< أَيُّوبَ 21 >

فَأَجَابَ أَيُّوبُ وَقَالَ: ١ 1
तब अय्यूब ने कहा,
«اِسْمَعُوا قَوْلِي سَمْعًا، وَلْيَكُنْ هَذَا تَعْزِيَتَكُمْ. ٢ 2
“चित्त लगाकर मेरी बात सुनो; और तुम्हारी शान्ति यही ठहरे।
اِحْتَمِلُونِي وَأَنَا أَتَكَلَّمُ، وَبَعْدَ كَلَامِي ٱسْتَهْزِئُوا. ٣ 3
मेरी कुछ तो सहो, कि मैं भी बातें करूँ; और जब मैं बातें कर चुकूँ, तब पीछे ठट्ठा करना।
أَمَّا أَنَا فَهَلْ شَكْوَايَ مِنْ إِنْسَانٍ، وَإِنْ كَانَتْ، فَلِمَاذَا لَا تَضِيقُ رُوحِي؟ ٤ 4
क्या मैं किसी मनुष्य की दुहाई देता हूँ? फिर मैं अधीर क्यों न होऊँ?
تَفَرَّسُوا فِيَّ وَتَعَجَّبُوا وَضَعُوا ٱلْيَدَ عَلَى ٱلْفَمِ. ٥ 5
मेरी ओर चित्त लगाकर चकित हो, और अपनी-अपनी उँगली दाँत तले दबाओ।
«عِنْدَمَا أَتَذَكَّرُ أَرْتَاعُ، وَأَخَذَتْ بَشَرِي رِعْدَةٌ. ٦ 6
जब मैं कष्टों को स्मरण करता तब मैं घबरा जाता हूँ, और मेरी देह काँपने लगती है।
لِمَاذَا تَحْيَا ٱلْأَشْرَارُ وَيَشِيخُونَ، نَعَمْ وَيَتَجَبَّرُونَ قُوَّةً؟ ٧ 7
क्या कारण है कि दुष्ट लोग जीवित रहते हैं, वरन् बूढ़े भी हो जाते, और उनका धन बढ़ता जाता है?
نَسْلُهُمْ قَائِمٌ أَمَامَهُمْ مَعَهُمْ، وَذُرِّيَّتُهُمْ فِي أَعْيُنِهِمْ. ٨ 8
उनकी सन्तान उनके संग, और उनके बाल-बच्चे उनकी आँखों के सामने बने रहते हैं।
بُيُوتُهُمْ آمِنَةٌ مِنَ ٱلْخَوْفِ، وَلَيْسَ عَلَيْهِمْ عَصَا ٱللهِ. ٩ 9
उनके घर में भयरहित कुशल रहता है, और परमेश्वर की छड़ी उन पर नहीं पड़ती।
ثَوْرُهُمْ يُلْقِحُ وَلَا يُخْطِئُ. بَقَرَتُهُمْ تُنْتِجُ وَلَا تُسْقِطُ. ١٠ 10
१०उनका साँड़ गाभिन करता और चूकता नहीं, उनकी गायें बियाती हैं और बच्चा कभी नहीं गिराती।
يُسْرِحُونَ مِثْلَ ٱلْغَنَمِ رُضَّعَهُمْ، وَأَطْفَالُهُمْ تَرْقُصُ. ١١ 11
११वे अपने लड़कों को झुण्ड के झुण्ड बाहर जाने देते हैं, और उनके बच्चे नाचते हैं।
يَحْمِلُونَ ٱلدُّفَّ وَٱلْعُودَ، وَيُطْرِبُونَ بِصَوْتِ ٱلْمِزْمَارِ. ١٢ 12
१२वे डफ और वीणा बजाते हुए गाते, और बांसुरी के शब्द से आनन्दित होते हैं।
يَقْضُونَ أَيَّامَهُمْ بِٱلْخَيْرِ. فِي لَحْظَةٍ يَهْبِطُونَ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ. (Sheol h7585) ١٣ 13
१३वे अपने दिन सुख से बिताते, और पल भर ही में अधोलोक में उतर जाते हैं। (Sheol h7585)
فَيَقُولُونَ لِلهِ: ٱبْعُدْ عَنَّا، وَبِمَعْرِفَةِ طُرُقِكَ لَا نُسَرُّ. ١٤ 14
१४तो भी वे परमेश्वर से कहते थे, ‘हम से दूर हो! तेरी गति जानने की हमको इच्छा नहीं है।
مَنْ هُوَ ٱلْقَدِيرُ حَتَّى نَعْبُدَهُ؟ وَمَاذَا نَنْتَفِعُ إِنِ ٱلْتَمَسْنَاهُ؟ ١٥ 15
१५सर्वशक्तिमान क्या है, कि हम उसकी सेवा करें? और यदि हम उससे विनती भी करें तो हमें क्या लाभ होगा?’
«هُوَذَا لَيْسَ فِي يَدِهِمْ خَيْرُهُمْ. لِتَبْعُدْ عَنِّي مَشُورَةُ ٱلْأَشْرَارِ. ١٦ 16
१६देखो, उनका कुशल उनके हाथ में नहीं रहता, दुष्ट लोगों का विचार मुझसे दूर रहे।
كَمْ يَنْطَفِئُ سِرَاجُ ٱلْأَشْرَارِ، وَيَأْتِي عَلَيْهِمْ بَوَارُهُمْ؟ أَوْ يَقْسِمُ لَهُمْ أَوْجَاعًا فِي غَضَبِهِ؟ ١٧ 17
१७“कितनी बार ऐसे होता है कि दुष्टों का दीपक बुझ जाता है, या उन पर विपत्ति आ पड़ती है; और परमेश्वर क्रोध करके उनके हिस्से में शोक देता है,
أَوْ يَكُونُونَ كَٱلتِّبْنِ قُدَّامَ ٱلرِّيحِ، وَكَالْعُصَافَةِ ٱلَّتِي تَسْرِقُهَا ٱلزَّوْبَعَةُ؟ ١٨ 18
१८वे वायु से उड़ाए हुए भूसे की, और बवण्डर से उड़ाई हुई भूसी के समान होते हैं।
ٱللهُ يَخْزِنُ إِثْمَهُ لِبَنِيهِ. لِيُجَازِهِ نَفْسَهُ فَيَعْلَمَ. ١٩ 19
१९तुम कहते हो ‘परमेश्वर उसके अधर्म का दण्ड उसके बच्चों के लिये रख छोड़ता है,’ वह उसका बदला उसी को दे, ताकि वह जान ले।
لِتَنْظُرْ عَيْنَاهُ هَلَاكَهُ، وَمِنْ حُمَةِ ٱلْقَدِيرِ يَشْرَبْ. ٢٠ 20
२०दुष्ट अपना नाश अपनी ही आँखों से देखे, और सर्वशक्तिमान की जलजलाहट में से आप पी ले।
فَمَا هِيَ مَسَرَّتُهُ فِي بَيْتِهِ بَعْدَهُ، وَقَدْ تَعَيَّنَ عَدَدُ شُهُورِهِ؟ ٢١ 21
२१क्योंकि जब उसके महीनों की गिनती कट चुकी, तो अपने बादवाले घराने से उसका क्या काम रहा।
«أَٱللهُ يُعَلَّمُ مَعْرِفَةً، وَهُوَ يَقْضِي عَلَى ٱلْعَالِينَ؟ ٢٢ 22
२२क्या परमेश्वर को कोई ज्ञान सिखाएगा? वह तो ऊँचे पद पर रहनेवालों का भी न्याय करता है।
هَذَا يَمُوتُ فِي عَيْنِ كَمَالِهِ. كُلُّهُ مُطْمَئِنٌّ وَسَاكِنٌ. ٢٣ 23
२३कोई तो अपने पूरे बल में बड़े चैन और सुख से रहता हुआ मर जाता है।
أَحْوَاضُهُ مَلآنَةٌ لَبَنًا، وَمُخُّ عِظَامِهِ طَرِيٌّ. ٢٤ 24
२४उसकी देह दूध से और उसकी हड्डियाँ गूदे से भरी रहती हैं।
وَذَلِكَ يَمُوتُ بِنَفْسٍ مُرَّةٍ وَلَمْ يَذُقْ خَيْرًا. ٢٥ 25
२५और कोई अपने जीव में कुढ़कुढ़कर बिना सुख भोगे मर जाता है।
كِلَاهُمَا يَضْطَجِعَانِ مَعًا فِي ٱلتُّرَابِ وَٱلدُّودُ يَغْشَاهُمَا. ٢٦ 26
२६वे दोनों बराबर मिट्टी में मिल जाते हैं, और कीड़े उन्हें ढांक लेते हैं।
«هُوَذَا قَدْ عَلِمْتُ أَفْكَارَكُمْ وَٱلنِّيَّاتِ ٱلَّتِي بِهَا تَظْلِمُونَنِي. ٢٧ 27
२७“देखो, मैं तुम्हारी कल्पनाएँ जानता हूँ, और उन युक्तियों को भी, जो तुम मेरे विषय में अन्याय से करते हो।
لِأَنَّكُمْ تَقُولُونَ: أَيْنَ بَيْتُ ٱلْعَاتِي؟ وَأَيْنَ خَيْمَةُ مَسَاكِنِ ٱلْأَشْرَارِ؟ ٢٨ 28
२८तुम कहते तो हो, ‘रईस का घर कहाँ रहा? दुष्टों के निवास के तम्बू कहाँ रहे?’
أَفَلَمْ تَسْأَلُوا عَابِرِي ٱلسَّبِيلِ، وَلَمْ تَفْطِنُوا لِدَلَائِلِهِمْ؟ ٢٩ 29
२९परन्तु क्या तुम ने बटोहियों से कभी नहीं पूछा? क्या तुम उनके इस विषय के प्रमाणों से अनजान हो,
إِنَّهُ لِيَوْمِ ٱلْبَوَارِ يُمْسَكُ ٱلشِّرِّيرُ. لِيَوْمِ ٱلسَّخَطِ يُقَادُونَ. ٣٠ 30
३०कि विपत्ति के दिन के लिये दुर्जन सुरक्षित रखा जाता है; और महाप्रलय के समय के लिये ऐसे लोग बचाए जाते हैं?
مَنْ يُعْلِنُ طَرِيقَهُ لِوَجْهِهِ؟ وَمَنْ يُجَازِيهِ عَلَى مَا عَمِلَ؟ ٣١ 31
३१उसकी चाल उसके मुँह पर कौन कहेगा? और उसने जो किया है, उसका पलटा कौन देगा?
هُوَ إِلَى ٱلْقُبُورِ يُقَادُ، وَعَلَى ٱلْمَدْفَنِ يُسْهَرُ. ٣٢ 32
३२तो भी वह कब्र को पहुँचाया जाता है, और लोग उस कब्र की रखवाली करते रहते हैं।
حُلْوٌ لَهُ مَدَرُ ٱلْوَادِي. يَزْحَفُ كُلُّ إِنْسَانٍ وَرَاءَهُ، وَقُدَّامَهُ مَا لَا عَدَدَ لَهُ. ٣٣ 33
३३नाले के ढेले उसको सुखदायक लगते हैं; और जैसे पूर्वकाल के लोग अनगिनत जा चुके, वैसे ही सब मनुष्य उसके बाद भी चले जाएँगे।
فَكَيْفَ تُعَزُّونَنِي بَاطِلًا وَأَجْوِبَتُكُمْ بَقِيَتْ خِيَانَةً؟». ٣٤ 34
३४तुम्हारे उत्तरों में तो झूठ ही पाया जाता है, इसलिए तुम क्यों मुझे व्यर्थ शान्ति देते हो?”

< أَيُّوبَ 21 >