< إِرْمِيَا 24 >
أَرَانِي ٱلرَّبُّ وَإِذَا سَلَّتَا تِينٍ مَوْضُوعَتَانِ أَمَامَ هَيْكَلِ ٱلرَّبِّ بَعْدَ مَا سَبَى نَبُوخَذْرَاصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ يَكُنْيَا بْنَ يَهُويَاقِيمَ مَلِكَ يَهُوذَا وَرُؤَسَاءَ يَهُوذَا وَٱلنَّجَّارِينَ وَٱلْحَدَّادِينَ مِنْ أُورُشَلِيمَ، وَأَتَى بِهِمْ إِلَى بَابِلَ. | ١ 1 |
१जब बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर, यहोयाकीम के पुत्र यहूदा के राजा यकोन्याह को, और यहूदा के हाकिमों और लोहारों और अन्य कारीगरों को बन्दी बनाकर यरूशलेम से बाबेल को ले गया, तो उसके बाद यहोवा ने मुझ को अपने मन्दिर के सामने रखे हुए अंजीरों के दो टोकरे दिखाए।
فِي ٱلسَّلَّةِ ٱلْوَاحِدَةِ تِينٌ جَيِّدٌ جِدًّا مِثْلُ ٱلتِّينِ ٱلْبَاكُورِيِّ، وَفِي ٱلسَّلَّةِ ٱلْأُخْرَى تِينٌ رَدِيءٌ جِدًّا لَا يُؤْكَلُ مِنْ رَدَاءَتِهِ. | ٢ 2 |
२एक टोकरे में तो पहले से पके अच्छे-अच्छे अंजीर थे, और दूसरे टोकरे में बहुत निकम्मे अंजीर थे, वरन् वे ऐसे निकम्मे थे कि खाने के योग्य भी न थे।
فَقَالَ لِي ٱلرَّبُّ: «مَاذَا أَنْتَ رَاءٍ يَا إِرْمِيَا؟» فَقُلْتُ: «تِينًا. اَلتِّينُ ٱلْجَيِّدُ جَيِّدٌ جِدًّا، وَٱلتِّينُ ٱلرَّدِيءُ رَدِيءٌ جِدًّا لَا يُؤْكَلُ مِنْ رَدَاءَتِهِ». | ٣ 3 |
३फिर यहोवा ने मुझसे पूछा, “हे यिर्मयाह, तुझे क्या देख पड़ता है?” मैंने कहा, “अंजीर; जो अंजीर अच्छे हैं वह तो बहुत ही अच्छे हैं, परन्तु जो निकम्मे हैं, वह बहुत ही निकम्मे हैं; वरन् ऐसे निकम्मे हैं कि खाने के योग्य भी नहीं हैं।”
ثُمَّ صَارَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَيَّ قَائِلًا: | ٤ 4 |
४तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
«هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: كَهَذَا ٱلتِّينِ ٱلْجَيِّدِ هَكَذَا أَنْظُرُ إِلَى سَبْيِ يَهُوذَا ٱلَّذِي أَرْسَلْتُهُ مِنْ هَذَا ٱلْمَوْضِعِ إِلَى أَرْضِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ لِلْخَيْرِ. | ٥ 5 |
५“इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, जैसे अच्छे अंजीरों को, वैसे ही मैं यहूदी बन्दियों को जिन्हें मैंने इस स्थान से कसदियों के देश में भेज दिया है, देखकर प्रसन्न होऊँगा।
وَأَجْعَلُ عَيْنَيَّ عَلَيْهِمْ لِلْخَيْرِ، وَأُرْجِعُهُمْ إِلَى هَذِهِ ٱلْأَرْضِ، وَأَبْنِيهِمْ وَلَا أَهْدِمُهُمْ، وَأَغْرِسُهُمْ وَلَا أَقْلَعُهُمْ. | ٦ 6 |
६मैं उन पर कृपादृष्टि रखूँगा और उनको इस देश में लौटा ले आऊँगा; और उन्हें नाश न करूँगा, परन्तु बनाऊँगा; उन्हें उखाड़ न डालूँगा, परन्तु लगाए रखूँगा।
وَأُعْطِيهِمْ قَلْبًا لِيَعْرِفُونِي أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ، فَيَكُونُوا لِي شَعْبًا وَأَنَا أَكُونُ لَهُمْ إِلَهًا، لِأَنَّهُمْ يَرْجِعُونَ إِلَيَّ بِكُلِّ قَلْبِهِمْ. | ٧ 7 |
७मैं उनका ऐसा मन कर दूँगा कि वे मुझे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, क्योंकि वे मेरी ओर सारे मन से फिरेंगे।
«وَكَٱلتِّينِ ٱلرَّدِيءِ ٱلَّذِي لَا يُؤْكَلُ مِنْ رَدَاءَتِهِ، هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ، هَكَذَا أَجْعَلُ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا وَرُؤَسَاءَهُ وَبَقِيَّةَ أُورُشَلِيمَ ٱلْبَاقِيَةَ فِي هَذِهِ ٱلْأَرْضِ وَٱلسَّاكِنَةَ فِي أَرْضِ مِصْرَ. | ٨ 8 |
८“परन्तु जैसे निकम्मे अंजीर, निकम्मे होने के कारण खाए नहीं जाते, उसी प्रकार से मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह और उसके हाकिमों और बचे हुए यरूशलेमियों को, जो इस देश में या मिस्र में रह गए हैं, छोड़ दूँगा।
وَأُسَلِّمُهُمْ لِلْقَلَقِ وَٱلشَّرِّ فِي جَمِيعِ مَمَالِكِ ٱلْأَرْضِ عَارًا وَمَثَلًا وَهُزْأَةً وَلَعْنَةً فِي جَمِيعِ ٱلْمَوَاضِعِ ٱلَّتِي أَطْرُدُهُمْ إِلَيْهَا. | ٩ 9 |
९इस कारण वे पृथ्वी के राज्य-राज्य में मारे-मारे फिरते हुए दुःख भोगते रहेंगे; और जितने स्थानों में मैं उन्हें जबरन निकाल दूँगा, उन सभी में वे नामधराई और दृष्टांत और श्राप का विषय होंगे।
وَأُرْسِلُ عَلَيْهِمِ ٱلسَّيْفَ وَٱلْجُوعَ وَٱلْوَبَأَ حَتَّى يَفْنَوْا عَنْ وَجْهِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُهُمْ وَآبَاءَهُمْ إِيَّاهَا». | ١٠ 10 |
१०और मैं उनमें तलवार चलाऊँगा, और अकाल और मरी फैलाऊँगा, और अन्त में इस देश में से जिसे मैंने उनके पुरखाओं को और उनको दिया, वे मिट जाएँगे।”