< إِرْمِيَا 32 >

اَلْكَلِمَةُ ٱلَّتِي صَارَتْ إِلَى إِرْمِيَا مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ، فِي ٱلسَّنَةِ ٱلْعَاشِرَةِ لِصِدْقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، هِيَ ٱلسَّنَةُ ٱلثَّامِنَةُ عَشَرَةَ لِنَبُوخَذْرَاصَّرَ، ١ 1
वह कलाम जो शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह के दसवें बरस में जो नबूकदनज़र का अट्ठारहवाँ बरस था, ख़ुदावन्द की तरफ़ से यरमियाह पर नाज़िल हुआ।
وَكَانَ حِينَئِذٍ جَيْشُ مَلِكِ بَابِلَ يُحَاصِرُ أُورُشَلِيمَ، وَكَانَ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ مَحْبُوسًا فِي دَارِ ٱلسِّجْنِ ٱلَّذِي فِي بَيْتِ مَلِكِ يَهُوذَا، ٢ 2
उस वक़्त शाह — ए — बाबुल की फ़ौज येरूशलेम का घिराव किए पड़ी थी, और यरमियाह नबी शाह — ए — यहूदाह के घर में क़ैदख़ाने के सहन में बन्द था।
لِأَنَّ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا حَبَسَهُ قَائِلًا: «لِمَاذَا تَنَبَّأْتَ قَائِلًا: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا أَدْفَعُ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةَ لِيَدِ مَلِكِ بَابِلَ، فَيَأْخُذُهَا؟ ٣ 3
क्यूँकि शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह ने उसे यह कह कर क़ैद किया, तू क्यूँ नबुव्वत करता और कहता है, कि 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं इस शहर को शाह — ए — बाबुल के हवाले कर दूँगा, और वह उसे ले लेगा;
وَصِدْقِيَّا مَلِكُ يَهُوذَا لَا يُفْلِتُ مِنْ يَدِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ بَلْ إِنَّمَا يُدْفَعُ لِيَدِ مَلِكِ بَابِلَ، وَيُكَلِّمُهُ فَمًا لِفَمٍ وَعَيْنَاهُ تَرَيَانِ عَيْنَيْهِ، ٤ 4
और शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह कसदियों के हाथ से न बचेगा, बल्कि ज़रूर शाह — ए — बाबुल के हवाले किया जाएगा, और उससे आमने — सामने बातें करेगा और दोनों की आँखें सामने होंगी।
وَيَسِيرُ بِصِدْقِيَّا إِلَى بَابِلَ فَيَكُونُ هُنَاكَ حَتَّى أَفْتَقِدَهُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. إِنْ حَارَبْتُمُ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ لَا تَنْجَحُونَ». ٥ 5
और वह सिदक़ियाह को बाबुल में ले जाएगा, और जब तक मैं उसको याद न फ़रमाऊँ वह वहीं रहेगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है। हरचन्द तुम कसदियों के साथ जंग करोगे, लेकिन कामयाब न होगे?
فَقَالَ إِرْمِيَا: «كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ صَارَتْ إِلَيَّ قَائِلَةً: ٦ 6
तब यरमियाह ने कहा कि “ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ और उसने फ़रमाया
هُوَذَا حَنَمْئِيلُ بْنُ شَلُّومَ عَمِّكَ يَأْتِي إِلَيْكَ قَائِلًا: ٱشْتَرِ لِنَفْسِكَ حَقْلِي ٱلَّذِي فِي عَنَاثُوثَ، لِأَنَّ لَكَ حَقَّ ٱلْفِكَاكِ لِلشِّرَاءِ». ٧ 7
देख, तेरे चचा सलूम का बेटा हनमएल तेरे पास आकर कहेगा कि 'मेरा खेत जो 'अन्तोत में है, अपने लिए ख़रीद ले; क्यूँकि उसको छुड़ाना तेरा हक़ है।
فَجَاءَ إِلَيَّ حَنَمْئِيلُ ٱبْنُ عَمِّي حَسَبَ كَلِمَةِ ٱلرَّبِّ إِلَى دَارِ ٱلسِّجْنِ، وَقَالَ لِي: «ٱشْتَرِ حَقْلِي ٱلَّذِي فِي عَنَاثُوثَ ٱلَّذِي فِي أَرْضِ بِنْيَامِينَ، لِأَنَّ لَكَ حَقَّ ٱلْإِرْثِ، وَلَكَ ٱلْفِكَاكُ. ٱشْتَرِهِ لِنَفْسِكَ». فَعَرَفْتُ أَنَّهَا كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ. ٨ 8
तब मेरे चचा का बेटा हनमएल क़ैदख़ाने के सहन में मेरे पास आया, और जैसा ख़ुदावन्द ने फ़रमाया था, मुझसे कहा कि, मेरा खेत जो 'अन्तोत में बिनयमीन के 'इलाक़े में है, ख़रीद ले; क्यूँकि यह तेरा मौरूसी हक़ है और उसको छुड़ाना तेरा काम है, उसे अपने लिए ख़रीद ले।” तब मैंने जाना कि ये ख़ुदावन्द का कलाम है।
فَٱشْتَرَيْتُ مِنْ حَنَمْئِيلَ ٱبْنِ عَمِّي ٱلْحَقْلَ ٱلَّذِي فِي عَنَاثُوثَ، وَوَزَنْتُ لَهُ ٱلْفِضَّةَ، سَبْعَةَ عَشَرَ شَاقِلًا مِنَ ٱلْفِضَّةِ. ٩ 9
'और मैंने उस खेत को जो 'अन्तोत में था, अपने चचा के बेटे हनमएल से ख़रीद लिया और नक़द सत्तर मिस्काल चांदी तोल कर उसे दी।
وَكَتَبْتُهُ فِي صَكٍّ وَخَتَمْتُ وَأَشْهَدْتُ شُهُودًا، وَوَزَنْتُ ٱلْفِضَّةَ بِمَوَازِينَ. ١٠ 10
और मैंने एक कबाला लिखा और उस पर मुहर की और गवाह ठहराए, और चाँदी तराजू में तोलकर उसे दी
وَأَخَذْتُ صَكَّ ٱلشِّرَاءِ ٱلْمَخْتُومَ حَسَبَ ٱلْوَصِيَّةِ وَٱلْفَرِيضَةِ وَٱلْمَفْتُوحَ. ١١ 11
तब मैंने उस क़बाले को लिया, या'नी वह जो क़ानून और दस्तूर के मुताबिक़ सर — ब — मुहर था, और वह जो खुला था;
وَسَلَّمْتُ صَكَّ ٱلشِّرَاءِ لِبَارُوخَ بْنِ نِيرِيَّا بْنِ مَحْسِيَا أَمَامَ حَنَمْئِيلَ ٱبْنِ عَمِّي، وَأَمَامَ ٱلشُّهُودِ ٱلَّذِينَ أَمْضَوْا صَكَّ ٱلشِّرَاءِ أَمَامَ كُلِّ ٱلْيَهُودِ ٱلْجَالِسِينَ فِي دَارِ ٱلسِّجْنِ. ١٢ 12
और मैंने उस क़बाले को अपने चचा के बेटे हनमएल के सामने और उन गवाहों के सामने जिन्होंने अपने नाम क़बाले पर लिखे थे, उन सब यहूदियों के सामने जो क़ैदख़ाने के सहन में बैठे थे, बारूक — बिन — नेयिरियाह — बिन — महसियाह को सौंपा।
وَأَوْصَيْتُ بَارُوخَ أَمَامَهُمْ قَائِلًا: ١٣ 13
और मैंने उनके सामने बारूक की ताकीद की
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: خُذْ هَذَيْنِ ٱلصَّكَّيْنِ، صَكَّ ٱلشِّرَاءِ هَذَا ٱلْمَخْتُومَ، وَٱلصَّكَّ ٱلْمَفْتُوحَ هَذَا، وَٱجْعَلْهُمَا فِي إِنَاءٍ مِنْ خَزَفٍ لِكَيْ يَبْقَيَا أَيَّامًا كَثِيرَةً. ١٤ 14
कि 'रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: यह काग़ज़ात ले, या'नी यह क़बाला जो सर — ब — मुहर है, और यह जो खुला है, और उनको मिट्टी के बर्तन में रख ताकि बहुत दिनों तक महफ़ूज़ रहें।
لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: سَيَشْتَرُونَ بَعْدُ بُيُوتًا وَحُقُولًا وَكُرُومًا فِي هَذِهِ ٱلْأَرْضِ». ١٥ 15
क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: इस मुल्क में फिर घरों और ताकिस्तानों की ख़रीद — ओ — फ़रोख्त होगी।
ثُمَّ صَلَّيْتُ إِلَى ٱلرَّبِّ بَعْدَ تَسْلِيمِ صَكِّ ٱلشِّرَاءِ لِبَارُوخَ بْنِ نِيرِيَّا قَائِلًا: ١٦ 16
'बारूक — बिन — नेयिरियाह को क़बाला देने के बा'द, मैंने ख़ुदावन्द से यूँ दुआ की:
«آهِ، أَيُّهَا ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، هَا إِنَّكَ قَدْ صَنَعْتَ ٱلسَّمَاوَاتِ وَٱلْأَرْضَ بِقُوَّتِكَ ٱلْعَظِيمَةِ، وَبِذِرَاعِكَ ٱلْمَمْدُودَةِ. لَا يَعْسُرُ عَلَيْكَ شَيْءٌ. ١٧ 17
'आह, ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा! देख, तूने अपनी 'अज़ीम क़ुदरत और अपने बुलन्द बाज़ू से आसमान और ज़मीन को पैदा किया, और तेरे लिए कोई काम मुश्किल नहीं है;
صَانِعُ ٱلْإِحْسَانِ لِأُلُوفٍ، وَمُجَازِي ذَنْبِ ٱلْآبَاءِ فِي حِضْنِ بَنِيهِمْ بَعْدَهُمُ، ٱلْإِلَهُ ٱلْعَظِيمُ ٱلْجَبَّارُ، رَبُّ ٱلْجُنُودِ ٱسْمُهُ. ١٨ 18
तू हज़ारों पर शफ़क़त करता है, और बाप — दादा की बदकिरदारी का बदला उनके बाद उनकी औलाद के दामन में डाल देता है; जिसका नाम ख़ुदा — ए — 'अज़ीम — ओ — क़ादिर रब्ब — उल — अफ़वाज है;
عَظِيمٌ فِي ٱلْمَشُورَةِ، وَقَادِرٌ فِي ٱلْعَمَلِ، ٱلَّذِي عَيْنَاكَ مَفْتُوحَتَانِ عَلَى كُلِّ طُرُقِ بَنِي آدَمَ لِتُعْطِيَ كُلَّ وَاحِدٍ حَسَبَ طُرُقِهِ، وَحَسَبَ ثَمَرِ أَعْمَالِهِ. ١٩ 19
मश्वरत में बुज़ुर्ग, और काम में क़ुदरत वाला है; बनी — आदम की सब राहें तेरे ज़ेर — ए — नज़र हैं; ताकि हर एक को उसके चाल चलन के मुवाफ़िक़ और उसके 'आमाल के फल के मुताबिक़ बदला दे।
ٱلَّذِي جَعَلْتَ آيَاتٍ وَعَجَائِبَ فِي أَرْضِ مِصْرَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، وَفِي إِسْرَائِيلَ وَفِي ٱلنَّاسِ، وَجَعَلْتَ لِنَفْسِكَ ٱسْمًا كَهَذَا ٱلْيَوْمِ، ٢٠ 20
जिसने मुल्क — ए — मिस्र में आज तक, और इस्राईल और दूसरे लोगों में निशान और 'अजायब दिखाए और अपने लिए नाम पैदा किया, जैसा कि इस ज़माने में है।
وَأَخْرَجْتَ شَعْبَكَ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ بِآيَاتٍ وَعَجَائِبَ، وَبِيَدٍ شَدِيدَةٍ وَذِرَاعٍ مَمْدُودَةٍ وَمَخَافَةٍ عَظِيمَةٍ، ٢١ 21
क्यूँकि तू अपनी क़ौम इस्राईल को मुल्क — ए — मिस्र से निशान और 'अजायब और क़वी हाथ और बलन्द बाज़ू से, और बड़ी हैबत के साथ निकाल लाया;
وَأَعْطَيْتَهُمْ هَذِهِ ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي حَلَفْتَ لِآبَائِهِمْ أَنْ تُعْطِيَهُمْ إِيَّاهَا، أَرْضًا تَفِيضُ لَبَنًا وَعَسَلًا. ٢٢ 22
और यह मुल्क उनको दिया जिसे देने की तूने उनके बाप — दादा से क़सम खायी थी ऐसा मुल्क जिसमे दूध और शहद बहता है।
فَأَتَوْا وَٱمْتَلَكُوهَا، وَلَمْ يَسْمَعُوا لِصَوْتِكَ، وَلَا سَارُوا فِي شَرِيعَتِكَ. كُلُّ مَا أَوْصَيْتَهُمْ أَنْ يَعْمَلُوهُ لَمْ يَعْمَلُوهُ، فَأَوْقَعْتَ بِهِمْ كُلَّ هَذَا ٱلشَّرِّ. ٢٣ 23
और वह आकर उसके मालिक हो गए, लेकिन वह न तेरी आवाज़ को सुना और न तेरी शरी'अत पर चले, और जो कुछ तूने करने को कहा उन्होंने नहीं किया। इसलिए तू यह सब मुसीबत उन पर लाया।
هَا ٱلْمَتَارِسُ! قَدْ أَتَوْا إِلَى ٱلْمَدِينَةِ لِيَأْخُذُوهَا، وَقَدْ دُفِعَتِ ٱلْمَدِينَةُ لِيَدِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ ٱلَّذِينَ يُحَارِبُونَهَا بِسَبَبِ ٱلسَّيْفِ وَٱلْجُوعِ وَٱلْوَبَإِ، وَمَا تَكَلَّمْتَ بِهِ فَقَدْ حَدَثَ، وَهَا أَنْتَ نَاظِرٌ. ٢٤ 24
दमदमों को देख, वह शहर तक आ पहुँचे हैं कि उसे फ़तह कर लें, और शहर तलवार और काल और वबा की वजह से कसदियों के हवाले कर दिया गया है, जो उस पर चढ़ आए और जो कुछ तूने फ़रमाया पूरा हुआ, और तू आप देखता है।
وَقَدْ قُلْتَ أَنْتَ لِي أَيُّهَا ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: ٱشْتَرِ لِنَفْسِكَ ٱلْحَقْلَ بِفِضَّةٍ وَأَشْهِدْ شُهُودًا، وَقَدْ دُفِعَتِ ٱلْمَدِينَةُ لِيَدِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ». ٢٥ 25
तो भी, ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, तूने मुझसे फ़रमाया कि वह खेत रुपया देकर अपने लिए ख़रीद ले और गवाह ठहरा ले, हालाँकि यह शहर कसदियों के हवाले कर दिया गया।
ثُمَّ صَارَتْ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ إِلَى إِرْمِيَا قَائِلَةً: ٢٦ 26
तब ख़ुदावन्द का कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ:
«هَأَنَذَا ٱلرَّبُّ إِلَهُ كُلِّ ذِي جَسَدٍ. هَلْ يَعْسُرُ عَلَيَّ أَمْرٌ مَّا؟ ٢٧ 27
देख, मैं ख़ुदावन्द, तमाम बशर का ख़ुदा हूँ, क्या मेरे लिए कोई काम दुश्वार है?
لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا أَدْفَعُ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةَ لِيَدِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ وَلِيَدِ نَبُوخَذْرَاصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ فَيَأْخُذُهَا. ٢٨ 28
इसलिए ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं इस शहर को कसदियों के और शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के हवाले कर दूँगा, और वह इसे ले लेगा;
فَيَأْتِي ٱلْكَلْدَانِيُّونَ ٱلَّذِينَ يُحَارِبُونَ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةَ، فَيُشْعِلُونَ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةَ بِٱلنَّارِ، وَيُحْرِقُونَهَا وَٱلْبُيُوتَ ٱلَّتِي بَخَّرُوا عَلَى سُطُوحِهَا لِلْبَعْلِ وَسَكَبُوا سَكَائِبَ لِآلِهَةٍ أُخْرَى لِيُغِيظُونِي. ٢٩ 29
और कसदी जो इस शहर पर चढ़ाई करते हैं, आकर इसको आग लगाएँगे और इसे उन घरों के साथ जलाएँगे, जिनकी छतों पर लोगों ने बा'ल के लिए ख़ुशबू जलायी और ग़ैरमा'बूदों के लिए तपावन तपाए कि मुझे ग़ज़बनाक करें।
لِأَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَبَنِي يَهُوذَا إِنَّمَا صَنَعُوا ٱلشَّرَّ فِي عَيْنَيَّ مُنْذُ صِبَاهُمْ. لِأَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ إِنَّمَا أَغَاظُونِي بِعَمَلِ أَيْدِيهِمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٣٠ 30
क्यूँकि बनी — इस्राईल और बनी यहूदाह अपनी जवानी से अब तक सिर्फ़ वही करते आए हैं जो मेरी नज़र में बुरा है; क्यूँकि बनी — इस्राईल ने अपने 'आमाल से मुझे ग़ज़बनाक ही किया, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
لِأَنَّ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةَ قَدْ صَارَتْ لِي لِغَضَبِي وَلِغَيْظِي مِنَ ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي فِيهِ بَنَوْهَا إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، لِأَنْزِعَهَا مِنْ أَمَامِ وَجْهِي ٣١ 31
क्यूँकि यह शहर जिस दिन से उन्होंने इसे ता'मीर किया, आज के दिन तक मेरे क़हर और ग़ज़ब का ज़रिया' हो रहा है; ताकि मैं इसे अपने सामने से दूर करूँ
مِنْ أَجْلِ كُلِّ شَرِّ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَبَنِي يَهُوذَا ٱلَّذِي عَمِلُوهُ لِيُغِيظُونِي بِهِ، هُمْ وَمُلُوكُهُمْ وَرُؤَسَاؤُهُمْ وَكَهَنَتُهُمْ وَأَنْبِيَاؤُهُمْ وَرِجَالُ يَهُوذَا وَسُكَّانُ أُورُشَلِيمَ. ٣٢ 32
बनी — इस्राईल और बनी यहूदाह की तमाम बुराई के ज़रिए' जो उन्होंने और उनके बादशाहों ने, और हाकिम और काहिनों और नबियों ने, और यहूदाह के लोगों और येरूशलेम के बशिन्दों ने की, ताकि मुझे ग़ज़बनाक करें।
وَقَدْ حَوَّلُوا لِي ٱلْقَفَا لَا ٱلْوَجْهَ. وَقَدْ عَلَّمْتُهُمْ مُبَكِّرًا وَمُعَلِّمًا، وَلَكِنَّهُمْ لَمْ يَسْمَعُوا لِيَقْبَلُوا أَدَبًا. ٣٣ 33
क्यूँकि उन्होंने मेरी तरफ़ पीठ की और मुँह न किया, हर चन्द मैंने उनको सिखाया और वक़्त पर ता'लीम दी, तो भी उन्होंने कान न लगाया कि तरबियत पज़ीर हों,
بَلْ وَضَعُوا مَكْرُهَاتِهِمْ فِي ٱلْبَيْتِ ٱلَّذِي دُعِيَ بِٱسْمِي، لِيُنَجِّسُوهُ. ٣٤ 34
बल्कि उस घर में जो मेरे नाम से कहलाता है, अपनी मकरूहात रख्खीं ताकि उसे नापाक करें।
وَبَنَوْا ٱلْمُرْتَفِعَاتِ لِلْبَعْلِ ٱلَّتِي فِي وَادِي ٱبْنِ هِنُّومَ، لِيُجِيزُوا بَنِيهِمْ وَبَنَاتِهِمْ فِي ٱلنَّارِ لِمُولَكَ، ٱلْأَمْرَ ٱلَّذِي لَمْ أُوصِهِمْ بِهِ، وَلَا صَعِدَ عَلَى قَلْبِي، لِيَعْمَلُوا هَذَا ٱلرِّجْسَ، لِيَجْعَلُوا يَهُوذَا يُخْطِئُ. ٣٥ 35
और उन्होंने बा'ल के ऊँचे मक़ाम जो बिन हिनूम की वादी में हैं बनाए, ताकि अपने बेटों और बेटियों को मोलक के लिए आग में से गुज़ारें, जिसका मैंने उनको हुक्म नहीं दिया और न मेरे ख़याल में आया कि वह ऐसा मकरूह काम करके यहूदाह को गुनाहगार बनाएँ।
«وَٱلْآنَ لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ عَنْ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةِ ٱلَّتِي تَقُولُونَ إِنَّهَا قَدْ دُفِعَتْ لِيَدِ مَلِكِ بَابِلَ بِٱلسَّيْفِ وَٱلْجُوعِ وَٱلْوَبَإِ: ٣٦ 36
और अब इस शहर के बारे में, जिसके हक़ में तुम कहते हो, 'तलवार और काल और वबा के वसीले से वह शाह — ए — बाबुल के हवाले किया जाएगा, ख़ुदावन्द, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है:
هَأَنَذَا أَجْمَعُهُمْ مِنْ كُلِّ ٱلْأَرَاضِي ٱلَّتِي طَرَدْتُهُمْ إِلَيْهَا بِغَضَبِي وَغَيْظِي وَبِسُخْطٍ عَظِيمٍ، وَأَرُدُّهُمْ إِلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ، وَأُسَكِّنُهُمْ آمِنِينَ. ٣٧ 37
देख, मैं उनको उन सब मुल्कों से जहाँ मैंने उनको गैज़ — ओ — ग़ज़ब और बड़े ग़ुस्से से हॉक दिया है, जमा' करूँगा और इस मक़ाम में वापस लाऊँगा और उनको अम्न से आबाद करूँगा।
وَيَكُونُونَ لِي شَعْبًا وَأَنَا أَكُونُ لَهُمْ إِلَهًا. ٣٨ 38
और वह मेरे लोग होंगे और मैं उनका ख़ुदा हूँगा।
وَأُعْطِيهِمْ قَلْبًا وَاحِدًا وَطَرِيقًا وَاحِدًا لِيَخَافُونِي كُلَّ ٱلْأَيَّامِ، لِخَيْرِهِمْ وَخَيْرِ أَوْلَادِهِمْ بَعْدَهُمْ. ٣٩ 39
मैं उनको यकदिल और यकरविश बना दूँगा, और वह अपनी और अपने बाद अपनी औलाद की भलाई कि लिए हमेशा मुझसे डरते रहेंगे।
وَأَقْطَعُ لَهُمْ عَهْدًا أَبَدِيًّا أَنِّي لَا أَرْجِعُ عَنْهُمْ لِأُحْسِنَ إِلَيْهِمْ، وَأَجْعَلُ مَخَافَتِي فِي قُلُوبِهِمْ فَلَا يَحِيدُونَ عَنِّي. ٤٠ 40
मैं उनसे हमेशा का 'अहद करूँगा कि उनके साथ भलाई करने से बाज़ न आऊँगा, और मैं अपना ख़ौफ़ उनके दिल में डालूँगा ताकि वह मुझसे फिर न जाएँ।
وَأَفْرَحُ بِهِمْ لِأُحْسِنَ إِلَيْهِمْ، وَأَغْرِسَهُمْ فِي هَذِهِ ٱلْأَرْضِ بِٱلْأَمَانَةِ بِكُلِّ قَلْبِي وَبِكُلِّ نَفْسِي. ٤١ 41
हाँ, मैं उनसे ख़ुश होकर उनसे नेकी करूँगा, और यक़ीनन दिल — ओ — जान से उनको इस मुल्क में लगाऊँगा।
لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: كَمَا جَلَبْتُ عَلَى هَذَا ٱلشَّعْبِ كُلَّ هَذَا ٱلشَّرِّ ٱلْعَظِيمِ، هَكَذَا أَجْلِبُ أَنَا عَلَيْهِمْ كُلَّ ٱلْخَيْرِ ٱلَّذِي تَكَلَّمْتُ بِهِ إِلَيْهِمْ. ٤٢ 42
“क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: जिस तरह मैं इन लोगों पर यह तमाम बला — ए — 'अज़ीम लाया हूँ, उसी तरह वह तमाम नेकी जिसका मैंने उनसे वा'दा किया है, उनसे करूँगा।
فَتُشْتَرَى ٱلْحُقُولُ فِي هَذِهِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي تَقُولُونَ إِنَّهَا خَرِبَةٌ بِلَا إِنْسَانٍ وَبِلَا حَيَوَانٍ، وَقَدْ دُفِعَتْ لِيَدِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ. ٤٣ 43
और इस मुल्क में जिसके बारे में तुम कहते हो कि 'वह वीरान है, वहाँ न इंसान है न हैवान, वह कसदियों के हवाले किया गया,' फिर खेत ख़रीदे जाएँगे।
يَشْتَرُونَ ٱلْحُقُولَ بِفِضَّةٍ، وَيَكْتُبُونَ ذَلِكَ فِي صُكُوكٍ، وَيَخْتِمُونَ وَيُشْهِدُونَ شُهُودًا فِي أَرْضِ بِنْيَامِينَ وَحَوَالَيْ أُورُشَلِيمَ، وَفِي مُدُنِ يَهُوذَا وَمُدُنِ ٱلْجَبَلِ وَمُدُنِ ٱلسَّهْلِ وَمُدُنِ ٱلْجَنُوبِ، لِأَنِّي أَرُدُّ سَبْيَهُمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». ٤٤ 44
बिनयमीन के ''इलाक़े में और येरूशलेम के 'इलाक़े में और यहूदाह के शहरों में और पहाड़ी के, और वादी के, और दख्खिन के शहरों में लोग रुपया देकर खेत ख़रीदेंगे; और क़बाले लिखाकर उन पर मुहर लगाएँगे और गवाह ठहराएँगे, क्यूँकि मैं उनकी ग़ुलामी को ख़त्म कर दूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।”

< إِرْمِيَا 32 >