< إِرْمِيَا 49 >

عَنْ بَنِي عَمُّونَ: «هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: أَلَيْسَ لِإِسْرَائِيلَ بَنُونَ، أَوْ لَا وَارِثٌ لَهُ؟ لِمَاذَا يَرِثُ مَلِكُهُمْ جَادَ، وَشَعْبُهُ يَسْكُنُ فِي مُدُنِهِ؟ ١ 1
बनी 'अम्मोन के बारे में ख़ुदावन्द का इन्साफ़ फ़रमाता है कि: क्या इस्राईल के बेटे नहीं हैं? क्या उसका कोई वारिस नहीं? फिर मिलकूम ने क्यूँ जद्द पर क़ब्ज़ा कर लिया, और उसके लोग उसके शहरों में क्यूँ बसते हैं?
لِذَلِكَ هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأُسْمِعُ فِي رَبَّةِ بَنِي عَمُّونَ جَلَبَةَ حَرْبٍ، وَتَصِيرُ تَّلًا خَرِبًا، وَتُحْرَقُ بَنَاتُهَا بِٱلنَّارِ، فَيَرِثُ إِسْرَائِيلُ ٱلَّذِينَ وَرِثُوهُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٢ 2
इसलिए देख, वह दिन आते हैं, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि मैं बनी 'अम्मोन के रब्बह में लड़ाई का हुल्लड़ बर्पा करूँगा; और वह खंडर हो जाएगा और उसकी बेटियाँ आग से जलाई जाएँगी; तब इस्राईल उनका जो उसके वारिस बन बैठे थे, वारिस होगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
وَلْوِلِي يَاحَشْبُونُ لِأَنَّ عَايَ قَدْ خَرِبَتْ. اُصْرُخْنَ يَا بَنَاتِ رَبَّةَ. تَنَطَّقْنَ بِمُسُوحٍ. ٱنْدُبْنَ وَطَوِّفْنَ بَيْنَ ٱلْجُدْرَانِ، لِأَنَّ مَلِكَهُمْ يَذْهَبُ إِلَى ٱلسَّبْيِ هُوَ وَكَهَنَتُهُ وَرُؤَسَاؤُهُ مَعًا. ٣ 3
“ऐ हस्बोन, वावैला कर, कि 'ऐ बर्बाद की गई। ऐ रब्बाह की बेटियो, चिल्लाओ, और टाट ओढ़कर मातम करो और इहातों में इधर उधर दौड़ो, क्यूँकि मिलकूम ग़ुलामी में जाएगा और उसके काहिन और हाकिम भी साथ जाएँगे।
مَا بَالُكِ تَفْتَخِرِينَ بِٱلْأَوْطِيَةِ؟ قَدْ فَاضَ وَطَاؤُكِ دَمًا أَيَّتُهَا ٱلْبِنْتُ ٱلْمُرْتَدَّةُ وَٱلْمُتَوَكِّلَةُ عَلَى خَزَائِنِهَا، قَائِلَةً: مَنْ يَأْتِي إِلَيَّ؟ ٤ 4
तू क्यूँ वादियों पर फ़ख़्र करती है? तेरी वादी सेराब है, ऐ बरगश्ता बेटी, तू अपने ख़ज़ानों पर भरोसा करती है, कि 'कौन मुझ तक आ सकता है?'
هَأَنَذَا أَجْلِبُ عَلَيْكِ خَوْفًا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ، مِنْ جَمِيعِ ٱلَّذِينَ حَوَالَيْكِ، وَتُطْرَدُونَ كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى مَا أَمَامَهُ، وَلَيْسَ مَنْ يَجْمَعُ ٱلتَّائِهِينَ. ٥ 5
देख, ख़ुदावन्द, रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है: मैं तेरे सब इर्दगिर्द वालों का ख़ौफ़ तुझ पर ग़ालिब करूँगा; और तुम में से हर एक आगे हाँका जाएगा, और कोई न होगा जो आवारा फिरने वालों को जमा' करे।
ثُمَّ بَعْدَ ذَلِكَ أَرُدُّ سَبْيَ بَنِي عَمُّونَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». ٦ 6
मगर उसके बाद मैं बनी 'अम्मोन को ग़ुलामी से वापस लाऊँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।”
عَنْ أَدُومَ: «هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: أَلَا حِكْمَةَ بَعْدُ فِي تِيْمَانَ؟ هَلْ بَادَتِ ٱلْمَشُورَةُ مِنَ ٱلْفُهَمَاءِ؟ هَلْ فَرَغَتْ حِكْمَتُهُمْ؟ ٧ 7
अदोम के बारे में। रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि: “क्या तेमान में ख़िरद मुतलक़ न रही? क्या तदबीरों की मसलहत जाती रही? क्या उनकी 'अक़्ल उड़ गई?
اُهْرُبُوا. ٱلْتَفِتُوا. تَعَمَّقُوا فِي ٱلسَّكَنِ يَا سُكَّانَ دَدَانَ، لِأَنِّي قَدْ جَلَبْتُ عَلَيْهِ بَلِيَّةَ عِيسُو حِينَ عَاقَبْتُهُ. ٨ 8
ऐ ददान के बाशिन्दों, भागो, लौटो, और नशेबों में जा बसो! क्यूँकि मैं इन्तक़ाम के वक़्त उस पर ऐसौ की जैसी मुसीबत लाऊँगा।
لَوْ أَتَاكَ ٱلْقَاطِفُونَ، أَفَمَا كَانُوا يَتْرُكُونَ عُلَالَةً؟ أَوِ ٱللُّصُوصُ لَيْلًا، أَفَمَا كَانُوا يُهْلِكُونَ مَا يَكْفِيهِمْ؟ ٩ 9
अगर अँगूर तोड़ने वाले तेरे पास आएँ, तो क्या कुछ दाने बाक़ी न छोड़ेंगे? या अगर रात को चोर आएँ, तो क्या वह हस्ब — ए — ख़्वाहिश ही न तोड़ेंगे?
وَلَكِنَّنِي جَرَّدْتُ عِيسُوَ، وَكَشَفْتُ مُسْتَتَرَاتِهِ فَلَا يَسْتَطِيعُ أَنْ يَخْتَبِئَ. هَلَكَ نَسْلُهُ وَإِخْوَتُهُ وَجِيرَانُهُ، فَلَا يُوجَدُ. ١٠ 10
लेकिन मैं ऐसौ को बिल्कुल नंगा करूँगा, उसके पोशीदा मकानों को बे — पर्दा कर दूँगा कि वह छिप न सके; उसकी नसल और उसके भाई और उसके पड़ोसी सब बर्बाद किए जाएँगे, और वह न रहेगा।
اُتْرُكْ أَيْتَامَكَ أَنَا أُحْيِيهِمْ، وَأَرَامِلُكَ عَلَيَّ لِيَتَوَكَّلْنَ. ١١ 11
तू अपने यतीम फ़र्ज़न्दों को छोड़, मैं उनको ज़िन्दा रख्खूंगा; और तेरी बेवाएँ मुझ पर भरोसा करें।”
لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَا إِنَّ ٱلَّذِينَ لَا حَقَّ لَهُمْ أَنْ يَشْرَبُوا ٱلْكَأْسَ قَدْ شَرِبُوا، فَهَلْ أَنْتَ تَتَبَرَّأُ تَبَرُّؤًا؟ لَا تَتَبَرَّأُ! بَلْ إِنَّمَا تَشْرَبُ شُرْبًا. ١٢ 12
क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है: कि “देख, जो सज़ावार न थे कि प्याला पीएँ, उन्होंने ख़ूब पिया; क्या तू बे — सज़ा छूट जाएगा? तू बेसज़ा न छूटेगा, बल्कि यक़ीनन उसमें से पिएगा।
لِأَنِّي بِذَاتِي حَلَفْتُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، إِنَّ بُصْرَةَ تَكُونُ دَهَشًا وَعَارًا وَخَرَابًا وَلَعْنَةً، وَكُلُّ مُدُنِهَا تَكُونُ خِرَبًا أَبَدِيَّةً. ١٣ 13
क्यूँकि मैंने अपनी ज़ात की क़सम खाई है, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि बुसराह जा — ए — हैरत और मलामत और वीरानी और ला'नत होगा; और उसके सब शहर अबद — उल — आबाद वीरान रहेंगे।”
قَدْ سَمِعْتُ خَبَرًا مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ، وَأُرْسِلَ رَسُولٌ إِلَى ٱلْأُمَمِ قَائِلًا: تَجَمَّعُوا وَتَعَالَوْا عَلَيْهَا، وَقُومُوا لِلْحَرْبِ. ١٤ 14
मैंने ख़ुदावन्द से एक ख़बर सुनी है, बल्कि एक क़ासिद यह कहने को क़ौमों के बीच भेजा गया है: जमा' हो और उस पर जा पड़ो, और लड़ाई कि लिए उठो।
لِأَنِّي هَا قَدْ جَعَلْتُكَ صَغِيرًا بَيْنَ ٱلشُّعُوبِ، وَمُحْتَقَرًا بَيْنَ ٱلنَّاسِ. ١٥ 15
क्यूँकि देख, मैंने तुझे क़ौमों के बीच हक़ीर, और आदमियों के बीच ज़लील किया।
قَدْ غَرَّكَ تَخْوِيفُكَ، كِبْرِيَاءُ قَلْبِكَ، يَاسَاكِنُ فِي مَحَاجِئِ ٱلصَّخْرِ، ٱلْمَاسِكَ مُرْتَفَعِ ٱلْأَكَمَةِ. وَإِنْ رَفَعْتَ كَنَسْرٍ عُشَّكَ، فَمِنْ هُنَاكَ أُحْدِرُكَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١٦ 16
तेरी हैबत और तेरे दिल के ग़ुरूर ने तुझे फ़रेब दिया है। ऐ तू जो चट्टानों के शिगाफ़ों में रहती है, और पहाड़ों की चोटियों पर क़ाबिज़ है; अगरचे तू 'उक़ाब की तरह अपना आशियाना बुलन्दी पर बनाए, तो भी मैं वहाँ से तुझे नीचे उतारूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
وَتَصِيرُ أَدُومُ عَجَبًا. كُلُّ مَارٍّ بِهَا يَتَعَجَّبُ وَيَصْفِرُ بِسَبَبِ كُلِّ ضَرَبَاتِهَا! ١٧ 17
“अदोम भी जा — ए — हैरत होगा, हर एक जो उधर से गुज़रेगा हैरान होगा, और उसकी सब आफ़तों की वजह से सुस्कारेगा।
كَٱنْقِلَابِ سَدُومَ وَعَمُورَةَ وَمُجَاوَرَاتِهِمَا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، لَا يَسْكُنُ هُنَاكَ إِنْسَانٌ وَلَا يَتَغَرَّبُ فِيهَا ٱبْنُ آدَمَ. ١٨ 18
जिस तरह सदूम और 'अमूरा और उनके आस पास के शहर ग़ारत हो गए, उसी तरह उसमें भी न कोई आदमी बसेगा, न आदमज़ाद वहाँ सुकूनत करेगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
هُوَذَا يَصْعَدُ كَأَسَدٍ مِنْ كِبْرِيَاءِ ٱلْأُرْدُنِّ إِلَى مَرْعًى دَائِمٍ. لِأَنِّي أَغْمِزُ وَأَجْعَلُهُ يَرْكُضُ عَنْهُ. فَمَنْ هُوَ مُنْتَخَبٌ، فَأُقِيمَهُ عَلَيْهِ؟ لِأَنَّهُ مَنْ مِثْلِي؟ وَمَنْ يُحَاكِمُنِي؟ وَمَنْ هُوَ ٱلرَّاعِي ٱلَّذِي يَقِفُ أَمَامِي؟ ١٩ 19
देख, वह शेर — ए — बबर की तरह यरदन के जंगल से निकलकर मज़बूत बस्ती पर चढ़ आएगा; लेकिन मैं अचानक उसको वहाँ से भगा दूँगा, और अपने बरगुज़ीदा को उस पर मुक़र्रर करूँगा; क्यूँकि मुझ सा कौन है? कौन है जो मेरे लिए वक़्त मुक़र्रर करे? और वह चरवाहा कौन है जो मेरे सामने खड़ा हो सके?
لِذَلِكَ ٱسْمَعُوا مَشُورَةَ ٱلرَّبِّ ٱلَّتِي قَضَى بِهَا عَلَى أَدُومَ، وَأَفْكَارَهُ ٱلَّتِي ٱفْتَكَرَ بِهَا عَلَى سُكَّانِ تِيمَانَ: إِنَّ صِغَارَ ٱلْغَنَمِ تَسْحَبُهُمْ. إِنَّهُ يَخْرِبُ مَسْكَنَهُمْ عَلَيْهِمْ. ٢٠ 20
तब ख़ुदावन्द की मसलहत को, जो उसने अदोम के ख़िलाफ़ ठहराई है और उसके इरादे को जो उसने तेमान के बाशिन्दों के ख़िलाफ़ किया है, सुनो, उनके गल्ले के सबसे छोटों को भी घसीट ले जाएँगे, यक़ीनन उनका घर भी उनके साथ बर्बाद होगा।
مِنْ صَوْتِ سُقُوطِهِمْ رَجَفَتِ ٱلْأَرْضُ. صَرْخَةٌ سُمِعَ صَوْتُهَا فِي بَحْرِ سُوفَ. ٢١ 21
उनके गिरने की आवाज़ से ज़मीन काँप जाएगी, उनके चिल्लाने का शोर बहर — ए — कु़लजु़म तक सुनाई देगा।
هُوَذَا كَنَسْرٍ يَرْتَفِعُ وَيَطِيرُ وَيَبْسُطُ جَنَاحَيْهِ عَلَى بُصْرَةَ، وَيَكُونُ قَلْبُ جَبَابِرَةِ أَدُومَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ كَقَلْبِ ٱمْرَأَةٍ مَاخِضٍ». ٢٢ 22
देख, वह चढ़ आएगा और 'उक़ाब की तरह उड़ेगा, और बुसराह के ख़िलाफ़ बाज़ू फैलाएगा; और उस दिन अदोम के बहादुरों का दिल ज़च्चा के दिल की तरह होगा।”
عَنْ دِمَشْقَ: «خَزِيَتْ حَمَاةُ وَأَرْفَادُ. قَدْ ذَابُوا لِأَنَّهُمْ قَدْ سَمِعُوا خَبَرًا رَدِيئًا. فِي ٱلْبَحْرِ ٱضْطِرَابٌ لَا يَسْتَطِيعُ ٱلْهُدُوءَ. ٢٣ 23
दमिश्क़ के बारे में: “हमात और अरफ़ाद शर्मिन्दा हैं क्यूँकि उन्होंने बुरी ख़बर सुनी, वह पिघल गए समन्दर ने जुम्बिश खाई, वह ठहर नहीं सकता।
ٱرْتَخَتْ دِمَشْقُ وَٱلْتَفَتَتْ لِلْهَرَبِ. أَمْسَكَتْهَا ٱلرِّعْدَةُ، وَأَخَذَهَا ٱلضِّيقُ وَٱلْأَوْجَاعُ كَمَاخِضٍ. ٢٤ 24
दमिश्क़ का ज़ोर टूट गया, उसने भागने के लिए मुँह फेरा, और थरथराहट ने उसे आ लिया; ज़च्चा के से रंज — ओ — दर्द ने उसे आ पकड़ा।
كَيْفَ لَمْ تُتْرَكِ ٱلْمَدِينَةُ ٱلشَّهِيرَةُ، قَرْيَةُ فَرَحِي؟ ٢٥ 25
यह क्यूँकर हुआ कि वह नामवर शहर, मेरा शादमान शहर, नहीं बचा?
لِذَلِكَ تَسْقُطُ شُبَّانُهَا فِي شَوَارِعِهَا، وَتَهْلِكُ كُلُّ رِجَالِ ٱلْحَرْبِ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، يَقُولُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ. ٢٦ 26
इसलिए उसके जवान उसके बाज़ारों में गिर जाएँगे, और सब जंगी मर्द उस दिन काट डाले जाएँगे, रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है।
وَأُشْعِلُ نَارًا فِي سُورِ دِمَشْقَ فَتَأْكُلُ قُصُورَ بَنْهَدَدَ». ٢٧ 27
और मैं दमिश्क़ की शहरपनाह में आग भड़काऊँगा, जो बिन — हदद के महलों को भसम कर देगी।”
عَنْ قِيدَارَ وَعَنْ مَمَالِكِ حَاصُورَ ٱلَّتِي ضَرَبَهَا نَبُوخَذْرَاصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ: «هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: قُومُوا ٱصْعَدُوا إِلَى قِيدَارَ. ٱخْرِبُوا بَنِي ٱلْمَشْرِقِ. ٢٨ 28
क़ीदार के बारे में और हसूर की सल्तनतों के बारे में जिनको शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र ने शिकस्त दी। ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है: “उठो, क़ीदार पर चढ़ाई करो, और अहल — ए — मशरिक़ को हलाक करो।
يَأْخُذُونَ خِيَامَهُمْ وَغَنَمَهُمْ، وَيَأْخُذُونَ لِأَنْفُسِهِمْ شُقَقَهُمْ وَكُلَّ آنِيَتِهِمْ وَجِمَالَهُمْ، وَيُنَادُونَ إِلَيْهِمِ: ٱلْخَوْفَ مِنْ كُلِّ جَانِبٍ. ٢٩ 29
वह उनके ख़ेमों और गल्लों को ले लेंगे; उनके पर्दों और बर्तनों और ऊँटो को छीन ले जाएँगे; और वह चिल्ला कर उनसे कहेंगे कि चारों तरफ़ ख़ौफ़ है!”
«اُهْرُبُوا. ٱنْهَزِمُوا جِدًّا. تَعَمَّقُوا فِي ٱلسَّكَنِ يَاسُكَّانَ حَاصُورَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، لِأَنَّ نَبُوخَذْرَاصَّرَ مَلِكَ بَابِلَ قَدْ أَشَارَ عَلَيْكُمْ مَشُورَةً، وَفَكَّرَ عَلَيْكُمْ فِكْرًا. ٣٠ 30
भागो, दूर निकल जाओ, नशेब में बसो, ऐ हसूर के बाशिन्दो, ख़ुदावन्द फ़रमाता है; क्यूँकि शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र ने तुम्हारी मुखालिफ़त में मश्वरत की और तुम्हारे ख़िलाफ़ इरादा किया है।
قُومُوا ٱصْعَدُوا إِلَى أُمَّةٍ مُطْمَئِنَّةٍ سَاكِنَةٍ آمِنَةٍ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، لَا مَصَارِيعَ وَلَا عَوَارِضَ لَهَا. تَسْكُنُ وَحْدَهَا. ٣١ 31
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, उठो, उस आसूदा क़ौम पर, जो बे — फ़िक्र रहती है, जिसके न किवाड़े हैं न अड़बंगे और अकेली है चढ़ाई करो
وَتَكُونُ جِمَالُهُمْ نَهْبًا، وَكَثْرَةُ مَاشِيَتِهِمْ غَنِيمَةً، وَأُذْرِي لِكُلِّ رِيحٍ مَقْصُوصِي ٱلشَّعْرِ مُسْتَدِيرًا، وَآتِي بِهَلَاكِهِمْ مِنْ كُلِّ جِهَاتِهِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٣٢ 32
उनके ऊँट ग़नीमत के लिए होंगे, और उनके चौपायों की कसरत लूट के लिए; और मैं उन लोगों को जो गाओदुम दाढ़ी रखते हैं, हर तरफ़ हवा में तितर — बितर करूँगा; और मैं उन पर हर तरफ़ से आफ़त लाऊँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
وَتَكُونُ حَاصُورُ مَسْكَنَ بَنَاتِ آوَى، وَخَرِبَةً إِلَى ٱلْأَبَدِ. لَا يَسْكُنُ هُنَاكَ إِنْسَانٌ، وَلَا يَتَغَرَّبُ فِيهَا ٱبْنُ آدَمَ». ٣٣ 33
हसूर गीदड़ों का मक़ाम, हमेशा का वीराना होगा; न कोई आदमी वहाँ बसेगा, और न कोई आदमज़ाद उसमें सुकूनत करेगा।
كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ ٱلَّتِي صَارَتْ إِلَى إِرْمِيَا ٱلنَّبِيِّ عَلَى عِيلَامَ، فِي ٱبْتِدَاءِ مُلْكِ صِدْقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا قَائِلَةً: ٣٤ 34
ख़ुदावन्द का कलाम जो शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह की सल्तनत के शुरू' में 'ऐलाम के बारे में यरमियाह नबी पर नाज़िल हुआ।
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: هَأَنَذَا أُحَطِّمُ قَوْسَ عِيلَامَ أَوَّلَ قُوَّتِهِمْ. ٣٥ 35
कि रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि: देख मैं एलाम की कमान उनकी बड़ी तवानाई को तोड़ डालूँगा।
وَأَجْلِبُ عَلَى عِيلَامَ أَرْبَعَ رِيَاحٍ مِنْ أَرْبَعَةِ أَطْرَافِ ٱلسَّمَاءِ، وَأُذْرِيهِمْ لِكُلِّ هَذِهِ ٱلرِّيَاحِ وَلَا تَكُونُ أُمَّةٌ إِلَّا وَيَأْتِي إِلَيْهَا مَنْفِيُّو عِيلَامَ. ٣٦ 36
और चारों हवाओं को आसमान के चारों कोनों से ऐलाम पर लाऊँगा, और उन चारों हवाओं की तरफ़ उनको तितर — बितर करूँगा; और कोई ऐसी क़ौम न होगी, जिस तक ऐलाम के जिलावतन न पहुँचेंगे।
وَأَجْعَلُ ٱلْعِيلَامِيِّينَ يَرْتَعِبُونَ أَمَامَ أَعْدَائِهِمْ وَأَمَامَ طَالِبِي نُفُوسِهِمْ، وَأَجْلِبُ عَلَيْهِمْ شَرًّا، حُمُوَّ غَضَبِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. وَأُرْسِلُ وَرَاءَهُمُ ٱلسَّيْفَ حَتَّى أُفْنِيَهُمْ. ٣٧ 37
क्यूँकि मैं ऐलाम को उनके मुख़ालिफ़ों और जानी दुश्मनों के आगे हिरासाँ करूँगा; और उन पर एक बला या'नी क़हर — ए — शदीद को नाज़िल करूँगा। ख़ुदावन्द फ़रमाता है, और तलवार को उनके पीछे लगा दूँगा, यहाँ तक कि उनको नाबूद कर डालूँगा;
وَأَضَعُ كُرْسِيِّي فِي عِيلَامَ، وَأُبِيدُ مِنْ هُنَاكَ ٱلْمَلِكَ وَٱلرُّؤَسَاءَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٣٨ 38
और मैं अपना तख़्त 'ऐलाम में रखूंगा, और वहाँ से बादशाह और हाकिम को नाबूद करूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
«وَيَكُونُ فِي آخِرِ ٱلْأَيَّامِ أَنِّي أَرُدُّ سَبْيَ عِيلَامَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». ٣٩ 39
“लेकिन आख़िरी दिनों में यूँ होगा, कि मैं ऐलाम को ग़ुलामी से वापस लाऊँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।”

< إِرْمِيَا 49 >