< يوحنَّا 11 >

وَكَانَ إِنْسَانٌ مَرِيضًا وَهُوَ لِعَازَرُ، مِنْ بَيْتِ عَنْيَا مِنْ قَرْيَةِ مَرْيَمَ وَمَرْثَا أُخْتِهَا. ١ 1
उन दिनों में एक आदमी बीमार पड़ गया जिस का नाम लाज़र था। वह अपनी बहनों मरियम और मर्था के साथ बैत — अनियाह में रहता था।
وَكَانَتْ مَرْيَمُ، ٱلَّتِي كَانَ لِعَازَرُ أَخُوهَا مَرِيضًا، هِيَ ٱلَّتِي دَهَنَتِ ٱلرَّبَّ بِطِيبٍ، وَمَسَحَتْ رِجْلَيْهِ بِشَعْرِهَا. ٢ 2
यह वही मरियम थी जिस ने बाद में ख़ुदावन्द पर ख़ुश्बू डाल कर उस के पैर अपने बालों से ख़ुश्क किए थे। उसी का भाई लाज़र बीमार था।
فَأَرْسَلَتِ ٱلْأُخْتَانِ إِلَيْهِ قَائِلَتَيْنِ: «يَا سَيِّدُ، هُوَذَا ٱلَّذِي تُحِبُّهُ مَرِيضٌ». ٣ 3
चुनाँचे बहनों ने ईसा को ख़बर दी, “ख़ुदावन्द, जिसे आप मुहब्बत करते हैं वह बीमार है।”
فَلَمَّا سَمِعَ يَسُوعُ، قَالَ: «هَذَا ٱلْمَرَضُ لَيْسَ لِلْمَوْتِ، بَلْ لِأَجْلِ مَجْدِ ٱللهِ، لِيَتَمَجَّدَ ٱبْنُ ٱللهِ بِهِ». ٤ 4
जब ईसा को यह ख़बर मिली तो उस ने कहा, “इस बीमारी का अन्जाम मौत नहीं है, बल्कि यह ख़ुदा के जलाल के वास्ते हुआ है, ताकि इस से ख़ुदा के फ़र्ज़न्द को जलाल मिले।”
وَكَانَ يَسُوعُ يُحِبُّ مَرْثَا وَأُخْتَهَا وَلِعَازَرَ. ٥ 5
ईसा मर्था, मरियम और लाज़र से मुहब्बत रखता था।
فَلَمَّا سَمِعَ أَنَّهُ مَرِيضٌ مَكَثَ حِينَئِذٍ فِي ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي كَانَ فِيهِ يَوْمَيْنِ. ٦ 6
तो भी वह लाज़र के बारे में ख़बर मिलने के बाद दो दिन और वहीं ठहरा।
ثُمَّ بَعْدَ ذَلِكَ قَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «لِنَذْهَبْ إِلَى ٱلْيَهُودِيَّةِ أَيْضًا». ٧ 7
फिर उस ने अपने शागिर्दों से बात की, “आओ, हम दुबारा यहूदिया चले जाएँ।”
قَالَ لَهُ ٱلتَّلَامِيذُ: «يَا مُعَلِّمُ، ٱلْآنَ كَانَ ٱلْيَهُودُ يَطْلُبُونَ أَنْ يَرْجُمُوكَ، وَتَذْهَبُ أَيْضًا إِلَى هُنَاكَ». ٨ 8
शागिर्दों ने एतराज़ किया, “उस्ताद, अभी अभी वहाँ के यहूदी आप पर पथराव करने की कोशिश कर रहे थे, फिर भी आप वापस जाना चाहते हैं?”
أَجَابَ يَسُوعُ: «أَلَيْسَتْ سَاعَاتُ ٱلنَّهَارِ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ؟ إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَمْشِي فِي ٱلنَّهَارِ لَا يَعْثُرُ لِأَنَّهُ يَنْظُرُ نُورَ هَذَا ٱلْعَالَمِ، ٩ 9
ईसा ने जवाब दिया, “क्या दिन में रोशनी के बारह घंटे नहीं होते? जो शख़्स दिन के वक़्त चलता फिरता है वह किसी भी चीज़ से नहीं टकराएगा, क्यूँकि वह इस दुनियाँ की रोशनी के ज़रिए देख सकता है।
وَلَكِنْ إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَمْشِي فِي ٱللَّيْلِ يَعْثُرُ، لِأَنَّ ٱلنُّورَ لَيْسَ فِيهِ». ١٠ 10
लेकिन जो रात के वक़्त चलता है वह चीज़ों से टकरा जाता है, क्यूँकि उस के पास रोशनी नहीं है।”
قَالَ هَذَا، وَبَعْدَ ذَلِكَ قَالَ لَهُمْ: «لِعَازَرُ حَبِيبُنَا قَدْ نَامَ. لَكِنِّي أَذْهَبُ لِأُوقِظَهُ». ١١ 11
फिर उस ने कहा, “हमारा दोस्त लाज़र सो गया है। लेकिन मैं जा कर उसे जगा दूँगा।”
فَقَالَ تَلَامِيذُهُ: «يَا سَيِّدُ، إِنْ كَانَ قَدْ نَامَ فَهُوَ يُشْفَى». ١٢ 12
शागिर्दों ने कहा, “ख़ुदावन्द, अगर वह सो रहा है तो वह बच जाएगा।”
وَكَانَ يَسُوعُ يَقُولُ عَنْ مَوْتِهِ، وَهُمْ ظَنُّوا أَنَّهُ يَقُولُ عَنْ رُقَادِ ٱلنَّوْمِ. ١٣ 13
उन का ख़याल था कि ईसा लाज़र की दुनियावी नींद का ज़िक्र कर रहा है जबकि हक़ीक़त में वह उस की मौत की तरफ़ इशारा कर रहा था।
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ حِينَئِذٍ عَلَانِيَةً: «لِعَازَرُ مَاتَ. ١٤ 14
इस लिए उस ने उन्हें साफ़ बता दिया, “लाज़र की मौत हो गई है
وَأَنَا أَفْرَحُ لِأَجْلِكُمْ إِنِّي لَمْ أَكُنْ هُنَاكَ، لِتُؤْمِنُوا. وَلَكِنْ لِنَذْهَبْ إِلَيْهِ!». ١٥ 15
और तुम्हारी ख़ातिर मैं ख़ुश हूँ कि मैं उस के मरते वक़्त वहाँ नहीं था, क्यूँकि अब तुम ईमान लाओगे। आओ, हम उस के पास जाएँ।”
فَقَالَ تُومَا ٱلَّذِي يُقَالُ لَهُ ٱلتَّوْأَمُ لِلتَّلَامِيذِ رُفَقَائِهِ: «لِنَذْهَبْ نَحْنُ أَيْضًا لِكَيْ نَمُوتَ مَعَهُ!». ١٦ 16
तोमा ने जिस का लक़ब जुड़वाँ था अपने साथी शागिर्दों से कहा, “चलो, हम भी वहाँ जा कर उस के साथ मर जाएँ।”
فَلَمَّا أَتَى يَسُوعُ وَجَدَ أَنَّهُ قَدْ صَارَ لَهُ أَرْبَعَةُ أَيَّامٍ فِي ٱلْقَبْرِ. ١٧ 17
वहाँ पहुँच कर ईसा को मालूम हुआ कि लाज़र को क़ब्र में रखे चार दिन हो गए हैं।
وَكَانَتْ بَيْتُ عَنْيَا قَرِيبَةً مِنْ أُورُشَلِيمَ نَحْوَ خَمْسَ عَشْرَةَ غَلْوَةً. ١٨ 18
बैत — अनियाह का येरूशलेम से फ़ासिला तीन क़िलोमीटर से कम था,
وَكَانَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلْيَهُودِ قَدْ جَاءُوا إِلَى مَرْثَا وَمَرْيَمَ لِيُعَزُّوهُمَا عَنْ أَخِيهِمَا. ١٩ 19
और बहुत से यहूदी मर्था और मरियम को उन के भाई के बारे में तसल्ली देने के लिए आए हुए थे।
فَلَمَّا سَمِعَتْ مَرْثَا أَنَّ يَسُوعَ آتٍ لَاقَتْهُ، وَأَمَّا مَرْيَمُ فَٱسْتَمَرَّتْ جَالِسَةً فِي ٱلْبَيْتِ. ٢٠ 20
यह सुन कर कि ईसा आ रहा है मर्था उसे मिलने गई। लेकिन मरियम घर में बैठी रही।
فَقَالَتْ مَرْثَا لِيَسُوعَ: «يَا سَيِّدُ، لَوْ كُنْتَ هَهُنَا لَمْ يَمُتْ أَخِي! ٢١ 21
मर्था ने कहा, “ख़ुदावन्द, अगर आप यहाँ होते तो मेरा भाई न मरता।
لَكِنِّي ٱلْآنَ أَيْضًا أَعْلَمُ أَنَّ كُلَّ مَا تَطْلُبُ مِنَ ٱللهِ يُعْطِيكَ ٱللهُ إِيَّاهُ». ٢٢ 22
लेकिन मैं जानती हूँ कि अब भी ख़ुदा आप को जो भी माँगोगे देगा।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «سَيَقُومُ أَخُوكِ». ٢٣ 23
ईसा ने उसे बताया, “तेरा भाई जी उठेगा।”
قَالَتْ لَهُ مَرْثَا: «أَنَا أَعْلَمُ أَنَّهُ سَيَقُومُ فِي ٱلْقِيَامَةِ، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ». ٢٤ 24
मर्था ने जवाब दिया, जी, “मुझे मालूम है कि वह क़यामत के दिन जी उठेगा, जब सब जी उठेंगे।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «أَنَا هُوَ ٱلْقِيَامَةُ وَٱلْحَيَاةُ. مَنْ آمَنَ بِي وَلَوْ مَاتَ فَسَيَحْيَا، ٢٥ 25
ईसा ने उसे बताया, “क़यामत और ज़िन्दगी तो मैं हूँ। जो मुझ पर ईमान रखे वह ज़िन्दा रहेगा, चाहे वह मर भी जाए।
وَكُلُّ مَنْ كَانَ حَيًّا وَآمَنَ بِي فَلَنْ يَمُوتَ إِلَى ٱلْأَبَدِ. أَتُؤْمِنِينَ بِهَذَا؟». (aiōn g165) ٢٦ 26
और जो ज़िन्दा है और मुझ पर ईमान रखता है वह कभी नहीं मरेगा। मर्था, क्या तुझे इस बात का यक़ीन है?” (aiōn g165)
قَالَتْ لَهُ: «نَعَمْ يَا سَيِّدُ. أَنَا قَدْ آمَنْتُ أَنَّكَ أَنْتَ ٱلْمَسِيحُ ٱبْنُ ٱللهِ، ٱلْآتِي إِلَى ٱلْعَالَمِ». ٢٧ 27
मर्था ने जवाब दिया, “जी ख़ुदावन्द, मैं ईमान रखती हूँ कि आप ख़ुदा के फ़र्ज़न्द मसीह हैं, जिसे दुनियाँ में आना था।”
وَلَمَّا قَالَتْ هَذَا مَضَتْ وَدَعَتْ مَرْيَمَ أُخْتَهَا سِرًّا، قَائِلَةً: «ٱلْمُعَلِّمُ قَدْ حَضَرَ، وَهُوَ يَدْعُوكِ». ٢٨ 28
यह कह कर मर्था वापस चली गई और चुपके से मरियम को बुलाया, “उस्ताद आ गए हैं, वह तुझे बुला रहे हैं।”
أَمَّا تِلْكَ فَلَمَّا سَمِعَتْ قَامَتْ سَرِيعًا وَجَاءَتْ إِلَيْهِ. ٢٩ 29
यह सुनते ही मरियम उठ कर ईसा के पास गई।
وَلَمْ يَكُنْ يَسُوعُ قَدْ جَاءَ إِلَى ٱلْقَرْيَةِ، بَلْ كَانَ فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي لَاقَتْهُ فِيهِ مَرْثَا. ٣٠ 30
वह अभी गाँव के बाहर उसी जगह ठहरा था जहाँ उस की मुलाक़ात मर्था से हुई थी।
ثُمَّ إِنَّ ٱلْيَهُودَ ٱلَّذِينَ كَانُوا مَعَهَا فِي ٱلْبَيْتِ يُعَزُّونَهَا، لَمَّا رَأَوْا مَرْيَمَ قَامَتْ عَاجِلًا وَخَرَجَتْ، تَبِعُوهَا قَائِلِينَ: «إِنَّهَا تَذْهَبُ إِلَى ٱلْقَبْرِ لِتَبْكِيَ هُنَاكَ». ٣١ 31
जो यहूदी घर में मरियम के साथ बैठे उसे तसल्ली दे रहे थे, जब उन्हों ने देखा कि वह जल्दी से उठ कर निकल गई है तो वह उस के पीछे हो लिए। क्यूँकि वह समझ रहे थे कि वह मातम करने के लिए अपने भाई की क़ब्र पर जा रही है।
فَمَرْيَمُ لَمَّا أَتَتْ إِلَى حَيْثُ كَانَ يَسُوعُ وَرَأَتْهُ، خَرَّتْ عِنْدَ رِجْلَيْهِ قَائِلَةً لَهُ: «يَا سَيِّدُ، لَوْ كُنْتَ هَهُنَا لَمْ يَمُتْ أَخِي!». ٣٢ 32
मरियम ईसा के पास पहुँच गई। उसे देखते ही वह उस के पैरों में गिर गई और कहने लगी, “ख़ुदावन्द, अगर आप यहाँ होते तो मेरा भाई न मरता।”
فَلَمَّا رَآهَا يَسُوعُ تَبْكِي، وَٱلْيَهُودُ ٱلَّذِينَ جَاءُوا مَعَهَا يَبْكُونَ، ٱنْزَعَجَ بِٱلرُّوحِ وَٱضْطَرَبَ، ٣٣ 33
जब ईसा ने मरियम और उस के लोगों को रोते देखा तो उसे दुःख हुआ। और उसने ताअ'ज्जुब होकर
وَقَالَ: «أَيْنَ وَضَعْتُمُوهُ؟». قَالُوا لَهُ: «يَا سَيِّدُ، تَعَالَ وَٱنْظُرْ». ٣٤ 34
उस ने पूछा, “तुम ने उसे कहाँ रखा है?” उन्हों ने जवाब दिया, “आएँ ख़ुदावन्द, और देख लें।”
بَكَى يَسُوعُ. ٣٥ 35
ईसा “रो पड़ा।
فَقَالَ ٱلْيَهُودُ: «ٱنْظُرُوا كَيْفَ كَانَ يُحِبُّهُ!». ٣٦ 36
यहूदियों ने कहा, देखो, वह उसे कितना प्यारा था।”
وَقَالَ بَعْضٌ مِنْهُمْ: «أَلَمْ يَقْدِرْ هَذَا ٱلَّذِي فَتَحَ عَيْنَيِ ٱلْأَعْمَى أَنْ يَجْعَلَ هَذَا أَيْضًا لَا يَمُوتُ؟». ٣٧ 37
लेकिन उन में से कुछ ने कहा, इस आदमी ने अंधे को सही किया। “क्या यह लाज़र को मरने से नहीं बचा सकता था?”
فَٱنْزَعَجَ يَسُوعُ أَيْضًا فِي نَفْسِهِ وَجَاءَ إِلَى ٱلْقَبْرِ، وَكَانَ مَغَارَةً وَقَدْ وُضِعَ عَلَيْهِ حَجَرٌ. ٣٨ 38
फिर ईसा दुबारा बहुत ही मायूस हो कर क़ब्र पर आया। क़ब्र एक ग़ार थी जिस के मुँह पर पत्थर रखा गया था।
قَالَ يَسُوعُ: «ٱرْفَعُوا ٱلْحَجَرَ!». قَالَتْ لَهُ مَرْثَا، أُخْتُ ٱلْمَيْتِ: «يَا سَيِّدُ، قَدْ أَنْتَنَ لِأَنَّ لَهُ أَرْبَعَةَ أَيَّامٍ». ٣٩ 39
ईसा ने कहा, “पत्थर को हटा दो।” लेकिन मर्हूम की बहन मर्था ने एतराज़ किया, “ख़ुदावन्द, बदबू आएगी, क्यूँकि उसे यहाँ पड़े चार दिन हो गए हैं।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «أَلَمْ أَقُلْ لَكِ: إِنْ آمَنْتِ تَرَيْنَ مَجْدَ ٱللهِ؟». ٤٠ 40
ईसा ने उस से कहा, “क्या मैंने तुझे नहीं बताया कि अगर तू ईमान रखे तो ख़ुदा का जलाल देखेगी?”
فَرَفَعُوا ٱلْحَجَرَ حَيْثُ كَانَ ٱلْمَيْتُ مَوْضُوعًا، وَرَفَعَ يَسُوعُ عَيْنَيْهِ إِلَى فَوْقُ، وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلْآبُ، أَشْكُرُكَ لِأَنَّكَ سَمِعْتَ لِي، ٤١ 41
चुनाँचे उन्हों ने पत्थर को हटा दिया। फिर ईसा ने अपनी नज़र उठा कर कहा, “ऐ बाप, मैं तेरा शुक्र करता हूँ कि तू ने मेरी सुन ली है।
وَأَنَا عَلِمْتُ أَنَّكَ فِي كُلِّ حِينٍ تَسْمَعُ لِي. وَلَكِنْ لِأَجْلِ هَذَا ٱلْجَمْعِ ٱلْوَاقِفِ قُلْتُ، لِيُؤْمِنُوا أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي». ٤٢ 42
मैं तो जानता हूँ कि तू हमेशा मेरी सुनता है। लेकिन मैं ने यह बात पास खड़े लोगों की ख़ातिर की, ताकि वह ईमान लाएँ कि तू ने मुझे भेजा है।”
وَلَمَّا قَالَ هَذَا صَرَخَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «لِعَازَرُ، هَلُمَّ خَارِجًا!». ٤٣ 43
फिर ईसा ज़ोर से पुकार उठा, “लाज़र, निकल आ!”
فَخَرَجَ ٱلْمَيْتُ وَيَدَاهُ وَرِجْلَاهُ مَرْبُوطَاتٌ بِأَقْمِطَةٍ، وَوَجْهُهُ مَلْفُوفٌ بِمِنْدِيلٍ. فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «حُلُّوهُ وَدَعُوهُ يَذْهَبْ». ٤٤ 44
और मुर्दा निकल आया। अभी तक उस के हाथ और पाँओ पट्टियों से बँधे हुए थे जबकि उस का चेहरा कपड़े में लिपटा हुआ था। ईसा ने उन से कहा, “इस के कफ़न को खोल कर इसे जाने दो।”
فَكَثِيرُونَ مِنَ ٱلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ جَاءُوا إِلَى مَرْيَمَ، وَنَظَرُوا مَا فَعَلَ يَسُوعُ، آمَنُوا بِهِ. ٤٥ 45
उन यहूदियों में से जो मरियम के पास आए थे बहुत से ईसा पर ईमान लाए जब उन्हों ने वह देखा जो उस ने किया।
وَأَمَّا قَوْمٌ مِنْهُمْ فَمَضَوْا إِلَى ٱلْفَرِّيسِيِّينَ وَقَالُوا لَهُمْ عَمَّا فَعَلَ يَسُوعُ. ٤٦ 46
लेकिन कुछ फ़रीसियों के पास गए और उन्हें बताया कि ईसा ने क्या किया है।
فَجَمَعَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ مَجْمَعًا وَقَالُوا: «مَاذَا نَصْنَعُ؟ فَإِنَّ هَذَا ٱلْإِنْسَانَ يَعْمَلُ آيَاتٍ كَثِيرَةً. ٤٧ 47
तब राहनुमा इमामों और फ़रीसियों ने यहूदियों ने सदरे अदालत का जलसा बुलाया। उन्हों ने एक दूसरे से पूछा, “हम क्या कर रहे हैं? यह आदमी बहुत से ख़ुदाई करिश्मे दिखा रहा है।
إِنْ تَرَكْنَاهُ هَكَذَا يُؤْمِنُ ٱلْجَمِيعُ بِهِ، فَيَأْتِي ٱلرُّومَانِيُّونَ وَيَأْخُذُونَ مَوْضِعَنَا وَأُمَّتَنَا». ٤٨ 48
अगर हम उसे यूँही छोड़ें तो आख़िरकार सब उस पर ईमान ले आएँगे। फिर रोमी हाकिम आ कर हमारे बैत — उल — मुक़द्दस और हमारे मुल्क को तबाह कर देंगे।”
فَقَالَ لَهُمْ وَاحِدٌ مِنْهُمْ، وَهُوَ قَيَافَا، كَانَ رَئِيسًا لِلْكَهَنَةِ فِي تِلْكَ ٱلسَّنَةِ: «أَنْتُمْ لَسْتُمْ تَعْرِفُونَ شَيْئًا، ٤٩ 49
उन में से एक काइफ़ा था जो उस साल इमाम — ए — आज़म था। उस ने कहा, “आप कुछ नहीं समझते
وَلَا تُفَكِّرُونَ أَنَّهُ خَيْرٌ لَنَا أَنْ يَمُوتَ إِنْسَانٌ وَاحِدٌ عَنِ ٱلشَّعْبِ وَلَا تَهْلِكَ ٱلْأُمَّةُ كُلُّهَا!». ٥٠ 50
और इस का ख़याल भी नहीं करते कि इस से पहले कि पूरी क़ौम हलाक हो जाए बेहतर यह है कि एक आदमी उम्मत के लिए मर जाए।”
وَلَمْ يَقُلْ هَذَا مِنْ نَفْسِهِ، بَلْ إِذْ كَانَ رَئِيسًا لِلْكَهَنَةِ فِي تِلْكَ ٱلسَّنَةِ، تَنَبَّأَ أَنَّ يَسُوعَ مُزْمِعٌ أَنْ يَمُوتَ عَنِ ٱلْأُمَّةِ، ٥١ 51
उस ने यह बात अपनी तरफ़ से नहीं की थी। उस साल के इमाम — ए — आज़म की हैसियत से ही उस ने यह पेशीनगोई की कि ईसा यहूदी क़ौम के लिए मरेगा।
وَلَيْسَ عَنِ ٱلْأُمَّةِ فَقَطْ، بَلْ لِيَجْمَعَ أَبْنَاءَ ٱللهِ ٱلْمُتَفَرِّقِينَ إِلَى وَاحِدٍ. ٥٢ 52
और न सिर्फ़ इस के लिए बल्कि ख़ुदा के बिखरे हुए फ़र्ज़न्दों को जमा करके एक करने के लिए भी।
فَمِنْ ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ تَشَاوَرُوا لِيَقْتُلُوهُ. ٥٣ 53
उस दिन से उन्हों ने ईसा को क़त्ल करने का इरादा कर लिया।
فَلَمْ يَكُنْ يَسُوعُ أَيْضًا يَمْشِي بَيْنَ ٱلْيَهُودِ عَلَانِيَةً، بَلْ مَضَى مِنْ هُنَاكَ إِلَى ٱلْكُورَةِ ٱلْقَرِيبَةِ مِنَ ٱلْبَرِّيَّةِ، إِلَى مَدِينَةٍ يُقَالُ لَهَا أَفْرَايِمُ، وَمَكَثَ هُنَاكَ مَعَ تَلَامِيذِهِ. ٥٤ 54
इस लिए उस ने अब से एलानिया यहूदियों के दरमियान वक़्त न गुज़ारा, बल्कि उस जगह को छोड़ कर रेगिस्तान के क़रीब एक इलाक़े में गया। वहाँ वह अपने शागिर्दों समेत एक गाँव बनाम इफ़्राईम में रहने लगा।
وَكَانَ فِصْحُ ٱلْيَهُودِ قَرِيبًا. فَصَعِدَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلْكُوَرِ إِلَى أُورُشَلِيمَ قَبْلَ ٱلْفِصْحِ لِيُطَهِّرُوا أَنْفُسَهُمْ. ٥٥ 55
फिर यहूदियों की ईद — ए — फ़सह क़रीब आ गई। देहात से बहुत से लोग अपने आप को पाक करवाने के लिए ईद से पहले पहले येरूशलेम पहुँचे।
فَكَانُوا يَطْلُبُونَ يَسُوعَ وَيَقُولُونَ فِيمَا بَيْنَهُمْ، وَهُمْ وَاقِفُونَ فِي ٱلْهَيْكَلِ: «مَاذَا تَظُنُّونَ؟ هَلْ هُوَ لَا يَأْتِي إِلَى ٱلْعِيدِ؟». ٥٦ 56
वहाँ वह ईसा का पता करते और हैकल में खड़े आपस में बात करते रहे, “क्या ख़याल है? क्या वह ईद पर नहीं आएगा?”
وَكَانَ أَيْضًا رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ قَدْ أَصْدَرُوا أَمْرًا أَنَّهُ إِنْ عَرَفَ أَحَدٌ أَيْنَ هُوَ فَلْيَدُلَّ عَلَيْهِ، لِكَيْ يُمْسِكُوهُ. ٥٧ 57
लेकिन राहनुमा इमामों और फ़रीसियों ने हुक्म दिया था, अगर किसी को मालूम हो जाए कि ईसा कहाँ है तो वह ख़बर दे ताकि हम उसे गिरफ़्तार कर लें।

< يوحنَّا 11 >