< يوحنَّا 11 >

وَكَانَ إِنْسَانٌ مَرِيضًا وَهُوَ لِعَازَرُ، مِنْ بَيْتِ عَنْيَا مِنْ قَرْيَةِ مَرْيَمَ وَمَرْثَا أُخْتِهَا. ١ 1
लाज़रॉस नामक व्यक्ति बीमार था, जो मरियम तथा उसकी बहन मार्था के गांव बैथनियाह का निवासी था.
وَكَانَتْ مَرْيَمُ، ٱلَّتِي كَانَ لِعَازَرُ أَخُوهَا مَرِيضًا، هِيَ ٱلَّتِي دَهَنَتِ ٱلرَّبَّ بِطِيبٍ، وَمَسَحَتْ رِجْلَيْهِ بِشَعْرِهَا. ٢ 2
यह वही मरियम थी, जिसने कीमती और शुद्ध सुगंध द्रव्य से मसीह येशु के चरणों को मलकर उन्हें अपने केशों से पोंछा था, उसी का भाई लाज़रॉस अस्वस्थ था.
فَأَرْسَلَتِ ٱلْأُخْتَانِ إِلَيْهِ قَائِلَتَيْنِ: «يَا سَيِّدُ، هُوَذَا ٱلَّذِي تُحِبُّهُ مَرِيضٌ». ٣ 3
इसलिये बहनों ने मसीह येशु को संदेश भेजा, “प्रभु, आपका प्रिय, लाज़रॉस बीमार है.”
فَلَمَّا سَمِعَ يَسُوعُ، قَالَ: «هَذَا ٱلْمَرَضُ لَيْسَ لِلْمَوْتِ، بَلْ لِأَجْلِ مَجْدِ ٱللهِ، لِيَتَمَجَّدَ ٱبْنُ ٱللهِ بِهِ». ٤ 4
यह सुनकर मसीह येशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परंतु परमेश्वर की महिमा का साधन बनेगी, जिससे परमेश्वर का पुत्र गौरवान्वित हो.”
وَكَانَ يَسُوعُ يُحِبُّ مَرْثَا وَأُخْتَهَا وَلِعَازَرَ. ٥ 5
मार्था, उसकी बहन मरियम और लाज़रॉस मसीह येशु के प्रियजन थे.
فَلَمَّا سَمِعَ أَنَّهُ مَرِيضٌ مَكَثَ حِينَئِذٍ فِي ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي كَانَ فِيهِ يَوْمَيْنِ. ٦ 6
उसकी बीमारी के विषय में मालूम होने पर भी मसीह येशु वहीं दो दिन और ठहरे रहे, जहां वह थे.
ثُمَّ بَعْدَ ذَلِكَ قَالَ لِتَلَامِيذِهِ: «لِنَذْهَبْ إِلَى ٱلْيَهُودِيَّةِ أَيْضًا». ٧ 7
इसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “चलो, हम दोबारा यहूदिया चलें.”
قَالَ لَهُ ٱلتَّلَامِيذُ: «يَا مُعَلِّمُ، ٱلْآنَ كَانَ ٱلْيَهُودُ يَطْلُبُونَ أَنْ يَرْجُمُوكَ، وَتَذْهَبُ أَيْضًا إِلَى هُنَاكَ». ٨ 8
शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “रब्बी, अभी तो यहूदी अगुए पथराव द्वारा आपकी हत्या करना चाह रहे थे, फिर भी आप वहां जाना चाहते हैं?”
أَجَابَ يَسُوعُ: «أَلَيْسَتْ سَاعَاتُ ٱلنَّهَارِ ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ؟ إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَمْشِي فِي ٱلنَّهَارِ لَا يَعْثُرُ لِأَنَّهُ يَنْظُرُ نُورَ هَذَا ٱلْعَالَمِ، ٩ 9
मसीह येशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन में प्रकाश के बारह घंटे नहीं होते? यदि कोई दिन में चले तो वह ठोकर नहीं खाता क्योंकि वह संसार की ज्योति को देखता है.
وَلَكِنْ إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَمْشِي فِي ٱللَّيْلِ يَعْثُرُ، لِأَنَّ ٱلنُّورَ لَيْسَ فِيهِ». ١٠ 10
किंतु यदि कोई रात में चले तो ठोकर खाता है क्योंकि उसमें ज्योति नहीं.”
قَالَ هَذَا، وَبَعْدَ ذَلِكَ قَالَ لَهُمْ: «لِعَازَرُ حَبِيبُنَا قَدْ نَامَ. لَكِنِّي أَذْهَبُ لِأُوقِظَهُ». ١١ 11
इसके बाद मसीह येशु ने उनसे कहा, “हमारा मित्र लाज़रॉस सो गया है. मैं जा रहा हूं कि उसे नींद से जगाऊं.”
فَقَالَ تَلَامِيذُهُ: «يَا سَيِّدُ، إِنْ كَانَ قَدْ نَامَ فَهُوَ يُشْفَى». ١٢ 12
तब शिष्यों ने उनसे कहा, “प्रभु, यदि वह मात्र सो गया है तो स्वस्थ हो जाएगा.”
وَكَانَ يَسُوعُ يَقُولُ عَنْ مَوْتِهِ، وَهُمْ ظَنُّوا أَنَّهُ يَقُولُ عَنْ رُقَادِ ٱلنَّوْمِ. ١٣ 13
मसीह येशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था किंतु शिष्य समझे कि वह नींद के विषय में कह रहे थे.
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ حِينَئِذٍ عَلَانِيَةً: «لِعَازَرُ مَاتَ. ١٤ 14
इस पर मसीह येशु ने उनसे स्पष्ट शब्दों में कहा, “लाज़रॉस की मृत्यु हो चुकी है.
وَأَنَا أَفْرَحُ لِأَجْلِكُمْ إِنِّي لَمْ أَكُنْ هُنَاكَ، لِتُؤْمِنُوا. وَلَكِنْ لِنَذْهَبْ إِلَيْهِ!». ١٥ 15
यह तुम्हारे ही हित में है कि मैं वहां नहीं था—कि तुम विश्वास करो. आओ, अब हम उसके पास चलें.”
فَقَالَ تُومَا ٱلَّذِي يُقَالُ لَهُ ٱلتَّوْأَمُ لِلتَّلَامِيذِ رُفَقَائِهِ: «لِنَذْهَبْ نَحْنُ أَيْضًا لِكَيْ نَمُوتَ مَعَهُ!». ١٦ 16
तब थोमॉस ने, जिनका उपनाम दिदुमॉस था, अपने साथी शिष्यों से कहा, “आओ, इनके साथ हम भी मरने चलें.”
فَلَمَّا أَتَى يَسُوعُ وَجَدَ أَنَّهُ قَدْ صَارَ لَهُ أَرْبَعَةُ أَيَّامٍ فِي ٱلْقَبْرِ. ١٧ 17
वहां पहुंचकर मसीह येशु को मालूम हुआ कि लाज़रॉस को कंदरा-क़ब्र में रखे हुए चार दिन हो चुके है.
وَكَانَتْ بَيْتُ عَنْيَا قَرِيبَةً مِنْ أُورُشَلِيمَ نَحْوَ خَمْسَ عَشْرَةَ غَلْوَةً. ١٨ 18
बैथनियाह नगर येरूशलेम के पास, लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर था.
وَكَانَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلْيَهُودِ قَدْ جَاءُوا إِلَى مَرْثَا وَمَرْيَمَ لِيُعَزُّوهُمَا عَنْ أَخِيهِمَا. ١٩ 19
अनेक यहूदी अगुएं मार्था और मरियम के पास उनके भाई की मृत्यु पर शांति देने आ गए थे.
فَلَمَّا سَمِعَتْ مَرْثَا أَنَّ يَسُوعَ آتٍ لَاقَتْهُ، وَأَمَّا مَرْيَمُ فَٱسْتَمَرَّتْ جَالِسَةً فِي ٱلْبَيْتِ. ٢٠ 20
जैसे ही मार्था को मसीह येशु के नगर के पास होने की सूचना मिली, वह उनसे मिलने चली गई किंतु मरियम घर में ही रही.
فَقَالَتْ مَرْثَا لِيَسُوعَ: «يَا سَيِّدُ، لَوْ كُنْتَ هَهُنَا لَمْ يَمُتْ أَخِي! ٢١ 21
मार्था ने मसीह येशु से कहा, “प्रभु, यदि आप यहां होते तो मेरे भाई की मृत्यु न होती.
لَكِنِّي ٱلْآنَ أَيْضًا أَعْلَمُ أَنَّ كُلَّ مَا تَطْلُبُ مِنَ ٱللهِ يُعْطِيكَ ٱللهُ إِيَّاهُ». ٢٢ 22
फिर भी मैं जानती हूं कि अब भी आप परमेश्वर से जो कुछ मांगेंगे, वह आपको देंगे.”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «سَيَقُومُ أَخُوكِ». ٢٣ 23
मसीह येशु ने उससे कहा, “तुम्हारा भाई फिर से जीवित हो जाएगा.”
قَالَتْ لَهُ مَرْثَا: «أَنَا أَعْلَمُ أَنَّهُ سَيَقُومُ فِي ٱلْقِيَامَةِ، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَخِيرِ». ٢٤ 24
मार्था ने मसीह येशु से कहा, “मैं जानती हूं. अंतिम दिन पुनरुत्थान के समय वह फिर से जीवित हो जाएगा.”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «أَنَا هُوَ ٱلْقِيَامَةُ وَٱلْحَيَاةُ. مَنْ آمَنَ بِي وَلَوْ مَاتَ فَسَيَحْيَا، ٢٥ 25
मसीह येशु ने उससे कहा, “मैं ही हूं पुनरुत्थान और जीवन. जो कोई मुझमें विश्वास करता है, वह जिएगा—भले ही उसकी मृत्यु हो जाए
وَكُلُّ مَنْ كَانَ حَيًّا وَآمَنَ بِي فَلَنْ يَمُوتَ إِلَى ٱلْأَبَدِ. أَتُؤْمِنِينَ بِهَذَا؟». (aiōn g165) ٢٦ 26
तथा वह जीवित व्यक्ति, जो मुझमें विश्वास करता है, उसकी मृत्यु कभी न होगी. क्या तुम यह विश्वास करती हो?” (aiōn g165)
قَالَتْ لَهُ: «نَعَمْ يَا سَيِّدُ. أَنَا قَدْ آمَنْتُ أَنَّكَ أَنْتَ ٱلْمَسِيحُ ٱبْنُ ٱللهِ، ٱلْآتِي إِلَى ٱلْعَالَمِ». ٢٧ 27
उसने कहा, “जी हां, प्रभु, मुझे विश्वास है कि आप ही मसीह हैं, आप ही परमेश्वर के पुत्र हैं और आप ही वह हैं, जिनके संसार में आने के बारे में पहले से बताया गया था.”
وَلَمَّا قَالَتْ هَذَا مَضَتْ وَدَعَتْ مَرْيَمَ أُخْتَهَا سِرًّا، قَائِلَةً: «ٱلْمُعَلِّمُ قَدْ حَضَرَ، وَهُوَ يَدْعُوكِ». ٢٨ 28
यह कहकर वह लौट गई और अपनी बहन मरियम को अलग ले जाकर उसे सूचित किया, “गुरुवर आ गए हैं और तुम्हें बुला रहे हैं.”
أَمَّا تِلْكَ فَلَمَّا سَمِعَتْ قَامَتْ سَرِيعًا وَجَاءَتْ إِلَيْهِ. ٢٩ 29
यह सुनकर मरियम तत्काल मसीह येशु से मिलने निकल पड़ी.
وَلَمْ يَكُنْ يَسُوعُ قَدْ جَاءَ إِلَى ٱلْقَرْيَةِ، بَلْ كَانَ فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي لَاقَتْهُ فِيهِ مَرْثَا. ٣٠ 30
मसीह येशु ने अब तक नगर में प्रवेश नहीं किया था. वह वहीं थे, जहां मार्था ने उनसे भेंट की थी.
ثُمَّ إِنَّ ٱلْيَهُودَ ٱلَّذِينَ كَانُوا مَعَهَا فِي ٱلْبَيْتِ يُعَزُّونَهَا، لَمَّا رَأَوْا مَرْيَمَ قَامَتْ عَاجِلًا وَخَرَجَتْ، تَبِعُوهَا قَائِلِينَ: «إِنَّهَا تَذْهَبُ إِلَى ٱلْقَبْرِ لِتَبْكِيَ هُنَاكَ». ٣١ 31
जब वहां शांति देने आए यहूदियों ने मरियम को एकाएक उठकर बाहर जाते हुए देखा तो वे भी उसके पीछे-पीछे यह समझकर चले गए कि वह कब्र पर रोने के लिए जा रही है.
فَمَرْيَمُ لَمَّا أَتَتْ إِلَى حَيْثُ كَانَ يَسُوعُ وَرَأَتْهُ، خَرَّتْ عِنْدَ رِجْلَيْهِ قَائِلَةً لَهُ: «يَا سَيِّدُ، لَوْ كُنْتَ هَهُنَا لَمْ يَمُتْ أَخِي!». ٣٢ 32
मसीह येशु के पास पहुंच मरियम उनके चरणों में गिर पड़ी और कहने लगी, “प्रभु, यदि आप यहां होते तो मेरे भाई की मृत्यु न होती.”
فَلَمَّا رَآهَا يَسُوعُ تَبْكِي، وَٱلْيَهُودُ ٱلَّذِينَ جَاءُوا مَعَهَا يَبْكُونَ، ٱنْزَعَجَ بِٱلرُّوحِ وَٱضْطَرَبَ، ٣٣ 33
मसीह येशु ने उसे और उसके साथ आए यहूदियों को रोते हुए देखा तो उनका हृदय व्याकुल हो उठा. उन्होंने उदास शब्द में पूछा,
وَقَالَ: «أَيْنَ وَضَعْتُمُوهُ؟». قَالُوا لَهُ: «يَا سَيِّدُ، تَعَالَ وَٱنْظُرْ». ٣٤ 34
“तुमने उसे कहां रखा है?” उन्होंने उनसे कहा, “आइए, प्रभु, देख लीजिए.”
بَكَى يَسُوعُ. ٣٥ 35
येशु रोया!
فَقَالَ ٱلْيَهُودُ: «ٱنْظُرُوا كَيْفَ كَانَ يُحِبُّهُ!». ٣٦ 36
यह देख शेष यहूदी कहने लगे, “देखो इन्हें (येशु को) वह कितना प्रिय था!”
وَقَالَ بَعْضٌ مِنْهُمْ: «أَلَمْ يَقْدِرْ هَذَا ٱلَّذِي فَتَحَ عَيْنَيِ ٱلْأَعْمَى أَنْ يَجْعَلَ هَذَا أَيْضًا لَا يَمُوتُ؟». ٣٧ 37
परंतु उनमें से कुछ ने कहा, “क्या यह, जिन्होंने अंधे को आंखों की रोशनी दी, इस व्यक्ति को मृत्यु से बचा न सकते थे?”
فَٱنْزَعَجَ يَسُوعُ أَيْضًا فِي نَفْسِهِ وَجَاءَ إِلَى ٱلْقَبْرِ، وَكَانَ مَغَارَةً وَقَدْ وُضِعَ عَلَيْهِ حَجَرٌ. ٣٨ 38
दोबारा बहुत उदास होकर मसीह येशु कब्र पर आए, जो वस्तुतः एक कंदरा थी, जिसके प्रवेश द्वार पर एक पत्थर रखा हुआ था.
قَالَ يَسُوعُ: «ٱرْفَعُوا ٱلْحَجَرَ!». قَالَتْ لَهُ مَرْثَا، أُخْتُ ٱلْمَيْتِ: «يَا سَيِّدُ، قَدْ أَنْتَنَ لِأَنَّ لَهُ أَرْبَعَةَ أَيَّامٍ». ٣٩ 39
मसीह येशु ने वह पत्थर हटाने को कहा. मृतक की बहन मार्था ने आपत्ति प्रकट करते हुए उनसे कहा, “प्रभु, उसे मरे हुए चार दिन हो चुके हैं. अब तो उसमें से दुर्गंध आ रही होगी.”
قَالَ لَهَا يَسُوعُ: «أَلَمْ أَقُلْ لَكِ: إِنْ آمَنْتِ تَرَيْنَ مَجْدَ ٱللهِ؟». ٤٠ 40
मसीह येशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि यदि तुम विश्वास करोगी तो परमेश्वर की महिमा को देखोगी?”
فَرَفَعُوا ٱلْحَجَرَ حَيْثُ كَانَ ٱلْمَيْتُ مَوْضُوعًا، وَرَفَعَ يَسُوعُ عَيْنَيْهِ إِلَى فَوْقُ، وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلْآبُ، أَشْكُرُكَ لِأَنَّكَ سَمِعْتَ لِي، ٤١ 41
इसलिये उन्होंने पत्थर हटा दिया. मसीह येशु ने अपनी आंखें ऊपर उठाई और कहा, “पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि आपने मेरी सुन ली.
وَأَنَا عَلِمْتُ أَنَّكَ فِي كُلِّ حِينٍ تَسْمَعُ لِي. وَلَكِنْ لِأَجْلِ هَذَا ٱلْجَمْعِ ٱلْوَاقِفِ قُلْتُ، لِيُؤْمِنُوا أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي». ٤٢ 42
मैं जानता हूं कि आप हमेशा मेरी सुनते हैं किंतु यहां उपस्थित भीड़ के कारण मैंने ऐसा कहा है कि वे सब विश्वास करें कि आपने ही मुझे भेजा है.”
وَلَمَّا قَالَ هَذَا صَرَخَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «لِعَازَرُ، هَلُمَّ خَارِجًا!». ٤٣ 43
तब उन्होंने ऊंचे शब्द में पुकारा, “लाज़रॉस, बाहर आ जाओ!”
فَخَرَجَ ٱلْمَيْتُ وَيَدَاهُ وَرِجْلَاهُ مَرْبُوطَاتٌ بِأَقْمِطَةٍ، وَوَجْهُهُ مَلْفُوفٌ بِمِنْدِيلٍ. فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ: «حُلُّوهُ وَدَعُوهُ يَذْهَبْ». ٤٤ 44
वह, जो चार दिन से मरा हुआ था, बाहर आ गया. उसका सारा शरीर पट्टियों में और उसका मुख कपड़े में लिपटा हुआ था. मसीह येशु ने उनसे कहा, “इसे खोल दो और जाने दो.”
فَكَثِيرُونَ مِنَ ٱلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ جَاءُوا إِلَى مَرْيَمَ، وَنَظَرُوا مَا فَعَلَ يَسُوعُ، آمَنُوا بِهِ. ٤٥ 45
यह देख मरियम के पास आए यहूदियों में से अनेकों ने मसीह येशु में विश्वास किया.
وَأَمَّا قَوْمٌ مِنْهُمْ فَمَضَوْا إِلَى ٱلْفَرِّيسِيِّينَ وَقَالُوا لَهُمْ عَمَّا فَعَلَ يَسُوعُ. ٤٦ 46
परंतु कुछ ने फ़रीसियों को जा बताया कि मसीह येशु ने क्या-क्या किया था.
فَجَمَعَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ مَجْمَعًا وَقَالُوا: «مَاذَا نَصْنَعُ؟ فَإِنَّ هَذَا ٱلْإِنْسَانَ يَعْمَلُ آيَاتٍ كَثِيرَةً. ٤٧ 47
तब प्रधान पुरोहितों और फ़रीसियों ने महासभा बुलाई और कहा: “हम इस व्यक्ति के विषय में क्या कर रहे हैं? यह अद्भुत चिह्नों पर चिह्न दिखा रहा है!
إِنْ تَرَكْنَاهُ هَكَذَا يُؤْمِنُ ٱلْجَمِيعُ بِهِ، فَيَأْتِي ٱلرُّومَانِيُّونَ وَيَأْخُذُونَ مَوْضِعَنَا وَأُمَّتَنَا». ٤٨ 48
यदि हम इसे ये सब यों ही करते रहने दें तो सभी इसमें विश्वास करने लगेंगे और रोमी हमसे हमारे अधिकार व राष्ट्र दोनों ही छीन लेंगे.”
فَقَالَ لَهُمْ وَاحِدٌ مِنْهُمْ، وَهُوَ قَيَافَا، كَانَ رَئِيسًا لِلْكَهَنَةِ فِي تِلْكَ ٱلسَّنَةِ: «أَنْتُمْ لَسْتُمْ تَعْرِفُونَ شَيْئًا، ٤٩ 49
तब सभा में उपस्थित उस वर्ष के महापुरोहित कायाफ़स ने कहा, “आप न तो कुछ जानते हैं
وَلَا تُفَكِّرُونَ أَنَّهُ خَيْرٌ لَنَا أَنْ يَمُوتَ إِنْسَانٌ وَاحِدٌ عَنِ ٱلشَّعْبِ وَلَا تَهْلِكَ ٱلْأُمَّةُ كُلُّهَا!». ٥٠ 50
और न ही यह समझते हैं कि सारी जनता के विनाश की बजाय मात्र एक व्यक्ति राष्ट्र के हित में प्राणों का त्याग करना आपके लिए भला है!”
وَلَمْ يَقُلْ هَذَا مِنْ نَفْسِهِ، بَلْ إِذْ كَانَ رَئِيسًا لِلْكَهَنَةِ فِي تِلْكَ ٱلسَّنَةِ، تَنَبَّأَ أَنَّ يَسُوعَ مُزْمِعٌ أَنْ يَمُوتَ عَنِ ٱلْأُمَّةِ، ٥١ 51
यह उसने अपनी ओर से नहीं कहा था परंतु उस वर्ष के महापुरोहित होने के कारण उसने यह भविष्यवाणी की थी, कि राष्ट्र के हित में मसीह येशु प्राणों का त्याग करेंगे,
وَلَيْسَ عَنِ ٱلْأُمَّةِ فَقَطْ، بَلْ لِيَجْمَعَ أَبْنَاءَ ٱللهِ ٱلْمُتَفَرِّقِينَ إِلَى وَاحِدٍ. ٥٢ 52
और न केवल एक जनता के हित में परंतु परमेश्वर की तितर-बितर हुई संतान को इकट्ठा करने के लिए भी.
فَمِنْ ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ تَشَاوَرُوا لِيَقْتُلُوهُ. ٥٣ 53
उस दिन से वे सब एकजुट होकर उनकी हत्या की योजना बनाने लगे.
فَلَمْ يَكُنْ يَسُوعُ أَيْضًا يَمْشِي بَيْنَ ٱلْيَهُودِ عَلَانِيَةً، بَلْ مَضَى مِنْ هُنَاكَ إِلَى ٱلْكُورَةِ ٱلْقَرِيبَةِ مِنَ ٱلْبَرِّيَّةِ، إِلَى مَدِينَةٍ يُقَالُ لَهَا أَفْرَايِمُ، وَمَكَثَ هُنَاكَ مَعَ تَلَامِيذِهِ. ٥٤ 54
इसलिये मसीह येशु ने यहूदियों के मध्य सार्वजनिक रूप से घूमना बंद कर दिया. वहां से वह बंजर भूमि के पास अपने शिष्यों के साथ एफ़्रायिम नामक नगर में जाकर रहने लगे.
وَكَانَ فِصْحُ ٱلْيَهُودِ قَرِيبًا. فَصَعِدَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلْكُوَرِ إِلَى أُورُشَلِيمَ قَبْلَ ٱلْفِصْحِ لِيُطَهِّرُوا أَنْفُسَهُمْ. ٥٥ 55
यहूदियों का फ़सह पर्व पास था. आस-पास से अनेक लोग येरूशलेम गए कि फ़सह में सम्मिलित होने के लिए स्वयं को सांस्कारिक रूप से शुद्ध करें.
فَكَانُوا يَطْلُبُونَ يَسُوعَ وَيَقُولُونَ فِيمَا بَيْنَهُمْ، وَهُمْ وَاقِفُونَ فِي ٱلْهَيْكَلِ: «مَاذَا تَظُنُّونَ؟ هَلْ هُوَ لَا يَأْتِي إِلَى ٱلْعِيدِ؟». ٥٦ 56
वे मसीह येशु की खोज में थे और मंदिर परिसर में खड़े हुए एक दूसरे से पूछ रहे थे, “तुम्हारा क्या विचार है, वह पर्व में आएगा या नहीं?”
وَكَانَ أَيْضًا رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْفَرِّيسِيُّونَ قَدْ أَصْدَرُوا أَمْرًا أَنَّهُ إِنْ عَرَفَ أَحَدٌ أَيْنَ هُوَ فَلْيَدُلَّ عَلَيْهِ، لِكَيْ يُمْسِكُوهُ. ٥٧ 57
प्रधान पुरोहितों और फ़रीसियों ने मसीह येशु को बंदी बनाने के उद्देश्य से आज्ञा दे रखी थी कि जिस किसी को उनकी जानकारी हो, वह उन्हें तुरंत सूचित करे.

< يوحنَّا 11 >