِّمًا وَسَيِّدًا، وَحَسَنًا تَقُولُونَ، لِأَنِّي أَنَا كَذَلِكَ. ١٣ 13
तुम मुझे ‘उस्ताद’ और ‘ख़ुदावन्द’ कह कर मुख़ातिब करते हो और यह सही है, क्यूँकि मैं यही कुछ हूँ।
فَإِنْ كُنْتُ وَأَنَا ٱلسَّيِّدُ وَٱلْمُعَلِّمُ قَدْ غَسَلْتُ أَرْجُلَكُمْ، فَأَنْتُمْ يَجِبُ عَلَيْكُمْ أَنْ يَغْسِلَ بَعْضُكُمْ أَرْجُلَ بَعْضٍ، ١٤ 14
मैं, तुम्हारे ख़ुदावन्द और उस्ताद ने तुम्हारे पैर धोए। इस लिए अब तुम्हारा फ़र्ज़ भी है कि एक दूसरे के पैर धोया करो।
لِأَنِّي أَعْطَيْتُكُمْ مِثَالًا، حَتَّى كَمَا صَنَعْتُ أَنَا بِكُمْ تَصْنَعُونَ أَنْتُمْ أَيْضًا. ١٥ 15
मैंने तुम को एक नमूना दिया है ताकि तुम भी वही करो जो मैं ने तुम्हारे साथ किया है।
اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ لَيْسَ عَبْدٌ أَعْظَمَ مِنْ سَيِّدِهِ، وَلَا رَسُولٌ أَعْظَمَ مِنْ مُرْسِلِهِ. ١٦ 16
मैं तुम को सच बताता हूँ कि ग़ुलाम अपने मालिक से बड़ा नहीं होता, न पैग़म्बर अपने भेजने वाले से।
إِنْ عَلِمْتُمْ هَذَا فَطُوبَاكُمْ إِنْ عَمِلْتُمُوهُ. ١٧ 17
अगर तुम यह जानते हो तो इस पर अमल भी करो, तभी तुम मुबारिक़ होगे।
«لَسْتُ أَقُولُ عَنْ جَمِيعِكُمْ. أَنَا أَعْلَمُ ٱلَّذِينَ ٱخْتَرْتُهُمْ. لَكِنْ لِيَتِمَّ ٱلْكِتَابُ: اَلَّذِي يَأْكُلُ مَعِي ٱلْخُبْزَ رَفَعَ عَلَيَّ عَقِبَهُ. ١٨ 18
मैं तुम सब की बात नहीं कर रहा। जिन्हें मैंने चुन लिया है उन्हें मैं जानता हूँ। लेकिन कलाम — ए — मुक़द्दस की उस बात का पूरा होना ज़रूर है, जो मेरी रोटी खाता है उस ने मुझ पर लात उठाई है।
أَقُولُ لَكُمُ ٱلْآنَ قَبْلَ أَنْ يَكُونَ، حَتَّى مَتَى كَانَ تُؤْمِنُونَ أَنِّي أَنَا هُوَ. ١٩ 19
मैं तुम को इस से पहले कि वह पेश आए यह अभी बता रहा हूँ, ताकि जब वह पेश आए तो तुम ईमान लाओ कि मैं वही हूँ।
اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمُ: ٱلَّذِي يَقْبَلُ مَنْ أُرْسِلُهُ يَقْبَلُنِي، وَٱلَّذِي يَقْبَلُنِي يَقْبَلُ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي». ٢٠ 20
मैं तुम को सच बताता हूँ कि जो शख़्स उसे क़ुबूल करता है जिसे मैंने भेजा है वह मुझे क़ुबूल करता है। और जो मुझे क़ुबूल करता है वह उसे क़ुबूल करता है जिस ने मुझे भेजा है।”
لَمَّا قَالَ يَسُوعُ هَذَا ٱضْطَرَبَ بِٱلرُّوحِ، وَشَهِدَ وَقَالَ: «ٱلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ وَاحِدًا مِنْكُمْ سَيُسَلِّمُنِي!». ٢١ 21
इन अल्फ़ाज़ के बाद ईसा बेहद दुखी हुआ और कहा, “मैं तुम को सच बताता हूँ कि तुम में से एक मुझे दुश्मन के हवाले कर देगा।”
فَكَانَ ٱلتَّلَامِيذُ يَنْظُرُونَ بَعْضُهُمْ إِلَى بَعْضٍ وَهُمْ مُحْتَارُونَ فِي مَنْ قَالَ عَنْهُ. ٢٢ 22
शागिर्द उलझन में एक दूसरे को देख कर सोचने लगे कि ईसा किस की बात कर रहा है।
وَكَانَ مُتَّكِئًا فِي حِضْنِ يَسُوعَ وَاحِدٌ مِنْ تَلَامِيذِهِ، كَانَ يَسُوعُ يُحِبُّهُ. ٢٣ 23
एक शागिर्द जिसे ईसा मुहब्बत करता था उस के बिल्कुल क़रीब बैठा था।
فَأَوْمَأَ إِلَيْهِ سِمْعَانُ بُطْرُسُ أَنْ يَسْأَلَ مَنْ عَسَى أَنْ يَكُونَ ٱلَّذِي قَالَ عَنْهُ. ٢٤ 24
पतरस ने उसे इशारा किया कि वह उस से पूछे कि वह किस की बात कर रहा है।
فَٱتَّكَأَ ذَاكَ عَلَى صَدْرِ يَسُوعَ وَقَالَ لَهُ: «يَا سَيِّدُ، مَنْ هُوَ؟». ٢٥ 25
उस शागिर्द ने ईसा की तरफ़ सर झुका कर पूछा, “ख़ुदावन्द, वह कौन है?”
أَجَابَ يَسُوعُ: «هُوَ ذَاكَ ٱلَّذِي أَغْمِسُ أَنَا ٱللُّقْمَةَ وَأُعْطِيهِ!». فَغَمَسَ ٱللُّقْمَةَ وَأَعْطَاهَا لِيَهُوذَا سِمْعَانَ ٱلْإِسْخَرْيُوطِيِّ. ٢٦ 26
ईसा ने जवाब दिया, “जिसे मैं रोटी का निवाला शोर्बे में डुबो कर दूँ, वही है।” फिर निवाले को डुबो कर उस ने शमौन इस्करियोती के बेटे यहूदाह को दे दिया।
فَبَعْدَ ٱللُّقْمَةِ دَخَلَهُ ٱلشَّيْطَانُ. فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «مَا أَنْتَ تَعْمَلُهُ فَٱعْمَلْهُ بِأَكْثَرِ سُرْعَةٍ». ٢٧ 27
जैसे ही यहूदाह ने यह निवाला ले लिया इब्लीस उस में बस गया। ईसा ने उसे बताया, “जो कुछ करना है वह जल्दी से कर ले।”
وَأَمَّا هَذَا فَلَمْ يَفْهَمْ أَحَدٌ مِنَ ٱلْمُتَّكِئِينَ لِمَاذَا كَلَّمَهُ بِهِ، ٢٨ 28
लेकिन मेज़ पर बैठे लोगों में से किसी को मालूम न हुआ कि ईसा ने यह क्यूँ कहा।
لِأَنَّ قَوْمًا، إِذْ كَانَ ٱلصُّنْدُوقُ مَعَ يَهُوذَا، ظَنُّوا أَنَّ يَسُوعَ قَالَ لَهُ: ٱشْتَرِ مَا نَحْتَاجُ إِلَيْهِ لِلْعِيدِ، أَوْ أَنْ يُعْطِيَ شَيْئًا لِلْفُقَرَاءِ. ٢٩ 29
कुछ का ख़याल था कि चूँकि यहूदाह ख़ज़ांची था इस लिए वह उसे बता रहा है कि ईद के लिए ज़रूरी चीज़ें ख़रीद ले या ग़रीबों में कुछ बाँट दे।
فَذَاكَ لَمَّا أَخَذَ ٱللُّقْمَةَ خَرَجَ لِلْوَقْتِ. وَكَانَ لَيْلًا. ٣٠ 30
चुनाँचे ईसा से यह निवाला लेते ही यहूदाह बाहर निकल गया। रात का वक़्त था।
فَلَمَّا خَرَجَ قَالَ يَسُوعُ: «ٱلْآنَ تَمَجَّدَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ وَتَمَجَّدَ ٱللهُ فِيهِ. ٣١ 31
यहूदाह के चले जाने के बाद ईसा ने कहा, “अब इब्न — ए — आदम ने जलाल पाया और ख़ुदा ने उस में जलाल पाया है।
إِنْ كَانَ ٱللهُ قَدْ تَمَجَّدَ فِيهِ، فَإِنَّ ٱللهَ سَيُمَجِّدُهُ فِي ذَاتِهِ، وَيُمَجِّدُهُ سَرِيعًا. ٣٢ 32
हाँ, चूँकि ख़ुदा को उस में जलाल मिल गया है इस लिए ख़ुदा अपने में फ़र्ज़न्द को जलाल देगा। और वह यह जलाल फ़ौरन देगा।
يَا أَوْلَادِي، أَنَا مَعَكُمْ زَمَانًا قَلِيلًا بَعْدُ. سَتَطْلُبُونَنِي، وَكَمَا قُلْتُ لِلْيَهُودِ: حَيْثُ أَذْهَبُ أَنَا لَا تَقْدِرُونَ أَنْتُمْ أَنْ تَأْتُوا، أَقُولُ لَكُمْ أَنْتُمُ ٱلْآنَ. ٣٣ 33
मेरे बच्चो, मैं थोड़ी देर और तुम्हारे पास ठहरूँगा। तुम मुझे तलाश करोगे, और जो कुछ मैं यहूदियों को बता चुका हूँ वह अब तुम को भी बताता हूँ, जहाँ मैं जा रहा हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते।
وَصِيَّةً جَدِيدَةً أَنَا أُعْطِيكُمْ: أَنْ تُحِبُّوا بَعْضُكُمْ بَعْضًا. كَمَا أَحْبَبْتُكُمْ أَنَا تُحِبُّونَ أَنْتُمْ أَيْضًا بَعْضُكُمْ بَعْضًا. ٣٤ 34
मैं तुम को एक नया हुक्म देता हूँ, यह कि एक दूसरे से मुहब्बत रखो। जिस तरह मैं ने तुम से मुहब्बत रखी उसी तरह तुम भी एक दूसरे से मुहब्बत करो।
بِهَذَا يَعْرِفُ ٱلْجَمِيعُ أَنَّكُمْ تَلَامِيذِي: إِنْ كَانَ لَكُمْ حُبٌّ بَعْضًا لِبَعْضٍ». ٣٥ 35
अगर तुम एक दूसरे से मुहब्बत रखोगे तो सब जान लेंगे कि तुम मेरे शागिर्द हो।”
قَالَ لَهُ سِمْعَانُ بُطْرُسُ: «يَا سَيِّدُ، إِلَى أَيْنَ تَذْهَبُ؟». أَجَابَهُ يَسُوعُ: «حَيْثُ أَذْهَبُ لَا تَقْدِرُ ٱلْآنَ أَنْ تَتْبَعَنِي، وَلَكِنَّكَ سَتَتْبَعُنِي أَخِيرًا». ٣٦ 36
पतरस ने पूछा, ख़ुदावन्द, “आप कहाँ जा रहे हैं?” ईसा ने जवाब दिया “जहाँ में जाता हूँ अब तो तू मेरे पीछे आ नहीं सकता लेकिन बाद में तू मेरे पीछे आ जाएगा।”
قَالَ لَهُ بُطْرُسُ: «يَا سَيِّدُ، لِمَاذَا لَا أَقْدِرُ أَنْ أَتْبَعَكَ ٱلْآنَ؟ إِنِّي أَضَعُ نَفْسِي عَنْكَ!». ٣٧ 37
पतरस ने सवाल किया, “ख़ुदावन्द, मैं आप के पीछे अभी क्यूँ नहीं जा सकता? मैं आप के लिए अपनी जान तक देने को तय्यार हूँ।”
أَجَابَهُ يَسُوعُ: «أَتَضَعُ نَفْسَكَ عَنِّي؟ اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكَ: لَا يَصِيحُ ٱلدِّيكُ حَتَّى تُنْكِرَنِي ثَلَاثَ مَرَّاتٍ. ٣٨ 38
लेकिन ईसा ने जवाब दिया, “तू मेरे लिए अपनी जान देना चाहता है? मैं तुझे सच बताता हूँ कि मुर्ग़ के बाँग देने से पहले पहले तू तीन मर्तबा मुझे जानने से इन्कार कर चुका होगा।”

< يوحنَّا 13 >