< إِشَعْيَاءَ 64 >

لَيْتَكَ تَشُقُّ ٱلسَّمَاوَاتِ وَتَنْزِلُ! مِنْ حَضْرَتِكَ تَتَزَلْزَلُ ٱلْجِبَالُ. ١ 1
काश कि तू आसमान को फाड़े और उतर आए कि तेरे सामने पहाड़ लरज़िश खाएँ।
كَمَا تُشْعِلُ ٱلنَّارُ ٱلْهَشِيمَ، وَتَجْعَلُ ٱلنَّارُ ٱلْمِيَاهَ تَغْلِي، لِتُعَرِّفَ أَعْدَاءَكَ ٱسْمَكَ، لِتَرْتَعِدَ ٱلْأُمَمُ مِنْ حَضْرَتِكَ. ٢ 2
जिस तरह आग सूखी डालियों को जलाती है और पानी आग से जोश मारता है ताकि तेरा नाम तेरे मुख़ालिफ़ों में मशहूर हो और क़ौमें तेरे सामने में लरज़ाँ हों।
حِينَ صَنَعْتَ مَخَاوِفَ لَمْ نَنْتَظِرْهَا، نَزَلْتَ، تَزَلْزَلَتِ ٱلْجِبَالُ مِنْ حَضْرَتِكَ. ٣ 3
जिस वक़्त तूने बड़े काम किए जिनके हम मुन्तज़िर न थे, तू उतर आया और पहाड़ तेरे सामने काँप गए।
وَمُنْذُ ٱلْأَزَلِ لَمْ يَسْمَعُوا وَلَمْ يَصْغَوْا. لَمْ تَرَ عَيْنٌ إِلَهًا غَيْرَكَ يَصْنَعُ لِمَنْ يَنْتَظِرُهُ. ٤ 4
क्यूँकि शुरू' ही से न किसी ने सुना, न किसी के कान तक पहुँचा और न आँखों ने तेरे सिवा ऐसे ख़ुदा को देखा, जो अपने इन्तिज़ार करनेवाले के लिए कुछ कर दिखाए।
تُلَاقِي ٱلْفَرِحَ ٱلصَّانِعَ ٱلْبِرَّ. ٱلَّذِينَ يَذْكُرُونَكَ فِي طُرُقِكَ. هَا أَنْتَ سَخِطْتَ إِذْ أَخْطَأْنَا. هِيَ إِلَى ٱلْأَبَدِ فَنَخْلُصُ. ٥ 5
तू उससे मिलता है जो ख़ुशी से सदाक़त के काम करता है, और उनसे जो तेरी राहों में तुझे याद रखते हैं; देख, तू ग़ज़बनाक हुआ क्यूँकि हम ने गुनाह किया, और मुद्दत तक उसी में रहे; क्या हम नजात पाएँगे?
وَقَدْ صِرْنَا كُلُّنَا كَنَجِسٍ، وَكَثَوْبِ عِدَّةٍ كُلُّ أَعْمَالِ بِرِّنَا، وَقَدْ ذَبُلْنَا كَوَرَقَةٍ، وَآثَامُنَا كَرِيحٍ تَحْمِلُنَا. ٦ 6
और हम तो सब के सब ऐसे हैं जैसे नापाक चीज़ और हमारी तमाम रस्तबाज़ी नापाक लिबास की तरह है। और हम सब पत्ते की तरह कुमला जाते हैं, और हमारी बदकिरदारी आँधी की तरह हम को उड़ा ले जाती है।
وَلَيْسَ مَنْ يَدْعُو بِٱسْمِكَ أَوْ يَنْتَبِهُ لِيَتَمَسَّكَ بِكَ، لِأَنَّكَ حَجَبْتَ وَجْهَكَ عَنَّا، وَأَذَبْتَنَا بِسَبَبِ آثَامِنَا. ٧ 7
और कोई नहीं जो तेरा नाम ले, जो अपने आपको आमादा करे कि तुझ से लिपटा रहे; क्यूँकि हमारी बदकिरदारी की वजह से तू हम से छिपा रहा और हम को पिघला डाला।
وَٱلْآنَ يَارَبُّ أَنْتَ أَبُونَا. نَحْنُ ٱلطِّينُ وَأَنْتَ جَابِلُنَا، وَكُلُّنَا عَمَلُ يَدَيْكَ. ٨ 8
तोभी ऐ ख़ुदावन्द, तू हमारा बाप है; हम मिट्टी है और तू हमारा कुम्हार है, और हम सब के सब तेरी दस्तकारी हैं।
لَا تَسْخَطْ كُلَّ ٱلسَّخْطِ يَارَبُّ، وَلَا تَذْكُرِ ٱلْإِثْمَ إِلَى ٱلْأَبَدِ. هَا ٱنْظُرْ. شَعْبُكَ كُلُّنَا. ٩ 9
ऐ ख़ुदावन्द, ग़ज़बनाक न हो और बदकिरदारी को हमेशा तक याद न रख; देख, हम तेरी मिन्नत करते हैं, हम सब तेरे लोग हैं।
مُدُنُ قُدْسِكَ صَارَتْ بَرِّيَّةً. صِهْيَوْنُ صَارَتْ بَرِّيَّةً، وَأُورُشَلِيمُ مُوحَشَةً. ١٠ 10
तेरे पाक शहर वीराने बन गए, सिय्यून सुनसान और येरूशलेम वीरान है।
بَيْتُ قُدْسِنَا وَجَمَالِنَا حَيْثُ سَبَّحَكَ آبَاؤُنَا، قَدْ صَارَ حَرِيقَ نَارٍ، وَكُلُّ مُشْتَهَيَاتِنَا صَارَتْ خَرَابًا. ١١ 11
हमारा ख़ुशनुमा मक़दिस जिसमें हमारे बाप दादा तेरी इबादत करते थे, आग से जलाया गया और हमारी उम्दा चीज़ें बर्बाद हो गईं।
أَلِأَجْلِ هَذِهِ تَتَجَلَّدُ يَارَبُّ؟ أَتَسْكُتُ وَتُذِلُّنَا كُلَّ ٱلذِّلِّ؟ ١٢ 12
ऐ ख़ुदावन्द, क्या तू इस पर भी अपने आप को रोकेगा? क्या तू ख़ामोश रहेगा और हम को यूँ बदहाल करेगा?

< إِشَعْيَاءَ 64 >