< إِرْمِيَا 34 >

اَلْكَلِمَةُ ٱلَّتِي صَارَتْ إِلَى إِرْمِيَا مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ حِينَ كَانَ نَبُوخَذْنَاصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ وَكُلُّ جَيْشِهِ وَكُلُّ مَمَالِكِ أَرَاضِي سُلْطَانِ يَدِهِ وَكُلُّ ٱلشُّعُوبِ، يُحَارِبُونَ أُورُشَلِيمَ وَكُلُّ مُدُنِهَا قَائِلَةً: ١ 1
जब शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र और उसकी तमाम फ़ौज और इस ज़मीन की तमाम सल्तनतें जो उसकी फरमाँरवाई में थीं, और सब क़ौमें येरूशलेम और उसकी सब बस्तियों के ख़िलाफ़ जंग कर रही थीं, तब ख़ुदावन्द का यह कलाम यरमियाह नबी पर नाज़िल हुआ
«هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: ٱذْهَبْ وَكَلِّمْ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا وَقُلْ لَهُ: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا أَدْفَعُ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةَ لِيَدِ مَلِكِ بَابِلَ فَيُحْرِقُهَا بِٱلنَّارِ. ٢ 2
कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: जा और शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह से कह दे, 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं इस शहर को शाह — ए — बाबुल के हवाले कर दूंगा, और वह इसे आग से जलाएगा;
وَأَنْتَ لَا تُفْلِتُ مِنْ يَدِهِ، بَلْ تُمْسَكُ إِمْسَاكًا وَتُدْفَعُ لِيَدِهِ، وَتَرَى عَيْنَاكَ عَيْنَيْ مَلِكِ بَابِلَ، وَتُكَلِّمُهُ فَمًا لِفَمٍ وَتَذْهَبُ إِلَى بَابِلَ. ٣ 3
और तू उसके हाथ से न बचेगा, बल्कि ज़रूर पकड़ा जाएगा और उसके हवाले किया जाएगा; और तेरी आँखें शाह — ए — बाबुल की आँखों को देखेंगी और वह सामने तुझ से बातें करेगा, और तू बाबुल को जाएगा।
وَلَكِنِ ٱسْمَعْ كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ يَا صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا. هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ مِنْ جِهَتِكَ: لَا تَمُوتُ بِٱلسَّيْفِ. ٤ 4
तो भी, ऐ शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह, ख़ुदावन्द का कलाम सुन; तेरे बारे में ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: तू तलवार से क़त्ल न किया जाएगा।
بِسَلَامٍ تَمُوتُ، وَبِإِحْرَاقِ آبَائِكَ ٱلْمُلُوكِ ٱلْأَوَّلِينَ ٱلَّذِينَ كَانُوا قَبْلَكَ، هَكَذَا يُحْرِقُونَ لَكَ وَيَنْدُبُونَكَ قَائِلِينَ: آهِ، يَا سَيِّدُ. لِأَنِّي أَنَا تَكَلَّمْتُ بِٱلْكَلِمَةِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». ٥ 5
तू अम्न की हालत में मरेगा और जिस तरह तेरे बाप — दादा या'नी तुझ से पहले बादशाहों के लिए ख़ुशबू जलाते थे, उसी तरह तेरे लिए भी जलाएँगे, और तुझ पर नौहा करेंगे और कहेंगे, हाय, आक़ा! “क्यूँकि मैंने यह बात कही है, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।”
فَكَلَّمَ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا بِكُلِّ هَذَا ٱلْكَلَامِ فِي أُورُشَلِيمَ، ٦ 6
तब यरमियाह नबी ने यह सब बातें शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह से येरूशलेम में कहीं,
إِذْ كَانَ جَيْشُ مَلِكِ بَابِلَ يُحَارِبُ أُورُشَلِيمَ وَكُلَّ مُدُنِ يَهُوذَا ٱلْبَاقِيَةِ: لَخِيشَ وَعَزِيقَةَ. لِأَنَّ هَاتَيْنِ بَقِيَتَا فِي مُدُنِ يَهُوذَا مَدِينَتَيْنِ حَصِينَتَيْنِ. ٧ 7
जब कि शाह — ए — बाबुल की फ़ौज येरूशलेम और यहूदाह के शहरों से जो बच रहे थे, या'नी लकीस और 'अज़ीक़ाह से लड़ रही थी; क्यूँकि यहूदाह के शहरों में से यही हसीन शहर बाक़ी थे।
ٱلْكَلِمَةُ ٱلَّتِي صَارَتْ إِلَى إِرْمِيَا مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ، بَعْدَ قَطْعِ ٱلْمَلِكِ صِدْقِيَّا عَهْدًا مَعَ كُلِّ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ لِيُنَادُوا بِٱلْعِتْقِ، ٨ 8
वह कलाम जो ख़ुदावन्द की तरफ़ से यरमियाह पर नाज़िल हुआ, जब सिदक़ियाह बादशाह ने येरूशलेम के सब लोगों से 'अहद — ओ — पैमान किया कि आज़ादी का 'ऐलान किया जाए।
أَنْ يُطْلِقَ كُلُّ وَاحِدٍ عَبْدَهُ وَكُلُّ وَاحِدٍ أَمَتَهُ ٱلْعِبْرَانِيَّ وَٱلْعِبْرَانِيَّةَ حُرَّيْنِ، حَتَّى لَا يَسْتَعْبِدَهُمَا، أَيْ أَخَوَيْهِ ٱلْيَهُودِيَّيْنِ،أَحَدٌ. ٩ 9
कि हर एक अपने ग़ुलाम को और अपनी लौंडी को, जो 'इब्रानी मर्द या 'औरत हो, आज़ाद कर दे कि कोई अपने यहूदी भाई से ग़ुलामी न कराए।
فَلَمَّا سَمِعَ كُلُّ ٱلرُّؤَسَاءِ وَكُلُّ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِينَ دَخَلُوا فِي ٱلْعَهْدِ أَنْ يُطْلِقُوا كُلُّ وَاحِدٍ عَبْدَهُ، وَكُلُّ وَاحِدٍ أَمَتَهُ حُرَّيْنِ وَلَا يَسْتَعْبِدُوهُمَا بَعْدُ، أَطَاعُوا وَأَطْلَقُوا. ١٠ 10
और जब सब हाकिम और सब लोगों ने जो इस 'अहद में शामिल थे, सुना कि हर एक को लाज़िम है कि अपने ग़ुलाम और अपनी लौंडी को आज़ाद करे और फिर उनसे ग़ुलामी न कराए, तो उन्होंने इता'अत की और उनको आज़ाद कर दिया।
وَلَكِنَّهُمْ عَادُوا بَعْدَ ذَلِكَ فَأَرْجَعُوا ٱلْعَبِيدَ وَٱلْإِمَاءَ ٱلَّذِينَ أَطْلَقُوهُمْ أَحْرَارًا، وَأَخْضَعُوهُمْ عَبِيدًا وَإِمَاءً. ١١ 11
लेकिन उसके बाद वह फिर गए और उन ग़ुलामों और लौंडियों को जिनको उन्होंने आज़ाद कर दिया था, फिर वापस ले आए और उनको ताबे' करके ग़ुलाम और लौंडियाँ बना लिया।
فَصَارَتْ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ إِلَى إِرْمِيَا مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ قَائِلَةً: ١٢ 12
इसलिए ख़ुदावन्द की तरफ़ से यह कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ:
«هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: أَنَا قَطَعْتُ عَهْدًا مَعَ آبَائِكُمْ يَوْمَ أَخْرَجْتُهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ مِنْ بَيْتِ ٱلْعَبِيدِ قَائِلًا: ١٣ 13
कि ख़ुदावन्द, इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि: मैंने तुम्हारे बाप — दादा से, जिस दिन मैं उनको मुल्क — ए — मिस्र से और ग़ुलामी के घर से निकाल लाया, यह 'अहद बाँधा,
فِي نِهَايَةِ سَبْعِ سِنِينَ تُطْلِقُونَ كُلُّ وَاحِدٍ أَخَاهُ ٱلْعِبْرَانِيَّ ٱلَّذِي بِيعَ لَكَ وَخَدَمَكَ سِتَّ سِنِينَ، فَتُطْلِقُهُ حُرًّا مِنْ عِنْدِكَ. وَلَكِنْ لَمْ يَسْمَعْ آبَاؤُكُمْ لِي وَلَا أَمَالُوا أُذُنَهُمْ. ١٤ 14
कि 'तुम में से हर एक अपने 'इब्रानी भाई को जो उसके हाथ बेचा गया हो, सात बरस के आख़िर में या'नी जब वह छ: बरस तक ख़िदमत कर चुके, तो आज़ाद कर दे; लेकिन तुम्हारे बाप — दादा ने मेरी न सुनी और कान न लगाया।
وَقَدْ رَجَعْتُمْ أَنْتُمُ ٱلْيَوْمَ وَفَعَلْتُمْ مَا هُوَ مُسْتَقِيمٌ فِي عَيْنَيَّ، مُنَادِينَ بِٱلْعِتْقِ كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى صَاحِبِهِ، وَقَطَعْتُمْ عَهْدًا أَمَامِي فِي ٱلْبَيْتِ ٱلَّذِي دُعِيَ بِٱسْمِي. ١٥ 15
और आज ही के दिन तुम रूजू' लाए, और वही किया जो मेरी नज़र में भला है कि हर एक ने अपने पड़ोसी को आज़ादी का मुज़दा दिया; और तुम ने उस घर में जो मेरे नाम से कहलाता है, मेरे सामने 'अहद बाँधा;
ثُمَّ عُدْتُمْ وَدَنَّسْتُمُ ٱسْمِي وَأَرْجَعْتُمْ كُلُّ وَاحِدٍ عَبْدَهُ، وَكُلُّ وَاحِدٍ أَمَتَهُ ٱلَّذِينَ أَطْلَقْتُمُوهُمْ أَحْرَارًا لِأَنْفُسِهِمْ، وَأَخْضَعْتُمُوهُمْ لِيَكُونُوا لَكُمْ عَبِيدًا وَإِمَاءً. ١٦ 16
लेकिन तुम ने नाफ़रमान हो कर मेरे नाम को नापाक किया, और हर एक ने अपने ग़ुलाम को और अपनी लौंडी को, जिनको तुमने आज़ाद करके उनकी मर्ज़ी पर छोड़ दिया था, फिर पकड़कर ताबे' किया कि तुम्हारे लिए ग़ुलाम और लौंडियाँ हों।
لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: أَنْتُمْ لَمْ تَسْمَعُوا لِي لِتُنَادُوا بِٱلْعِتْقِ كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى أَخِيهِ، وَكُلُّ وَاحِدٍ إِلَى صَاحِبِهِ. هَأَنَذَا أُنَادِي لَكُمْ بِٱلْعِتْقِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، لِلسَّيْفِ وَٱلْوَبَإِ وَٱلْجُوعِ، وَأَجْعَلُكُمْ قَلَقًا لِكُلِّ مَمَالِكِ ٱلْأَرْضِ. ١٧ 17
“इसलिए ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: तुम ने मेरी न सुनी कि हर एक अपने भाई और अपने पड़ोसी को आज़ादी का मुज़दा सुनाए, देखो, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैं तुम को तलवार और वबा और काल के लिए आज़ादी का मुज़दा देता हूँ और मैं ऐसा करूँगा कि तुम इस ज़मीन की सब ममलुकतों में धक्के खाते फिरोगे।
وَأَدْفَعُ ٱلنَّاسَ ٱلَّذِينَ تَعَدَّوْا عَهْدِي، ٱلَّذِينَ لَمْ يُقِيمُوا كَلَامَ ٱلْعَهْدِ ٱلَّذِي قَطَعُوهُ أَمَامِي. ٱلْعِجْلَ ٱلَّذِي قَطَعُوهُ إِلَى ٱثْنَيْنِ، وَجَازُوا بَيْنَ قِطْعَتَيْهِ. ١٨ 18
और मैं उन आदमियों को जिन्होंने मुझसे 'अहदशिकनी की और उस 'अहद की बातें, जो उन्होंने मेरे सामने बाँधा है पूरी नहीं कीं, जब बछड़े को दो टुकड़े किया और उन दो टुकड़ों के बीच से होकर गुज़रे;
رُؤَسَاءَ يَهُوذَا وَرُؤَسَاءَ أُورُشَلِيمَ، ٱلْخِصْيَانَ وَٱلْكَهَنَةَ وَكُلَّ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّذِينَ جَازُوا بَيْنَ قِطْعَتَيِ ٱلْعِجْلِ، ١٩ 19
या'नी यहूदाह के और येरूशलेम के हाकिम और ख़्वाजासरा और काहिन और मुल्क के सब लोग जो बछड़े के टुकड़ों के बीच से होकर गुज़रे;
أَدْفَعُهُمْ لِيَدِ أَعْدَائِهِمْ وَلِيَدِ طَالِبِي نُفُوسِهِمْ، فَتَكُونُ جُثَثُهُمْ أُكْلًا لِطُيُورِ ٱلسَّمَاءِ وَوُحُوشِ ٱلْأَرْضِ. ٢٠ 20
हाँ, मैं उनको उनके मुख़ालिफ़ों और जानी दुश्मनों के हवाले करूँगा, और उनकी लाशें हवाई परिन्दों और ज़मीन के दरिन्दों की ख़ुराक होंगी।
وَأَدْفَعُ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا وَرُؤَسَاءَهُ لِيَدِ أَعْدَائِهِمْ، وَلِيَدِ طَالِبِي نُفُوسِهِمْ، وَلِيَدِ جَيْشِ مَلِكِ بَابِلَ ٱلَّذِينَ صَعِدُوا عَنْكُمْ. ٢١ 21
और मैं शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह को और उसके हाकिम को, उनके मुख़ालिफ़ों और जानी दुश्मनों और शाह — ए — बाबुल की फ़ौज के, जो तुम को छोड़कर चली गई, हवाले कर दूँगा।
هَأَنَذَا آمُرُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأَرُدُّهُمْ إِلَى هَذِهِ ٱلْمَدِينَةِ فَيُحَارِبُونَهَا وَيَأْخُذُونَهَا وَيُحْرِقُونَهَا بِٱلنَّارِ، وَأَجْعَلُ مُدُنَ يَهُوذَا خَرِبَةً بِلَا سَاكِنٍ». ٢٢ 22
देखो, मैं हुक्म करूँगा ख़ुदावन्द फ़रमाता है और उनको फिर इस शहर की तरफ़ वापस लाऊँगा, और वह इससे लड़ेंगे और फ़तह करके आग से जलाएँगे; और मैं यहूदाह के शहरों को वीरान कर दूँगा कि ग़ैरआबाद हों।”

< إِرْمِيَا 34 >