< إِرْمِيَا 3 >

«قَائِلًا: إِذَا طَلَّقَ رَجُلٌ ٱمْرَأَتَهُ فَٱنْطَلَقَتْ مِنْ عِنْدِهِ وَصَارَتْ لِرَجُلٍ آخَرَ، فَهَلْ يَرْجِعُ إِلَيْهَا بَعْدُ؟ أَلَا تَتَنَجَّسُ تِلْكَ ٱلْأَرْضُ نَجَاسَةً؟ أَمَّا أَنْتِ فَقَدْ زَنَيْتِ بِأَصْحَابٍ كَثِيرِينَ! لَكِنِ ٱرْجِعِي إِلَيَّ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١ 1
कहते हैं कि 'अगर कोई मर्द अपनी बीवी को तलाक दे दे, और वह उसके यहाँ से जाकर किसी दूसरे मर्द की हो जाए, तो क्या वह पहला फिर उसके पास जाएगा?’ क्या वह ज़मीन बहुत नापाक न होगी? लेकिन तूने तो बहुत से यारों के साथ बदकारी की है; क्या अब भी तू मेरी तरफ़ फिरेगी? ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
اِرْفَعِي عَيْنَيْكِ إِلَى ٱلْهِضَابِ وَٱنْظُرِي، أَيْنَ لَمْ تُضَاجَعِي؟ فِي ٱلطُّرُقَاتِ جَلَسْتِ لَهُمْ كَأَعْرَابِيٍّ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، وَنَجَّسْتِ ٱلْأَرْضَ بِزِنَاكِ وَبِشَرِّكِ. ٢ 2
पहाड़ों की तरफ़ अपनी आँखें उठा और देख! कौन सी जगह है जहाँ तूने बदकारी नहीं की? तू राह में उनके लिए इस तरह बैठी, जिस तरह वीराने में 'अरब। तूने अपनी बदकारी और शरारत से ज़मीन को नापाक किया।
فَٱمْتَنَعَ ٱلْغَيْثُ وَلَمْ يَكُنْ مَطَرٌ مُتَأَخِّرٌ. وَجَبْهَةُ ٱمْرَأَةٍ زَانِيَةٍ كَانَتْ لَكِ. أَبَيْتِ أَنْ تَخْجَلِي. ٣ 3
इसलिए बारिश नहीं होती और आख़िरी बरसात नहीं हुई तेरी पेशानी फ़ाहिशा की है और तुझ को शर्म नहीं आती'।
أَلَسْتِ مِنَ ٱلْآنَ تَدْعِينَنِي: يَا أَبِي، أَلِيفُ صِبَايَ أَنْتَ؟ ٤ 4
क्या तू अब से मुझे पुकार कर न कहेगी, ऐ मेरे बाप, तू मेरी जवानी का रहबर था?
هَلْ يَحْقِدُ إِلَى ٱلدَّهْرِ، أَوْ يَحْفَظُ غَضَبَهُ إِلَى ٱلْأَبَدِ؟ هَا قَدْ تَكَلَّمْتِ وَعَمِلْتِ شُرُورًا، وَٱسْتَطَعْتِ!». ٥ 5
क्या उसका क़हर हमेशा रहेगा? क्या वह उसे हमेशा तक रख छोड़ेगा? देख, तू ऐसी बातें तो कह चुकी, लेकिन जहाँ तक तुझ से हो सका तूने बुरे काम किए।
وَقَالَ ٱلرَّبُّ لِي فِي أَيَّامِ يُوشِيَّا ٱلْمَلِكِ: «هَلْ رَأَيْتَ مَا فَعَلَتِ ٱلْعَاصِيَةُ إِسْرَائِيلُ؟ اِنْطَلَقَتْ إِلَى كُلِّ جَبَلٍ عَالٍ، وَإِلَى كُلِّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ وَزَنَتْ هُنَاكَ. ٦ 6
और यूसियाह बादशाह के दिनों में ख़ुदावन्द ने मुझसे फ़रमाया, क्या तूने देखा, नाफ़रमान इस्राईल ने क्या किया है? वह हर एक ऊँचे पहाड़ पर और हर एक हरे दरख़्त के नीचे गई, और वहाँ बदकारी की।
فَقُلْتُ بَعْدَ مَا فَعَلَتْ كُلَّ هَذِهِ: ٱرْجِعِي إِلَيَّ. فَلَمْ تَرْجِعْ. فَرَأَتْ أُخْتُهَا ٱلْخَائِنَةُ يَهُوذَا. ٧ 7
और जब वह ये सब कुछ कर चुकी तो मैंने कहा, वह मेरी तरफ़ वापस आएगी; लेकिन वह न आई, और उसकी बेवफ़ा बहन यहूदाह ने ये हाल देखा।
فَرَأَيْتُ أَنَّهُ لِأَجْلِ كُلِّ ٱلْأَسْبَابِ إِذْ زَنَتِ ٱلْعَاصِيَةُ إِسْرَائِيلُ فَطَلَّقْتُهَا وَأَعْطَيْتُهَا كِتَابَ طَلَاقِهَا، لَمْ تَخَفِ ٱلْخَائِنَةُ يَهُوذَا أُخْتُهَا، بَلْ مَضَتْ وَزَنَتْ هِيَ أَيْضًا. ٨ 8
फिर मैंने देखा कि जब फिरे हुए इस्राईल की ज़िनाकारी की वजह से मैंने उसको तलाक़ दे दिया, और उसे तलाक़नामा लिख दिया तो भी उसकी बेवफ़ा बहन यहूदाह न डरी; बल्कि उसने भी जाकर बदकारी की।
وَكَانَ مِنْ هَوَانِ زِنَاهَا أَنَّهَا نَجَّسَتِ ٱلْأَرْضَ وَزَنَتْ مَعَ ٱلْحَجَرِ وَمَعَ ٱلشَّجَرِ. ٩ 9
और ऐसा हुआ कि उसने अपनी बदकारी की बुराई से ज़मीन को नापाक किया, और पत्थर और लकड़ी के साथ ज़िनाकारी की।
وَفِي كُلِّ هَذَا أَيْضًا لَمْ تَرْجِعْ إِلَيَّ أُخْتُهَا ٱلْخَائِنَةُ يَهُوذَا بِكُلِّ قَلْبِهَا، بَلْ بِٱلْكَذِبِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». ١٠ 10
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि बावजूद इस सब के उसकी बेवफ़ा बहन यहूदाह सच्चे दिल से मेरी तरफ़ न फिरी, बल्कि रियाकारी से।
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِي: «قَدْ بَرَّرَتْ نَفْسَهَا ٱلْعَاصِيَةُ إِسْرَائِيلُ أَكْثَرَ مِنَ ٱلْخَائِنَةِ يَهُوذَا. ١١ 11
और ख़ुदावन्द ने मुझसे फ़रमाया, नाफ़रमान इस्राईल ने बेवफ़ा यहूदाह से ज़्यादा अपने आपको सच्चा साबित किया है।
«اِذْهَبْ وَنَادِ بِهَذِهِ ٱلْكَلِمَاتِ نَحْوَ ٱلشِّمَالِ، وَقُلِ: ٱرْجِعِي أَيَّتُهَا ٱلْعَاصِيَةُ إِسْرَائِيلُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. لَا أُوقِعُ غَضَبِي بِكُمْ لِأَنِّي رَؤُوفٌ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. لَا أَحْقِدُ إِلَى ٱلْأَبَدِ. ١٢ 12
जा और उत्तर की तरफ़ यह बात पुकारकर कह दे कि 'ख़ुदावन्द फ़रमाता है, ऐ नाफ़रमान इस्राईल, वापस आ; मैं तुझ पर क़हर की नज़र नहीं करूँगा क्यूँकि ख़ुदावन्द फ़रमाता है मैं रहीम हूँ मेरा क़हर हमेशा का नहीं।
اِعْرِفِي فَقَطْ إِثْمَكِ أَنَّكِ إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِكِ أَذْنَبْتِ، وَفَرَّقْتِ طُرُقَكِ لِلْغُرَبَاءِ تَحْتَ كُلِّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ، وَلِصَوْتِي لَمْ تَسْمَعُوا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١٣ 13
सिर्फ़ अपनी बदकारी का इक़रार कर कि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से 'आसी हो गई, और हर एक हरे दरख़्त के नीचे ग़ैरों के साथ इधर — उधर आवारा फिरी; ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तुम मेरी आवाज़ के सुनने वाले न हुए।
اِرْجِعُوا أَيُّهَا ٱلْبَنُونَ ٱلْعُصَاةُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، لِأَنِّي سُدْتُ عَلَيْكُمْ فَآخُذَكُمْ وَاحِدًا مِنَ ٱلْمَدِينَةِ، وَٱثْنَيْنِ مِنَ ٱلْعَشِيرَةِ، وَآتِي بِكُمْ إِلَى صِهْيَوْنَ، ١٤ 14
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, 'ऐ नाफ़रमान बच्चों, वापस आओ; क्यूँकि मैं ख़ुद तुम्हारा मालिक हूँ, और मैं तुम को हर एक शहर में से एक, और हर एक घराने में से दो लेकर सिय्यून में लाऊँगा।
وَأُعْطِيكُمْ رُعَاةً حَسَبَ قَلْبِي، فَيَرْعُونَكُمْ بِٱلْمَعْرِفَةِ وَٱلْفَهْمِ. ١٥ 15
“और मैं तुम को अपने ख़ातिर ख़्वाह चरवाहे दूँगा, और वह तुम को समझदारी और 'अक़्लमन्दी से चराएँगे।
وَيَكُونُ إِذْ تَكْثُرُونَ وَتُثْمِرُونَ فِي ٱلْأَرْضِ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، أَنَّهُمْ لَا يَقُولُونَ بَعْدُ: تَابُوتَ عَهْدِ ٱلرَّبِّ، وَلَا يَخْطُرُ عَلَى بَالٍ، وَلَا يَذْكُرُونَهُ وَلَا يَتَعَهَّدُونَهُ وَلَا يُصْنَعُ بَعْدُ. ١٦ 16
और यूँ होगा कि ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि जब उन दिनों में तुम मुल्क में बढ़ोगे और बहुत होगे, तब वह फिर न कहेंगे कि 'ख़ुदावन्द के 'अहद का सन्दूक़'; उसका ख़याल भी कभी उनके दिल में न आएगा, वह हरगिज़ उसे याद न करेंगे और उसकी ज़ियारत को न जाएँगे, और उसकी मरम्मत न होगी।
فِي ذَلِكَ ٱلزَّمَانِ يُسَمُّونَ أُورُشَلِيمَ كُرْسِيَّ ٱلرَّبِّ، وَيَجْتَمِعُ إِلَيْهَا كُلُّ ٱلْأُمَمِ، إِلَى ٱسْمِ ٱلرَّبِّ، إِلَى أُورُشَلِيمَ، وَلَا يَذْهَبُونَ بَعْدُ وَرَاءَ عِنَادِ قَلْبِهِمِ ٱلشِّرِّيرِ. ١٧ 17
उस वक़्त येरूशलेम ख़ुदावन्द का तख़्त कहलाएगा, और उसमें या'नी येरूशलेम में, सब क़ौमें ख़ुदावन्द के नाम से जमा' होंगी; और वह फिर अपने बुरे दिल की सख़्ती की पैरवी न करेंगे।
فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ يَذْهَبُ بَيْتُ يَهُوذَا مَعَ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ، وَيَأْتِيَانِ مَعًا مِنْ أَرْضِ ٱلشِّمَالِ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي مَلَّكْتُ آبَاءَكُمْ إِيَّاهَا. ١٨ 18
उन दिनों में यहूदाह का घराना इस्राईल के घराने के साथ चलेगा, वह मिलकर उत्तर के मुल्क में से उस मुल्क में जिसे मैंने तुम्हारे बाप — दादा को मीरास में दिया, आएँगे।
وَأَنَا قُلْتُ: كَيْفَ أَضَعُكِ بَيْنَ ٱلْبَنِينَ، وَأُعْطِيكِ أَرْضًا شَهِيَّةً، مِيرَاثَ مَجْدِ أَمْجَادِ ٱلْأُمَمِ؟ وَقُلْتُ: تَدْعِينَنِي يَا أَبِي، وَمِنْ وَرَائِي لَا تَرْجِعِينَ. ١٩ 19
'आह, मैंने तो कहा था, मैं तुझ को फ़र्ज़न्दों में शामिल करके ख़ुशनुमा मुल्क या'नी क़ौमों की नफ़ीस मीरास तुझे दूँगा; और तू मुझे बाप कह कर पुकारेगी, और तू फिर मुझसे न फिरेगी।
«حَقًّا إِنَّهُ كَمَا تَخُونُ ٱلْمَرْأَةُ قَرِينَهَا، هَكَذَا خُنْتُمُونِي يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». ٢٠ 20
लेकिन ख़ुदावन्द फ़रमाता है, ऐ इस्राईल के घराने, जिस तरह बीवी बेवफ़ाई से अपने शौहर को छोड़ देती है, उसी तरह तूने मुझसे बेवफ़ाई की है।
سُمِعَ صَوْتٌ عَلَى ٱلْهِضَابِ، بُكَاءُ تَضَرُّعَاتِ بَنِي إِسْرَائِيلَ. لِأَنَّهُمْ عَوَّجُوا طَرِيقَهُمْ. نَسُوا ٱلرَّبَّ إِلَهَهُمْ. ٢١ 21
पहाड़ों पर बनी — इस्राईल की गिरया — ओ — ज़ारी और मिन्नत की आवाज़ सुनाई देती है क्यूँकि उन्होंने अपनी राह टेढ़ी की और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को भूल गए।
«اِرْجِعُوا أَيُّهَا ٱلْبَنُونَ ٱلْعُصَاةُ فَأَشْفِيَ عِصْيَانَكُمْ». «هَا قَدْ أَتَيْنَا إِلَيْكَ، لِأَنَّكَ أَنْتَ ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا. ٢٢ 22
'ऐ नाफ़रमान फ़र्ज़न्द वापस आओ मैं तुम्हारी नाफ़रमानी का चारा करूँगा। देख, हम तेरे पास आते हैं; क्यूँकि तू ही, ऐ ख़ुदावन्द, हमारा ख़ुदा है।
حَقًّا بَاطِلَةٌ هِيَ ٱلْآكَامُ ثَرْوَةُ ٱلْجِبَالِ. حَقًّا بِٱلرَّبِّ إِلَهِنَا خَلَاصُ إِسْرَائِيلَ. ٢٣ 23
हक़ीक़त में टीलों और पहाड़ों पर के हुजूम से कुछ उम्मीद रखना बेफ़ायदा है। यक़ीनन ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ही में इस्राईल की नजात है।
وَقَدْ أَكَلَ ٱلْخِزْيُ تَعَبَ آبَائِنَا مُنْذُ صِبَانَا، غَنَمَهُمْ وَبَقَرَهُمْ بَنِيهِمْ وَبَنَاتِهِمْ. ٢٤ 24
लेकिन इस रुस्वाई की वजह ने हमारी जवानी के वक़्त से हमारे बाप — दादा के माल को, और उनकी भेड़ों और उनके बैलों और उनके बेटे और बेटियों को निगल लिया है।
نَضْطَجِعُ فِي خِزْيِنَا وَيُغَطِّينَا خَجَلُنَا، لِأَنَّنَا إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا أَخْطَأْنَا، نَحْنُ وَآبَاؤُنَا مُنْذُ صِبَانَا إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، وَلَمْ نَسْمَعْ لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا». ٢٥ 25
हम अपनी शर्म में लेटें और रुस्वाई हमको छिपा ले, क्यूँकि हम और हमारे बाप — दादा अपनी जवानी के वक़्त से आज तक ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के ख़ताकार हैं। और हम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आवाज़ के सुनने वाले नहीं हुए।”

< إِرْمِيَا 3 >