< إِرْمِيَا 23 >

«وَيْلٌ لِلرُّعَاةِ ٱلَّذِينَ يُهْلِكُونَ وَيُبَدِّدُونَ غَنَمَ رَعِيَّتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١ 1
“उन चरवाहों पर हाय जो मेरी चराई की भेड़-बकरियों को तितर-बितर करते और नाश करते हैं,” यहोवा यह कहता है।
لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ عَنِ ٱلرُّعَاةِ ٱلَّذِينَ يَرْعَوْنَ شَعْبِي: أَنْتُمْ بَدَّدْتُمْ غَنَمِي وَطَرَدْتُمُوهَا وَلَمْ تَتَعَهَّدُوهَا. هَأَنَذَا أُعَاقِبُكُمْ عَلَى شَرِّ أَعْمَالِكُمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٢ 2
इसलिए इस्राएल का परमेश्वर यहोवा अपनी प्रजा के चरवाहों से यह कहता है, “तुम ने मेरी भेड़-बकरियों की सुधि नहीं ली, वरन् उनको तितर-बितर किया और जबरन निकाल दिया है, इस कारण यहोवा की यह वाणी है कि मैं तुम्हारे बुरे कामों का दण्ड दूँगा।
وَأَنَا أَجْمَعُ بَقِيَّةَ غَنَمِي مِنْ جَمِيعِ ٱلْأَرَاضِي ٱلَّتِي طَرَدْتُهَا إِلَيْهَا، وَأَرُدُّهَا إِلَى مَرَابِضِهَا فَتُثْمِرُ وَتَكْثُرُ. ٣ 3
तब मेरी भेड़-बकरियाँ जो बची हैं, उनको मैं उन सब देशों में से जिनमें मैंने उन्हें जबरन भेज दिया है, स्वयं ही उन्हें लौटा लाकर उन्हीं की भेड़शाला में इकट्ठा करूँगा, और वे फिर फूलें-फलेंगी।
وَأُقِيمُ عَلَيْهَا رُعَاةً يَرْعَوْنَهَا فَلَا تَخَافُ بَعْدُ وَلَا تَرْتَعِدُ وَلَا تُفْقَدُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٤ 4
मैं उनके लिये ऐसे चरवाहे नियुक्त करूँगा जो उन्हें चराएँगे; और तब वे न तो फिर डरेंगी, न विस्मित होंगी और न उनमें से कोई खो जाएगी, यहोवा की यह वाणी है।
«هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَأُقِيمُ لِدَاوُدَ غُصْنَ بِرٍّ، فَيَمْلِكُ مَلِكٌ وَيَنْجَحُ، وَيُجْرِي حَقًّا وَعَدْلًا فِي ٱلْأَرْضِ. ٥ 5
“यहोवा की यह भी वाणी है, देख ऐसे दिन आते हैं जब मैं दाऊद के कुल में एक धर्मी अंकुर उगाऊँगा, और वह राजा बनकर बुद्धि से राज्य करेगा, और अपने देश में न्याय और धार्मिकता से प्रभुता करेगा।
فِي أَيَّامِهِ يُخَلَّصُ يَهُوذَا، وَيَسْكُنُ إِسْرَائِيلُ آمِنًا، وَهَذَا هُوَ ٱسْمُهُ ٱلَّذِي يَدْعُونَهُ بِهِ: ٱلرَّبُّ بِرُّنَا. ٦ 6
उसके दिनों में यहूदी लोग बचे रहेंगे, और इस्राएली लोग निडर बसे रहेंगे और यहोवा उसका नाम ‘यहोवा हमारी धार्मिकता’ रखेगा।
لِذَلِكَ هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَلَا يَقُولُونَ بَعْدُ: حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي أَصْعَدَ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، ٧ 7
“इसलिए देख, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आएँगे जिनमें लोग फिर न कहेंगे, ‘यहोवा जो हम इस्राएलियों को मिस्र देश से छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध,’
بَلْ: حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي أَصْعَدَ وَأَتَى بِنَسْلِ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ ٱلشِّمَالِ وَمِنْ جَمِيعِ ٱلْأَرَاضِي ٱلَّتِي طَرَدْتُهُمْ إِلَيْهَا فَيَسْكُنُونَ فِي أَرْضِهِمْ». ٨ 8
परन्तु वे यह कहेंगे, ‘यहोवा जो इस्राएल के घराने को उत्तर देश से और उन सब देशों से भी जहाँ उसने हमें जबरन निकाल दिया, छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध।’ तब वे अपने ही देश में बसे रहेंगे।”
فِي ٱلْأَنْبِيَاءِ: اِنْسَحَقَ قَلْبِي فِي وَسَطِي. ٱرْتَخَتْ كُلُّ عِظَامِي. صِرْتُ كَإِنْسَانٍ سَكْرَانَ وَمِثْلَ رَجُلٍ غَلَبَتْهُ ٱلْخَمْرُ، مِنْ أَجْلِ ٱلرَّبِّ وَمِنْ أَجْلِ كَلَامِ قُدْسِهِ. ٩ 9
भविष्यद्वक्ताओं के विषय मेरा हृदय भीतर ही भीतर फटा जाता है, मेरी सब हड्डियाँ थरथराती है; यहोवा ने जो पवित्र वचन कहे हैं, उन्हें सुनकर, मैं ऐसे मनुष्य के समान हो गया हूँ जो दाखमधु के नशे में चूर हो गया हो,
لِأَنَّ ٱلْأَرْضَ ٱمْتَلَأَتْ مِنَ ٱلْفَاسِقِينَ. لِأَنَّهُ مِنْ أَجْلِ ٱللَّعْنِ نَاحَتِ ٱلْأَرْضُ. جَفَّتْ مَرَاعِي ٱلْبَرِّيَّةِ، وَصَارَ سَعْيُهُمْ لِلشَّرِّ، وَجَبَرُوتُهُمْ لِلْبَاطِلِ. ١٠ 10
१०क्योंकि यह देश व्यभिचारियों से भरा है; इस पर ऐसा श्राप पड़ा है कि यह विलाप कर रहा है; वन की चराइयाँ भी सूख गई। लोग बड़ी दौड़ तो दौड़ते हैं, परन्तु बुराई ही की ओर; और वीरता तो करते हैं, परन्तु अन्याय ही के साथ।
«لِأَنَّ ٱلْأَنْبِيَاءَ وَٱلْكَهَنَةَ تَنَجَّسُوا جَمِيعًا، بَلْ فِي بَيْتِي وَجَدْتُ شَرَّهُمْ يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١١ 11
११“क्योंकि भविष्यद्वक्ता और याजक दोनों भक्तिहीन हो गए हैं; अपने भवन में भी मैंने उनकी बुराई पाई है, यहोवा की यही वाणी है।
لِذَلِكَ يَكُونُ طَرِيقُهُمْ لَهُمْ كَمَزَالِقَ فِي ظَلَامٍ دَامِسٍ، فَيُطْرَدُونَ وَيَسْقُطُونَ فِيهَا، لِأَنِّي أَجْلِبُ عَلَيْهِمْ شَرًّا سَنَةَ عِقَابِهِمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١٢ 12
१२इस कारण उनका मार्ग अंधेरा और फिसलन वाला होगा जिसमें वे ढकेलकर गिरा दिए जाएँगे; क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि मैं उनके दण्ड के वर्ष में उन पर विपत्ति डालूँगा!
وَقَدْ رَأَيْتُ فِي أَنْبِيَاءِ ٱلسَّامِرَةِ حَمَاقَةً. تَنَبَّأُوا بِٱلْبَعْلِ وَأَضَلُّوا شَعْبِي إِسْرَائِيلَ. ١٣ 13
१३सामरिया के भविष्यद्वक्ताओं में मैंने यह मूर्खता देखी थी कि वे बाल के नाम से भविष्यद्वाणी करते और मेरी प्रजा इस्राएल को भटका देते थे।
وَفِي أَنْبِيَاءِ أُورُشَلِيمَ رَأَيْتُ مَا يُقْشَعَرُّ مِنْهُ. يَفْسِقُونَ وَيَسْلُكُونَ بِٱلْكَذِبِ، وَيُشَدِّدُونَ أَيَادِيَ فَاعِلِي ٱلشَّرِّ حَتَّى لَا يَرْجِعُوا ٱلْوَاحِدُ عَنْ شَرِّهِ. صَارُوا لِي كُلُّهُمْ كَسَدُومَ، وَسُكَّانُهَا كَعَمُورَةَ. ١٤ 14
१४परन्तु यरूशलेम के नबियों में मैंने ऐसे काम देखे हैं, जिनसे रोंगटे खड़े हो जाते हैं, अर्थात् व्यभिचार और पाखण्ड; वे कुकर्मियों को ऐसा हियाव बँधाते हैं कि वे अपनी-अपनी बुराई से पश्चाताप भी नहीं करते; सब निवासी मेरी दृष्टि में सदोमियों और गमोरियों के समान हो गए हैं।”
لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ عَنِ ٱلْأَنْبِيَاءِ: هَأَنَذَا أُطْعِمُهُمْ أَفْسَنْتِينًا وَأَسْقِيهِمْ مَاءَ ٱلْعَلْقَمِ، لِأَنَّهُ مِنْ عِنْدِ أَنْبِيَاءِ أُورُشَلِيمَ خَرَجَ نِفَاقٌ فِي كُلِّ ٱلْأَرْضِ. ١٥ 15
१५इस कारण सेनाओं का यहोवा यरूशलेम के भविष्यद्वक्ताओं के विषय में यह कहता है: “देख, मैं उनको कड़वी वस्तुएँ खिलाऊँगा और विष पिलाऊँगा; क्योंकि उनके कारण सारे देश में भक्तिहीनता फैल गई है।”
هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: لَا تَسْمَعُوا لِكَلَامِ ٱلْأَنْبِيَاءِ ٱلَّذِينَ يَتَنَبَّأُونَ لَكُمْ، فَإِنَّهُمْ يَجْعَلُونَكُمْ بَاطِلًا. يَتَكَلَّمُونَ بِرُؤْيَا قَلْبِهِمْ لَا عَنْ فَمِ ٱلرَّبِّ. ١٦ 16
१६सेनाओं के यहोवा ने तुम से यह कहा है: “इन भविष्यद्वक्ताओं की बातों की ओर जो तुम से भविष्यद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि ये तुम को व्यर्थ बातें सिखाते हैं; ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं।
قَائِلِينَ قَوْلًا لِمُحْتَقِرِيَّ: قَالَ ٱلرَّبُّ: يَكُونُ لَكُمْ سَلَامٌ! وَيَقُولُونَ لِكُلِّ مَنْ يَسِيرُ فِي عِنَادِ قَلْبِهِ: لَا يَأْتِي عَلَيْكُمْ شَرٌّ. ١٧ 17
१७जो लोग मेरा तिरस्कार करते हैं उनसे ये भविष्यद्वक्ता सदा कहते रहते हैं कि यहोवा कहता है, ‘तुम्हारा कल्याण होगा;’ और जितने लोग अपने हठ ही पर चलते हैं, उनसे ये कहते हैं, ‘तुम पर कोई विपत्ति न पड़ेगी।’”
لِأَنَّهُ مَنْ وَقَفَ فِي مَجْلِسِ ٱلرَّبِّ وَرَأَى وَسَمِعَ كَلِمَتَهُ؟ مَنْ أَصْغَى لِكَلِمَتِهِ وَسَمِعَ؟». ١٨ 18
१८भला कौन यहोवा की गुप्त सभा में खड़ा होकर उसका वचन सुनने और समझने पाया है? या किसने ध्यान देकर मेरा वचन सुना है?
هَا زَوْبَعَةُ ٱلرَّبِّ. غَيْظٌ يَخْرُجُ، وَنَوْءٌ هَائِجٌ. عَلَى رُؤُوسِ ٱلْأَشْرَارِ يَثُورُ. ١٩ 19
१९देखो, यहोवा की जलजलाहट का प्रचण्ड बवण्डर और आँधी चलने लगी है; और उसका झोंका दुष्टों के सिर पर जोर से लगेगा।
لَا يَرْتَدُّ غَضَبُ ٱلرَّبِّ حَتَّى يُجْرِيَ وَيُقِيمَ مَقَاصِدَ قَلْبِهِ. فِي آخِرِ ٱلْأَيَّامِ تَفْهَمُونَ فَهْمًا. ٢٠ 20
२०जब तक यहोवा अपना काम और अपनी युक्तियों को पूरी न कर चुके, तब तक उसका क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनों में तुम इस बात को भली भाँति समझ सकोगे।
«لَمْ أُرْسِلِ ٱلْأَنْبِيَاءَ بَلْ هُمْ جَرَوْا. لَمْ أَتَكَلَّمْ مَعَهُمْ بَلْ هُمْ تَنَبَّأُوا. ٢١ 21
२१“ये भविष्यद्वक्ता बिना मेरे भेजे दौड़ जाते और बिना मेरे कुछ कहे भविष्यद्वाणी करने लगते हैं।
وَلَوْ وَقَفُوا فِي مَجْلِسِي لَأَخْبَرُوا شَعْبِي بِكَلَامِي وَرَدُّوهُمْ عَنْ طَرِيقِهِمِ ٱلرَّدِيءِ وَعَنْ شَرِّ أَعْمَالِهِمْ. ٢٢ 22
२२यदि ये मेरी शिक्षा में स्थिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगों को मेरे वचन सुनाते; और वे अपनी बुरी चाल और कामों से फिर जाते।
أَلَعَلِّي إِلَهٌ مِنْ قَرِيبٍ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَلَسْتُ إِلَهًا مِنْ بَعِيدٍ. ٢٣ 23
२३“यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ?
إِذَا ٱخْتَبَأَ إِنْسَانٌ فِي أَمَاكِنَ مُسْتَتِرَةٍ أَفَمَا أَرَاهُ أَنَا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ؟ أَمَا أَمْلَأُ أَنَا ٱلسَّمَاوَاتِ وَٱلْأَرْضَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ؟ ٢٤ 24
२४फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूँ? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझसे परिपूर्ण नहीं हैं?
قَدْ سَمِعْتُ مَا قَالَهُ ٱلْأَنْبِيَاءُ ٱلَّذِينَ تَنَبَّأُوا بِٱسْمِي بِٱلْكَذِبِ قَائِلِينَ: حَلِمْتُ، حَلِمْتُ. ٢٥ 25
२५मैंने इन भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी सुनीं हैं जो मेरे नाम से यह कहकर झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं, ‘मैंने स्वप्न देखा है, स्वप्न!’
حَتَّى مَتَى يُوجَدُ فِي قَلْبِ ٱلْأَنْبِيَاءِ ٱلْمُتَنَبِّئِينَ بِٱلْكَذِبِ؟ بَلْ هُمْ أَنْبِيَاءُ خِدَاعِ قَلْبِهِمِ! ٢٦ 26
२६जो भविष्यद्वक्ता झूठमूठ भविष्यद्वाणी करते और अपने मन ही के छल के भविष्यद्वक्ता हैं, यह बात कब तक उनके मन में समाई रहेगी?
ٱلَّذِينَ يُفَكِّرُونَ أَنْ يُنَسُّوا شَعْبِي ٱسْمِي بِأَحْلَامِهِمِ ٱلَّتِي يَقُصُّونَهَا ٱلرَّجُلُ عَلَى صَاحِبِهِ، كَمَا نَسِيَ آبَاؤُهُمُ ٱسْمِي لِأَجْلِ ٱلْبَعْلِ. ٢٧ 27
२७जैसे मेरी प्रजा के लोगों के पुरखा मेरा नाम भूलकर बाल का नाम लेने लगे थे, वैसे ही अब ये भविष्यद्वक्ता उन्हें अपने-अपने स्वप्न बता-बताकर मेरा नाम भुलाना चाहते हैं।
اَلنَّبِيُّ ٱلَّذِي مَعَهُ حُلْمٌ فَلْيَقُصَّ حُلْمًا، وَٱلَّذِي مَعَهُ كَلِمَتِي فَلْيَتَكَلَّمْ بِكَلِمَتِي بِٱلْحَقِّ. مَا لِلتِّبْنِ مَعَ ٱلْحِنْطَةِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٢٨ 28
२८यदि किसी भविष्यद्वक्ता ने स्वप्न देखा हो, तो वह उसे बताए, परन्तु जिस किसी ने मेरा वचन सुना हो तो वह मेरा वचन सच्चाई से सुनाए। यहोवा की यह वाणी है, कहाँ भूसा और कहाँ गेहूँ?
«أَلَيْسَتْ هَكَذَا كَلِمَتِي كَنَارٍ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَكَمِطْرَقَةٍ تُحَطِّمُ ٱلصَّخْرَ؟ ٢٩ 29
२९यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?
لِذَلِكَ هَأَنَذَا عَلَى ٱلْأَنْبِيَاءِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، ٱلَّذِينَ يَسْرِقُونَ كَلِمَتِي بَعْضُهُمْ مِنْ بَعْضٍ. ٣٠ 30
३०यहोवा की यह वाणी है, देखो, जो भविष्यद्वक्ता मेरे वचन दूसरों से चुरा-चुराकर बोलते हैं, मैं उनके विरुद्ध हूँ।
هَأَنَذَا عَلَى ٱلْأَنْبِيَاءِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، ٱلَّذِينَ يَأْخُذُونَ لِسَانَهُمْ وَيَقُولُونَ: قَالَ. ٣١ 31
३१फिर यहोवा की यह भी वाणी है कि जो भविष्यद्वक्ता ‘उसकी यह वाणी है’, ऐसी झूठी वाणी कहकर अपनी-अपनी जीभ हिलाते हैं, मैं उनके भी विरुद्ध हूँ।
هَأَنَذَا عَلَى ٱلَّذِينَ يَتَنَبَّأُونَ بِأَحْلَامٍ كَاذِبَةٍ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، ٱلَّذِينَ يَقُصُّونَهَا وَيُضِلُّونَ شَعْبِي بِأَكَاذِيبِهِمْ وَمُفَاخَرَاتِهِمْ وَأَنَا لَمْ أُرْسِلْهُمْ وَلَا أَمَرْتُهُمْ. فَلَمْ يُفِيدُوا هَذَا ٱلشَّعْبَ فَائِدَةً، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٣٢ 32
३२यहोवा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे या बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का झूठा दावा करके भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन करके मेरी प्रजा को झूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूँ; और उनसे मेरी प्रजा के लोगों का कुछ लाभ न होगा।
«وَإِذَا سَأَلَكَ هَذَا ٱلشَّعْبُ أَوْ نَبِيٌّ أَوْ كَاهِنٌ قَائِلًا: مَا وَحْيُ ٱلرَّبِّ؟ فَقُلْ لَهُمْ: أَيُّ وَحْيٍ؟ إِنِّي أَرْفُضُكُمْ، هُوَ قَوْلُ ٱلرَّبِّ. ٣٣ 33
३३“यदि साधारण लोगों में से कोई जन या कोई भविष्यद्वक्ता या याजक तुम से पूछे, ‘यहोवा ने क्या प्रभावशाली वचन कहा है?’ तो उससे कहना, ‘क्या प्रभावशाली वचन? यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम को त्याग दूँगा।’
فَٱلنَّبِيُّ أَوِ ٱلْكَاهِنُ أَوِ ٱلشَّعْبُ ٱلَّذِي يَقُولُ: وَحْيُ ٱلرَّبِّ، أُعَاقِبُ ذَلِكَ ٱلرَّجُلَ وَبَيْتَهُ. ٣٤ 34
३४और जो भविष्यद्वक्ता या याजक या साधारण मनुष्य ‘यहोवा का कहा हुआ भारी वचन’ ऐसा कहता रहे, उसको घराने समेत मैं दण्ड दूँगा।
هَكَذَا تَقُولُونَ ٱلرَّجُلُ لِصَاحِبِهِ وَٱلرَّجُلُ لِأَخِيهِ: بِمَاذَا أَجَابَ ٱلرَّبُّ؟ وَمَاذَا تَكَلَّمَ بِهِ ٱلرَّبُّ؟ ٣٥ 35
३५तुम लोग एक दूसरे से और अपने-अपने भाई से यह पूछना, ‘यहोवा ने क्या उत्तर दिया?’ या ‘यहोवा ने क्या कहा है?’
أَمَّا وَحْيُ ٱلرَّبِّ فَلَا تَذْكُرُوهُ بَعْدُ، لِأَنَّ كَلِمَةَ كُلِّ إِنْسَانٍ تَكُونُ وَحْيَهُ، إِذْ قَدْ حَرَّفْتُمْ كَلَامَ ٱلْإِلَهِ ٱلْحَيِّ رَبِّ ٱلْجُنُودِ إِلَهِنَا. ٣٦ 36
३६‘यहोवा का कहा हुआ भारी वचन’, इस प्रकार तुम भविष्य में न कहना नहीं तो तुम्हारा ऐसा कहना ही दण्ड का कारण हो जाएगा; क्योंकि हमारा परमेश्वर सेनाओं का यहोवा जो जीवित परमेश्वर है, तुम लोगों ने उसके वचन बिगाड़ दिए हैं।
هَكَذَا تَقُولُ لِلنَّبِيِّ: بِمَاذَا أَجَابَكَ ٱلرَّبُّ؟ وَمَاذَا تَكَلَّمَ بِهِ ٱلرَّبُّ؟ ٣٧ 37
३७तू भविष्यद्वक्ता से यह पूछ, ‘यहोवा ने तुझे क्या उत्तर दिया?’
وَإِذَا كُنْتُمْ تَقُولُونَ: وَحْيُ ٱلرَّبِّ، فَلِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ قَوْلِكُمْ هَذِهِ ٱلْكَلِمَةَ: وَحْيُ ٱلرَّبِّ، وَقَدْ أَرْسَلْتُ إِلَيْكُمْ قَائِلًا لَا تَقُولُوا: وَحْيُ ٱلرَّبِّ، ٣٨ 38
३८या ‘यहोवा ने क्या कहा है?’ यदि तुम ‘यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन’ इसी प्रकार कहोगे, तो यहोवा का यह वचन सुनो, ‘मैंने तो तुम्हारे पास सन्देश भेजा है, भविष्य में ऐसा न कहना कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” परन्तु तुम यह कहते ही रहते हो, “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।”’
لِذَلِكَ هَأَنَذَا أَنْسَاكُمْ نِسْيَانًا، وَأَرْفُضُكُمْ مِنْ أَمَامِ وَجْهِي، أَنْتُمْ وَٱلْمَدِينَةَ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُكُمْ وَآبَاءَكُمْ إِيَّاهَا. ٣٩ 39
३९इस कारण देखो, मैं तुम को बिलकुल भूल जाऊँगा और तुम को और इस नगर को जिसे मैंने तुम्हारे पुरखाओं को, और तुम को भी दिया है, त्याग कर अपने सामने से दूर कर दूँगा।
وَأَجْعَلُ عَلَيْكُمْ عَارًا أَبَدِيًّا وَخِزْيًا أَبَدِيًّا لَا يُنْسَى». ٤٠ 40
४०और मैं ऐसा करूँगा कि तुम्हारी नामधराई और अनादर सदा बना रहेगा; और कभी भूला न जाएगा।”

< إِرْمِيَا 23 >