< إِرْمِيَا 36 >

وَكَانَ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلرَّابِعَةِ لِيَهُويَاقِيمَ بْنِ يُوشِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، أَنَّ هَذِهِ ٱلْكَلِمَةَ صَارَتْ إِلَى إِرْمِيَا مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ قَائِلَةً: ١ 1
फिर योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा
«خُذْ لِنَفْسِكَ دَرْجَ سِفْرٍ، وَٱكْتُبْ فِيهِ كُلَّ ٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي كَلَّمْتُكَ بِهِ عَلَى إِسْرَائِيلَ وَعَلَى يَهُوذَا وَعَلَى كُلِّ ٱلشُّعُوبِ، مِنَ ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي كَلَّمْتُكَ فِيهِ، مِنْ أَيَّامِ يُوشِيَّا إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٢ 2
“एक पुस्तक लेकर जितने वचन मैंने तुझ से योशिय्याह के दिनों से लेकर अर्थात् जब मैं तुझ से बातें करने लगा उस समय से आज के दिन तक इस्राएल और यहूदा और सब जातियों के विषय में कहे हैं, सब को उसमें लिख।
لَعَلَّ بَيْتَ يَهُوذَا يَسْمَعُونَ كُلَّ ٱلشَّرِّ ٱلَّذِي أَنَا مُفَكِّرٌ أَنْ أَصْنَعَهُ بِهِمْ، فَيَرْجِعُوا كُلُّ وَاحِدٍ عَنْ طَرِيقِهِ ٱلرَّدِيءِ، فَأَغْفِرَ ذَنْبَهُمْ وَخَطِيَّتَهُمْ». ٣ 3
क्या जाने यहूदा का घराना उस सारी विपत्ति का समाचार सुनकर जो मैं उन पर डालने की कल्पना कर रहा हूँ अपनी बुरी चाल से फिरे और मैं उनके अधर्म और पाप को क्षमा करूँ।”
فَدَعَا إِرْمِيَا بَارُوخَ بْنَ نِيرِيَّا، فَكَتَبَ بَارُوخُ عَنْ فَمِ إِرْمِيَا كُلَّ كَلَامِ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي كَلَّمَهُ بِهِ فِي دَرْجِ ٱلسِّفْرِ. ٤ 4
अतः यिर्मयाह ने नेरिय्याह के पुत्र बारूक को बुलाया, और बारूक ने यहोवा के सब वचन जो उसने यिर्मयाह से कहे थे, उसके मुख से सुनकर पुस्तक में लिख दिए।
وَأَوْصَى إِرْمِيَا بَارُوخَ قَائِلًا: «أَنَا مَحْبُوسٌ لَا أَقْدِرُ أَنْ أَدْخُلَ بَيْتَ ٱلرَّبِّ. ٥ 5
फिर यिर्मयाह ने बारूक को आज्ञा दी और कहा, “मैं तो बन्धा हुआ हूँ, मैं यहोवा के भवन में नहीं जा सकता।
فَٱدْخُلْ أَنْتَ وَٱقْرَأْ فِي ٱلدَّرْجِ ٱلَّذِي كَتَبْتَ عَنْ فَمِي كُلَّ كَلَامِ ٱلرَّبِّ فِي آذَانِ ٱلشَّعْبِ، فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ فِي يَوْمِ ٱلصَّوْمِ، وَٱقْرَأْهُ أَيْضًا فِي آذَانِ كُلِّ يَهُوذَا ٱلْقَادِمِينَ مِنْ مُدُنِهِمْ. ٦ 6
इसलिए तू उपवास के दिन यहोवा के भवन में जाकर उसके जो वचन तूने मुझसे सुनकर लिखे हैं, पुस्तक में से लोगों को पढ़कर सुनाना, और जितने यहूदी लोग अपने-अपने नगरों से आएँगे, उनको भी पढ़कर सुनाना।
لَعَلَّ تَضَرُّعَهُمْ يَقَعُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ، فَيَرْجِعُوا كُلُّ وَاحِدٍ عَنْ طَرِيقِهِ ٱلرَّدِيءِ، لِأَنَّهُ عَظِيمٌ ٱلْغَضَبُ وَٱلْغَيْظُ ٱللَّذَانِ تَكَلَّمَ بِهِمَا ٱلرَّبُّ عَلَى هَذَا ٱلشَّعْبِ». ٧ 7
क्या जाने वे यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करें और अपनी-अपनी बुरी चाल से फिरें; क्योंकि जो क्रोध और जलजलाहट यहोवा ने अपनी इस प्रजा पर भड़काने को कहा है, वह बड़ी है।”
فَفَعَلَ بَارُوخُ بْنُ نِيرِيَّا حَسَبَ كُلِّ مَا أَوْصَاهُ بِهِ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ، بِقِرَاءَتِهِ فِي ٱلسِّفْرِ كَلَامَ ٱلرَّبِّ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ. ٨ 8
यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता की इस आज्ञा के अनुसार नेरिय्याह के पुत्र बारूक ने, यहोवा के भवन में उस पुस्तक में से उसके वचन पढ़कर सुनाए।
وَكَانَ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلْخَامِسَةِ لِيَهُويَاقِيمَ بْنِ يُوشِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، فِي ٱلشَّهْرِ ٱلتَّاسِعِ، أَنَّهُمْ نَادَوْا لِصَوْمٍ أَمَامَ ٱلرَّبِّ، كُلَّ ٱلشَّعْبِ فِي أُورُشَلِيمَ، وَكُلَّ ٱلشَّعْبِ ٱلْقَادِمِينَ مِنْ مُدُنِ يَهُوذَا إِلَى أُورُشَلِيمَ. ٩ 9
योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के पाँचवें वर्ष के नौवें महीने में यरूशलेम में जितने लोग थे, और यहूदा के नगरों से जितने लोग यरूशलेम में आए थे, उन्होंने यहोवा के सामने उपवास करने का प्रचार किया।
فَقَرَأَ بَارُوخُ فِي ٱلسِّفْرِ كَلَامَ إِرْمِيَا فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ فِي مِخْدَعِ جَمَرْيَا بْنِ شَافَانَ ٱلْكَاتِبِ، فِي ٱلدَّارِ ٱلْعُلْيَا، فِي مَدْخَلِ بَابِ بَيْتِ ٱلرَّبِّ ٱلْجَدِيدِ، فِي آذَانِ كُلِّ ٱلشَّعْبِ. ١٠ 10
१०तब बारूक ने यहोवा के भवन में सब लोगों को शापान के पुत्र गमर्याह जो प्रधान था, उसकी कोठरी में जो ऊपर के आँगन में यहोवा के भवन के नये फाटक के पास थी, यिर्मयाह के सब वचन पुस्तक में से पढ़ सुनाए।
فَلَمَّا سَمِعَ مِيخَايَا بْنُ جَمَرْيَا بْنِ شَافَانَ كُلَّ كَلَامِ ٱلرَّبِّ مِنَ ٱلسِّفْرِ، ١١ 11
११तब शापान के पुत्र गमर्याह के बेटे मीकायाह ने यहोवा के सारे वचन पुस्तक में से सुने।
نَزَلَ إِلَى بَيْتِ ٱلْمَلِكِ، إِلَى مِخْدَعِ ٱلْكَاتِبِ، وَإِذَا كُلُّ ٱلرُّؤَسَاءِ جُلُوسٌ هُنَاكَ: أَلِيشَامَاعُ ٱلْكَاتِبُ، وَدَلَايَا بْنُ شِمْعِيَا، وَأَلْنَاثَانُ بْنُ عَكْبُورَ، وَجَمَرْيَا بْنُ شَافَانَ، وَصِدْقِيَّا بْنُ حَنَنِيَّا، وَكُلُّ ٱلرُّؤَسَاءِ. ١٢ 12
१२और वह राजभवन के प्रधान की कोठरी में उतर गया, और क्या देखा कि वहाँ एलीशामा प्रधान और शमायाह का पुत्र दलायाह और अकबोर का पुत्र एलनातान और शापान का पुत्र गमर्याह और हनन्याह का पुत्र सिदकिय्याह और सब हाकिम बैठे हुए हैं।
فَأَخْبَرَهُمْ مِيخَايَا بِكُلِّ ٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي سَمِعَهُ عِنْدَمَا قَرَأَ بَارُوخُ ٱلسِّفْرَ فِي آذَانِ ٱلشَّعْبِ. ١٣ 13
१३मीकायाह ने जितने वचन उस समय सुने, जब बारूक ने पुस्तक में से लोगों को पढ़ सुनाए थे, उन सब का वर्णन किया।
فَأَرْسَلَ كُلُّ ٱلرُّؤَسَاءِ إِلَى بَارُوخَ يَهُودِيَ بْنَ نَثَنْيَا بْنِ شَلَمْيَا بْنِ كُوشِي قَائِلِينَ: «ٱلدَّرْجُ ٱلَّذِي قَرَأْتَ فِيهِ فِي آذَانِ ٱلشَّعْبِ، خُذْهُ بِيَدِكَ وَتَعَالَ». فَأَخَذَ بَارُوخُ بْنُ نِيرِيَّا ٱلدَّرْجَ بِيَدِهِ وَأَتَى إِلَيْهِمْ. ١٤ 14
१४उन्हें सुनकर सब हाकिमों ने यहूदी को जो नतन्याह का पुत्र ओर शेलेम्याह का पोता और कूशी का परपोता था, बारूक के पास यह कहने को भेजा, “जिस पुस्तक में से तूने सब लोगों को पढ़ सुनाया है, उसे अपने हाथ में लेता आ।” अतः नेरिय्याह का पुत्र बारूक वह पुस्तक हाथ में लिए हुए उनके पास आया।
فَقَالُوا لَهُ: «ٱجْلِسْ وَٱقْرَأْهُ فِي آذَانِنَا». فَقَرَأَ بَارُوخُ فِي آذَانِهِمْ. ١٥ 15
१५तब उन्होंने उससे कहा, “अब बैठ जा और हमें यह पढ़कर सुना।” तब बारूक ने उनको पढ़कर सुना दिया।
فَكَانَ لَمَّا سَمِعُوا كُلَّ ٱلْكَلَامِ أَنَّهُمْ خَافُوا نَاظِرِينَ بَعْضُهُمْ إِلَى بَعْضٍ، وَقَالُوا لِبَارُوخَ: «إِخْبَارًا نُخْبِرُ ٱلْمَلِكَ بِكُلِّ هَذَا ٱلْكَلَامِ». ١٦ 16
१६जब वे उन सब वचनों को सुन चुके, तब थरथराते हुए एक दूसरे को देखने लगे; और उन्होंने बारूक से कहा, “हम निश्चय राजा से इन सब वचनों का वर्णन करेंगे।”
ثُمَّ سَأَلُوا بَارُوخَ قَائِلِينَ: «أَخْبِرْنَا كَيْفَ كَتَبْتَ كُلَّ هَذَا ٱلْكَلَامِ عَنْ فَمِهِ؟» ١٧ 17
१७फिर उन्होंने बारूक से कहा, “हम से कह, क्या तूने ये सब वचन उसके मुख से सुनकर लिखे?”
فَقَالَ لَهُمْ بَارُوخُ: «بِفَمِهِ كَانَ يَقْرَأُ لِي كُلَّ هَذَا ٱلْكَلَامِ، وَأَنَا كُنْتُ أَكْتُبُ فِي ٱلسِّفْرِ بِٱلْحِبْرِ». ١٨ 18
१८बारूक ने उनसे कहा, “वह ये सब वचन अपने मुख से मुझे सुनाता गया ओर मैं इन्हें पुस्तक में स्याही से लिखता गया।”
فَقَالَ ٱلرُّؤَسَاءُ لِبَارُوخَ: «ٱذْهَبْ وَٱخْتَبِئْ أَنْتَ وَإِرْمِيَا وَلَا يَعْلَمُ إِنْسَانٌ أَيْنَ أَنْتُمَا». ١٩ 19
१९तब हाकिमों ने बारूक से कहा, “जा, तू अपने आपको और यिर्मयाह को छिपा, और कोई न जानने पाए कि तुम कहाँ हो।”
ثُمَّ دَخَلُوا إِلَى ٱلْمَلِكِ إِلَى ٱلدَّارِ، وَأَوْدَعُوا ٱلدَّرْجَ فِي مِخْدَعِ أَلِيشَامَاعَ ٱلْكَاتِبِ، وَأَخْبَرُوا فِي أُذُنَيِ ٱلْمَلِكِ بِكُلِّ ٱلْكَلَامِ. ٢٠ 20
२०तब वे पुस्तक को एलीशामा प्रधान की कोठरी में रखकर राजा के पास आँगन में आए; और राजा को वे सब वचन कह सुनाए।
فَأَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ يَهُودِيَ لِيَأْخُذَ ٱلدَّرْجَ، فَأَخَذَهُ مِنْ مِخْدَعِ أَلِيشَامَاعَ ٱلْكَاتِبِ، وَقَرَأَهُ يَهُودِيَ فِي أُذُنَيِ ٱلْمَلِكِ، وَفِي آذَانِ كُلِّ ٱلرُّؤَسَاءِ ٱلْوَاقِفِينَ لَدَى ٱلْمَلِكِ. ٢١ 21
२१तब राजा ने यहूदी को पुस्तक ले आने के लिये भेजा, उसने उसे एलीशामा प्रधान की कोठरी में से लेकर राजा को और जो हाकिम राजा के आस-पास खड़े थे उनको भी पढ़ सुनाया।
وَكَانَ ٱلْمَلِكُ جَالِسًا فِي بَيْتِ ٱلشِّتَاءِ فِي ٱلشَّهْرِ ٱلتَّاسِعِ، وَٱلْكَانُونُ قُدَّامَهُ مُتَّقِدٌ. ٢٢ 22
२२राजा शीतकाल के भवन में बैठा हुआ था, क्योंकि नौवाँ महीना था और उसके सामने अँगीठी जल रही थी।
وَكَانَ لَمَّا قَرَأَ يَهُودِيُ ثَلَاثَةَ شُطُورٍ أَوْ أَرْبَعَةً أَنَّهُ شَقَّهُ بِمِبْرَاةِ ٱلْكَاتِبِ، وَأَلْقَاهُ إِلَى ٱلنَّارِ ٱلَّتِي فِي ٱلْكَانُونِ، حَتَّى فَنِيَ كُلُّ ٱلدَّرْجِ فِي ٱلنَّارِ ٱلَّتِي فِي ٱلْكَانُونِ. ٢٣ 23
२३जब यहूदी तीन चार पृष्ठ पढ़ चुका, तब उसने उसे चाकू से काटा और जो आग अँगीठी में थी उसमें फेंक दिया; इस प्रकार अँगीठी की आग में पूरी पुस्तक जलकर भस्म हो गई।
وَلَمْ يَخَفِ ٱلْمَلِكُ وَلَا كُلُّ عَبِيدِهِ ٱلسَّامِعِينَ كُلَّ هَذَا ٱلْكَلَامِ، وَلَا شَقَّقُوا ثِيَابَهُمْ. ٢٤ 24
२४परन्तु न कोई डरा और न किसी ने अपने कपड़े फाड़े, अर्थात् न तो राजा ने और न उसके कर्मचारियों में से किसी ने ऐसा किया, जिन्होंने वे सब वचन सुने थे।
وَلَكِنَّ أَلْنَاثَانَ وَدَلَايَا وَجَمَرْيَا تَرَجَّوْا ٱلْمَلِكَ أَنْ لَا يُحْرِقَ ٱلدَّرْجَ فَلَمْ يَسْمَعْ لَهُمْ. ٢٥ 25
२५एलनातान, और दलायाह, और गमर्याह ने तो राजा से विनती भी की थी कि पुस्तक को न जलाए, परन्तु उसने उनकी एक न सुनी।
بَلْ أَمَرَ ٱلْمَلِكُ يَرْحَمْئِيلَ ٱبْنَ ٱلْمَلِكِ، وَسَرَايَا بْنَ عَزَرْئِيلَ، وَشَلَمْيَا بْنَ عَبْدِئِيلَ، أَنْ يَقْبِضُوا عَلَى بَارُوخَ ٱلْكَاتِبِ وَإِرْمِيَا ٱلنَّبِيِّ، وَلَكِنَّ ٱلرَّبَّ خَبَّأَهُمَا. ٢٦ 26
२६राजा ने राजपुत्र यरहमेल को और अज्रीएल के पुत्र सरायाह को और अब्देल के पुत्र शेलेम्याह को आज्ञा दी कि बारूक लेखक और यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को पकड़ लें, परन्तु यहोवा ने उनको छिपा रखा।
ثُمَّ صَارَتْ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ إِلَى إِرْمِيَا بَعْدَ إِحْرَاقِ ٱلْمَلِكِ ٱلدَّرْجَ وَٱلْكَلَامَ ٱلَّذِي كَتَبَهُ بَارُوخُ عَنْ فَمِ إِرْمِيَا قَائِلَةً: ٢٧ 27
२७जब राजा ने उन वचनों की पुस्तक को जो बारूक ने यिर्मयाह के मुख से सुन सुनकर लिखी थी, जला दिया, तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा
«عُدْ فَخُذْ لِنَفْسِكَ دَرْجًا آخَرَ، وَٱكْتُبْ فِيهِ كُلَّ ٱلْكَلَامِ ٱلْأَوَّلِ ٱلَّذِي كَانَ فِي ٱلدَّرْجِ ٱلْأَوَّلِ ٱلَّذِي أَحْرَقَهُ يَهُويَاقِيمُ مَلِكُ يَهُوذَا، ٢٨ 28
२८“फिर एक और पुस्तक लेकर उसमें यहूदा के राजा यहोयाकीम की जलाई हुई पहली पुस्तक के सब वचन लिख दे।
وَقُلْ لِيَهُويَاقِيمَ مَلِكِ يَهُوذَا: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: أَنْتَ قَدْ أَحْرَقْتَ ذَلِكَ ٱلدَّرْجَ قَائِلًا: لِمَاذَا كَتَبْتَ فِيهِ قَائِلًا: مَجِيئًا يَجِيءُ مَلِكُ بَابِلَ وَيُهْلِكُ هَذِهِ ٱلْأَرْضَ، وَيُلَاشِي مِنْهَا ٱلْإِنْسَانَ وَٱلْحَيَوَانَ؟ ٢٩ 29
२९और यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में कह, ‘यहोवा यह कहता है: तूने उस पुस्तक को यह कहकर जला दिया है कि तूने उसमें यह क्यों लिखा है कि बाबेल का राजा निश्चय आकर इस देश को नष्ट करेगा, और उसमें न तो मनुष्य को छोड़ेगा और न पशु को।
لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ عَنْ يَهُويَاقِيمَ مَلِكِ يَهُوذَا: لَا يَكُونُ لَهُ جَالِسٌ عَلَى كُرْسِيِّ دَاوُدَ، وَتَكُونُ جُثَّتُهُ مَطْرُوحَةً لِلْحَرِّ نَهَارًا، وَلِلْبَرْدِ لَيْلًا. ٣٠ 30
३०इसलिए यहोवा यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में यह कहता है, कि उसका कोई दाऊद की गद्दी पर विराजमान न रहेगा; और उसकी लोथ ऐसी फेंक दी जाएगी कि दिन को धूप में और रात को पाले में पड़ी रहेगी।
وَأُعَاقِبُهُ وَنَسْلَهُ وَعَبِيدَهُ عَلَى إِثْمِهِمْ، وَأَجْلِبُ عَلَيْهِمْ وَعَلَى سُكَّانِ أُورُشَلِيمَ وَعَلَى رِجَالِ يَهُوذَا كُلَّ ٱلشَّرِّ ٱلَّذِي كَلَّمْتُهُمْ عَنْهُ وَلَمْ يَسْمَعُوا». ٣١ 31
३१मैं उसको और उसके वंश और कर्मचारियों को उनके अधर्म का दण्ड दूँगा; और जितनी विपत्ति मैंने उन पर और यरूशलेम के निवासियों और यहूदा के सब लोगों पर डालने को कहा है, और जिसको उन्होंने सच नहीं माना, उन सब को मैं उन पर डालूँगा।’”
فَأَخَذَ إِرْمِيَا دَرْجًا آخَرَ وَدَفَعَهُ لِبَارُوخَ بْنِ نِيرِيَّا ٱلْكَاتِبِ، فَكَتَبَ فِيهِ عَنْ فَمِ إِرْمِيَا كُلَّ كَلَامِ ٱلسِّفْرِ ٱلَّذِي أَحْرَقَهُ يَهُويَاقِيمُ مَلِكُ يَهُوذَا بِٱلنَّارِ، وَزِيدَ عَلَيْهِ أَيْضًا كَلَامٌ كَثِيرٌ مِثْلُهُ. ٣٢ 32
३२तब यिर्मयाह ने दूसरी पुस्तक लेकर नेरिय्याह के पुत्र बारूक लेखक को दी, और जो पुस्तक यहूदा के राजा यहोयाकीम ने आग में जला दी थी, उसमें के सब वचनों को बारूक ने यिर्मयाह के मुख से सुन सुनकर उसमें लिख दिए; और उन वचनों में उनके समान और भी बहुत सी बातें बढ़ा दी गई।

< إِرْمِيَا 36 >