< إِرْمِيَا 25 >

اَلْكَلَامُ ٱلَّذِي صَارَ إِلَى إِرْمِيَا عَنْ كُلِّ شَعْبِ يَهُوذَا، فِي ٱلسَّنَةِ ٱلرَّابِعَةِ لِيَهُويَاقِيمَ بْنِ يُوشِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، هِيَ ٱلسَّنَةُ ٱلْأُولَى لِنَبُوخَذْرَاصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ، ١ 1
वह कलाम जो शाह — ए — यहूदाह यहूयक़ीम — बिन — यूसियाह के चौथे बरस में, जो शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र का पहला बरस था, यहूदाह के सब लोगों के बारे में यरमियाह पर नाज़िल हुआ;
ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِهِ إِرْمِيَا ٱلنَّبِيُّ عَلَى كُلِّ شَعْبِ يَهُوذَا وَعَلَى كُلِّ سُكَّانِ أُورُشَلِيمَ قَائِلًا: ٢ 2
जो यरमियाह नबी ने यहूदाह के सब लोगों और येरूशलेम के सब बाशिन्दों को सुनाया, और कहा,
«مِنَ ٱلسَّنَةِ ٱلثَّالِثَةِ عَشَرَةَ لِيُوشِيَّا بْنِ آمُونَ مَلِكِ يَهُوذَا إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، هَذِهِ ٱلثَّلَاثِ وَٱلْعِشْرِينَ سَنَةً، صَارَتْ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ إِلَيَّ فَكَلَّمْتُكُمْ مُبَكِّرًا وَمُكَلِّمًا فَلَمْ تَسْمَعُوا. ٣ 3
कि शाह — ए — यहूदाह यूसियाह — बिन — अमून के तेरहवें बरस से आज तक यह तेईस बरस ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल होता रहा, और मैं तुम को सुनाता और सही वक़्त पर “जताता रहा पर तुम ने न सुना।
وَقَدْ أَرْسَلَ ٱلرَّبُّ إِلَيْكُمْ كُلَّ عَبِيدِهِ ٱلْأَنْبِيَاءِ مُبَكِّرًا وَمُرْسِلًا فَلَمْ تَسْمَعُوا وَلَمْ تُمِيلُوا أُذُنَكُمْ لِلسَّمْعِ، ٤ 4
और ख़ुदावन्द ने अपने सब ख़िदमतगुज़ार नबियों को तुम्हारे पास भेजा, उसने उनको सही वक़्त पर भेजा, लेकिन तुम ने न सुना और न कान लगाया;
قَائِلِينَ: ٱرْجِعُوا كُلُّ وَاحِدٍ عَنْ طَرِيقِهِ ٱلرَّدِيءِ وَعَنْ شَرِّ أَعْمَالِكُمْ وَٱسْكُنُوا فِي ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَاكُمُ ٱلرَّبُّ إِيَّاهَا وَآبَاءَكُمْ مِنَ ٱلْأَزَلِ وَإِلَى ٱلْأَبَدِ. ٥ 5
उन्होंने कहा, 'तुम सब अपनी — अपनी बुरी राह से, और अपने बुरे कामों से बाज़ आओ, और उस मुल्क में जो ख़ुदावन्द ने तुम को और तुम्हारे बाप — दादा को पहले से हमेशा के लिए दिया है, बसो;
وَلَا تَسْلُكُوا وَرَاءَ آلِهَةٍ أُخْرَى لِتَعْبُدُوهَا وَتَسْجُدُوا لَهَا، وَلَا تَغِيظُونِي بِعَمَلِ أَيْدِيكُمْ فَلَا أُسِيءَ إِلَيْكُمْ. ٦ 6
और ग़ैर मा'बूदों की पैरवी न करो कि उनकी 'इबादत — ओ — परस्तिश करो, और अपने हाथों के कामों से मुझे ग़ज़बनाक न करो; और मैं तुम को कुछ नुक़सान न पहुँचाऊँगा।
فَلَمْ تَسْمَعُوا لِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، لِتَغِيظُونِي بِعَمَلِ أَيْدِيكُمْ شَرًّا لَكُمْ. ٧ 7
लेकिन ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तुम ने मेरी न सुनी; ताकि अपने हाथों के कामों से अपने ज़ियान के लिए मुझे ग़ज़बनाक करो।
«لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: مِنْ أَجْلِ أَنَّكُمْ لَمْ تَسْمَعُوا لِكَلَامِي ٨ 8
'इसलिए रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि: चूँकि तुम ने मेरी बात न सुनी,
هَأَنَذَا أُرْسِلُ فَآخُذُ كُلَّ عَشَائِرِ ٱلشِّمَالِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَإِلَى نَبُوخَذْرَاصَّرَ عَبْدِي مَلِكِ بَابِلَ، وَآتِي بِهِمْ عَلَى هَذِهِ ٱلْأَرْضِ وَعَلَى كُلِّ سُكَّانِهَا وَعَلَى كُلِّ هَذِهِ ٱلشُّعُوبِ حَوَالَيْهَا، فَأُحَرِّمُهُمْ وَأَجْعَلُهُمْ دَهَشًا وَصَفِيرًا وَخِرَبًا أَبَدِيَّةً. ٩ 9
देखो, मैं तमाम उत्तरी क़बीलों को और अपने ख़िदमत गुज़ार शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र को बुला भेजूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, और मैं उनको इस मुल्क और इसके बाशिन्दों पर, और उन सब क़ौमों पर जो आस — पास हैं चढ़ा लाऊँगा; और इनको बिल्कुल हलाक — ओ — बर्बाद कर दूँगा और इनको हैरानी और सुस्कार का ज़रिया' बनाऊँगा और हमेशा के लिए वीरान करूँगा।
وَأُبِيدُ مِنْهُمْ صَوْتَ ٱلطَّرَبِ وَصَوْتَ ٱلْفَرَحِ، صَوْتَ ٱلْعَرِيسِ وَصَوْتَ ٱلْعَرُوسِ، صَوْتَ ٱلْأَرْحِيَةِ وَنُورَ ٱلسِّرَاجِ. ١٠ 10
बल्कि मैं इनमें से ख़ुशी — ओ — शादमानी की आवाज़ दूल्हे और दूल्हन की आवाज़, चक्की की आवाज़ और चराग़ की रोशनी ख़त्म कर दूँगा।
وَتَصِيرُ كُلُّ هَذِهِ ٱلْأَرْضِ خَرَابًا وَدَهَشًا، وَتَخْدِمُ هَذِهِ ٱلشُّعُوبُ مَلِكَ بَابِلَ سَبْعِينَ سَنَةً. ١١ 11
और यह सारी सरज़मीन वीरान और हैरानी का ज़रिया' हो जाएगी, और यह क़ौमें सत्तर बरस तक शाह — ए — बाबुल की ग़ुलामी करेंगी।
«وَيَكُونُ عِنْدَ تَمَامِ ٱلسَّبْعِينَ سَنَةً أَنِّي أُعَاقِبُ مَلِكَ بَابِلَ، وَتِلْكَ ٱلْأُمَّةَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، عَلَى إِثْمِهِمْ وَأَرْضَ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ، وَأَجْعَلُهَا خِرَبًا أَبَدِيَّةً. ١٢ 12
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, जब सत्तर बरस पूरे होंगे, तो मैं शाह — ए — बाबुल को और उस क़ौम को और कसदियों के मुल्क को, उनकी बदकिरदारी की वजह से सज़ा दूँगा; और मैं उसे ऐसा उजाड़ूँगा कि हमेशा तक वीरान रहे।
وَأَجْلِبُ عَلَى تِلْكَ ٱلْأَرْضِ كُلَّ كَلَامِي ٱلَّذِي تَكَلَّمْتُ بِهِ عَلَيْهَا، كُلَّ مَا كُتِبَ فِي هَذَا ٱلسِّفْرِ ٱلَّذِي تَنَبَّأَ بِهِ إِرْمِيَا عَلَى كُلِّ ٱلشُّعُوبِ. ١٣ 13
और मैं उस मुल्क पर अपनी सब बातें जो मैंने उसके बारे में कहीं, या'नी वह सब जो इस किताब में लिखी हैं, जो यरमियाह ने नबुव्वत करके सब क़ौमों को कह सुनाई, पूरी करूँगा
لِأَنَّهُ قَدِ ٱسْتَعْبَدَهُمْ أَيْضًا أُمَمٌ كَثِيرَةٌ وَمُلُوكٌ عِظَامٌ، فَأُجَازِيهِمْ حَسَبَ أَعْمَالِهِمْ وَحَسَبَ عَمَلِ أَيَادِيهِمْ». ١٤ 14
कि उनसे, हाँ, उन्हीं से बहुत सी क़ौमें और बड़े — बड़े बादशाह ग़ुलाम के जैसी ख़िदमत लेंगे; तब मैं उनके आ'माल के मुताबिक़ और उनके हाथों के कामों के मुताबिक़ उनको बदला दूँगा।”
لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ لِيَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: «خُذْ كَأْسَ خَمْرِ هَذَا ٱلسَّخَطِ مِنْ يَدِي، وَٱسْقِ جَمِيعَ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ أُرْسِلُكَ أَنَا إِلَيْهِمْ إِيَّاهَا. ١٥ 15
चूँकि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा ने मुझे फ़रमाया, ग़ज़ब की मय का यह प्याला मेरे हाथ से ले और उन सब क़ौमों को जिनके पास मैं तुझे भेजता हूँ, पिला,
فَيَشْرَبُوا وَيَتَرَنَّحُوا وَيَتَجَنَّنُوا مِنْ أَجْلِ ٱلسَّيْفِ ٱلَّذِي أُرْسِلُهُ أَنَا بَيْنَهُمْ». ١٦ 16
कि वह पिएँ और लड़खड़ाएँ, और उस तलवार की वजह से जो मैं उनके बीच चलाऊँगा बेहवास हों।
فَأَخَذْتُ ٱلْكَأْسَ مِنْ يَدِ ٱلرَّبِّ وَسَقَيْتُ كُلَّ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ أَرْسَلَنِي ٱلرَّبُّ إِلَيْهِمْ. ١٧ 17
इसलिए मैंने ख़ुदावन्द के हाथ से वह प्याला लिया, और उन सब क़ौमों को जिनके पास ख़ुदावन्द ने मुझे भेजा था पिलाया;
أُورُشَلِيمَ وَمُدُنَ يَهُوذَا وَمُلُوكَهَا وَرُؤَسَاءَهَا، لِجَعْلِهَا خَرَابًا وَدَهَشًا وَصَفِيرًا وَلَعْنَةً كَهَذَا ٱلْيَوْمِ. ١٨ 18
या'नी येरूशलेम और यहूदाह के शहरों को और उसके बादशाहों और हाकिम को, ताकि वह बर्बाद हों और हैरानी और सुस्कार और ला'नत का ज़रिया' ठहरें, जैसे अब हैं;
وَفِرْعَوْنَ مَلِكَ مِصْرَ وَعَبِيدَهُ وَرُؤَسَاءَهُ وَكُلَّ شَعْبِهِ. ١٩ 19
शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन को, और उसके मुलाज़िमों और उसके हाकिम और उसके सब लोगों को;
وَكُلَّ ٱللَّفِيفِ، وَكُلَّ مُلُوكِ أَرْضِ عُوصَ، وَكُلَّ مُلُوكِ أَرْضِ فِلِسْطِينَ وَأَشْقَلُونَ وَغَزَّةَ وَعَقْرُونَ وَبَقِيَّةَ أَشْدُودَ، ٢٠ 20
और सब मिले — जुले लोगों, और 'ऊज़ की ज़मीन के सब बादशाहों और फ़िलिस्तियों की सरज़मीन के सब बादशाहों, और अश्क़लोंन और ग़ज़्ज़ा और अक़रून और अश्दूद के बाक़ी लोगों को;
وَأَدُومَ وَمُوآبَ وَبَنِي عَمُّونَ، ٢١ 21
अदोम और मोआब और बनी 'अम्मोन को;
وَكُلَّ مُلُوكِ صُورَ، وَكُلَّ مُلُوكِ صِيدُونَ، وَمُلُوكِ ٱلْجَزَائِرِ ٱلَّتِي فِي عَبْرِ ٱلْبَحْرِ، ٢٢ 22
और सूर के सब बादशाहों, और सैदा के सब बादशाहों, और समन्दर पार के बहरी मुल्कों के बादशाहों को;
وَدَدَانَ وَتَيْمَاءَ وَبُوزَ، وَكُلَّ مَقْصُوصِي ٱلشَّعْرِ مُسْتَدِيرًا، ٢٣ 23
ददान और तेमा और बूज़, और उन सब को जो गाओदुम दाढ़ी रखते हैं;
وَكُلَّ مُلُوكِ ٱلْعَرَبِ، وَكُلَّ مُلُوكِ ٱللَّفِيفِ ٱلسَّاكِنِينَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، ٢٤ 24
और 'अरब के सब बादशाहों, और उन मिले — जुले लोगों के सब बादशाहों को जो वीराने में बसते हैं;
وَكُلَّ مُلُوكِ زِمْرِي، وَكُلَّ مُلُوكِ عِيلَامَ، وَكُلَّ مُلُوكِ مَادِي، ٢٥ 25
और ज़िमरी के सब बादशाहों और 'ऐलाम के सब बादशाहों और मादै के सब बादशाहों को;
وَكُلَّ مُلُوكِ ٱلشِّمَالِ ٱلْقَرِيبِينَ وَٱلْبَعِيدِينَ، كُلَّ وَاحِدٍ مَعَ أَخِيهِ، وَكُلَّ مَمَالِكِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي عَلَى وَجْهِ ٱلْأَرْضِ. وَمَلِكُ شِيشَكَ يَشْرَبُ بَعْدَهُمْ. ٢٦ 26
और उत्तर के सब बादशाहों को जो नज़दीक और जो दूर हैं, एक दूसरे के साथ, और दुनिया की सब सल्तनतों को जो इस ज़मीन पर हैं; और उनके बाद शेशक का बादशाह पिएगा।
وَتَقُولُ لَهُمْ: «هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: ٱشْرَبُوا وَٱسْكَرُوا وَتَقَيَّأُوا وَٱسْقُطُوا وَلَا تَقُومُوا مِنْ أَجْلِ ٱلسَّيْفِ ٱلَّذِي أُرْسِلُهُ أَنَا بَيْنَكُمْ. ٢٧ 27
और तू उनसे कहेगा कि 'इस्राईल का ख़ुदा, रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि तुम पियो और मस्त हो और तय करो, और गिर पड़ो और फिर न उठो, उस तलवार की वजह से जो मैं तुम्हारे बीच भेजूँगा।
وَيَكُونُ إِذَا أَبَوْا أَنْ يَأْخُذُوا ٱلْكَأْسَ مِنْ يَدِكَ لِيَشْرَبُوا، أَنَّكَ تَقُولُ لَهُمْ: هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: تَشْرَبُونَ شُرْبًا. ٢٨ 28
और यूँ होगा कि अगर वह पीने को तेरे हाथ से प्याला लेने से इन्कार करें, तो उनसे कहना कि रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि: यक़ीनन तुम को पीना होगा।
لِأَنِّي هَأَنَذَا أَبْتَدِئُ أُسِيءُ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ ٱلَّتِي دُعِيَ ٱسْمِي عَلَيْهَا، فَهَلْ تَتَبَرَّأُونَ أَنْتُمْ؟ لَا تَتَبَرَّأُونَ، لِأَنِّي أَنَا أَدْعُو ٱلسَّيْفَ عَلَى كُلِّ سُكَّانِ ٱلْأَرْضِ، يَقُولُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ. ٢٩ 29
क्यूँकि देख, मैं इस शहर पर जो मेरे नाम से कहलाता है आफ़त लाना शुरू' करता हूँ और क्या तुम साफ़ बेसज़ा छूट जाओगे? तुम बेसज़ा न छूटोगे, क्यूँकि मैं ज़मीन के सब बाशिन्दों पर तलवार को तलब करता हूँ, रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है।
وَأَنْتَ فَتَنَبَّأْ عَلَيْهِمْ بِكُلِّ هَذَا ٱلْكَلَامِ، وَقُلْ لَهُمْ: ٱلرَّبُّ مِنَ ٱلْعَلَاءِ يُزَمْجِرُ، وَمِنْ مَسْكَنِ قُدْسِهِ يُطْلِقُ صَوْتَهُ، يَزْأَرُ زَئِيرًا عَلَى مَسْكَنِهِ، بِهُتَافٍ كَٱلدَّائِسِينَ يَصْرُخُ ضِدَّ كُلِّ سُكَّانِ ٱلْأَرْضِ. ٣٠ 30
इसलिए तू यह सब बातें उनके ख़िलाफ़ नबुव्वत से बयान कर, और उनसे कह दे कि: 'ख़ुदावन्द बुलन्दी पर से गरजेगा और अपने पाक मकान से ललकारेगा, वह बड़े ज़ोर — ओ — शोर से अपनी चरागाह पर गरजेगा; अंगूर लताड़ने वालों की तरह वह ज़मीन के सब बाशिन्दों को ललकारेगा।
بَلَغَ ٱلضَّجِيجُ إِلَى أَطْرَافِ ٱلْأَرْضِ، لِأَنَّ لِلرَّبِّ خُصُومَةً مَعَ ٱلشُّعُوبِ. هُوَ يُحَاكِمُ كُلَّ ذِي جَسَدٍ. يَدْفَعُ ٱلْأَشْرَارَ لِلسَّيْفِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٣١ 31
एक ग़ौग़ा जमीन की शरहदों तक पहुँचा है क्यूँकि ख़ुदावन्द क़ौमों से झगड़ेगा, वह तमाम बशर को 'अदालत में लाएगा, वह शरीरों को तलवार के हवाले करेगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: هُوَذَا ٱلشَّرُّ يَخْرُجُ مِنْ أُمَّةٍ إِلَى أُمَّةٍ، وَيَنْهَضُ نَوْءٌ عَظِيمٌ مِنْ أَطْرَافِ ٱلْأَرْضِ. ٣٢ 32
'रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि: देख, क़ौम से क़ौम तक बला नाज़िल होगी, और ज़मीन की सरहदों से एक सख़्त तूफ़ान खड़ा होगा।
وَتَكُونُ قَتْلَى ٱلرَّبِّ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مِنْ أَقْصَاءِ ٱلْأَرْضِ إِلَى أَقْصَاءِ ٱلْأَرْضِ. لَا يُنْدَبُونَ وَلَا يُضَمُّونَ وَلَا يُدْفَنُونَ. يَكُونُونَ دِمْنَةً عَلَى وَجْهِ ٱلْأَرْضِ». ٣٣ 33
और ख़ुदावन्द के मक़्तूल उस रोज़ ज़मीन के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पड़े होंगे; उन पर कोई नौहा न करेगा, न वह जमा' किए जाएँगे, न दफ़्न होंगे; वह खाद की तरह इस ज़मीन पर पड़े रहेंगे।
وَلْوِلُوا أَيُّهَا ٱلرُّعَاةُ وَٱصْرُخُوا، وَتَمَرَّغُوا يَا رُؤَسَاءَ ٱلْغَنَمِ، لِأَنَّ أَيَّامَكُمْ قَدْ كَمَلَتْ لِلذَّبْحِ. وَأُبَدِّدُكُمْ فَتَسْقُطُونَ كَإِنَاءٍ شَهِيٍّ. ٣٤ 34
ऐ चरवाहो, वावैला करो और चिल्लाओ; और ऐ गल्ले के सरदारों, तुम ख़ुद राख में लेट जाओ, क्यूँकि तुम्हारे क़त्ल के दिन आ पहुँचे हैं। मैं तुम को चकनाचूर करूँगा, तुम नफ़ीस बर्तन की तरह गिर जाओगे।
وَيَبِيدُ ٱلْمَنَاصُ عَنِ ٱلرُّعَاةِ، وَٱلنَّجَاةُ عَنْ رُؤَسَاءِ ٱلْغَنَمِ. ٣٥ 35
और न चरवाहों को भागने की कोई राह मिलेगी, न गल्ले के सरदारों को बच निकलने की।
صَوْتُ صُرَاخِ ٱلرُّعَاةِ، وَوَلْوَلَةِ رُؤَسَاءِ ٱلْغَنَمِ. لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ أَهْلَكَ مَرْعَاهُمْ. ٣٦ 36
चरवाहों की फ़रियाद की आवाज़ और गल्ले के सरदारों का नौहा है; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनकी चरागाह को बर्बाद किया है,
وَبَادَتْ مَرَاعِي ٱلسَّلَامِ مِنْ أَجْلِ حُمُوِّ غَضَبِ ٱلرَّبِّ. ٣٧ 37
और सलामती के भेड़ ख़ाने ख़ुदावन्द के ग़ज़बनाक ग़ुस्से से बर्बाद हो गए।
تَرَكَ كَشِبْلٍ عِيصَهُ، لِأَنَّ أَرْضَهُمْ صَارَتْ خَرَابًا مِنْ أَجْلِ ٱلظَّالِمِ وَمِنْ أَجْلِ حُمُوِّ غَضَبِهِ. ٣٨ 38
वह जवान शेर की तरह अपनी कमीनगाह से निकला है; यक़ीनन सितमगर के ज़ुल्म से और उसके क़हर की शिद्दत से उनका मुल्क वीरान हो गया।

< إِرْمِيَا 25 >