< إِرْمِيَا 51 >
«هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا أُوقِظُ عَلَى بَابِلَ وَعَلَى ٱلسَّاكِنِينَ فِي وَسْطِ ٱلْقَائِمِينَ عَلَيَّ رِيحًا مُهْلِكَةً. | ١ 1 |
ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि देख, मैं बाबुल पर और उस मुखालिफ़ दार — उस — सल्तनत के रहनेवालों पर एक मुहलिक हवा चलाऊँगा।
وَأُرْسِلُ إِلَى بَابِلَ مُذَرِّينَ فَيُذَرُّونَهَا وَيُفَرِّغُونَ أَرْضَهَا، لِأَنَّهُمْ يَكُونُونَ عَلَيْهَا مِنْ كُلِّ جِهَةٍ فِي يَوْمِ ٱلشَّرِّ. | ٢ 2 |
और मैं उसाने वालों को बाबुल में भेजूँगा कि उसे उसाएँ, और उसकी सरज़मीन को ख़ाली करें; यक़ीनन उसकी मुसीबत के दिन वह उसके दुश्मन बनकर उसे चारों तरफ़ से घेर लेंगे।
عَلَى ٱلنَّازِعِ فِي قَوْسِهِ، فَلْيَنْزِعِ ٱلنَّازِعُ، وَعَلَى ٱلْمُفْتَخِرِ بِدِرْعِهِ، فَلَا تُشْفِقُوا عَلَى مُنْتَخَبِيهَا، بَلْ حَرِّمُوا كُلَّ جُنْدِهَا. | ٣ 3 |
उसके कमानदारों और ज़िरहपोशों पर तीरअन्दाज़ी करो; तुम उसके जवानों पर रहम न करो, उसके तमाम लश्कर को बिल्कुल हलाक करो।
فَتَسْقُطَ ٱلْقَتْلَى فِي أَرْضِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ، وَٱلْمَطْعُونُونَ فِي شَوَارِعِهَا. | ٤ 4 |
मक़्तूल कसदियों की सरज़मीन में गिरेंगे, और छिदे हुए उसके बाज़ारों में पड़े रहेंगे।
لِأَنَّ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوذَا لَيْسَا بِمَقْطُوعَيْنِ عَنْ إِلَهِهِمَا، عَنْ رَبِّ ٱلْجُنُودِ، وَإِنْ تَكُنْ أَرْضُهُمَا مَلْآنَةً إِثْمًا عَلَى قُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ. | ٥ 5 |
क्यूँकि इस्राईल और यहूदाह को उनके ख़ुदा रब्ब — उल — अफ़वाज ने तर्क नहीं किया; अगरचे इनका मुल्क इस्राईल के क़ुद्दूस की नाफ़रमानी से पुर है।
ٱهْرُبُوا مِنْ وَسْطِ بَابِلَ، وَٱنْجُوا كُلُّ وَاحِدٍ بِنَفْسِهِ. لَا تَهْلِكُوا بِذَنْبِهَا، لِأَنَّ هَذَا زَمَانُ ٱنْتِقَامِ ٱلرَّبِّ، هُوَ يُؤَدِّي لَهَا جَزَاءَهَا. | ٦ 6 |
बाबुल से निकल भागो, और हर एक अपनी जान बचाए, उसकी बदकिरदारी की सज़ा में शरीक होकर हलाक न हो, क्यूँकि यह ख़ुदावन्द के इन्तक़ाम का वक़्त है; वह उसे बदला देता है।
بَابِلُ كَأْسُ ذَهَبٍ بِيَدِ ٱلرَّبِّ تُسْكِرُ كُلَّ ٱلْأَرْضِ. مِنْ خَمْرِهَا شَرِبَتِ ٱلشُّعُوبُ. مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ جُنَّتِ ٱلشُّعُوبُ. | ٧ 7 |
बाबुल ख़ुदावन्द के हाथ में सोने का प्याला था, जिसने सारी दुनिया को मतवाला किया; क़ौमों ने उसकी मय पी, इसलिए वह दीवाने हैं।
سَقَطَتْ بَابِلُ بَغْتَةً وَتَحَطَّمَتْ. وَلْوِلُوا عَلَيْهَا. خُذُوا بَلَسَانًا لِجُرْحِهَا لَعَلَّهَا تُشْفَى! | ٨ 8 |
बाबुल अचानक गिर गया और ग़ारत हुआ, उस पर वावैला करो; उसके ज़ख़्म के लिए बलसान लो, शायद वह शिफ़ा पाए।
دَاوَيْنَا بَابِلَ فَلَمْ تُشْفَ. دَعُوهَا، وَلْنَذْهَبْ كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى أَرْضِهِ، لِأَنَّ قَضَاءَهَا وَصَلَ إِلَى ٱلسَّمَاءِ، وَٱرْتَفَعَ إِلَى ٱلسَّحَابِ. | ٩ 9 |
हम तो बाबुल की शिफ़ायाबी चाहते थे लेकिन वह शिफ़ायाब न हुआ, तुम उसको छोड़ो, आओ, हम सब अपने अपने वतन को चले जाएँ, क्यूँकि उसकी आवाज़ आसमान तक पहुँची और अफ़लाक तक बुलन्द हुई।
قَدْ أَخْرَجَ ٱلرَّبُّ بِرَّنَا. هَلُمَّ فَنَقُصُّ فِي صِهْيَوْنَ عَمَلَ ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا. | ١٠ 10 |
ख़ुदावन्द ने हमारी रास्तबाज़ी को आशकारा किया; आओ, हम सिय्यून में ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के काम का बयान करें।
سُنُّوا ٱلسِّهَامَ. أَعِدُّوا ٱلْأَتْرَاسَ. قَدْ أَيْقَظَ ٱلرَّبُّ رُوحَ مُلُوكِ مَادِي، لِأَنَّ قَصْدَهُ عَلَى بَابِلَ أَنْ يُهْلِكَهَا. لِأَنَّهُ نَقْمَةُ ٱلرَّبِّ، نَقْمَةُ هَيْكَلِهِ. | ١١ 11 |
तीरों को सैक़ल करो, सिपरों को तैयार रख्खो; ख़ुदावन्द ने मादियों के बादशाहों की रूह को उभारा है, क्यूँकि उसका इरादा बाबुल को बर्बाद करने का है; क्यूँकि यह ख़ुदावन्द का, या'नी उसकी हैकल का इन्तक़ाम है।
عَلَى أَسْوَارِ بَابِلَ ٱرْفَعُوا ٱلرَّايَةَ. شَدِّدُوا ٱلْحِرَاسَةَ. أَقِيمُوا ٱلْحُرَّاسَ. أَعِدُّوا ٱلْكَمِينَ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ قَصَدَ وَأَيْضًا فَعَلَ مَا تَكَلَّمَ بِهِ عَلَى سُكَّانِ بَابِلَ. | ١٢ 12 |
बाबुल की दीवारों के सामने झंडा खड़ा करो पहरे की चौकियाँ मज़बूत करो, पहरेदारों को बिठाओ, कमीनगाहें तैयार करो; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने अहल — ए — बाबुल के हक़ में जो कुछ ठहराया और फ़रमाया था, इसलिए पूरा किया।
أَيَّتُهَا ٱلسَّاكِنَةُ عَلَى مِيَاهٍ كَثِيرَةٍ، ٱلْوَافِرَةُ ٱلْخَزَائِنِ، قَدْ أَتَتْ آخِرَتُكِ، كَيْلُ ٱغْتِصَابِكِ. | ١٣ 13 |
ऐ नहरों पर सुकूनत करने वाली, जिसके ख़ज़ाने फ़िरावान हैं; तेरी तमामी का वक़्त आ पहुँचा और तेरी ग़ारतगरी का पैमाना पुर हो गया।
قَدْ حَلَفَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ بِنَفْسِهِ: إِنِّي لَأَمْلَأَنَّكِ أُنَاسًا كَٱلْغَوْغَاءِ، فَيَرْفَعُونَ عَلَيْكِ جَلَبَةً. | ١٤ 14 |
रब्ब — उल — अफ़वाज ने अपनी ज़ात की क़सम खाई है, कि यक़ीनन मैं तुझ में लोगों को टिड्डियों की तरह भर दूँगा, और वह तुझ पर जंग का नारा मारेंगे।
«صَانِعُ ٱلْأَرْضِ بِقُوَّتِهِ، وَمُؤَسِّسُ ٱلْمَسْكُونَةِ بِحِكْمَتِهِ، وبِفَهْمِهِ مَدَّ ٱلسَّمَاوَاتِ. | ١٥ 15 |
उसी ने अपनी क़ुदरत से ज़मीन को बनाया, उसी ने अपनी हिकमत से जहाँ को क़ाईम किया, और अपनी 'अक़्ल से आसमान को तान दिया है;
إِذَا أَعْطَى قَوْلًا تَكُونُ كَثْرَةُ مِيَاهٍ فِي ٱلسَّمَاوَاتِ، وَيُصْعِدُ ٱلسَّحَابَ مِنْ أَقَاصِي ٱلْأَرْضِ. صَنَعَ بُرُوقًا لِلْمَطَرِ، وَأَخْرَجَ ٱلرِّيحَ مِنْ خَزَائِنِهِ. | ١٦ 16 |
उसकी आवाज़ से आसमान में पानी की फ़िरावानी होती है, और वह ज़मीन की इन्तिहा से बुख़ारात उठाता है; वह बारिश के लिए बिजली चमकाता है और अपने ख़ज़ानों से हवा चलाता है।
بَلُدَ كُلُّ إِنْسَانٍ بِمَعْرِفَتِهِ. خَزِيَ كُلُّ صَائِغٍ مِنَ ٱلتِّمْثَالِ لِأَنَّ مَسْبُوكَهُ كَذِبٌ وَلَا رُوحٌ فِيهِ. | ١٧ 17 |
हर आदमी हैवान ख़सलत और बे — 'इल्म हो गया है, सुनार अपनी खोदी हुई मूरत से रुस्वा है; क्यूँकि उसकी ढाली हुई मूरत बातिल है, उनमें दम नहीं।
هِيَ بَاطِلَةٌ، صَنْعَةُ ٱلْأَضَالِيلِ. فِي وَقْتِ عِقَابِهَا تَبِيدُ. | ١٨ 18 |
वह बातिल — फ़े'ल — ए — फ़रेब हैं, सज़ा के वक़्त बर्बाद हो जाएँगी।
لَيْسَ كَهَذِهِ نَصِيبُ يَعْقُوبَ، لِأَنَّهُ مُصَوِّرُ ٱلْجَمِيعِ، وَقَضِيبُ مِيرَاثِهِ، رَبُّ ٱلْجُنُودِ ٱسْمُهُ. | ١٩ 19 |
या'क़ूब का हिस्सा उनकी तरह नहीं, क्यूँकि वह सब चीज़ों का ख़ालिक़ है और इस्राईल उसकी मीरास का 'असा है; रब्बउल — अफ़वाज उसका नाम है।
أَنْتَ لِي فَأْسٌ وَأَدَوَاتُ حَرْبٍ، فَأَسْحَقُ بِكَ ٱلْأُمَمَ، وَأُهْلِكُ بِكَ ٱلْمَمَالِكَ، | ٢٠ 20 |
तू मेरा गुर्ज़ और जंगी हथियार है, और तुझी से मैं क़ौमों को तोड़ता और तुझी से सल्तनतों को बर्बाद करता हूँ।
وَأُكَسِّرُ بِكَ ٱلْفَرَسَ وَرَاكِبَهُ، وَأَسْحَقُ بِكَ ٱلْمَرْكَبَةَ وَرَاكِبَهَا، | ٢١ 21 |
तुझी से मैं घोड़े और सवार को कुचलता, और तुझी से रथ और उसके सवार को चूर करता हूँ;
وَأَسْحَقُ بِكَ ٱلرَّجُلَ وَٱلْمَرْأَةَ، وَأَسْحَقُ بِكَ ٱلشَّيْخَ وَٱلْفَتَى، وَأَسْحَقُ بِكَ ٱلْغُلَامَ وَٱلْعَذْرَاءَ، | ٢٢ 22 |
तुझी से मर्द — ओ — ज़न और पीर — ओ — जवान को कुचलता, और तुझ ही से नौखेंज़ लड़कों और लड़कियों को पीस डालता हूँ;
وَأَسْحَقُ بِكَ ٱلرَّاعِيَ وَقَطِيعَهُ، وَأَسْحَقُ بِكَ ٱلْفَلَّاحَ وَفَدَّانَهُ، وَأَسْحَقُ بِكَ ٱلْوُلَاةَ وَٱلْحُكَّامَ. | ٢٣ 23 |
और तुझी से चरवाहे और उसके गल्ले को कुचलता, और तुझी से किसान और उसके जोड़ी बैल को, और तुझी से सरदारों और हाकिमों को चूर — चूर कर देता हूँ।
وَأُكَافِئُ بَابِلَ وَكُلَّ سُكَّانِ أَرْضِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ عَلَى كُلِّ شَرِّهِمِ ٱلَّذِي فَعَلُوهُ فِي صِهْيَوْنَ، أَمَامَ عُيُونِكُمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٢٤ 24 |
और मैं बाबुल को और कसदिस्तान के सब बाशिन्दों को उस तमाम नुक़्सान का, जो उन्होंने सिय्यून को तुम्हारी आँखों के सामने पहुँचाया है इवज़ देता हूँ ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
هَأَنَذَا عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلْجَبَلُ ٱلْمُهْلِكُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، ٱلْمُهْلِكُ كُلَّ ٱلْأَرْضِ، فَأَمُدُّ يَدِي عَلَيْكَ وَأُدَحْرِجُكَ عَنِ ٱلصُّخُورِ، وَأَجْعَلُكَ جَبَلًا مُحْرَقًا، | ٢٥ 25 |
देख ख़ुदावन्द फ़रमाता है, ऐ हलाक करने वाले पहाड़, जो तमाम इस ज़मीन को हलाक करता है, मैं तेरा मुख़ालिफ़ हूँ और मैं अपना हाथ तुझ पर बढ़ाऊँगा, और चट्टानों पर से तुझे लुढ़काऊँगा, और तुझे जला हुआ पहाड़ बना दूँगा।
فَلَا يَأْخُذُونَ مِنْكَ حَجَرًا لِزَاوِيَةٍ، وَلَا حَجَرًا لِأُسُسٍ، بَلْ تَكُونُ خَرَابًا إِلَى ٱلْأَبَدِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٢٦ 26 |
न तुझ से कोने का पत्थर, और न बुनियाद के लिए पत्थर लेंगे; बल्कि तू हमेशा तक वीरान रहेगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
«اِرْفَعُوا ٱلرَّايَةَ فِي ٱلْأَرْضِ. ٱضْرِبُوا بِٱلْبُوقِ فِي ٱلشُّعُوبِ. قَدِّسُوا عَلَيْهَا ٱلْأُمَمَ. نَادُوا عَلَيْهَا مَمَالِكَ أَرَارَاطَ وَمِنِّي وَأَشْكَنَازَ. أَقِيمُوا عَلَيْهَا قَائِدًا. أَصْعِدُوا ٱلْخَيْلَ كَغَوْغَاءَ مُقْشَعِرَّةٍ. | ٢٧ 27 |
'मुल्क में झण्डा खड़ा करो, क़ौमों में नरसिंगा फूँको उनको उसके ख़िलाफ़ मख़सूस करो अरारात और मिन्नी और अश्कनाज़ की ममलुकतों को उस पर चढ़ा लाओ; उसके ख़िलाफ़ सिपहसालार मुक़र्रर करो और सवारों को मुहलिक टिड्डियों की तरह चढ़ा लाओ।
قَدِّسُوا عَلَيْهَا ٱلشُّعُوبَ، مُلُوكَ مَادِي، وُلَاتَهَا وَكُلَّ حُكَّامِهَا وَكُلَّ أَرْضِ سُلْطَانِهَا، | ٢٨ 28 |
क़ौमों को मादियों के बादशाहों को और सरदारों और हाकिमों और उनकी सल्तनत के तमाम मुमालिक को मख़सूस करो कि उस पर चढ़ाई करें।
فَتَرْتَجِفَ ٱلْأَرْضُ وَتَتَوَجَّعَ، لِأَنَّ أَفْكَارَ ٱلرَّبِّ تَقُومُ عَلَى بَابِلَ، لِيَجْعَلَ أَرْضَ بَابِلَ خَرَابًا بِلَا سَاكِنٍ. | ٢٩ 29 |
और ज़मीन काँपती और दर्द में मुब्तिला है, क्यूँकि ख़ुदावन्द के इरादे बाबुल की मुखालिफ़त में क़ाईम रहेंगे, कि बाबुल की सरज़मीन को वीरान और ग़ैरआबाद कर दे।
كَفَّ جَبَابِرَةُ بَابِلَ عَنِ ٱلْحَرْبِ، وَجَلَسُوا فِي ٱلْحُصُونِ. نَضَبَتْ شَجَاعَتُهُمْ. صَارُوا نِسَاءً. حَرَقُوا مَسَاكِنَهَا. تَحَطَّمَتْ عَوَارِضُهَا. | ٣٠ 30 |
बाबुल के बहादुर लड़ाई से दस्तबरदार और क़िलों' में बैठे हैं, उनका ज़ोर घट गया, वह 'औरतों की तरह हो गए; उसके घर जलाए गए, उसके अड़बंगे तोड़े गए।
يَرْكُضُ عَدَّاءٌ لِلِقَاءِ عَدَّاءٍ، وَمُخْبِرٌ لِلِقَاءِ مُخْبِرٍ، لِيُخْبِرَ مَلِكَ بَابِلَ بِأَنَّ مَدِينَتَهُ قَدْ أُخِذَتْ عَنْ أقْصَى، | ٣١ 31 |
हरकारा हरकारे से मिलने को और क़ासिद से मिलने को दौड़ेगा कि बाबुल के बादशाह को इत्तला दे, कि उसका शहर हर तरफ़ से ले लिया गया;
وَأَنَّ ٱلْمَعَابِرَ قَدْ أُمْسِكَتْ، وَٱلْقَصَبَ أَحْرَقُوهُ بِٱلنَّارِ، وَرِجَالُ ٱلْحَرْبِ ٱضْطَرَبَتْ. | ٣٢ 32 |
और गुज़रगाहें ले ली गई, और नेस्तान आग से जलाए गए और फ़ौज हड़बड़ा गईं।
لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: إِنَّ بِنْتَ بَابِلَ كَبَيْدَرٍ وَقْتَ دَوْسِهِ. بَعْدَ قَلِيلٍ يَأْتِي عَلَيْهَا وَقْتُ ٱلْحَصَادِ». | ٣٣ 33 |
क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: दुख़्तर — ए — बाबुल खलीहान की तरह है, जब उसे रौंदने का वक़्त आए, थोड़ी देर है कि उसकी कटाई का वक़्त आ पहुँचेगा।
«أَكَلَنِي أَفْنَانِي نَبُوخَذْرَاصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ. جَعَلَنِي إِنَاءً فَارِغًا. ٱبْتَلَعَنِي كَتِنِّينٍ، وَمَلَأَ جَوْفَهُ مِنْ نِعَمِي. طَوَّحَنِي. | ٣٤ 34 |
“शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र ने मुझे खा लिया, उसने मुझे शिकस्त दी है, उसने मुझे ख़ाली बर्तन की तरह कर दिया अज़दहा की तरह वह मुझे निगल गया, उसने अपने पेट को मेरी ने'मतों से भर लिया; उसने मुझे निकाल दिया;
ظُلْمِي وَلَحْمِي عَلَى بَابِلَ» تَقُولُ سَاكِنَةُ صِهْيَوْنَ. «وَدَمِي عَلَى سُكَّانِ أَرْضِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ» تَقُولُ أُورُشَلِيمُ. | ٣٥ 35 |
सिय्यून के रहनेवाले कहेंगे, जो सितम हम पर और हमारे लोगों पर हुआ, बाबुल पर हो।” और येरूशलेम कहेगा, मेरा ख़ून अहल — ए — कसदिस्तान पर हो।
لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: «هَأَنَذَا أُخَاصِمُ خُصُومَتَكِ، وَأَنْتَقِمُ نَقْمَتَكِ، وَأُنَشِّفُ بَحْرَهَا، وَأُجَفِّفُ يَنْبُوعَهَا. | ٣٦ 36 |
इसलिए ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं तेरी हिमायत करूँगा और तेरा इन्तक़ाम लूँगा, और उसके बहर को सुखाऊँगा और उसके सोते को ख़ुश्क कर दूँगा;
وَتَكُونُ بَابِلُ كُوَمًا، وَمَأْوَى بَنَاتِ آوَى، وَدَهَشًا وَصَفِيرًا بِلَا سَاكِنٍ. | ٣٧ 37 |
और बाबुल खण्डर हो जाएगा, और गीदड़ों का मक़ाम और हैरत और सुस्कार का ज़रिया' होगी और उसमें कोई न बसेगा।
يُزَمْجِرُونَ مَعًا كَأَشْبَالٍ. يَزْأَرُونَ كَجِرَاءِ أُسُودٍ. | ٣٨ 38 |
वह जवान बबरों की तरह इकटठे गरजेंगे, वह शेर बच्चों की तरह ग़ुर्राएँगे।
عِنْدَ حَرَارَتِهِمْ أُعِدُّ لَهُمْ شَرَابًا وَأُسْكِرُهُمْ، لِكَيْ يَفْرَحُوا وَيَنَامُوا نَوْمًا أَبَدِيًّا، وَلَا يَسْتَيْقِظُوا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٣٩ 39 |
उनकी हालत — ए — तैश में मैं उनकी ज़ियाफ़त करके उनको मस्त करूँगा, कि वह जद्द में आएँ और दाइमी ख़्वाब में पड़े रहें और बेदार न हों, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
أُنَزِّلُهُمْ كَخِرَافٍ لِلذَّبْحِ وَكَكِبَاشٍ مَعَ أَعْتِدَةٍ. | ٤٠ 40 |
मैं उनको बर्रों और मेंढों की तरह बकरों के साथ मसलख़ पर उतार लाऊँगा।
«كَيْفَ أُخِذَتْ شِيشَكُ، وَأُمْسِكَتْ فَخْرُ كُلِّ ٱلْأَرْضِ؟ كَيْفَ صَارَتْ بَابِلُ دَهَشًا فِي ٱلشُّعُوبِ؟ | ٤١ 41 |
शेशक क्यूँकर ले लिया गया! हाँ, तमाम रु — ए — ज़मीन का खम्बा यकबारगी ले लिया गया। बाबुल क़ौमों के बीच कैसा वीरान हुआ!
طَلَعَ ٱلْبَحْرُ عَلَى بَابِلَ، فَتَغَطَّتْ بِكَثْرَةِ أَمْوَاجِهِ. | ٤٢ 42 |
समन्दर बाबुल पर चढ़ गया है, वह उसकी लहरों की कसरत से छिप गया।
صَارَتْ مُدُنُهَا خَرَابًا، أَرْضًا نَاشِفَةً وَقَفْرًا، أَرْضًا لَا يَسْكُنُ فِيهَا إِنْسَانٌ وَلَا يَعْبُرُ فِيهَا ٱبْنُ آدَمَ. | ٤٣ 43 |
उसकी बस्तियाँ उजड़ गईं, वह ख़ुश्क ज़मीन और सहरा हो गया ऐसी सरज़मीन जिसमें न कोई बसता हो और न वहाँ आदमज़ाद का गुज़र हो।
وَأُعَاقِبُ بِيلَ فِي بَابِلَ، وَأُخْرِجُ مِنْ فَمِهِ مَا ٱبْتَلَعَهُ، فَلَا تَجْرِي إِلَيْهِ ٱلشُّعُوبُ بَعْدُ، وَيَسْقُطُ سُورُ بَابِلَ أَيْضًا. | ٤٤ 44 |
क्यूँकि मैं बाबुल में बेल को सज़ा दूँगा, और जो कुछ वह निगल गया है उसके मुँह से निकालूँगा, और फिर क़ौमें उसकी तरफ़ रवाँ न होंगी; हाँ, बाबुल की फ़सील गिर जाएगी।
اُخْرُجُوا مِنْ وَسَطِهَا يَا شَعْبِي، وَلْيُنَجِّ كُلُّ وَاحِدٍ نَفْسَهُ مِنْ حُمُوِّ غَضَبِ ٱلرَّبِّ. | ٤٥ 45 |
ऐ मेरे लोगों, उसमें से निकल आओ, और तुम में से हर एक ख़ुदावन्द के क़हर — ए — शदीद से अपनी जान बचाए।
وَلَا يَضْعُفْ قَلْبُكُمْ فَتَخَافُوا مِنَ ٱلْخَبَرِ ٱلَّذِي سُمِعَ فِي ٱلْأَرْضِ، فَإِنَّهُ يَأْتِي خَبَرٌ فِي هَذِهِ ٱلسَّنَةِ، ثُمَّ بَعْدَهُ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلْأُخْرَى، خَبَرٌ وَظُلْمٌ فِي ٱلْأَرْضِ، مُتَسَلِّطٌ عَلَى مُتَسَلِّطٍ. | ٤٦ 46 |
न हो कि तुम्हारा दिल सुस्त हो, और तुम उस अफ़वाह से डरो जो ज़मीन में सुनी जाएगी; एक अफ़वाह एक साल आएगी और फिर दूसरी अफ़वाह दूसरे साल में, और मुल्क में ज़ुल्म होगा और हाकिम हाकिम से लड़ेगा।
لِذَلِكَ هَا أَيَّامٌ تَأْتِي وَأُعَاقِبُ مَنْحُوتَاتِ بَابِلَ، فَتَخْزَى كُلُّ أَرْضِهَا وَتَسْقُطُ كُلُّ قَتْلَاهَا فِي وَسْطِهَا. | ٤٧ 47 |
इसलिए देख, वह दिन आते हैं कि मैं बाबुल की तराशी हुई मूरतों से इन्तक़ाम लूँगा और उसकी तमाम सरज़मीं रुस्वा होगी और उसके सब मक़्तूल उसी में पड़े रहेंगे।
فَتَهْتِفُ عَلَى بَابِلَ ٱلسَّمَاوَاتُ وَٱلْأَرْضُ وَكُلُّ مَا فِيهَا، لِأَنَّ ٱلنَّاهِبِينَ يَأْتُونَ عَلَيْهَا مِنَ ٱلشِّمَالِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٤٨ 48 |
तब आसमान और ज़मीन और सब कुछ जो उनमें है, बाबुल पर शादियाना बजाएँगे; क्यूँकि ग़ारतगर उत्तर से उस पर चढ़ आएँगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
كَمَا أَسْقَطَتْ بَابِلُ قَتْلَى إِسْرَائِيلَ، تَسْقُطُ أَيْضًا قَتْلَى بَابِلَ فِي كُلِّ ٱلْأَرْضِ. | ٤٩ 49 |
जिस तरह बाबुल में बनी — इस्राईल क़त्ल हुए, उसी तरह बाबुल में तमाम मुल्क के लोग क़त्ल होंगे।
أَيُّهَا ٱلنَّاجُونَ مِنَ ٱلسَّيْفِ ٱذْهَبُوا. لَا تَقِفُوا. ٱذْكُرُوا ٱلرَّبَّ مِنْ بَعِيدٍ، وَلْتَخْطُرْ أُورُشَلِيمُ بِبَالِكُمْ. | ٥٠ 50 |
तुम जो तलवार से बच गए हो, खड़े न हो, चले जाओ! दूर ही से ख़ुदावन्द को याद करो, और येरूशलेम का ख़याल तुम्हारे दिल में आए।
قَدْ خَزِينَا لِأَنَّنَا قَدْ سَمِعْنَا عَارًا. غَطَّى ٱلْخَجَلُ وُجُوهَنَا لِأَنَّ ٱلْغُرَبَاءَ قَدْ دَخَلُوا مَقَادِسَ بَيْتِ ٱلرَّبِّ. | ٥١ 51 |
'हम परेशान हैं, क्यूँकि हम ने मलामत सुनी; हम शर्मआलूदा हुए, क्यूँकि ख़ुदावन्द के घर के हैकलों में अजनबी घुस आए।
لِذَلِكَ هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأُعَاقِبُ مَنْحُوتَاتِهَا، وَيَتَنَهَّدُ ٱلْجَرْحَى فِي كُلِّ أَرْضِهَا. | ٥٢ 52 |
इसलिए देख, वह दिन आते हैं, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि मैं उसकी तराशी हुई मूरतों को सज़ा दूँगा; और उसकी तमाम सल्तनत में घायल कराहेंगे।
فَلَوْ صَعِدَتْ بَابِلُ إِلَى ٱلسَّمَاوَاتِ، وَلَوْ حَصَّنَتْ عَلْيَاءَ عِزِّهَا، فَمِنْ عِنْدِي يَأْتِي عَلَيْهَا ٱلنَّاهِبُونَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. | ٥٣ 53 |
हरचन्द बाबुल आसमान पर चढ़ जाए और अपने ज़ोर की इन्तिहा तक मुस्तहकम हो बैठे तो भी ग़ारतगर मेरी तरफ़ से उस पर चढ़ आएँगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
«صَوْتُ صُرَاخٍ مِنْ بَابِلَ وَٱنْحِطَامٌ عَظِيمٌ مِنْ أَرْضِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ، | ٥٤ 54 |
बाबुल से रोने की और कसदियों की सरज़मीन से बड़ी हलाकत की आवाज़ आती है।
لِأَنَّ ٱلرَّبَّ مُخْرِبٌ بَابِلَ وَقَدْ أَبَادَ مِنْهَا ٱلصَّوْتَ ٱلْعَظِيمَ، وَقَدْ عَجَّتْ أَمْوَاجُهُمْ كَمِيَاهٍ كَثِيرَةٍ وَأُطْلِقَ ضَجِيجُ صَوْتِهِمْ. | ٥٥ 55 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द बाबुल को ग़ारत करता है, और उसके बड़े शोर — ओ — ग़ुल को बर्बाद करेगा; उनकी लहरें समन्दर की तरह शोर मचाती हैं उनके शोर की आवाज़ बुलंद है;
لِأَنَّهُ جَاءَ عَلَيْهَا، عَلَى بَابِلَ، ٱلْمُخْرِبُ، وَأُخِذَ جَبَابِرَتُهَا، وَتَحَطَّمَتْ قِسِيُّهُمْ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهُ مُجَازَاةٍ يُكَافِئُ مُكَافَأَةً. | ٥٦ 56 |
इसलिए कि ग़ारतगर उस पर, हाँ, बाबुल पर चढ़ आया है, और उसके ताक़तवर लोग पकड़े जायेंगे उनकी कमाने तोड़ी जायेंगी क्यूँकि ख़ुदावन्द इन्तक़ाम लेनेवाला ख़ुदा है, वह ज़रूर बदला लेगा।
وَأُسْكِرُ رُؤَسَاءَهَا وَحُكَمَاءَهَا وَوُلَاتَهَا وَحُكَّامَهَا وَأَبْطَالَهَا فَيَنَامُونَ نَوْمًا أَبَدِيًّا، وَلَا يَسْتَيْقِظُونَ، يَقُولُ ٱلْمَلِكُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ ٱسْمُهُ. | ٥٧ 57 |
मैं हाकिम — ओ — हुक्मा को और उसके सरदारों और हाकिमों को मस्त करूँगा, और वह दाइमी ख़्वाब में पड़े रहेंगे और बेदार न होंगे, वह बादशाह फ़रमाता है, जिसका नाम रब्ब — उल — अफ़वाज है।
هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: إِنَّ أَسْوَارَ بَابِلَ ٱلْعَرِيضَةَ تُدَمَّرُ تَدْمِيرًا، وَأَبْوَابُهَا ٱلشَّامِخَةَ تُحْرَقُ بِٱلنَّارِ، فَتَتْعَبُ ٱلشُّعُوبُ لِلْبَاطِلِ، وَٱلْقَبَائِلُ لِلنَّارِ حَتَّى تَعْيَا». | ٥٨ 58 |
“रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि: बाबुल की चौड़ी फ़सील बिल्कुल गिरा दी जाएगी, और उसके बुलन्द फाटक आग से जला दिए जाएँगे। यूँ लोगों की मेहनत बे फ़ायदा ठहरेगी, और क़ौमों का काम आग के लिए होगा और वह मान्दा होंगे।”
اَلْأَمْرُ ٱلَّذِي أَوْصَى بِهِ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ سَرَايَا بْنَ نِيرِيَّا بْنِ مَحْسِيَّا، عِنْدَ ذَهَابِهِ مَعَ صِدْقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا إِلَى بَابِلَ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلرَّابِعَةِ لِمُلْكِهِ، وَكَانَ سَرَايَا رَئِيسَ ٱلْمَحَلَّةِ، | ٥٩ 59 |
यह वह बात है, जो यरमियाह नबी ने सिरायाह — बिन — नेयिरियाह — बिन — महसियाह से कही, जब वह शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह के साथ उसकी सल्तनत के चौथे बरस बाबुल में गया, और यह सिरायाह ख़्वाजासराओं का सरदार था।
فَكَتَبَ إِرْمِيَا كُلَّ ٱلشَّرِّ ٱلْآتِي عَلَى بَابِلَ فِي سِفْرٍ وَاحِدٍ، كُلَّ هَذَا ٱلْكَلَامِ ٱلْمَكْتُوبِ عَلَى بَابِلَ، | ٦٠ 60 |
और यरमियाह ने उन सब आफ़तों को जो बाबुल पर आने वाली थीं, एक किताब में क़लमबन्द किया; या'नी इन सब बातों को जो बाबुल के बारे में लिखी गई हैं।
وَقَالَ إِرْمِيَا لِسَرَايَا: «إِذَا دَخَلْتَ إِلَى بَابِلَ وَنَظَرْتَ وَقَرَأْتَ كُلَّ هَذَا ٱلْكَلَامِ، | ٦١ 61 |
और यरमियाह ने सिरायाह से कहा, कि “जब तू बाबुल में पहुँचे, तो' इन सब बातों को पढ़ना,
فَقُلْ: أَنْتَ يَارَبُّ قَدْ تَكَلَّمْتَ عَلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ لِتَقْرِضَهُ حَتَّى لَا يَكُونَ فِيهِ سَاكِنٌ مِنَ ٱلنَّاسِ إِلَى ٱلْبَهَائِمِ، بَلْ يَكُونُ خِرَبًا أَبَدِيَّةً. | ٦٢ 62 |
और कहना, 'ऐ ख़ुदावन्द, तूने इस जगह की बर्बादी के बारे में फ़रमाया है कि मैं इसको बर्बाद करूँगा, ऐसा कि कोई इसमें न बसे, न इंसान न हैवान, लेकिन हमेशा वीरान रहे।
وَيَكُونُ إِذَا فَرَغْتَ مِنْ قِرَاءَةِ هَذَا ٱلسِّفْرِ أَنَّكَ تَرْبُطُ بِهِ حَجَرًا وَتَطْرَحُهُ إِلَى وَسْطِ ٱلْفُرَاتِ | ٦٣ 63 |
और जब तू इस किताब को पढ़ चुके, तो एक पत्थर इससे बाँधना और फ़रात में फेंक देना;
وَتَقُولُ: هَكَذَا تَغْرَقُ بَابِلُ وَلَا تَقُومُ، مِنَ ٱلشَّرِّ ٱلَّذِي أَنَا جَالِبُهُ عَلَيْهَا وَيَعْيَوْنَ». إِلَى هُنَا كَلَامُ إِرْمِيَا. | ٦٤ 64 |
और कहना, 'बाबुल इसी तरह डूब जाएगा, और उस मुसीबत की वजह से जो मैं उस पर डाल दूँगा, फिर न उठेगा और वह मान्दा होंगे।” यरमियाह की बातें यहाँ तक हैं।