< يَعقُوب 3 >

لَا تَكُونُوا مُعَلِّمِينَ كَثِيرِينَ يَا إِخْوَتِي، عَالِمِينَ أَنَّنَا نَأْخُذُ دَيْنُونَةً أَعْظَمَ! ١ 1
हे मेरे बिश्वासी भाईयो, थारे म्ह तै कलीसिया म्ह घणे उपदेशक ना बणै, क्यूँके थम जाणो सों के हम जो उपदेशक सां, म्हारा न्याय दुसरयां तै भी घणा सख्‍ताई तै करया जावैगा।
لِأَنَّنَا فِي أَشْيَاءَ كَثِيرَةٍ نَعْثُرُ جَمِيعُنَا. إِنْ كَانَ أَحَدٌ لَا يَعْثُرُ فِي ٱلْكَلَامِ فَذَاكَ رَجُلٌ كَامِلٌ، قَادِرٌ أَنْ يُلْجِمَ كُلَّ ٱلْجَسَدِ أَيْضًا. ٢ 2
हम सब घणीए बार चूक जावां सा, पर जो कोए मुँह तै गलत बात न्ही बोलता, वोए तो सिध्द माणस सै, अर वोए सारी देह पै भी लगाम लगा सकै सै।
هُوَذَا ٱلْخَيْلُ، نَضَعُ ٱللُّجُمَ فِي أَفْوَاهِهَا لِكَيْ تُطَاوِعَنَا، فَنُدِيرَ جِسْمَهَا كُلَّهُ. ٣ 3
जिब हम बस म्ह करण खात्तर घोड्या कै मुँह पै लगाम लगावा सां, तो हम उस घोड़े नै भी काब्बू कर सकां सां।
هُوَذَا ٱلسُّفُنُ أَيْضًا، وَهِيَ عَظِيمَةٌ بِهَذَا ٱلْمِقْدَارِ، وَتَسُوقُهَا رِيَاحٌ عَاصِفَةٌ، تُدِيرُهَا دَفَّةٌ صَغِيرَةٌ جِدًّا إِلَى حَيْثُمَا شَاءَ قَصْدُ ٱلْمُدِيرِ. ٤ 4
चाहे हवा कितनी भी तेज क्यूँ ना हो, एक छोट्टी सी पतवार तै, एक माँझी एक बड़े जहाज नै भी मोड़ सकै सै।
هَكَذَا ٱللِّسَانُ أَيْضًا، هُوَ عُضْوٌ صَغِيرٌ وَيَفْتَخِرُ مُتَعَظِّمًا. هُوَذَا نَارٌ قَلِيلَةٌ، أَيَّ وُقُودٍ تُحْرِقُ! ٥ 5
उस्से तरियां जीभ भी एक छोट्टा सा अंग सै, अर वा बड़ी-बड़ी बात करण की डींग मारै सै। देक्खों, छोट्टी सी चिंगारी तै कितने बड़े बण म्ह आग लाग ज्या सै।
فَٱللِّسَانُ نَارٌ! عَالَمُ ٱلْإِثْمِ. هَكَذَا جُعِلَ فِي أَعْضَائِنَا ٱللِّسَانُ، ٱلَّذِي يُدَنِّسُ ٱلْجِسْمَ كُلَّهُ، وَيُضْرِمُ دَائِرَةَ ٱلْكَوْنِ، وَيُضْرَمُ مِنْ جَهَنَّمَ. (Geenna g1067) ٦ 6
हाँ, जीभ एक आग के समान सै, या म्हारे देह का एक इसा खतरनाक हिस्सा सै, जो माणस तै अधर्म के काम करवा देवै सै, अर उसकी पूरी जिन्दगी नै बरबाद कर देवै सै, या म्हारे जीवन नै नरक की आग के समान खतम कर सकै सै। (Geenna g1067)
لِأَنَّ كُلَّ طَبْعٍ لِلْوُحُوشِ وَٱلطُّيُورِ وَٱلزَّحَّافَاتِ وَٱلْبَحْرِيَّاتِ يُذَلَّلُ، وَقَدْ تَذَلَّلَ لِلطَّبْعِ ٱلْبَشَرِيِّ. ٧ 7
हरेक ढाळ के जंगळी पशु, पंछी, रेंगण आळे जन्तु, अर पाणी के जीव, तो माणस कै बस म्ह हो सकै सै, अर बस म्ह हो भी गये।
وَأَمَّا ٱللِّسَانُ، فَلَا يَسْتَطِيعُ أَحَدٌ مِنَ ٱلنَّاسِ أَنْ يُذَلِّلَهُ. هُوَ شَرٌّ لَا يُضْبَطُ، مَمْلُوٌّ سُمًّا مُمِيتًا. ٨ 8
पर जीभ नै कोए भी बस म्ह न्ही कर सकता, या एक इसी खतरनाक बला सै, जो कदे रूकती कोन्या, जो साँप के समान, जहर तै भरी होई सै।
بِهِ نُبَارِكُ ٱللهَ ٱلْآبَ، وَبِهِ نَلْعَنُ ٱلنَّاسَ ٱلَّذِينَ قَدْ تَكَوَّنُوا عَلَى شِبْهِ ٱللهِ. ٩ 9
जीभ तै ए हम पिता परमेसवर अर प्रभु की बड़ाई करा सां, अर इस्से तै जो परमेसवर कै रूप म्ह बणाये गये माणसां नै श्राप देवां सां।
مِنَ ٱلْفَمِ ٱلْوَاحِدِ تَخْرُجُ بَرَكَةٌ وَلَعْنَةٌ! لَا يَصْلُحُ يَا إِخْوَتِي أَنْ تَكُونَ هَذِهِ ٱلْأُمُورُ هَكَذَا! ١٠ 10
एके मुँह तै आशीष अर श्राप दोनु लिकड़ै सै। हे मेरे बिश्वासी भाईयो, इसा न्ही होणा चाहिए।
أَلَعَلَّ يَنْبُوعًا يُنْبِعُ مِنْ نَفْسِ عَيْنٍ وَاحِدَةٍ ٱلْعَذْبَ وَٱلْمُرَّ؟ ١١ 11
धरती के एके चोवै तै मिठ्ठा अर खारा पाणी दोनु न्ही लिकड़ सकदे।
هَلْ تَقْدِرُ يَا إِخْوَتِي تِينَةٌ أَنْ تَصْنَعَ زَيْتُونًا، أَوْ كَرْمَةٌ تِينًا؟ وَلَا كَذَلِكَ يَنْبُوعٌ يَصْنَعُ مَاءً مَالِحًا وَعَذْبًا! ١٢ 12
हे मेरे बिश्वासी भाईयो, के अंजीर कै पेड़ म्ह जैतून, या अंगूर की डाळी म्ह अंजीर लाग सकै सै? उस्से तरियां खारे चोवै तै मिठ्ठा पाणी न्ही लिकड़ सकता।
مَنْ هُوَ حَكِيمٌ وَعَالِمٌ بَيْنَكُمْ، فَلْيُرِ أَعْمَالَهُ بِٱلتَّصَرُّفِ ٱلْحَسَنِ فِي وَدَاعَةِ ٱلْحِكْمَةِ. ١٣ 13
जै थम समझदार अर परमेसवर की बात्तां नै समझण आळे माणस सों, तो इस बात नै नरमाई अर समझदारी तै एक आच्छा जीवन जी के, साबित करो।
وَلَكِنْ إِنْ كَانَ لَكُمْ غَيْرَةٌ مُرَّةٌ وَتَحَزُّبٌ فِي قُلُوبِكُمْ، فَلَا تَفْتَخِرُوا وَتَكْذِبُوا عَلَى ٱلْحَقِّ. ١٤ 14
पर जै थारे मन म्ह घणी जळण अर मतलबीपण सै, तो अपणे ज्ञान का ज्यादा दिखावा ना करो, क्यूँके इसा करण तै थम सच नै छुपाओ सों।
لَيْسَتْ هَذِهِ ٱلْحِكْمَةُ نَازِلَةً مِنْ فَوْقُ، بَلْ هِيَ أَرْضِيَّةٌ نَفْسَانِيَّةٌ شَيْطَانِيَّةٌ. ١٥ 15
इसा ज्ञान परमेसवर की ओड़ तै न्ही, बल्के वो ज्ञान दुनियावी, शारीरिक अर शैतान की ओड़ तै सै।
لِأَنَّهُ حَيْثُ ٱلْغَيْرَةُ وَٱلتَّحَزُّبُ، هُنَاكَ ٱلتَّشْوِيشُ وَكُلُّ أَمْرٍ رَدِيءٍ. ١٦ 16
क्यूँके जड़ै जळण अर मतलबीपण होवै सै, ओड़ै बखेड़ा अर हरेक ढाळ के बुरे काम भी होवै सै।
وَأَمَّا ٱلْحِكْمَةُ ٱلَّتِي مِنْ فَوْقُ فَهِيَ أَوَّلًا طَاهِرَةٌ، ثُمَّ مُسَالِمَةٌ، مُتَرَفِّقَةٌ، مُذْعِنَةٌ، مَمْلُوَّةٌ رَحْمَةً وَأَثْمَارًا صَالِحَةً، عَدِيمَةُ ٱلرَّيْبِ وَٱلرِّيَاءِ. ١٧ 17
पर जो ज्ञान परमेसवर देवै सै, वो पैहला तो पवित्र होवै सै, फेर शांतिप्रिय, सहनशील, विनम्र, खियास राक्खण आळा, भले काम अर दया तै भरया होया परोपकारी अर बिना भेद-भाव का, अर बिना कपट का होवै सै।
وَثَمَرُ ٱلْبِرِّ يُزْرَعُ فِي ٱلسَّلَامِ مِنَ ٱلَّذِينَ يَفْعَلُونَ ٱلسَّلَامَ. ١٨ 18
मेळ-मिलाप कराण आळा, किसान की तरियां सै, जो शान्ति का बीज बोवै सै, अर धार्मिकता की फसल काटै सै।

< يَعقُوب 3 >