< إِرْمِيَا 2 >

وَصَارَتْ إِلَيَّ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: ١ 1
यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
«ٱذْهَبْ وَنَادِ فِي أُذُنَيْ أُورُشَلِيمَ قَائِلًا: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: قَدْ ذَكَرْتُ لَكِ غَيْرَةَ صِبَاكِ، مَحَبَّةَ خِطْبَتِكِ، ذِهَابَكِ وَرَائِي فِي ٱلْبَرِّيَّةِ فِي أَرْضٍ غَيْرِ مَزْرُوعَةٍ. ٢ 2
“जा और यरूशलेम में पुकारकर यह सुना दे, यहोवा यह कहता है, तेरी जवानी का स्नेह और तेरे विवाह के समय का प्रेम मुझे स्मरण आता है कि तू कैसे जंगल में मेरे पीछे-पीछे चली जहाँ भूमि जोती-बोई न गई थी।
إِسْرَائِيلُ قُدْسٌ لِلرَّبِّ، أَوَائِلُ غَلَّتِهِ. كُلُّ آكِلِيهِ يَأْثَمُونَ. شَرٌّ يَأْتِي عَلَيْهِمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ». ٣ 3
इस्राएल, यहोवा के लिये पवित्र और उसकी पहली उपज थी। उसे खानेवाले सब दोषी ठहरेंगे और विपत्ति में पड़ेंगे,” यहोवा की यही वाणी है।
اِسْمَعُوا كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ يَا بَيْتَ يَعْقُوبَ، وَكُلَّ عَشَائِرِ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ. ٤ 4
हे याकूब के घराने, हे इस्राएल के घराने के कुलों के लोगों, यहोवा का वचन सुनो!
هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: «مَاذَا وَجَدَ فِيَّ آبَاؤُكُمْ مِنْ جَوْرٍ حَتَّى ٱبْتَعَدُوا عَنِّي وَسَارُوا وَرَاءَ ٱلْبَاطِلِ وَصَارُوا بَاطِلًا؟ ٥ 5
यहोवा यह कहता है, “तुम्हारे पुरखाओं ने मुझ में कौन सी ऐसी कुटिलता पाई कि मुझसे दूर हट गए और निकम्मी मूर्तियों के पीछे होकर स्वयं निकम्मे हो गए?
وَلَمْ يَقُولُوا: أَيْنَ هُوَ ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي أَصْعَدَنَا مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، ٱلَّذِي سَارَ بِنَا فِي ٱلْبَرِّيَّةِ فِي أَرْضِ قَفْرٍ وَحُفَرٍ، فِي أَرْضِ يُبُوسَةٍ وَظِلِّ ٱلْمَوْتِ، فِي أَرْضٍ لَمْ يَعْبُرْهَا رَجُلٌ وَلَمْ يَسْكُنْهَا إِنْسَانٌ؟ ٦ 6
उन्होंने इतना भी न कहा, ‘जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया जो हमें जंगल में से और रेत और गड्ढों से भरे हुए निर्जल और घोर अंधकार के देश से जिसमें होकर कोई नहीं चलता, और जिसमें कोई मनुष्य नहीं रहता, हमें निकाल ले आया वह यहोवा कहाँ है?’
وَأَتَيْتُ بِكُمْ إِلَى أَرْضِ بَسَاتِينَ لِتَأْكُلُوا ثَمَرَهَا وَخَيْرَهَا. فَأَتَيْتُمْ وَنَجَّسْتُمْ أَرْضِي وَجَعَلْتُمْ مِيرَاثِي رِجْسًا. ٧ 7
और मैं तुम को इस उपजाऊ देश में ले आया कि उसका फल और उत्तम उपज खाओ; परन्तु मेरे इस देश में आकर तुम ने इसे अशुद्ध किया, और मेरे इस निज भाग को घृणित कर दिया है।
اَلْكَهَنَةُ لَمْ يَقُولُوا: أَيْنَ هُوَ ٱلرَّبُّ؟ وَأَهْلُ ٱلشَّرِيعَةِ لَمْ يَعْرِفُونِي، وَٱلرُّعَاةُ عَصَوْا عَلَيَّ، وَٱلْأَنْبِيَاءُ تَنَبَّأُوا بِبَعْلٍ، وَذَهَبُوا وَرَاءَ مَا لَا يَنْفَعُ. ٨ 8
याजकों ने भी नहीं पूछा, ‘यहोवा कहाँ है?’ जो व्यवस्था सिखाते थे वे भी मुझ को न जानते थे; चरवाहों ने भी मुझसे बलवा किया; भविष्यद्वक्ताओं ने बाल देवता के नाम से भविष्यद्वाणी की और व्यर्थ बातों के पीछे चले।
«لِذَلِكَ أُخَاصِمُكُمْ بَعْدُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، وَبَنِي بَنِيكُمْ أُخَاصِمُ. ٩ 9
“इस कारण यहोवा यह कहता है, मैं फिर तुम से विवाद, और तुम्हारे बेटे और पोतों से भी प्रश्न करूँगा।
فَٱعْبُرُوا جَزَائِرَ كِتِّيمَ، وَٱنْظُرُوا، وَأَرْسِلُوا إِلَى قِيدَارَ، وَٱنْتَبِهُوا جِدًّا، وَٱنْظُرُوا: هَلْ صَارَ مِثْلُ هَذَا؟ ١٠ 10
१०कित्तियों के द्वीपों में पार जाकर देखो, या केदार में दूत भेजकर भली भाँति विचार करो और देखो; देखो, कि ऐसा काम कहीं और भी हुआ है? क्या किसी जाति ने अपने देवताओं को बदल दिया जो परमेश्वर भी नहीं हैं?
هَلْ بَدَلَتْ أُمَّةٌ آلِهَةً، وَهِيَ لَيْسَتْ آلِهَةً؟ أَمَّا شَعْبِي فَقَدْ بَدَلَ مَجْدَهُ بِمَا لَا يَنْفَعُ! ١١ 11
११परन्तु मेरी प्रजा ने अपनी महिमा को निकम्मी वस्तु से बदल दिया है।
اِبْهَتِي أَيَّتُهَا ٱلسَّمَاوَاتُ مِنْ هَذَا، وَٱقْشَعِرِّي وَتَحَيَّرِي جِدًّا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١٢ 12
१२हे आकाश चकित हो, बहुत ही थरथरा और सुनसान हो जा, यहोवा की यह वाणी है।
لِأَنَّ شَعْبِي عَمِلَ شَرَّيْنِ: تَرَكُونِي أَنَا يَنْبُوعَ ٱلْمِيَاهِ ٱلْحَيَّةِ، لِيَنْقُرُوا لِأَنْفُسِهِمْ أَبْآرًا، أَبْآرًا مُشَقَّقَةً لَا تَضْبُطُ مَاءً. ١٣ 13
१३क्योंकि मेरी प्रजा ने दो बुराइयाँ की हैं: उन्होंने मुझ जीवन के जल के सोते को त्याग दिया है, और, उन्होंने हौद बना लिए, वरन् ऐसे हौद जो टूट गए हैं, और जिनमें जल नहीं रह सकता।
«أَعَبْدٌ إِسْرَائِيلُ، أَوْ مَوْلُودُ ٱلْبَيْتِ هُوَ؟ لِمَاذَا صَارَ غَنِيمَةً؟ ١٤ 14
१४“क्या इस्राएल दास है? क्या वह घर में जन्म से ही दास है? फिर वह क्यों शिकार बना?
زَمْجَرَتْ عَلَيْهِ ٱلْأَشْبَالُ. أَطْلَقَتْ صَوْتَهَا وَجَعَلَتْ أَرْضَهُ خَرِبَةً. أُحْرِقَتْ مُدُنُهُ فَلَا سَاكِنَ. ١٥ 15
१५जवान सिंहों ने उसके विरुद्ध गरजकर नाद किया। उन्होंने उसके देश को उजाड़ दिया; उन्होंने उसके नगरों को ऐसा उजाड़ दिया कि उनमें कोई बसनेवाला ही न रहा।
وَبَنُو نُوفَ وَتَحْفَنِيسَ قَدْ شَجُّوا هَامَتَكِ. ١٦ 16
१६नोप और तहपन्हेस के निवासी भी तेरे देश की उपज चट कर गए हैं।
أَمَا صَنَعْتِ هَذَا بِنَفْسِكِ، إِذْ تَرَكْتِ ٱلرَّبَّ إِلَهَكِ حِينَمَا كَانَ مُسَيِّرَكِ فِي ٱلطَّرِيقِ؟ ١٧ 17
१७क्या यह तेरी ही करनी का फल नहीं, जो तूने अपने परमेश्वर यहोवा को छोड़ दिया जो तुझे मार्ग में लिए चला?
وَٱلْآنَ مَا لَكِ وَطَرِيقَ مِصْرَ لِشُرْبِ مِيَاهِ شِيحُورَ؟ وَمَا لَكِ وَطَرِيقَ أَشُّورَ لِشُرْبِ مِيَاهِ ٱلنَّهْرِ؟ ١٨ 18
१८अब तुझे मिस्र के मार्ग से क्या लाभ है कि तू सीहोर का जल पीए? अथवा अश्शूर के मार्ग से भी तुझे क्या लाभ कि तू फरात का जल पीए?
يُوَبِّخُكِ شَرُّكِ، وَعِصْيَانُكِ يُؤَدِّبُكِ. فَٱعْلَمِي وَٱنْظُرِي أَنَّ تَرْكَكِ ٱلرَّبَّ إِلَهَكِ شَرٌّ وَمُرٌّ، وَأَنَّ خَشْيَتِي لَيْسَتْ فِيكِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ. ١٩ 19
१९तेरी बुराई ही तेरी ताड़ना करेगी, और तेरा भटक जाना तुझे उलाहना देगा। जान ले और देख कि अपने परमेश्वर यहोवा को त्यागना, यह बुरी और कड़वी बात है; तुझे मेरा भय ही नहीं रहा, प्रभु सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
«لِأَنَّهُ مُنْذُ ٱلْقَدِيمِ كَسَرْتُ نِيرَكِ وَقَطَعْتُ قُيُودَكِ، وَقُلْتِ: لَا أَتَعَبَّدُ. لِأَنَّكِ عَلَى كُلِّ أَكَمَةٍ عَالِيَةٍ وَتَحْتَ كُلِّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ أَنْتِ ٱضْطَجَعْتِ زَانِيَةً! ٢٠ 20
२०“क्योंकि बहुत समय पहले मैंने तेरा जूआ तोड़ डाला और तेरे बन्धन खोल दिए; परन्तु तूने कहा, ‘मैं सेवा न करूँगी।’ और सब ऊँचे-ऊँचे टीलों पर और सब हरे पेड़ों के नीचे तू व्यभिचारिणी का सा काम करती रही।
وَأَنَا قَدْ غَرَسْتُكِ كَرْمَةَ سُورَقَ، زَرْعَ حَقٍّ كُلَّهَا. فَكَيْفَ تَحَوَّلْتِ لِي سُرُوغَ جَفْنَةٍ غَرِيبَةٍ؟ ٢١ 21
२१मैंने तो तुझे उत्तम जाति की दाखलता और उत्तम बीज करके लगाया था, फिर तू क्यों मेरे लिये जंगली दाखलता बन गई?
فَإِنَّكِ وَإِنِ ٱغْتَسَلْتِ بِنَطْرُونٍ، وَأَكْثَرْتِ لِنَفْسِكِ ٱلْأُشْنَانَ، فَقَدْ نُقِشَ إِثْمُكِ أَمَامِي، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ٢٢ 22
२२चाहे तू अपने को सज्जी से धोए और बहुत सा साबुन भी प्रयोग करे, तो भी तेरे अधर्म का धब्बा मेरे सामने बना रहेगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
كَيْفَ تَقُولِينَ: لَمْ أَتَنَجَّسْ. وَرَاءَ بَعْلِيمَ لَمْ أَذْهَبْ؟ ٱنْظُرِي طَرِيقَكِ فِي ٱلْوَادِي. اِعْرِفِي مَا عَمِلْتِ، يَا نَاقَةً خَفِيفَةً ضَبِعَةً فِي طُرُقِهَا! ٢٣ 23
२३तू कैसे कह सकती है कि ‘मैं अशुद्ध नहीं, मैं बाल देवताओं के पीछे नहीं चली?’ तराई में की अपनी चाल देख और जान ले कि तूने क्या किया है? तू वेग से चलने वाली और इधर-उधर फिरनेवाली ऊँटनी है,
يَا أَتَانَ ٱلْفَرَا، قَدْ تَعَوَّدَتِ ٱلْبَرِّيَّةَ! فِي شَهْوَةِ نَفْسِهَا تَسْتَنْشِقُ ٱلرِّيحَ. عِنْدَ ضَبَعِهَا مَنْ يَرُدُّهَا؟ كُلُّ طَالِبِيهَا لَا يُعْيُونَ. فِي شَهْرِهَا يَجِدُونَهَا. ٢٤ 24
२४जंगल में पली हुई जंगली गदही जो कामातुर होकर वायु सूँघती फिरती है तब कौन उसे वश में कर सकता है? जितने उसको ढूँढ़ते हैं वे व्यर्थ परिश्रम न करें; क्योंकि वे उसे उसकी ॠतु में पाएँगे।
اِحْفَظِي رِجْلَكِ مِنَ ٱلْحَفَا وَحَلْقَكِ مِنَ ٱلظَّمَإِ. فَقُلْتِ: بَاطِلٌ! لَا! لِأَنِّي قَدْ أَحْبَبْتُ ٱلْغُرَبَاءَ وَوَرَاءَهُمْ أَذْهَبُ. ٢٥ 25
२५अपने पाँव नंगे और गला सुखाए न रह। परन्तु तूने कहा, ‘नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि मेरा प्रेम दूसरों से हो गया है और मैं उनके पीछे चलती रहूँगी।’
كَخِزْيِ ٱلسَّارِقِ إِذَا وُجِدَ هَكَذَا خِزْيُ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ، هُمْ وَمُلُوكُهُمْ وَرُؤَسَاؤُهُمْ وَكَهَنَتُهُمْ وَأَنْبِيَاؤُهُمْ، ٢٦ 26
२६“जैसे चोर पकड़े जाने पर लज्जित होता है, वैसे ही इस्राएल का घराना, राजाओं, हाकिमों, याजकों और भविष्यद्वक्ताओं समेत लज्जित होगा।
قَائِلِينَ لِلْعُودِ: أَنْتَ أَبِي، وَلِلْحَجَرِ: أَنْتَ وَلَدْتَنِي. لِأَنَّهُمْ حَوَّلُوا نَحْوِي ٱلْقَفَا لَا ٱلْوَجْهَ، وَفِي وَقْتِ بَلِيَّتِهِمْ يَقُولُونَ: قُمْ وَخَلِّصْنَا. ٢٧ 27
२७वे काठ से कहते हैं, ‘तू मेरा पिता है,’ और पत्थर से कहते हैं, ‘तूने मुझे जन्म दिया है।’ इस प्रकार उन्होंने मेरी ओर मुँह नहीं पीठ ही फेरी है; परन्तु विपत्ति के समय वे कहते हैं, ‘उठकर हमें बचा!’
فَأَيْنَ آلِهَتُكَ ٱلَّتِي صَنَعْتَ لِنَفْسِكَ؟ فَلْيَقُومُوا إِنْ كَانُوا يُخَلِّصُونَكَ فِي وَقْتِ بَلِيَّتِكَ. لِأَنَّهُ عَلَى عَدَدِ مُدُنِكَ صَارَتْ آلِهَتُكَ يَا يَهُوذَا. ٢٨ 28
२८परन्तु जो देवता तूने अपने लिए बनाए हैं, वे कहाँ रहे? यदि वे तेरी विपत्ति के समय तुझे बचा सकते हैं तो अभी उठें; क्योंकि हे यहूदा, तेरे नगरों के बराबर तेरे देवता भी बहुत हैं।
لِمَاذَا تُخَاصِمُونَنِي؟ كُلُّكُمْ عَصَيْتُمُونِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٢٩ 29
२९“तुम क्यों मुझसे वाद-विवाद करते हो? तुम सभी ने मुझसे बलवा किया है, यहोवा की यही वाणी है।
لِبَاطِلٍ ضَرَبْتُ بَنِيكُمْ. لَمْ يَقْبَلُوا تَأْدِيبًا. أَكَلَ سَيْفُكُمْ أَنْبِيَاءَكُمْ كَأَسَدٍ مُهْلِكٍ. ٣٠ 30
३०मैंने व्यर्थ ही तुम्हारे बेटों की ताड़ना की, उन्होंने कुछ भी नहीं माना; तुम ने अपने भविष्यद्वक्ताओं को अपनी ही तलवार से ऐसा काट डाला है जैसा सिंह फाड़ता है।
«أَنْتُمْ أَيُّهَا ٱلْجِيلُ، ٱنْظُرُوا كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ. هَلْ صِرْتُ بَرِّيَّةً لِإِسْرَائِيلَ أَوْ أَرْضَ ظَلَامٍ دَامِسٍ؟ لِمَاذَا قَالَ شَعْبِي: قَدْ شَرَدْنَا، لَا نَجِيءُ إِلَيْكَ بَعْدُ؟ ٣١ 31
३१हे लोगों, यहोवा के वचन पर ध्यान दो! क्या मैं इस्राएल के लिये जंगल या घोर अंधकार का देश बना? तब मेरी प्रजा क्यों कहती है कि ‘हम तो आजाद हो गए हैं इसलिए तेरे पास फिर न आएँगे?’
هَلْ تَنْسَى عَذْرَاءُ زِينَتَهَا، أَوْ عَرُوسٌ مَنَاطِقَهَا؟ أَمَّا شَعْبِي فَقَدْ نَسِيَنِي أَيَّامًا بِلَا عَدَدٍ. ٣٢ 32
३२क्या कुमारी अपने श्रृंगार या दुल्हन अपनी सजावट भूल सकती है? तो भी मेरी प्रजा ने युगों से मुझे भुला दिया है।
لِمَاذَا تُحَسِّنِينَ طَرِيقَكِ لِتَطْلُبِي ٱلْمَحَبَّةَ؟ لِذَلِكَ عَلَّمْتِ ٱلشِّرِّيرَاتِ أَيْضًا طُرُقَكِ. ٣٣ 33
३३“प्रेम पाने के लिये तू कैसी सुन्दर चाल चलती है! बुरी स्त्रियों को भी तूने अपनी सी चाल सिखाई है।
أَيْضًا فِي أَذْيَالِكِ وُجِدَ دَمُ نُفُوسِ ٱلْمَسَاكِينِ ٱلْأَزْكِيَاءِ. لَا بِٱلنَّقْبِ وَجَدْتُهُ، بَلْ عَلَى كُلِّ هَذِهِ. ٣٤ 34
३४तेरे घाघरे में निर्दोष और दरिद्र लोगों के लहू का चिन्ह पाया जाता है; तूने उन्हें सेंध लगाते नहीं पकड़ा। परन्तु इन सब के होते हुए भी
وَتَقُولِينَ: لِأَنِّي تَبَرَّأْتُ ٱرْتَدَّ غَضَبُهُ عَنِّي حَقًّا. هَأَنَذَا أُحَاكِمُكِ لِأَنَّكِ قُلْتِ: لَمْ أُخْطِئْ. ٣٥ 35
३५तू कहती है, ‘मैं निर्दोष हूँ; निश्चय उसका क्रोध मुझ पर से हट जाएगा।’ देख, तू जो कहती है कि ‘मैंने पाप नहीं किया,’ इसलिए मैं तेरा न्याय करूँगा।
لِمَاذَا تَرْكُضِينَ لِتَبْدُلِي طَرِيقَكِ؟ مِنْ مِصْرَ أَيْضًا تَخْزَيْنَ كَمَا خَزِيتِ مِنْ أَشُّورَ. ٣٦ 36
३६तू क्यों नया मार्ग पकड़ने के लिये इतनी डाँवाडोल फिरती है? जैसे अश्शूरियों से तू लज्जित हुई वैसे ही मिस्रियों से भी होगी।
مِنْ هُنَا أَيْضًا تَخْرُجِينَ وَيَدَاكِ عَلَى رَأْسِكِ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ رَفَضَ ثِقَاتِكِ، فَلَا تَنْجَحِينَ فِيهَا. ٣٧ 37
३७वहाँ से भी तू सिर पर हाथ रखे हुए ऐसे ही चली आएगी, क्योंकि जिन पर तूने भरोसा रखा है उनको यहोवा ने निकम्मा ठहराया है, और उनके कारण तू सफल न होगी।

< إِرْمِيَا 2 >