< إِرْمِيَا 40 >

اَلْكَلِمَةُ ٱلَّتِي صَارَتْ إِلَى إِرْمِيَا مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ، بَعْدَ مَا أَرْسَلَهُ نَبُوزَرَادَانُ رَئِيسُ ٱلشُّرَطِ مِنَ ٱلرَّامَةِ، إِذْ أَخَذَهُ وَهُوَ مُقَيَّدٌ بِٱلسَّلَاسِلِ فِي وَسْطِ كُلِّ سَبْيِ أُورُشَلِيمَ وَيَهُوذَا ٱلَّذِينَ سُبُوا إِلَى بَابِلَ. ١ 1
वह कलाम जो ख़ुदावन्द की तरफ़ से यरमियाह पर नाज़िल हुआ, इसके बाद के जिलौदारों के सरदार नबूज़रादान ने उसको रामा से रवाना कर दिया, जब उसने उसे हथकड़ियों से जकड़ा हुआ उन सब ग़ुलामों के बीच पाया जो येरूशलेम और यहूदाह के थे, जिनको ग़ुलाम करके बाबुल को ले जा रहे थे
فَأَخَذَ رَئِيسُ ٱلشُّرَطِ إِرْمِيَا وَقَالَ لَهُ: «إِنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ قَدْ تَكَلَّمَ بِهَذَا ٱلشَّرِّ عَلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ. ٢ 2
और जिलौदारों के सरदार ने यरमियाह को लेकर उससे कहा, कि “ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने इस बला की, जो इस जगह पर आई ख़बर दी थी।
فَجَلَبَ ٱلرَّبُّ وَفَعَلَ كَمَا تَكَلَّمَ، لِأَنَّكُمْ قَدْ أَخْطَأْتُمْ إِلَى ٱلرَّبِّ وَلَمْ تَسْمَعُوا لِصَوْتِهِ، فَحَدَثَ لَكُمْ هَذَا ٱلْأَمْرُ. ٣ 3
इसलिए ख़ुदावन्द ने उसे नाज़िल किया, और उसने अपने क़ौल के मुताबिक़ किया; क्यूँकि तुम लोगों ने ख़ुदावन्द का गुनाह किया और उसकी नहीं सुनी, इसलिए तुम्हारा ये हाल हुआ।
فَٱلْآنَ هَأَنَذَا أَحُلُّكَ ٱلْيَوْمَ مِنَ ٱلْقُيُودِ ٱلَّتِي عَلَى يَدِكَ. فَإِنْ حَسُنَ فِي عَيْنَيْكَ أَنْ تَأْتِيَ مَعِي إِلَى بَابِلَ فَتَعَالَ، فَأَجْعَلُ عَيْنَيَّ عَلَيْكَ. وَإِنْ قَبُحَ فِي عَيْنَيْكَ أَنْ تَأْتِيَ مَعِي إِلَى بَابِلَ فَٱمْتَنِعْ. اُنْظُرْ. كُلُّ ٱلْأَرْضِ هِيَ أَمَامَكَ، فَحَيْثُمَا حَسُنَ وَكَانَ مُسْتَقِيمًا فِي عَيْنَيْكَ أَنْ تَنْطَلِقَ فَٱنْطَلِقْ إِلَى هُنَاكَ». ٤ 4
और देख, आज मैं तुझे इन हथकड़ियों से जो तेरे हाथों में हैं रिहाई देता हूँ। अगर मेरे साथ बाबुल चलना तेरी नज़र में बेहतर हो, तो चल, और मैं तुझ पर ख़ूब निगाह रखूँगा; और अगर मेरे साथ बाबुल चलना तेरी नज़र में बुरा लगे, तो यहीं रह; तमाम मुल्क तेरे सामने है जहाँ तेरा जी चाहे और तू मुनासिब जाने वहीं चला जा।”
وَإِذْ كَانَ لَمْ يَرْجِعْ بَعْدُ، قَالَ: «ٱرْجِعْ إِلَى جَدَلْيَا بْنِ أَخِيقَامَ بْنِ شَافَانَ ٱلَّذِي أَقَامَهُ مَلِكُ بَابِلَ عَلَى مُدُنِ يَهُوذَا، وَأَقِمْ عِنْدَهُ فِي وَسْطِ ٱلشَّعْبِ، وَٱنْطَلِقْ إِلَى حَيْثُ كَانَ مُسْتَقِيمًا فِي عَيْنَيْكَ أَنْ تَنْطَلِقَ». وَأَعْطَاهُ رَئِيسُ ٱلشُّرَطِ زَادًا وَهَدِيَّةً وَأَطْلَقَهُ. ٥ 5
वह वहीं था कि उसने फिर कहा, तू जिदलियाह बिन अख़ीक़ाम बिन साफ़न के पास जिसे शाह — ए — बाबुल ने यहूदाह के शहरों का हाकिम किया है, चला जा और लोगों के बीच उसके साथ रह; वर्ना जहाँ तेरी नज़र में बेहतर हो वहीं चला जा। और जिलौदारों के सरदार ने उसे ख़ुराक और इन'आम देकर रुख़्सत किया।
فَجَاءَ إِرْمِيَا إِلَى جَدَلْيَا بْنِ أَخِيقَامَ إِلَى ٱلْمِصْفَاةِ وَأَقَامَ عِنْدَهُ فِي وَسْطِ ٱلشَّعْبِ ٱلْبَاقِينَ فِي ٱلْأَرْضِ. ٦ 6
तब यरमियाह जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम के पास मिस्फ़ाह में गया, और उसके साथ उन लोगों के बीच, जो उस मुल्क में बाक़ी रह गए थे रहने लगा।
فَلَمَّا سَمِعَ كُلُّ رُؤَسَاءِ ٱلْجُيُوشِ ٱلَّذِينَ فِي ٱلْحَقْلِ هُمْ وَرِجَالُهُمْ أَنَّ مَلِكَ بَابِلَ قَدْ أَقَامَ جَدَلْيَا بْنَ أَخِيقَامَ عَلَى ٱلْأَرْضِ، وَأَنَّهُ وَكَّلَهُ عَلَى ٱلرِّجَالِ وَٱلنِّسَاءِ وَٱلْأَطْفَالِ وَعَلَى فُقَرَاءِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّذِينَ لَمْ يُسْبَوْا إِلَى بَابِلَ، ٧ 7
जब लश्करों के सब सरदारों ने और उनके आदमियों ने जो मैदान में रह गए थे, सुना के शाह — ए — बाबुल ने जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम को मुल्क का हाकिम मुक़र्रर किया है; और मर्दों और 'औरतों और बच्चों को, और ममलुकत के ग़रीबों को जो ग़ुलाम होकर बाबुल को न गए थे, उसके सुपुर्द किया है;
أَتَى إِلَى جَدَلْيَا إِلَى ٱلْمِصْفَاةِ: إِسْمَاعِيلُ بْنُ نَثَنْيَا، وَيُوحَانَانُ وَيُونَاثَانُ ٱبْنَا قَارِيحَ، وَسَرَايَا بْنُ تَنْحُومَثَ، وَبَنُو عِيفَايَ ٱلنَّطُوفَاتِيُّ، وَيَزَنْيَا ٱبْنُ ٱلْمَعْكِيِّ، هُمْ وَرِجَالُهُمْ. ٨ 8
तो इस्माईल — बिन — नतनियाह और यूहनान और यूनतन बनी क़रिह और सिरायाह — बिन — तनहुमत और बनी 'ईफ़ी नतुफ़ाती और यज़नियाह — बिन — मा'काती अपने आदमियों के साथ जिदलियाह के पास मिस्फ़ाह में आए।
فَحَلَفَ لَهُمْ جَدَلْيَا بْنُ أَخِيقَامَ بْنِ شَافَانَ وَلِرِجَالِهِمْ قَائِلًا: «لَا تَخَافُوا مِنْ أَنْ تَخْدِمُوا ٱلْكَلْدَانِيِّينَ. اُسْكُنُوا فِي ٱلْأَرْضِ، وَٱخْدِمُوا مَلِكَ بَابِلَ فَيُحْسَنَ إِلَيْكُمْ. ٩ 9
और जिद्लियाह — बिन — अख़ीक़ाम — बिन — साफ़न ने उन से और उन के आदमियों से क़सम खाकर कहा, तुम कसदियों की ख़िदमत गुज़ारी से न डरो। अपने मुल्क में बसो, और शाह — ए — बाबुल की ख़िदमत करो तो तुम्हारा भला होगा।
أَمَّا أَنَا فَهَأَنَذَا سَاكِنٌ فِي ٱلْمِصْفَاةِ لِأَقِفَ أَمَامَ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ ٱلَّذِينَ يَأْتُونَ إِلَيْنَا. أَمَّا أَنْتُمْ فَٱجْمَعُوا خَمْرًا وَتِينًا وَزَيْتًا وَضَعُوا فِي أَوْعِيَتِكُمْ، وَٱسْكُنُوا فِي مُدُنِكُمُ ٱلَّتِي أَخَذْتُمُوهَا». ١٠ 10
देखो, मैं तो इसलिए मिस्फ़ाह में रहता हूँ कि जो कसदी हमारे पास आएँ, उनकी ख़िदमत में हाज़िर रहूँ पर तुम मय और ताबिस्तानी मेवे, और तेल जमा' करके अपने बर्तनों में रख्खो, और अपने शहरो में जिन पर तुम ने क़ब्ज़ा किया है बसो।
وَكَذَلِكَ كُلُّ ٱلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ فِي مُوآبَ، وَبَيْنَ بَنِي عَمُّونَ، وَفِي أَدُومَ، وَٱلَّذِينَ فِي كُلِّ ٱلْأَرَاضِي، سَمِعُوا أَنَّ مَلِكَ بَابِلَ قَدْ جَعَلَ بَقِيَّةً لِيَهُوذَا، وَقَدْ أَقَامَ عَلَيْهِمْ جَدَلْيَا بْنَ أَخِيقَامَ بْنِ شَافَانَ، ١١ 11
और इसी तरह जब उन सब यहूदियों ने जो मोआब और बनी 'अम्मोन और अदोम' और तमाम मुमालिक में थे, सुना कि शाह — ए — बाबुल ने यहूदाह के चन्द लोगों को रहने दिया है, और जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम — बिन — साफ़न को उन पर हाकिम मुक़र्रर किया है;
فَرَجَعَ كُلُّ ٱلْيَهُودِ مِنْ كُلِّ ٱلْمَوَاضِعِ ٱلَّتِي طُوِّحُوا إِلَيْهَا وَأَتَوْا إِلَى أَرْضِ يَهُوذَا، إِلَى جَدَلْيَا، إِلَى ٱلْمِصْفَاةِ، وَجَمَعُوا خَمْرًا وَتِينًا كَثِيرًا جِدًّا. ١٢ 12
तो सब यहूदी हर जगह से, जहाँ वह तितर — बितर किए गए थे, लौटे और यहूदाह के मुल्क में मिस्फ़ाह में जिदलियाह के पास आए, और मय और ताबिस्तानी मेवे कसरत से जमा' किए।
ثُمَّ إِنَّ يُوحَانَانَ بْنَ قَارِيحَ وَكُلَّ رُؤَسَاءِ ٱلْجُيُوشِ ٱلَّذِينَ فِي ٱلْحَقْلِ أَتَوْا إِلَى جَدَلْيَا إِلَى ٱلْمِصْفَاةِ، ١٣ 13
और यूहनान — बिन — क़रीह और लश्करों के सब सरदार जो मैदानों में थे, मिस्फ़ाह में जिदलियाह के पास आए
وَقَالُوا لَهُ: «أَتَعْلَمُ عِلْمًا أَنَّ بَعْلِيسَ مَلِكَ بَنِي عَمُّونَ قَدْ أَرْسَلَ إِسْمَاعِيلَ بْنَ نَثَنْيَا لِيَقْتُلَكَ؟» فَلَمْ يُصَدِّقْهُمْ جَدَلْيَا بْنُ أَخِيقَامَ. ١٤ 14
और उससे कहने लगे, क्या तू जानता है कि बनी 'अम्मोन के बादशाह बा'लीस ने इस्माईल — बिन — नतनियाह को इसलिए भेजा है कि तुझे क़त्ल करे? लेकिन जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम ने उनका यक़ीन न किया।
فَكَلَّمَ يُوحَانَانُ بْنُ قَارِيحَ جَدَلْيَا سِرًّا فِي ٱلْمِصْفَاةِ قَائِلًا: «دَعْنِي أَنْطَلِقْ وَأَضْرِبْ إِسْمَاعِيلَ بْنَ نَثَنْيَا وَلَا يَعْلَمُ إِنْسَانٌ. لِمَاذَا يَقْتُلُكَ فَيَتَبَدَّدَ كُلُّ يَهُوذَا ٱلْمُجْتَمِعُ إِلَيْكَ، وَتَهْلِكَ بَقِيَّةُ يَهُوذَا؟». ١٥ 15
और यूहनान — बिन — क़रीह ने मिस्फ़ाह में जिदलियाह से तन्हाई में कहा, इजाज़त हो तो मैं इस्माईल — बिन — नतनियाह को क़त्ल करूँ, और इसको कोई न जानेगा; वह क्यूँ तुझे क़त्ल करे, और सब यहूदी जो तेरे पास जमा' हुए हैं, तितर — बितर किए जाएँ, और यहूदाह के बाक़ी मान्दा लोग हलाक हों?
فَقَالَ جَدَلْيَا بْنُ أَخِيقَامَ لِيُوحَانَانَ بْنِ قَارِيحَ: «لَا تَفْعَلْ هَذَا ٱلْأَمْرَ، لِأَنَّكَ إِنَّمَا تَتَكَلَّمُ بِٱلْكَذِبِ عَنْ إِسْمَاعِيلَ». ١٦ 16
लेकिन जिदलियाह — बिन — अख़ीक़ाम ने यूहनान — बिन — क़रीह से कहा, तू ऐसा काम हरगिज़ न करना, क्यूँकि तू इस्माईल के बारे में झूट कहता है।

< إِرْمِيَا 40 >