< إِرْمِيَا 24 >

أَرَانِي ٱلرَّبُّ وَإِذَا سَلَّتَا تِينٍ مَوْضُوعَتَانِ أَمَامَ هَيْكَلِ ٱلرَّبِّ بَعْدَ مَا سَبَى نَبُوخَذْرَاصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ يَكُنْيَا بْنَ يَهُويَاقِيمَ مَلِكَ يَهُوذَا وَرُؤَسَاءَ يَهُوذَا وَٱلنَّجَّارِينَ وَٱلْحَدَّادِينَ مِنْ أُورُشَلِيمَ، وَأَتَى بِهِمْ إِلَى بَابِلَ. ١ 1
जब शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र शाह — ए — यहूदाह यकूनियाह — बिन — यहूयक़ीम को और यहूदाह के हाकिम को, कारीगरों और लुहारों के साथ येरूशलेम से ग़ुलाम करके बाबुल को ले गया, तो ख़ुदावन्द ने मुझ पर नुमायाँ किया, और क्या देखता हूँ कि ख़ुदावन्द की हैकल के सामने अंजीर की दो टोकरियाँ धरी थीं।
فِي ٱلسَّلَّةِ ٱلْوَاحِدَةِ تِينٌ جَيِّدٌ جِدًّا مِثْلُ ٱلتِّينِ ٱلْبَاكُورِيِّ، وَفِي ٱلسَّلَّةِ ٱلْأُخْرَى تِينٌ رَدِيءٌ جِدًّا لَا يُؤْكَلُ مِنْ رَدَاءَتِهِ. ٢ 2
एक टोकरी में अच्छे से अच्छे अंजीर थे, उनकी तरह जो पहले पकते हैं; और दूसरी टोकरी में बहुत ख़राब अंजीर थे, ऐसे ख़राब कि खाने के क़ाबिल न थे।
فَقَالَ لِي ٱلرَّبُّ: «مَاذَا أَنْتَ رَاءٍ يَا إِرْمِيَا؟» فَقُلْتُ: «تِينًا. اَلتِّينُ ٱلْجَيِّدُ جَيِّدٌ جِدًّا، وَٱلتِّينُ ٱلرَّدِيءُ رَدِيءٌ جِدًّا لَا يُؤْكَلُ مِنْ رَدَاءَتِهِ». ٣ 3
और ख़ुदावन्द ने मुझसे फ़रमाया, ऐ यरमियाह! तू क्या देखता है? और मैंने 'अर्ज़ की, अंजीर अच्छे अंजीर बहुत अच्छे और ख़राब अंजीर बहुत ख़राब, ऐसे ख़राब कि खाने के क़ाबिल नहीं।
ثُمَّ صَارَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَيَّ قَائِلًا: ٤ 4
फिर ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ कि:
«هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: كَهَذَا ٱلتِّينِ ٱلْجَيِّدِ هَكَذَا أَنْظُرُ إِلَى سَبْيِ يَهُوذَا ٱلَّذِي أَرْسَلْتُهُ مِنْ هَذَا ٱلْمَوْضِعِ إِلَى أَرْضِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ لِلْخَيْرِ. ٥ 5
ख़ुदावन्द, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: इन अच्छे अंजीरों की तरह मैं यहूदाह के उन ग़ुलामों पर जिनको मैंने इस मक़ाम से कसदियों के मुल्क में भेजा है, करम की नज़र रखूँगा।
وَأَجْعَلُ عَيْنَيَّ عَلَيْهِمْ لِلْخَيْرِ، وَأُرْجِعُهُمْ إِلَى هَذِهِ ٱلْأَرْضِ، وَأَبْنِيهِمْ وَلَا أَهْدِمُهُمْ، وَأَغْرِسُهُمْ وَلَا أَقْلَعُهُمْ. ٦ 6
क्यूँकि उन पर मेरी नज़र — ए — 'इनायत होगी, और मैं उनको इस मुल्क में वापस लाऊँगा, और मैं उनको बर्बाद नहीं बल्कि आबाद करूँगा; मैं उनको लगाऊँगा और उखाड़ूँगा नहीं।
وَأُعْطِيهِمْ قَلْبًا لِيَعْرِفُونِي أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ، فَيَكُونُوا لِي شَعْبًا وَأَنَا أَكُونُ لَهُمْ إِلَهًا، لِأَنَّهُمْ يَرْجِعُونَ إِلَيَّ بِكُلِّ قَلْبِهِمْ. ٧ 7
और मैं उनको ऐसा दिल दूँगा कि मुझे पहचानें कि मैं ख़ुदावन्द हूँ! और वह मेरे लोग होंगे और मैं उनका ख़ुदा हूँगा, इसलिए कि वह पूरे दिल से मेरी तरफ़ फिरेंगे।
«وَكَٱلتِّينِ ٱلرَّدِيءِ ٱلَّذِي لَا يُؤْكَلُ مِنْ رَدَاءَتِهِ، هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ، هَكَذَا أَجْعَلُ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا وَرُؤَسَاءَهُ وَبَقِيَّةَ أُورُشَلِيمَ ٱلْبَاقِيَةَ فِي هَذِهِ ٱلْأَرْضِ وَٱلسَّاكِنَةَ فِي أَرْضِ مِصْرَ. ٨ 8
“लेकिन उन ख़राब अंजीरों के बारे में, जो ऐसे ख़राब हैं कि खाने के क़ाबिल नहीं; ख़ुदावन्द यक़ीनन यूँ फ़रमाता है कि इसी तरह मैं शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह को, और उसके हाकिम को, और येरूशलेम के बाक़ी लोगों को, जो इस मुल्क में बच रहे हैं और जो मुल्क — ए — मिस्र में बसते हैं, छोड़ दूँगा।
وَأُسَلِّمُهُمْ لِلْقَلَقِ وَٱلشَّرِّ فِي جَمِيعِ مَمَالِكِ ٱلْأَرْضِ عَارًا وَمَثَلًا وَهُزْأَةً وَلَعْنَةً فِي جَمِيعِ ٱلْمَوَاضِعِ ٱلَّتِي أَطْرُدُهُمْ إِلَيْهَا. ٩ 9
हाँ, मैं उनको छोड़ दूँगा कि दुनिया की सब ममलुकतों में धक्के खाते फिरें, ताकि वह हर एक जगह में जहाँ — जहाँ मैं उनको हॉक दूँगा, मलामत और मसल और तान और ला'नत का ज़रिया' हों।
وَأُرْسِلُ عَلَيْهِمِ ٱلسَّيْفَ وَٱلْجُوعَ وَٱلْوَبَأَ حَتَّى يَفْنَوْا عَنْ وَجْهِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُهُمْ وَآبَاءَهُمْ إِيَّاهَا». ١٠ 10
और मैं उनमें तलवार और काल और वबा भेजूँगा यहाँ तक कि वह उस मुल्क से जो मैंने उनको और उनके बाप — दादा को दिया, हलाक हो जाएँगे।”

< إِرْمِيَا 24 >