< يوحنَّا 11 >
وَكَانَ إِنْسَانٌ مَرِيضًا وَهُوَ لِعَازَرُ، مِنْ بَيْتِ عَنْيَا مِنْ قَرْيَةِ مَرْيَمَ وَمَرْثَا أُخْتِهَا. | ١ 1 |
१मरियम और उसकी बहन मार्था के गाँव बैतनिय्याह का लाज़र नामक एक मनुष्य बीमार था।
وَكَانَتْ مَرْيَمُ، ٱلَّتِي كَانَ لِعَازَرُ أَخُوهَا مَرِيضًا، هِيَ ٱلَّتِي دَهَنَتِ ٱلرَّبَّ بِطِيبٍ، وَمَسَحَتْ رِجْلَيْهِ بِشَعْرِهَا. | ٢ 2 |
२यह वही मरियम थी जिसने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाज़र बीमार था।
فَأَرْسَلَتِ ٱلْأُخْتَانِ إِلَيْهِ قَائِلَتَيْنِ: «يَا سَيِّدُ، هُوَذَا ٱلَّذِي تُحِبُّهُ مَرِيضٌ». | ٣ 3 |
३तब उसकी बहनों ने उसे कहला भेजा, “हे प्रभु, देख, जिससे तू प्यार करता है, वह बीमार है।”
فَلَمَّا سَمِعَ يَسُوعُ، قَالَ: «هَذَا ٱلْمَرَضُ لَيْسَ لِلْمَوْتِ، بَلْ لِأَجْلِ مَجْدِ ٱللهِ، لِيَتَمَجَّدَ ٱبْنُ ٱللهِ بِهِ». | ٤ 4 |
४यह सुनकर यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो।”
وَكَانَ يَسُوعُ يُحِبُّ مَرْثَا وَأُخْتَهَا وَلِعَازَرَ. | ٥ 5 |
५और यीशु मार्था और उसकी बहन और लाज़र से प्रेम रखता था।
فَلَمَّا سَمِعَ أَنَّهُ مَرِيضٌ مَكَثَ حِينَئِذٍ فِي ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي كَانَ فِيهِ يَوْمَيْنِ. | ٦ 6 |
६जब उसने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहाँ दो दिन और ठहर गया।
ثُمَّ بَعْدَ ذَلِكَ قَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «لِنَذْهَبْ إِلَى ٱلْيَهُودِيَّةِ أَيْضًا». | ٧ 7 |
७फिर इसके बाद उसने चेलों से कहा, “आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।”
قَالَ لَهُ ٱلتَّلَامِيذُ: «يَا مُعَلِّمُ، ٱلْآنَ كَانَ ٱلْيَهُودُ يَطْلُبُونَ أَنْ يَرْجُمُوكَ، وَتَذْهَبُ أَيْضًا إِلَى هُنَاكَ». | ٨ 8 |
८चेलों ने उससे कहा, “हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पथराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?”
أَجَابَ يَسُوعُ: «أَلَيْسَتْ سَاعَاتُ ٱلنَّهَارِ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ؟ إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَمْشِي فِي ٱلنَّهَارِ لَا يَعْثُرُ لِأَنَّهُ يَنْظُرُ نُورَ هَذَا ٱلْعَالَمِ، | ٩ 9 |
९यीशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते? यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है।
وَلَكِنْ إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَمْشِي فِي ٱللَّيْلِ يَعْثُرُ، لِأَنَّ ٱلنُّورَ لَيْسَ فِيهِ». | ١٠ 10 |
१०परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं।”
قَالَ هَذَا، وَبَعْدَ ذَلِكَ قَالَ لَهُمْ: «لِعَازَرُ حَبِيبُنَا قَدْ نَامَ. لَكِنِّي أَذْهَبُ لِأُوقِظَهُ». | ١١ 11 |
११उसने ये बातें कहीं, और इसके बाद उनसे कहने लगा, “हमारा मित्र लाज़र सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ।”
فَقَالَ تَلَامِيذُهُ: «يَا سَيِّدُ، إِنْ كَانَ قَدْ نَامَ فَهُوَ يُشْفَى». | ١٢ 12 |
१२तब चेलों ने उससे कहा, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो बच जाएगा।”
وَكَانَ يَسُوعُ يَقُولُ عَنْ مَوْتِهِ، وَهُمْ ظَنُّوا أَنَّهُ يَقُولُ عَنْ رُقَادِ ٱلنَّوْمِ. | ١٣ 13 |
१३यीशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था: परन्तु वे समझे कि उसने नींद से सो जाने के विषय में कहा।
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ حِينَئِذٍ عَلَانِيَةً: «لِعَازَرُ مَاتَ. | ١٤ 14 |
१४तब यीशु ने उनसे साफ कह दिया, “लाज़र मर गया है।
وَأَنَا أَفْرَحُ لِأَجْلِكُمْ إِنِّي لَمْ أَكُنْ هُنَاكَ، لِتُؤْمِنُوا. وَلَكِنْ لِنَذْهَبْ إِلَيْهِ!». | ١٥ 15 |
१५और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो। परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।”
فَقَالَ تُومَا ٱلَّذِي يُقَالُ لَهُ ٱلتَّوْأَمُ لِلتَّلَامِيذِ رُفَقَائِهِ: «لِنَذْهَبْ نَحْنُ أَيْضًا لِكَيْ نَمُوتَ مَعَهُ!». | ١٦ 16 |
१६तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।”
فَلَمَّا أَتَى يَسُوعُ وَجَدَ أَنَّهُ قَدْ صَارَ لَهُ أَرْبَعَةُ أَيَّامٍ فِي ٱلْقَبْرِ. | ١٧ 17 |
१७फिर यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं।
وَكَانَتْ بَيْتُ عَنْيَا قَرِيبَةً مِنْ أُورُشَلِيمَ نَحْوَ خَمْسَ عَشْرَةَ غَلْوَةً. | ١٨ 18 |
१८बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था।
وَكَانَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلْيَهُودِ قَدْ جَاءُوا إِلَى مَرْثَا وَمَرْيَمَ لِيُعَزُّوهُمَا عَنْ أَخِيهِمَا. | ١٩ 19 |
१९और बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे।
فَلَمَّا سَمِعَتْ مَرْثَا أَنَّ يَسُوعَ آتٍ لَاقَتْهُ، وَأَمَّا مَرْيَمُ فَٱسْتَمَرَّتْ جَالِسَةً فِي ٱلْبَيْتِ. | ٢٠ 20 |
२०जब मार्था यीशु के आने का समाचार सुनकर उससे भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही।
فَقَالَتْ مَرْثَا لِيَسُوعَ: «يَا سَيِّدُ، لَوْ كُنْتَ هَهُنَا لَمْ يَمُتْ أَخِي! | ٢١ 21 |
२१मार्था ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।
لَكِنِّي ٱلْآنَ أَيْضًا أَعْلَمُ أَنَّ كُلَّ مَا تَطْلُبُ مِنَ ٱللهِ يُعْطِيكَ ٱللهُ إِيَّاهُ». | ٢٢ 22 |
२२और अब भी मैं जानती हूँ, कि जो कुछ तू परमेश्वर से माँगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «سَيَقُومُ أَخُوكِ». | ٢٣ 23 |
२३यीशु ने उससे कहा, “तेरा भाई जी उठेगा।”
قَالَتْ لَهُ مَرْثَا: «أَنَا أَعْلَمُ أَنَّهُ سَيَقُومُ فِي ٱلْقِيَامَةِ، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ». | ٢٤ 24 |
२४मार्था ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ, अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «أَنَا هُوَ ٱلْقِيَامَةُ وَٱلْحَيَاةُ. مَنْ آمَنَ بِي وَلَوْ مَاتَ فَسَيَحْيَا، | ٢٥ 25 |
२५यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा।
وَكُلُّ مَنْ كَانَ حَيًّا وَآمَنَ بِي فَلَنْ يَمُوتَ إِلَى ٱلْأَبَدِ. أَتُؤْمِنِينَ بِهَذَا؟». (aiōn ) | ٢٦ 26 |
२६और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?” (aiōn )
قَالَتْ لَهُ: «نَعَمْ يَا سَيِّدُ. أَنَا قَدْ آمَنْتُ أَنَّكَ أَنْتَ ٱلْمَسِيحُ ٱبْنُ ٱللهِ، ٱلْآتِي إِلَى ٱلْعَالَمِ». | ٢٧ 27 |
२७उसने उससे कहा, “हाँ, हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूँ, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।”
وَلَمَّا قَالَتْ هَذَا مَضَتْ وَدَعَتْ مَرْيَمَ أُخْتَهَا سِرًّا، قَائِلَةً: «ٱلْمُعَلِّمُ قَدْ حَضَرَ، وَهُوَ يَدْعُوكِ». | ٢٨ 28 |
२८यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, “गुरु यहीं है, और तुझे बुलाता है।”
أَمَّا تِلْكَ فَلَمَّا سَمِعَتْ قَامَتْ سَرِيعًا وَجَاءَتْ إِلَيْهِ. | ٢٩ 29 |
२९वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई।
وَلَمْ يَكُنْ يَسُوعُ قَدْ جَاءَ إِلَى ٱلْقَرْيَةِ، بَلْ كَانَ فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي لَاقَتْهُ فِيهِ مَرْثَا. | ٣٠ 30 |
३०(यीशु अभी गाँव में नहीं पहुँचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहाँ मार्था ने उससे भेंट की थी।)
ثُمَّ إِنَّ ٱلْيَهُودَ ٱلَّذِينَ كَانُوا مَعَهَا فِي ٱلْبَيْتِ يُعَزُّونَهَا، لَمَّا رَأَوْا مَرْيَمَ قَامَتْ عَاجِلًا وَخَرَجَتْ، تَبِعُوهَا قَائِلِينَ: «إِنَّهَا تَذْهَبُ إِلَى ٱلْقَبْرِ لِتَبْكِيَ هُنَاكَ». | ٣١ 31 |
३१तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठकर बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये।
فَمَرْيَمُ لَمَّا أَتَتْ إِلَى حَيْثُ كَانَ يَسُوعُ وَرَأَتْهُ، خَرَّتْ عِنْدَ رِجْلَيْهِ قَائِلَةً لَهُ: «يَا سَيِّدُ، لَوْ كُنْتَ هَهُنَا لَمْ يَمُتْ أَخِي!». | ٣٢ 32 |
३२जब मरियम वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पाँवों पर गिरकर कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।”
فَلَمَّا رَآهَا يَسُوعُ تَبْكِي، وَٱلْيَهُودُ ٱلَّذِينَ جَاءُوا مَعَهَا يَبْكُونَ، ٱنْزَعَجَ بِٱلرُّوحِ وَٱضْطَرَبَ، | ٣٣ 33 |
३३जब यीशु ने उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ,
وَقَالَ: «أَيْنَ وَضَعْتُمُوهُ؟». قَالُوا لَهُ: «يَا سَيِّدُ، تَعَالَ وَٱنْظُرْ». | ٣٤ 34 |
३४और कहा, “तुम ने उसे कहाँ रखा है?” उन्होंने उससे कहा, “हे प्रभु, चलकर देख ले।”
فَقَالَ ٱلْيَهُودُ: «ٱنْظُرُوا كَيْفَ كَانَ يُحِبُّهُ!». | ٣٦ 36 |
३६तब यहूदी कहने लगे, “देखो, वह उससे कैसा प्यार करता था।”
وَقَالَ بَعْضٌ مِنْهُمْ: «أَلَمْ يَقْدِرْ هَذَا ٱلَّذِي فَتَحَ عَيْنَيِ ٱلْأَعْمَى أَنْ يَجْعَلَ هَذَا أَيْضًا لَا يَمُوتُ؟». | ٣٧ 37 |
३७परन्तु उनमें से कितनों ने कहा, “क्या यह जिसने अंधे की आँखें खोलीं, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?”
فَٱنْزَعَجَ يَسُوعُ أَيْضًا فِي نَفْسِهِ وَجَاءَ إِلَى ٱلْقَبْرِ، وَكَانَ مَغَارَةً وَقَدْ وُضِعَ عَلَيْهِ حَجَرٌ. | ٣٨ 38 |
३८यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
قَالَ يَسُوعُ: «ٱرْفَعُوا ٱلْحَجَرَ!». قَالَتْ لَهُ مَرْثَا، أُخْتُ ٱلْمَيْتِ: «يَا سَيِّدُ، قَدْ أَنْتَنَ لِأَنَّ لَهُ أَرْبَعَةَ أَيَّامٍ». | ٣٩ 39 |
३९यीशु ने कहा, “पत्थर को उठाओ।” उस मरे हुए की बहन मार्था उससे कहने लगी, “हे प्रभु, उसमें से अब तो दुर्गन्ध आती है, क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «أَلَمْ أَقُلْ لَكِ: إِنْ آمَنْتِ تَرَيْنَ مَجْدَ ٱللهِ؟». | ٤٠ 40 |
४०यीशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।”
فَرَفَعُوا ٱلْحَجَرَ حَيْثُ كَانَ ٱلْمَيْتُ مَوْضُوعًا، وَرَفَعَ يَسُوعُ عَيْنَيْهِ إِلَى فَوْقُ، وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلْآبُ، أَشْكُرُكَ لِأَنَّكَ سَمِعْتَ لِي، | ٤١ 41 |
४१तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आँखें उठाकर कहा, “हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मेरी सुन ली है।
وَأَنَا عَلِمْتُ أَنَّكَ فِي كُلِّ حِينٍ تَسْمَعُ لِي. وَلَكِنْ لِأَجْلِ هَذَا ٱلْجَمْعِ ٱلْوَاقِفِ قُلْتُ، لِيُؤْمِنُوا أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي». | ٤٢ 42 |
४२और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस-पास खड़ी है, उनके कारण मैंने यह कहा, जिससे कि वे विश्वास करें, कि तूने मुझे भेजा है।”
وَلَمَّا قَالَ هَذَا صَرَخَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «لِعَازَرُ، هَلُمَّ خَارِجًا!». | ٤٣ 43 |
४३यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, “हे लाज़र, निकल आ!”
فَخَرَجَ ٱلْمَيْتُ وَيَدَاهُ وَرِجْلَاهُ مَرْبُوطَاتٌ بِأَقْمِطَةٍ، وَوَجْهُهُ مَلْفُوفٌ بِمِنْدِيلٍ. فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «حُلُّوهُ وَدَعُوهُ يَذْهَبْ». | ٤٤ 44 |
४४जो मर गया था, वह कफन से हाथ पाँव बंधे हुए निकल आया और उसका मुँह अँगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उनसे कहा, “उसे खोलकर जाने दो।”
فَكَثِيرُونَ مِنَ ٱلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ جَاءُوا إِلَى مَرْيَمَ، وَنَظَرُوا مَا فَعَلَ يَسُوعُ، آمَنُوا بِهِ. | ٤٥ 45 |
४५तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।
وَأَمَّا قَوْمٌ مِنْهُمْ فَمَضَوْا إِلَى ٱلْفَرِّيسِيِّينَ وَقَالُوا لَهُمْ عَمَّا فَعَلَ يَسُوعُ. | ٤٦ 46 |
४६परन्तु उनमें से कितनों ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया।
فَجَمَعَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ مَجْمَعًا وَقَالُوا: «مَاذَا نَصْنَعُ؟ فَإِنَّ هَذَا ٱلْإِنْسَانَ يَعْمَلُ آيَاتٍ كَثِيرَةً. | ٤٧ 47 |
४७इस पर प्रधान याजकों और फरीसियों ने मुख्य सभा के लोगों को इकट्ठा करके कहा, “हम क्या करेंगे? यह मनुष्य तो बहुत चिन्ह दिखाता है।
إِنْ تَرَكْنَاهُ هَكَذَا يُؤْمِنُ ٱلْجَمِيعُ بِهِ، فَيَأْتِي ٱلرُّومَانِيُّونَ وَيَأْخُذُونَ مَوْضِعَنَا وَأُمَّتَنَا». | ٤٨ 48 |
४८यदि हम उसे ऐसे ही छोड़ दें, तो सब उस पर विश्वास ले आएँगे और रोमी आकर हमारी जगह और जाति दोनों पर अधिकार कर लेंगे।”
فَقَالَ لَهُمْ وَاحِدٌ مِنْهُمْ، وَهُوَ قَيَافَا، كَانَ رَئِيسًا لِلْكَهَنَةِ فِي تِلْكَ ٱلسَّنَةِ: «أَنْتُمْ لَسْتُمْ تَعْرِفُونَ شَيْئًا، | ٤٩ 49 |
४९तब उनमें से कैफा नामक एक व्यक्ति ने जो उस वर्ष का महायाजक था, उनसे कहा, “तुम कुछ नहीं जानते;
وَلَا تُفَكِّرُونَ أَنَّهُ خَيْرٌ لَنَا أَنْ يَمُوتَ إِنْسَانٌ وَاحِدٌ عَنِ ٱلشَّعْبِ وَلَا تَهْلِكَ ٱلْأُمَّةُ كُلُّهَا!». | ٥٠ 50 |
५०और न यह सोचते हो, कि तुम्हारे लिये यह भला है, कि लोगों के लिये एक मनुष्य मरे, और न यह, कि सारी जाति नाश हो।”
وَلَمْ يَقُلْ هَذَا مِنْ نَفْسِهِ، بَلْ إِذْ كَانَ رَئِيسًا لِلْكَهَنَةِ فِي تِلْكَ ٱلسَّنَةِ، تَنَبَّأَ أَنَّ يَسُوعَ مُزْمِعٌ أَنْ يَمُوتَ عَنِ ٱلْأُمَّةِ، | ٥١ 51 |
५१यह बात उसने अपनी ओर से न कही, परन्तु उस वर्ष का महायाजक होकर भविष्यद्वाणी की, कि यीशु उस जाति के लिये मरेगा;
وَلَيْسَ عَنِ ٱلْأُمَّةِ فَقَطْ، بَلْ لِيَجْمَعَ أَبْنَاءَ ٱللهِ ٱلْمُتَفَرِّقِينَ إِلَى وَاحِدٍ. | ٥٢ 52 |
५२और न केवल उस जाति के लिये, वरन् इसलिए भी, कि परमेश्वर की तितर-बितर सन्तानों को एक कर दे।
فَمِنْ ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ تَشَاوَرُوا لِيَقْتُلُوهُ. | ٥٣ 53 |
५३अतः उसी दिन से वे उसके मार डालने की सम्मति करने लगे।
فَلَمْ يَكُنْ يَسُوعُ أَيْضًا يَمْشِي بَيْنَ ٱلْيَهُودِ عَلَانِيَةً، بَلْ مَضَى مِنْ هُنَاكَ إِلَى ٱلْكُورَةِ ٱلْقَرِيبَةِ مِنَ ٱلْبَرِّيَّةِ، إِلَى مَدِينَةٍ يُقَالُ لَهَا أَفْرَايِمُ، وَمَكَثَ هُنَاكَ مَعَ تَلَامِيذِهِ. | ٥٤ 54 |
५४इसलिए यीशु उस समय से यहूदियों में प्रगट होकर न फिरा; परन्तु वहाँ से जंगल के निकटवर्ती प्रदेश के एप्रैम नामक, एक नगर को चला गया; और अपने चेलों के साथ वहीं रहने लगा।
وَكَانَ فِصْحُ ٱلْيَهُودِ قَرِيبًا. فَصَعِدَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلْكُوَرِ إِلَى أُورُشَلِيمَ قَبْلَ ٱلْفِصْحِ لِيُطَهِّرُوا أَنْفُسَهُمْ. | ٥٥ 55 |
५५और यहूदियों का फसह निकट था, और बहुत सारे लोग फसह से पहले दिहात से यरूशलेम को गए कि अपने आपको शुद्ध करें।
فَكَانُوا يَطْلُبُونَ يَسُوعَ وَيَقُولُونَ فِيمَا بَيْنَهُمْ، وَهُمْ وَاقِفُونَ فِي ٱلْهَيْكَلِ: «مَاذَا تَظُنُّونَ؟ هَلْ هُوَ لَا يَأْتِي إِلَى ٱلْعِيدِ؟». | ٥٦ 56 |
५६वे यीशु को ढूँढ़ने और मन्दिर में खड़े होकर आपस में कहने लगे, “तुम क्या समझते हो? क्या वह पर्व में नहीं आएगा?”
وَكَانَ أَيْضًا رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ قَدْ أَصْدَرُوا أَمْرًا أَنَّهُ إِنْ عَرَفَ أَحَدٌ أَيْنَ هُوَ فَلْيَدُلَّ عَلَيْهِ، لِكَيْ يُمْسِكُوهُ. | ٥٧ 57 |
५७और प्रधान याजकों और फरीसियों ने भी आज्ञा दे रखी थी, कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहाँ है तो बताए, कि वे उसे पकड़ लें।