< يوحنَّا 12 >

ثُمَّ قَبْلَ ٱلْفِصْحِ بِسِتَّةِ أَيَّامٍ أَتَى يَسُوعُ إِلَى بَيْتِ عَنْيَا، حَيْثُ كَانَ لِعَازَرُ ٱلْمَيْتُ ٱلَّذِي أَقَامَهُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. ١ 1
फिर यीशु फसह से छः दिन पहले बैतनिय्याह में आया, जहाँ लाज़र था; जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था।
فَصَنَعُوا لَهُ هُنَاكَ عَشَاءً. وَكَانَتْ مَرْثَا تَخْدِمُ، وَأَمَّا لِعَازَرُ فَكَانَ أَحَدَ ٱلْمُتَّكِئِينَ مَعَهُ. ٢ 2
वहाँ उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया, और मार्था सेवा कर रही थी, और लाज़र उनमें से एक था, जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे।
فَأَخَذَتْ مَرْيَمُ مَنًا مِنْ طِيبِ نَارِدِينٍ خَالِصٍ كَثِيرِ ٱلثَّمَنِ، وَدَهَنَتْ قَدَمَيْ يَسُوعَ، وَمَسَحَتْ قَدَمَيْهِ بِشَعْرِهَا، فَٱمْتَلَأَ ٱلْبَيْتُ مِنْ رَائِحَةِ ٱلطِّيبِ. ٣ 3
तब मरियम ने जटामासी का आधा सेर बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के पाँवों पर डाला, और अपने बालों से उसके पाँव पोंछे, और इत्र की सुगन्ध से घर सुगन्धित हो गया।
فَقَالَ وَاحِدٌ مِنْ تَلَامِيذِهِ، وَهُوَ يَهُوذَا سِمْعَانُ ٱلْإِسْخَرْيُوطِيُّ، ٱلْمُزْمِعُ أَنْ يُسَلِّمَهُ: ٤ 4
परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नामक एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था, कहने लगा,
«لِمَاذَا لَمْ يُبَعْ هَذَا ٱلطِّيبُ بِثَلَاثَمِئَةِ دِينَارٍ وَيُعْطَ لِلْفُقَرَاءِ؟». ٥ 5
“यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर गरीबों को क्यों न दिया गया?”
قَالَ هَذَا لَيْسَ لِأَنَّهُ كَانَ يُبَالِي بِٱلْفُقَرَاءِ، بَلْ لِأَنَّهُ كَانَ سَارِقًا، وَكَانَ ٱلصُّنْدُوقُ عِنْدَهُ، وَكَانَ يَحْمِلُ مَا يُلْقَى فِيهِ. ٦ 6
उसने यह बात इसलिए न कही, कि उसे गरीबों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिए कि वह चोर था और उसके पास उनकी थैली रहती थी, और उसमें जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था।
فَقَالَ يَسُوعُ: «ٱتْرُكُوهَا! إِنَّهَا لِيَوْمِ تَكْفِينِي قَدْ حَفِظَتْهُ، ٧ 7
यीशु ने कहा, “उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रहने दे।
لِأَنَّ ٱلْفُقَرَاءَ مَعَكُمْ فِي كُلِّ حِينٍ، وَأَمَّا أَنَا فَلَسْتُ مَعَكُمْ فِي كُلِّ حِينٍ». ٨ 8
क्योंकि गरीब तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा।”
فَعَلِمَ جَمْعٌ كَثِيرٌ مِنَ ٱلْيَهُودِ أَنَّهُ هُنَاكَ، فَجَاءُوا لَيْسَ لِأَجْلِ يَسُوعَ فَقَطْ، بَلْ لِيَنْظُرُوا أَيْضًا لِعَازَرَ ٱلَّذِي أَقَامَهُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. ٩ 9
यहूदियों में से साधारण लोग जान गए, कि वह वहाँ है, और वे न केवल यीशु के कारण आए परन्तु इसलिए भी कि लाज़र को देखें, जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया था।
فَتَشَاوَرَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ لِيَقْتُلُوا لِعَازَرَ أَيْضًا، ١٠ 10
१०तब प्रधान याजकों ने लाज़र को भी मार डालने की सम्मति की।
لِأَنَّ كَثِيرِينَ مِنَ ٱلْيَهُودِ كَانُوا بِسَبَبِهِ يَذْهَبُونَ وَيُؤْمِنُونَ بِيَسُوعَ. ١١ 11
११क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए, और यीशु पर विश्वास किया।
وَفِي ٱلْغَدِ سَمِعَ ٱلْجَمْعُ ٱلْكَثِيرُ ٱلَّذِي جَاءَ إِلَى ٱلْعِيدِ أَنَّ يَسُوعَ آتٍ إِلَى أُورُشَلِيمَ، ١٢ 12
१२दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्व में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आ रहा है।
فَأَخَذُوا سُعُوفَ ٱلنَّخْلِ وَخَرَجُوا لِلِقَائِهِ، وَكَانُوا يَصْرُخُونَ: «أُوصَنَّا! مُبَارَكٌ ٱلْآتِي بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ! مَلِكُ إِسْرَائِيلَ!». ١٣ 13
१३उन्होंने खजूर की डालियाँ लीं, और उससे भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, “होशाना! धन्य इस्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।”
وَوَجَدَ يَسُوعُ جَحْشًا فَجَلَسَ عَلَيْهِ كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ: ١٤ 14
१४जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो वह उस पर बैठा, जैसा लिखा है,
«لَا تَخَافِي يَا ٱبْنَةَ صِهْيَوْنَ. هُوَذَا مَلِكُكِ يَأْتِي جَالِسًا عَلَى جَحْشٍ أَتَانٍ». ١٥ 15
१५“हे सिय्योन की बेटी, मत डर; देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।”
وَهَذِهِ ٱلْأُمُورُ لَمْ يَفْهَمْهَا تَلَامِيذُهُ أَوَّلًا، وَلَكِنْ لَمَّا تَمَجَّدَ يَسُوعُ، حِينَئِذٍ تَذَكَّرُوا أَنَّ هَذِهِ كَانَتْ مَكْتُوبَةً عَنْهُ، وَأَنَّهُمْ صَنَعُوا هَذِهِ لَهُ. ١٦ 16
१६उसके चेले, ये बातें पहले न समझे थे; परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उनको स्मरण आया, कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं; और लोगों ने उससे इस प्रकार का व्यवहार किया था।
وَكَانَ ٱلْجَمْعُ ٱلَّذِي مَعَهُ يَشْهَدُ أَنَّهُ دَعَا لِعَازَرَ مِنَ ٱلْقَبْرِ وَأَقَامَهُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. ١٧ 17
१७तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उसने लाज़र को कब्र में से बुलाकर, मरे हुओं में से जिलाया था।
لِهَذَا أَيْضًا لَاقَاهُ ٱلْجَمْعُ، لِأَنَّهُمْ سَمِعُوا أَنَّهُ كَانَ قَدْ صَنَعَ هَذِهِ ٱلْآيَةَ. ١٨ 18
१८इसी कारण लोग उससे भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना था, कि उसने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है।
فَقَالَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «ٱنْظُرُوا! إِنَّكُمْ لَا تَنْفَعُونَ شَيْئًا! هُوَذَا ٱلْعَالَمُ قَدْ ذَهَبَ وَرَاءَهُ!». ١٩ 19
१९तब फरीसियों ने आपस में कहा, “सोचो, तुम लोग कुछ नहीं कर पा रहे हो; देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।”
وَكَانَ أُنَاسٌ يُونَانِيُّونَ مِنَ ٱلَّذِينَ صَعِدُوا لِيَسْجُدُوا فِي ٱلْعِيدِ. ٢٠ 20
२०जो लोग उस पर्व में आराधना करने आए थे उनमें से कई यूनानी थे।
فَتَقَدَّمَ هَؤُلَاءِ إِلَى فِيلُبُّسَ ٱلَّذِي مِنْ بَيْتِ صَيْدَا ٱلْجَلِيلِ، وَسَأَلُوهُ قَائِلِينَ: «يَا سَيِّدُ، نُرِيدُ أَنْ نَرَى يَسُوعَ». ٢١ 21
२१उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहनेवाले फिलिप्पुस के पास आकर उससे विनती की, “श्रीमान हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।”
فَأَتَى فِيلُبُّسُ وَقَالَ لِأَنْدَرَاوُسَ، ثُمَّ قَالَ أَنْدَرَاوُسُ وَفِيلُبُّسُ لِيَسُوعَ. ٢٢ 22
२२फिलिप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा।
وَأَمَّا يَسُوعُ فَأَجَابَهُمَا قَائِلًا: «قَدْ أَتَتِ ٱلسَّاعَةُ لِيَتَمَجَّدَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ. ٢٣ 23
२३इस पर यीशु ने उनसे कहा, “वह समय आ गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो।
اَلْحَقَّ ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنْ لَمْ تَقَعْ حَبَّةُ ٱلْحِنْطَةِ فِي ٱلْأَرْضِ وَتَمُتْ فَهِيَ تَبْقَى وَحْدَهَا. وَلَكِنْ إِنْ مَاتَتْ تَأْتِي بِثَمَرٍ كَثِيرٍ. ٢٤ 24
२४मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।
مَنْ يُحِبُّ نَفْسَهُ يُهْلِكُهَا، وَمَنْ يُبْغِضُ نَفْسَهُ فِي هَذَا ٱلْعَالَمِ يَحْفَظُهَا إِلَى حَيَاةٍ أَبَدِيَّةٍ. (aiōnios g166) ٢٥ 25
२५जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिये उसकी रक्षा करेगा। (aiōnios g166)
إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَخْدِمُنِي فَلْيَتْبَعْنِي، وَحَيْثُ أَكُونُ أَنَا هُنَاكَ أَيْضًا يَكُونُ خَادِمِي. وَإِنْ كَانَ أَحَدٌ يَخْدِمُنِي يُكْرِمُهُ ٱلْآبُ. ٢٦ 26
२६यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा।
اَلْآنَ نَفْسِي قَدِ ٱضْطَرَبَتْ. وَمَاذَا أَقُولُ: أَيُّهَا ٱلْآبُ نَجِّنِي مِنْ هَذِهِ ٱلسَّاعَةِ؟ وَلَكِنْ لِأَجْلِ هَذَا أَتَيْتُ إِلَى هَذِهِ ٱلسَّاعَةِ. ٢٧ 27
२७“अब मेरा जी व्याकुल हो रहा है। इसलिए अब मैं क्या कहूँ? ‘हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा?’ परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ।
أَيُّهَا ٱلْآبُ، مَجِّدِ ٱسْمَكَ!». فَجَاءَ صَوْتٌ مِنَ ٱلسَّمَاءِ: «مَجَّدْتُ، وَأُمَجِّدُ أَيْضًا!». ٢٨ 28
२८हे पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैंने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।”
فَٱلْجَمْعُ ٱلَّذِي كَانَ وَاقِفًا وَسَمِعَ، قَالَ: «قَدْ حَدَثَ رَعْدٌ!». وَآخَرُونَ قَالُوا: «قَدْ كَلَّمَهُ مَلَاكٌ!». ٢٩ 29
२९तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्होंने कहा; कि बादल गरजा, औरों ने कहा, “कोई स्वर्गदूत उससे बोला।”
أَجَابَ يَسُوعُ وقَالَ: «لَيْسَ مِنْ أَجْلِي صَارَ هَذَا ٱلصَّوْتُ، بَلْ مِنْ أَجْلِكُمْ. ٣٠ 30
३०इस पर यीशु ने कहा, “यह शब्द मेरे लिये नहीं परन्तु तुम्हारे लिये आया है।
اَلْآنَ دَيْنُونَةُ هَذَا ٱلْعَالَمِ. اَلْآنَ يُطْرَحُ رَئِيسُ هَذَا ٱلْعَالَمِ خَارِجًا. ٣١ 31
३१अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदारनिकाल दिया जाएगा।
وَأَنَا إِنِ ٱرْتَفَعْتُ عَنِ ٱلْأَرْضِ أَجْذِبُ إِلَيَّ ٱلْجَمِيعَ». ٣٢ 32
३२और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।”
قَالَ هَذَا مُشِيرًا إِلَى أَيَّةِ مِيتَةٍ كَانَ مُزْمِعًا أَنْ يَمُوتَ. ٣٣ 33
३३ऐसा कहकर उसने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा।
فَأَجَابَهُ ٱلْجَمْعُ: «نَحْنُ سَمِعْنَا مِنَ ٱلنَّامُوسِ أَنَّ ٱلْمَسِيحَ يَبْقَى إِلَى ٱلْأَبَدِ، فَكَيْفَ تَقُولُ أَنْتَ إِنَّهُ يَنْبَغِي أَنْ يَرْتَفِعَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ؟ مَنْ هُوَ هَذَا ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ؟». (aiōn g165) ٣٤ 34
३४इस पर लोगों ने उससे कहा, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?” (aiōn g165)
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «ٱلنُّورُ مَعَكُمْ زَمَانًا قَلِيلًا بَعْدُ، فَسِيرُوا مَا دَامَ لَكُمُ ٱلنُّورُ لِئَلَّا يُدْرِكَكُمُ ٱلظَّلَامُ. وَٱلَّذِي يَسِيرُ فِي ٱلظَّلَامِ لَا يَعْلَمُ إِلَى أَيْنَ يَذْهَبُ. ٣٥ 35
३५यीशु ने उनसे कहा, “ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अंधकार तुम्हें आ घेरे; जो अंधकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है।
مَا دَامَ لَكُمُ ٱلنُّورُ آمِنُوا بِٱلنُّورِ لِتَصِيرُوا أَبْنَاءَ ٱلنُّورِ». تَكَلَّمَ يَسُوعُ بِهَذَا ثُمَّ مَضَى وَٱخْتَفَى عَنْهُمْ. ٣٦ 36
३६जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान बनो।” ये बातें कहकर यीशु चला गया और उनसे छिपा रहा।
وَمَعَ أَنَّهُ كَانَ قَدْ صَنَعَ أَمَامَهُمْ آيَاتٍ هَذَا عَدَدُهَا، لَمْ يُؤْمِنُوا بِهِ، ٣٧ 37
३७और उसने उनके सामने इतने चिन्ह दिखाए, तो भी उन्होंने उस पर विश्वास न किया;
لِيَتِمَّ قَوْلُ إِشَعْيَاءَ ٱلنَّبِيِّ ٱلَّذي قَالَهُ: «يَارَبُّ، مَنْ صَدَّقَ خَبَرَنَا؟ وَلِمَنِ ٱسْتُعْلِنَتْ ذِرَاعُ ٱلرَّبِّ؟». ٣٨ 38
३८ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा: “हे प्रभु, हमारे समाचार पर किसने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?”
لِهَذَا لَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يُؤْمِنُوا. لِأَنَّ إِشَعْيَاءَ قَالَ أَيْضًا: ٣٩ 39
३९इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने यह भी कहा है:
«قَدْ أَعْمَى عُيُونَهُمْ، وَأَغْلَظَ قُلُوبَهُمْ، لِئَلَّا يُبْصِرُوا بِعُيُونِهِمْ، وَيَشْعُرُوا بِقُلُوبِهِمْ، وَيَرْجِعُوا فَأَشْفِيَهُمْ». ٤٠ 40
४०“उसने उनकी आँखें अंधी, और उनका मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आँखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।”
قَالَ إِشَعْيَاءُ هَذَا حِينَ رَأَى مَجْدَهُ وَتَكَلَّمَ عَنْهُ. ٤١ 41
४१यशायाह ने ये बातें इसलिए कहीं, कि उसने उसकी महिमा देखी; और उसने उसके विषय में बातें की।
وَلَكِنْ مَعَ ذَلِكَ آمَنَ بِهِ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلرُّؤَسَاءِ أَيْضًا، غَيْرَ أَنَّهُمْ لِسَبَبِ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ لَمْ يَعْتَرِفُوا بِهِ، لِئَلَّا يَصِيرُوا خَارِجَ ٱلْمَجْمَعِ، ٤٢ 42
४२तो भी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएँ।
لِأَنَّهُمْ أَحَبُّوا مَجْدَ ٱلنَّاسِ أَكْثَرَ مِنْ مَجْدِ ٱللهِ. ٤٣ 43
४३क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उनको परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी।
فَنَادَى يَسُوعُ وَقَالَ: «ٱلَّذِي يُؤْمِنُ بِي، لَيْسَ يُؤْمِنُ بِي بَلْ بِالَّذِي أَرْسَلَنِي. ٤٤ 44
४४यीशु ने पुकारकर कहा, “जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है।
وَٱلَّذِي يَرَانِي يَرَى ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي. ٤٥ 45
४५और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है।
أَنَا قَدْ جِئْتُ نُورًا إِلَى ٱلْعَالَمِ، حَتَّى كُلُّ مَنْ يُؤْمِنُ بِي لَا يَمْكُثُ فِي ٱلظُّلْمَةِ. ٤٦ 46
४६मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अंधकार में न रहे।
وَإِنْ سَمِعَ أَحَدٌ كَلَامِي وَلَمْ يُؤْمِنْ فَأَنَا لَا أَدِينُهُ، لِأَنِّي لَمْ آتِ لِأَدِينَ ٱلْعَالَمَ بَلْ لِأُخَلِّصَ ٱلْعَالَمَ. ٤٧ 47
४७यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ।
مَنْ رَذَلَنِي وَلَمْ يَقْبَلْ كَلَامِي فَلَهُ مَنْ يَدِينُهُ. اَلْكَلَامُ ٱلَّذِي تَكَلَّمْتُ بِهِ هُوَ يَدِينُهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ، ٤٨ 48
४८जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा।
لِأَنِّي لَمْ أَتَكَلَّمْ مِنْ نَفْسِي، لَكِنَّ ٱلْآبَ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي هُوَ أَعْطَانِي وَصِيَّةً: مَاذَا أَقُولُ وَبِمَاذَا أَتَكَلَّمُ. ٤٩ 49
४९क्योंकि मैंने अपनी ओर से बातें नहीं की, परन्तु पिता जिसने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है, कि क्या-क्या कहूँ और क्या-क्या बोलूँ?
وَأَنَا أَعْلَمُ أَنَّ وَصِيَّتَهُ هِيَ حَيَاةٌ أَبَدِيَّةٌ. فَمَا أَتَكَلَّمُ أَنَا بِهِ، فَكَمَا قَالَ لِي ٱلْآبُ هَكَذَا أَتَكَلَّمُ». (aiōnios g166) ٥٠ 50
५०और मैं जानता हूँ, कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिए मैं जो बोलता हूँ, वह जैसा पिता ने मुझसे कहा है वैसा ही बोलता हूँ।” (aiōnios g166)

< يوحنَّا 12 >