< إِرْمِيَا 28 >

وَحَدَثَ فِي تِلْكَ ٱلسَّنَةِ فِي ٱبْتِدَاءِ مُلْكِ صِدْقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، فِي ٱلسَّنَةِ ٱلرَّابِعَةِ، فِي ٱلشَّهْرِ ٱلْخَامِسِ، أَنَّ حَنَنِيَّا بْنَ عَزُورَ ٱلنَّبِيَّ ٱلَّذِي مِنْ جِبْعُونَ: كَلَّمَنِي فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ أَمَامَ ٱلْكَهَنَةِ وَكُلِّ ٱلشَّعْبِ قَائِلًا: ١ 1
और उसी साल शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह की सल्तनत के शुरू' में, चौथे बरस के पाँचवें महीने में, यूँ हुआ कि जिबा'ऊनी ''अज़्ज़ूर के बेटे हननियाह नबी ने ख़ुदावन्द के घर में काहिनों और सब लोगों के सामने मुझसे मुख़ातिब होकर कहा,
«هَكَذَا تَكَلَّمَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ قَائِلًا: قَدْ كَسَرْتُ نِيرَ مَلِكِ بَابِلَ. ٢ 2
'रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: मैंने शाह — ए — बाबुल का जुआ तोड़ डाला है,
فِي سَنَتَيْنِ مِنَ ٱلزَّمَانِ أَرُدُّ إِلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ كُلَّ آنِيَةِ بَيْتِ ٱلرَّبِّ ٱلَّتِي أَخَذَهَا نَبُوخَذْنَاصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ مِنْ هَذَا ٱلْمَوْضِعِ، وَذَهَبَ بِهَا إِلَى بَابِلَ. ٣ 3
दो ही बरस के अन्दर मैं ख़ुदावन्द के घर के सब बर्तन, जो शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र इस मकान से बाबुल को ले गया, इसी मकान में वापस लाऊँगा।
وَأَرُدُّ إِلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ يَكُنْيَا بْنَ يَهُويَاقِيمَ مَلِكَ يَهُوذَا وَكُلَّ سَبْيِ يَهُوذَا ٱلَّذِينَ ذَهَبُوا إِلَى بَابِلَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، لِأَنِّي أَكْسِرُ نِيرَ مَلِكِ بَابِلَ». ٤ 4
शाह — ए — यहूदाह यकूनियाह — बिन — यहूयक़ीम को और यहूदाह के सब ग़ुलामों को जो बाबुल को गए थे, फिर इसी जगह लाऊँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है; क्यूँकि मैं शाह — ए — बाबुल के जूए को तोड़ डालूँगा।
فَكَلَّمَ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ حَنَنِيَّا ٱلنَّبِيَّ أَمَامَ ٱلْكَهَنَةِ وَأَمَامَ كُلِّ ٱلشَّعْبِ ٱلْوَاقِفِينَ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ، ٥ 5
तब यरमियाह नबी ने काहिनों और सब लोगों के सामने, जो ख़ुदावन्द के घर में खड़े थे, हननियाह नबी से कहा,
وَقَالَ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ: «آمِينَ. هَكَذَا لِيَصْنَعِ ٱلرَّبُّ. لِيُقِمِ ٱلرَّبُّ كَلَامَكَ ٱلَّذِي تَنَبَّأْتَ بِهِ، فَيَرُدَّ آنِيَةَ بَيْتِ ٱلرَّبِّ وَكُلَّ ٱلسَّبْيِ مِنْ بَابِلَ إِلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ. ٦ 6
“हाँ, यरमियाह नबी ने कहा, आमीन! ख़ुदावन्द ऐसा ही करे, ख़ुदावन्द तेरी बातों को जो तू ने नबुव्वत से कहीं, पूरा करे कि ख़ुदावन्द के घर के बर्तनों को और सब ग़ुलामों को बाबुल से इस मकान में वापस लाए।
وَلَكِنِ ٱسْمَعْ هَذِهِ ٱلْكَلِمَةَ ٱلَّتِي أَتَكَلَّمُ أَنَا بِهَا فِي أُذُنَيْكَ وَفِي آذَانِ كُلِّ ٱلشَّعْبِ. ٧ 7
तो भी अब यह बात जो मैं तेरे और सब लोगों के कानों में कहता हूँ सुन;
إِنَّ ٱلْأَنْبِيَاءَ ٱلَّذِينَ كَانُوا قَبْلِي وَقَبْلَكَ مُنْذُ ٱلْقَدِيمِ وَتَنَبَّأُوا عَلَى أَرَاضٍ كَثِيرَةٍ وَعَلَى مَمَالِكَ عَظِيمَةٍ بِٱلْحَرْبِ وَٱلشَّرِّ وَٱلْوَبَإِ. ٨ 8
उन नबियों ने जो मुझसे और तुझ से पहले गुज़रे ज़माने में थे, बहुत से मुल्कों और बड़ी — बड़ी सल्तनतों के हक़ में, जंग और बला और वबा की नबुव्वत की है।
ٱلنَّبِيُّ ٱلَّذِي تَنَبَّأَ بِٱلسَّلَامِ، فَعِنْدَ حُصُولِ كَلِمَةِ ٱلنَّبِيِّ عُرِفَ ذَلِكَ ٱلنَّبِيُّ أَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ أَرْسَلَهُ حَقًّا». ٩ 9
वह नबी जो सलामती की ख़बर देता है, जब उस नबी का कलाम पूरा हो जाए तो मा'लूम होगा कि हक़ीक़त में ख़ुदावन्द ने उसे भेजा है।”
ثُمَّ أَخَذَ حَنَنِيَّا ٱلنَّبِيُّ ٱلنِّيرَ عَنْ عُنُقِ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيِّ وَكَسَرَهُ. ١٠ 10
तब हननियाह नबी ने यरमियाह नबी की गर्दन पर से जुआ उतारा और उसे तोड़ डाला;
وَتَكَلَّمَ حَنَنِيَّا أَمَامَ كُلِّ ٱلشَّعْبِ قَائِلًا: «هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَكَذَا أَكْسِرُ نِيرَ نَبُوخَذْنَاصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ فِي سَنَتَيْنِ مِنَ ٱلزَّمَانِ عَنْ عُنُقِ كُلِّ ٱلشُّعُوبِ». وَٱنْطَلَقَ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ فِي سَبِيلِهِ. ١١ 11
और हननियाह ने सब लोगों के सामने इस तरह कलाम किया, ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: मैं इसी तरह शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र का जुआ सब क़ौमों की गर्दन पर से, दो ही बरस के अन्दर तोड़ डालूँगा। तब यरमियाह नबी ने अपनी राह ली।
ثُمَّ صَارَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَى إِرْمِيَا ٱلنَّبِيِّ، بَعْدَ مَا كَسَرَ حَنَنِيَّا ٱلنَّبِيُّ ٱلنِّيرَ عَنْ عُنُقِ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيِّ، قَائِلًا: ١٢ 12
जब हननियाह नबी यरमियाह नबी की गर्दन पर से जुआ तोड़ चुका था, तो ख़ुदावन्द का कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ:
«ٱذْهَبْ وَكَلِّمْ حَنَنِيَّا قَائِلًا: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: قَدْ كَسَرْتَ أَنْيَارَ ٱلْخَشَبِ وَعَمِلْتَ عِوَضًا عَنْهَا أَنْيَارًا مِنْ حَدِيدٍ. ١٣ 13
कि “जा, और हननियाह से कह कि 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: तूने लकड़ी के जुओं को तो तोड़ा, लेकिन उनके बदले में लोहे के जूए बना दिए।
لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: قَدْ جَعَلْتُ نِيرًا مِنْ حَدِيدٍ عَلَى عُنُقِ كُلِّ هَؤُلَاءِ ٱلشُّعُوبِ لِيَخْدِمُوا نَبُوخَذْنَاصَّرَ مَلِكَ بَابِلَ، فَيَخْدِمُونَهُ وَقَدْ أَعْطَيْتُهُ أَيْضًا حَيَوَانَ ٱلْحَقْلِ». ١٤ 14
क्यूँकि रब्ब — उलअफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि मैंने इन सब क़ौमों की गर्दन पर लोहे का जुआ डाल दिया है, ताकि वह शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र की ख़िदमत करें; तब वह उसकी ख़िदमतगुज़ारी करेंगी, और मैंने मैदान के जानवर भी उसे दे दिए हैं।”
فَقَالَ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ لِحَنَنِيَّا ٱلنَّبِيِّ: «ٱسْمَعْ يَا حَنَنِيَّا. إِنَّ ٱلرَّبَّ لَمْ يُرْسِلْكَ، وَأَنْتَ قَدْ جَعَلْتَ هَذَا ٱلشَّعْبَ يَتَّكِلُ عَلَى ٱلْكَذِبِ. ١٥ 15
तब यरमियाह नबी ने हननियाह नबी से कहा, ऐ हननियाह, अब सुन; ख़ुदावन्द ने तुझे नहीं भेजा, लेकिन तू इन लोगों को झूटी उम्मीद दिलाता है।
لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا طَارِدُكَ عَنْ وَجْهِ ٱلْأَرْضِ. هَذِهِ ٱلسَّنَةَ تَمُوتُ، لِأَنَّكَ تَكَلَّمْتَ بِعِصْيَانٍ عَلَى ٱلرَّبِّ». ١٦ 16
इसलिए ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि “देख, मैं तुझे इस ज़मीन पर से निकाल दूँगा; तू इसी साल मर जाएगा क्यूँकि तूने ख़ुदावन्द के ख़िलाफ़ फ़ितनाअंगेज़ बातें कही हैं।”
فَمَاتَ حَنَنِيَّا ٱلنَّبِيُّ فِي تِلْكَ ٱلسَّنَةِ فِي ٱلشَّهْرِ ٱلسَّابِعِ. ١٧ 17
चुनाँचे उसी साल के सातवें महीने हननियाह नबी मर गया।

< إِرْمِيَا 28 >