< إِرْمِيَا 9 >

يَا لَيْتَ رَأْسِي مَاءٌ، وَعَيْنَيَّ يَنْبُوعُ دُمُوعٍ، فَأَبْكِيَ نَهَارًا وَلَيْلًا قَتْلَى بِنْتِ شَعْبِي. ١ 1
भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आँखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे गए लोगों के लिये रोता रहता।
يَا لَيْتَ لِي فِي ٱلْبَرِّيَّةِ مَبِيتَ مُسَافِرِينَ، فَأَتْرُكَ شَعْبِي وَأَنْطَلِقَ مِنْ عِنْدِهِمْ، لِأَنَّهُمْ جَمِيعًا زُنَاةٌ، جَمَاعَةُ خَائِنِينَ. ٢ 2
भला होता कि मुझे जंगल में बटोहियों का कोई टिकाव मिलता कि मैं अपने लोगों को छोड़कर वहीं चला जाता! क्योंकि वे सब व्यभिचारी हैं, वे विश्वासघातियों का समाज हैं।
«يَمُدُّونَ أَلْسِنَتَهُمْ كَقِسِيِّهِمْ لِلْكَذِبِ. لَا لِلْحَقِّ قَوُوا فِي ٱلْأَرْضِ. لِأَنَّهُمْ خَرَجُوا مِنْ شَرٍّ إِلَى شَرٍّ، وَإِيَّايَ لَمْ يَعْرِفُوا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٣ 3
अपनी-अपनी जीभ को वे धनुष के समान झूठ बोलने के लिये तैयार करते हैं, और देश में बलवन्त तो हो गए, परन्तु सच्चाई के लिये नहीं; वे बुराई पर बुराई बढ़ाते जाते हैं, और वे मुझ को जानते ही नहीं, यहोवा की यही वाणी है।
اِحْتَرِزُوا كُلُّ وَاحِدٍ مِنْ صَاحِبِهِ، وَعَلَى كُلِّ أَخٍ لَا تَتَّكِلُوا، لِأَنَّ كُلَّ أَخٍ يَعْقِبُ عَقِبًا، وَكُلَّ صَاحِبٍ يَسْعَى فِي ٱلْوِشَايَةِ. ٤ 4
अपने-अपने संगी से चौकस रहो, अपने भाई पर भी भरोसा न रखो; क्योंकि सब भाई निश्चय अड़ंगा मारेंगे, और हर एक पड़ोसी लुतराई करते फिरेंगे।
وَيَخْتِلُ ٱلْإِنْسَانُ صَاحِبَهُ وَلَا يَتَكَلَّمُونَ بِٱلْحَقِّ. عَلَّمُوا أَلْسِنَتَهُمُ ٱلتَّكَلُّمَ بِٱلْكَذِبِ، وَتَعِبُوا فِي ٱلِٱفْتِرَاءِ. ٥ 5
वे एक दूसरे को ठगेंगे और सच नहीं बोलेंगे; उन्होंने झूठ ही बोलना सीखा है; और कुटिलता ही में परिश्रम करते हैं।
مَسْكَنُكَ فِي وَسْطِ ٱلْمَكْرِ. بِٱلْمَكْرِ أَبَوْا أَنْ يَعْرِفُونِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٦ 6
तेरा निवास छल के बीच है; छल ही के कारण वे मेरा ज्ञान नहीं चाहते, यहोवा की यही वाणी है।
«لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: هَأَنَذَا أُنَقِّيهِمْ وَأَمْتَحِنُهُمْ. لِأَنِّي مَاذَا أَعْمَلُ مِنْ أَجْلِ بِنْتِ شَعْبِي؟ ٧ 7
इसलिए सेनाओं का यहोवा यह कहता है, “देख, मैं उनको तपाकर परखूँगा, क्योंकि अपनी प्रजा के कारण मैं उनसे और क्या कर सकता हूँ?
لِسَانُهُمْ سَهْمٌ قَتَّالٌ يَتَكَلَّمُ بِٱلْغِشِّ. بِفَمِهِ يُكَلِّمُ صَاحِبَهُ بِسَلَامٍ، وَفِي قَلْبِهِ يَضَعُ لَهُ كَمِينًا. ٨ 8
उनकी जीभ काल के तीर के समान बेधनेवाली है, उससे छल की बातें निकलती हैं; वे मुँह से तो एक दूसरे से मेल की बात बोलते हैं पर मन ही मन एक दूसरे की घात में लगे रहते हैं।
أَفَمَا أُعَاقِبُهُمْ عَلَى هَذِهِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ؟ أَمْ لَا تَنْتَقِمُ نَفْسِي مِنْ أُمَّةٍ كَهَذِهِ؟». ٩ 9
क्या मैं ऐसी बातों का दण्ड न दूँ? यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसी जाति से अपना पलटा न लूँ?
عَلَى ٱلْجِبَالِ أَرْفَعُ بُكَاءً وَمَرْثَاةً، وَعَلَى مَرَاعِي ٱلْبَرِّيَّةِ نَدْبًا، لِأَنَّهَا ٱحْتَرَقَتْ، فَلَا إِنْسَانَ عَابِرٌ وَلَا يُسْمَعُ صَوْتُ ٱلْمَاشِيَةِ. مِنْ طَيْرِ ٱلسَّمَاوَاتِ إِلَى ٱلْبَهَائِمِ هَرَبَتْ مَضَتْ. ١٠ 10
१०“मैं पहाड़ों के लिये रो उठूँगा और शोक का गीत गाऊँगा, और जंगल की चराइयों के लिये विलाप का गीत गाऊँगा, क्योंकि वे ऐसे जल गए हैं कि कोई उनमें से होकर नहीं चलता, और उनमें पशुओं का शब्द भी नहीं सुनाई पड़ता; पशु-पक्षी सब भाग गए हैं।
«وَأَجْعَلُ أُورُشَلِيمَ رُجَمًا وَمَأْوَى بَنَاتِ آوَى، وَمُدُنَ يَهُوذَا أَجْعَلُهَا خَرَابًا بِلَا سَاكِنٍ». ١١ 11
११मैं यरूशलेम को खण्डहर बनाकर गीदड़ों का स्थान बनाऊँगा; और यहूदा के नगरों को ऐसा उजाड़ दूँगा कि उनमें कोई न बसेगा।”
مَنْ هُوَ ٱلْإِنْسَانُ ٱلْحَكِيمُ ٱلَّذِي يَفْهَمُ هَذِهِ، وَٱلَّذِي كَلَّمَهُ فَمُ ٱلرَّبِّ، فَيُخْبِرَ بِهَا؟ لِمَاذَا بَادَتِ ٱلْأَرْضُ وَٱحْتَرَقَتْ كَبَرِّيَّةٍ بِلَا عَابِرٍ؟ ١٢ 12
१२जो बुद्धिमान पुरुष हो वह इसका भेद समझ ले, और जिसने यहोवा के मुख से इसका कारण सुना हो वह बता दे। देश का नाश क्यों हुआ? क्यों वह जंगल के समान ऐसा जल गया कि उसमें से होकर कोई नहीं चलता?
فَقَالَ ٱلرَّبُّ: «عَلَى تَرْكِهِمْ شَرِيعَتِي ٱلَّتِي جَعَلْتُهَا أَمَامَهُمْ، وَلَمْ يَسْمَعُوا لِصَوْتِي وَلَمْ يَسْلُكُوا بِهَا. ١٣ 13
१३और यहोवा ने कहा, “क्योंकि उन्होंने मेरी व्यवस्था को जो मैंने उनके आगे रखी थी छोड़ दिया; और न मेरी बात मानी और न उसके अनुसार चले हैं,
بَلْ سَلَكُوا وَرَاءَ عِنَادِ قُلُوبِهِمْ وَوَرَاءَ ٱلْبَعْلِيمِ ٱلَّتِي عَلَّمَهُمْ إِيَّاهَا آبَاؤُهُمْ. ١٤ 14
१४वरन् वे अपने हठ पर बाल नामक देवताओं के पीछे चले, जैसा उनके पुरखाओं ने उनको सिखाया।
لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: هَأَنَذَا أُطْعِمُ هَذَا ٱلشَّعْبَ أَفْسَنْتِينًا وَأَسْقِيهِمْ مَاءَ ٱلْعَلْقَمِ، ١٥ 15
१५इस कारण, सेनाओं का यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर यह कहता है, सुन, मैं अपनी इस प्रजा को कड़वी वस्तु खिलाऊँगा और विष पिलाऊँगा।
وَأُبَدِّدُهُمْ فِي أُمَمٍ لَمْ يَعْرِفُوهَا هُمْ وَلَا آبَاؤُهُمْ، وَأُطْلِقُ وَرَاءَهُمُ ٱلسَّيْفَ حَتَّى أُفْنِيَهُمْ. ١٦ 16
१६मैं उन लोगों को ऐसी जातियों में तितर-बितर करूँगा जिन्हें न तो वे न उनके पुरखा जानते थे; और जब तक उनका अन्त न हो जाए तब तक मेरी ओर से तलवार उनके पीछे पड़ी रहेगी।”
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: تَأَمَّلُوا وَٱدْعُوا ٱلنَّادِبَاتِ فَيَأْتِينَ، وَأَرْسِلُوا إِلَى ٱلْحَكِيمَاتِ فَيُقْبِلْنَ ١٧ 17
१७सेनाओं का यहोवा यह कहता है, “सोचो, और विलाप करनेवालियों को बुलाओ; बुद्धिमान स्त्रियों को बुलवा भेजो;
وَيُسْرِعْنَ وَيَرْفَعْنَ عَلَيْنَا مَرْثَاةً، فَتَذْرِفَ أَعْيُنُنَا دُمُوعًا وَتَفِيضَ أَجْفَانُنَا مَاءً. ١٨ 18
१८वे फुर्ती करके हम लोगों के लिये शोक का गीत गाएँ कि हमारी आँखों से आँसू बह चलें और हमारी पलकें जल बहाए।
لِأَنَّ صَوْتَ رِثَايَةٍ سُمِعَ مِنْ صِهْيَوْنَ: كَيْفَ أُهْلِكْنَا؟ خَزِينَا جِدًّا لِأَنَّنَا تَرَكْنَا ٱلْأَرْضَ، لِأَنَّهُمْ هَدَمُوا مَسَاكِنَنَا». ١٩ 19
१९सिय्योन से शोक का यह गीत सुन पड़ता है, ‘हम कैसे नाश हो गए! हम क्यों लज्जा में पड़ गए हैं, क्योंकि हमको अपना देश छोड़ना पड़ा और हमारे घर गिरा दिए गए हैं।’”
بَلِ ٱسْمَعْنَ أَيَّتُهَا ٱلنِّسَاءُ كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ، وَلْتَقْبَلْ آذَانُكُنَّ كَلِمَةَ فَمِهِ، وَعَلِّمْنَ بَنَاتِكُنَّ ٱلرِّثَايَةَ، وَٱلْمَرْأَةُ صَاحِبَتَهَا ٱلنَّدْبَ! ٢٠ 20
२०इसलिए, हे स्त्रियों, यहोवा का यह वचन सुनो, और उसकी यह आज्ञा मानो; तुम अपनी-अपनी बेटियों को शोक का गीत, और अपनी-अपनी पड़ोसिनों को विलाप का गीत सिखाओ।
لِأَنَّ ٱلْمَوْتَ طَلَعَ إِلَى كُوَانَا، دَخَلَ قُصُورَنَا لِيَقْطَعَ ٱلْأَطْفَالَ مِنْ خَارِجٍ، وَٱلشُّبَّانَ مِنَ ٱلسَّاحَاتِ. ٢١ 21
२१क्योंकि मृत्यु हमारी खिड़कियों से होकर हमारे महलों में घुस आई है, कि हमारी सड़कों में बच्चों को और चौकों में जवानों को मिटा दे।
تَكَلَّمَ: «هَكَذَا يَقُولُ ٱلرَّبُّ: وَتَسْقُطُ جُثَّةُ ٱلْإِنْسَانِ كَدِمْنَةٍ عَلَى وَجْهِ ٱلْحَقْلِ، وَكَقَبْضَةٍ وَرَاءَ ٱلْحَاصِدِ وَلَيْسَ مَنْ يَجْمَعُ! ٢٢ 22
२२तू कह, “यहोवा यह कहता है, ‘मनुष्यों की लोथें ऐसी पड़ी रहेंगी जैसा खाद खेत के ऊपर, और पूलियाँ काटनेवाले के पीछे पड़ी रहती हैं, और उनका कोई उठानेवाला न होगा।’”
«هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: لَا يَفْتَخِرَنَّ ٱلْحَكِيمُ بِحِكْمَتِهِ، وَلَا يَفْتَخِرِ ٱلْجَبَّارُ بِجَبَرُوتِهِ، وَلَا يَفْتَخِرِ ٱلْغَنِيُّ بِغِنَاهُ. ٢٣ 23
२३यहोवा यह कहता है, “बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे;
بَلْ بِهَذَا لِيَفْتَخِرَنَّ ٱلْمُفْتَخِرُ: بِأَنَّهُ يَفْهَمُ وَيَعْرِفُنِي أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ ٱلصَّانِعُ رَحْمَةً وَقَضَاءً وَعَدْلًا فِي ٱلْأَرْضِ، لِأَنِّي بِهَذِهِ أُسَرُّ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٢٤ 24
२४परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता है, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धार्मिकता के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ।
«هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأُعَاقِبُ كُلَّ مَخْتُونٍ وَأَغْلَفَ. ٢٥ 25
२५“देखो, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आनेवाले हैं कि जिनका खतना हुआ हो, उनको खतनारहितों के समान दण्ड दूँगा,
مِصْرَ وَيَهُوذَا وَأَدُومَ وَبَنِي عَمُّونَ وَمُوآبَ، وَكُلَّ مَقْصُوصِي ٱلشَّعْرِ مُسْتَدِيرًا ٱلسَّاكِنِينَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، لِأَنَّ كُلَّ ٱلْأُمَمِ غُلْفٌ، وَكُلَّ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ غُلْفُ ٱلْقُلُوبِ». ٢٦ 26
२६अर्थात् मिस्रियों, यहूदियों, एदोमियों, अम्मोनियों, मोआबियों को, और उन रेगिस्तान के निवासियों के समान जो अपने गाल के बालों को मुँण्डा डालते हैं; क्योंकि ये सब जातियाँ तो खतनारहित हैं, और इस्राएल का सारा घराना भी मन में खतनारहित है।”

< إِرْمِيَا 9 >