< إِشَعْيَاءَ 5 >

لَأُنْشِدَنَّ عَنْ حَبِيبِي نَشِيدَ مُحِبِّي لِكَرْمِهِ: كَانَ لِحَبِيبِي كَرْمٌ عَلَى أَكَمَةٍ خَصِبَةٍ، ١ 1
अब मैं अपने महबूब के लिए अपने महबूब का एक गीत, उसके बाग़ के ज़रिए' गाऊँगा: मेरे महबूब का बाग़ एक ज़रखे़ज़ पहाड़ पर था।
فَنَقَبَهُ وَنَقَّى حِجَارَتَهُ وَغَرَسَهُ كَرْمَ سَوْرَقَ، وَبَنَى بُرْجًا فِي وَسَطِهِ، وَنَقَرَ فِيهِ أَيْضًا مِعْصَرَةً، فَٱنْتَظَرَ أَنْ يَصْنَعَ عِنَبًا فَصَنَعَ عِنَبًا رَدِيئًا. ٢ 2
और उसने उसे खोदा और उससे पत्थर निकाल फेंके और अच्छी से अच्छी ताकि उसमें लगाई, और उसमें बुर्ज बनाया और एक कोल्हू भी उसमें तराशा; और इन्तिज़ार किया कि उसमें अच्छे अंगूर लगें लेकिन उसमें जंगली अंगूर लगे।
«وَٱلْآنَ يَا سُكَّانَ أُورُشَلِيمَ وَرِجَالَ يَهُوذَا، ٱحْكُمُوا بَيْنِي وَبَيْنَ كَرْمِي. ٣ 3
अब ऐ येरूशलेम के बाशिन्दो और यहूदाह के लोगों, मेरे और मेरे बाग़ में तुम ही इन्साफ़ करो,
مَاذَا يُصْنَعُ أَيْضًا لِكَرْمِي وَأَنَا لَمْ أَصْنَعْهُ لَهُ؟ لِمَاذَا إِذِ ٱنْتَظَرْتُ أَنْ يَصْنَعَ عِنَبًا، صَنَعَ عِنَبًا رَدِيئًا؟ ٤ 4
कि मैं अपने बाग़ के लिए और क्या कर सकता था जो मैंने न किया? और अब जो मैंने अच्छे अंगूरों की उम्मीद की, तो इसमें जंगली अंगूर क्यूँ लगे?
فَٱلْآنَ أُعَرِّفُكُمْ مَاذَا أَصْنَعُ بِكَرْمِي: أَنْزِعُ سِيَاجَهُ فَيَصِيرُ لِلرَّعْيِ. أَهْدِمُ جُدْرَانَهُ فَيَصِيرُ لِلدَّوْسِ. ٥ 5
मैं तुम को बताता हूँ कि अब मैं अपने बाग़ से क्या करूँगा; मैं उसकी बाड़ गिरा दूँगा, और वह चरागाह होगा; उसका अहाता तोड़ डालूँगा, और वह पामाल किया जाएगा;
وَأَجْعَلُهُ خَرَابًا لَا يُقْضَبُ وَلَا يُنْقَبُ، فَيَطْلَعُ شَوْكٌ وَحَسَكٌ. وَأُوصِي ٱلْغَيْمَ أَنْ لَا يُمْطِرَ عَلَيْهِ مَطَرًا». ٦ 6
और मैं उसे बिल्कुल वीरान कर दूँगा वह न छाँटा जाएगा न निराया जाएगा, उसमें ऊँट कटारे और कॉटे उगेंगे; और मैं बादलों को हुक्म करूँगा कि उस पर मेंह न बरसाएँ।
إِنَّ كَرْمَ رَبِّ ٱلْجُنُودِ هُوَ بَيْتُ إِسْرَائِيلَ، وَغَرْسَ لَذَّتِهِ رِجَالُ يَهُوذَا. فَٱنْتَظَرَ حَقًّا فَإِذَا سَفْكُ دَمٍ، وَعَدْلًا فَإِذَا صُرَاخٌ. ٧ 7
इसलिए रब्ब — उल — अफ़्वाज का बाग़ बनी — इस्राईल का घराना है, और बनी यहूदाह उसका ख़ुशनुमा पौधा है उसने इन्साफ़ का इन्तिज़ार किया, लेकिन ख़ूँरेज़ी देखी; वह दाद का मुन्तज़िर रहा, लेकिन फ़रियाद सुनी।
وَيْلٌ لِلَّذِينَ يَصِلُونَ بَيْتًا بِبَيْتٍ، وَيَقْرِنُونَ حَقْلًا بِحَقْلٍ، حَتَّى لَمْ يَبْقَ مَوْضِعٌ. فَصِرْتُمْ تَسْكُنُونَ وَحْدَكُمْ فِي وَسَطِ ٱلْأَرْضِ. ٨ 8
उनपर अफ़सोस, जो घर से घर और खेत से खेत मिला देते हैं, यहाँ तक कि कुछ जगह बाक़ी न बचे, और मुल्क में वही अकेले बसें।
فِي أُذُنَيَّ قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: «أَلَا إِنَّ بُيُوتًا كَثِيرَةً تَصِيرُ خَرَابًا. بُيُوتًا كَبِيرَةً وَحَسَنَةً بِلَا سَاكِنٍ. ٩ 9
रब्ब — उल — अफ़्वाज ने मेरे कान में कहा, यक़ीनन बहुत से घर उजड़ जाएँगे और बड़े बड़े आलीशान और ख़ूबसूरत मकान भी बे चराग़ होंगे।
لِأَنَّ عَشْرَةَ فَدَادِينِ كَرْمٍ تَصْنَعُ بَثًّا وَاحِدًا، وَحُومَرَ بِذَارٍ يَصْنَعُ إِيفَةً». ١٠ 10
क्यूँकि पन्द्रह बीघे बाग़ से सिर्फ़ एक बत मय हासिल होगी, और एक ख़ोमर' बीज से एक ऐफ़ा ग़ल्ला।
وَيْلٌ لِلْمُبَكِّرِينَ صَبَاحًا يَتْبَعُونَ ٱلْمُسْكِرَ، لِلْمُتَأَخِّرِينَ فِي ٱلْعَتَمَةِ تُلْهِبُهُمُ ٱلْخَمْرُ. ١١ 11
उनपर अफ़सोस, जो सुबह सवेरे उठते हैं ताकि नशेबाज़ी के दरपै हों और जो रात को जागते हैं जब तक शराब उनको भड़का न दे!
وَصَارَ ٱلْعُودُ وَٱلرَّبَابُ وَٱلدُّفُّ وَٱلنَّايُ وَٱلْخَمْرُ وَلَائِمَهُمْ، وَإِلَى فَعْلِ ٱلرَّبِّ لَا يَنْظُرُونَ، وَعَمَلَ يَدَيْهِ لَا يَرَوْنَ. ١٢ 12
और उनके जश्न की महफ़िलों में बरबत और सितार और दफ़ और बीन और शराब हैं; लेकिन वह ख़ुदावन्द के काम को नहीं सोचते और उसके हाथों की कारीगरी पर ग़ौर नहीं करते।
لِذَلِكَ سُبِيَ شَعْبِي لِعَدَمِ ٱلْمَعْرِفَةِ، وَتَصِيرُ شُرَفَاؤُهُ رِجَالَ جُوعٍ، وَعَامَّتُهُ يَابِسِينَ مِنَ ٱلْعَطَشِ. ١٣ 13
इसलिए मेरे लोग जहालत की वजह से ग़ुलामी में जाते हैं; उनके बुज़ुर्ग भूके मरते, और 'अवाम प्यास से जलते हैं।
لِذَلِكَ وَسَّعَتِ ٱلْهَاوِيَةُ نَفْسَهَا، وَفَغَرَتْ فَاهَا بِلَا حَدٍّ، فَيَنْزِلُ بَهَاؤُهَا وَجُمْهُورُهَا وَضَجِيجُهَا وَٱلْمُبْتَهِجُ فِيهَا! (Sheol h7585) ١٤ 14
फिर पाताल अपनी हवस बढ़ाता है और अपना मुँह बे इन्तहा फाड़ता है और उनके शरीफ़ और 'आम लोग और ग़ौग़ाई और जो कोई उनमें घमण्ड करता है, उसमें उतर जाएँगे। (Sheol h7585)
وَيُذَلُّ ٱلْإِنْسَانُ وَيُحَطُّ ٱلرَّجُلُ، وَعُيُونُ ٱلْمُسْتَعْلِينَ تُوضَعُ. ١٥ 15
और छोटा आदमी झुकाया जाएगा, और बड़ा आदमी पस्त होगा और मग़रूरों की आँखे नीची हो जाएँगी।
وَيَتَعَالَى رَبُّ ٱلْجُنُودِ بِٱلْعَدْلِ، وَيَتَقَدَّسُ ٱلإِلَهُ ٱلْقُدُّوسُ بِٱلْبِرِّ. ١٦ 16
लेकिन रब्ब — उल — अफ़्वाज 'अदालत में सरबलन्द होगा, और ख़ुदा — ए — क़ुद्दूस की तक़्दीस सदाक़त से की जाएगी।
وَتَرْعَى ٱلْخِرْفَانُ حَيْثُمَا تُسَاقُ، وَخِرَبُ ٱلسِّمَانِ تَأْكُلُهَا ٱلْغُرَبَاءُ. ١٧ 17
तब बर्रे जैसे अपनी चरागाहों में चरेंगे और दौलतमन्दों के वीरान खेत परदेसियों के गल्ले खाएँगे।
وَيْلٌ لِلْجَاذِبِينَ ٱلْإِثْمَ بِحِبَالِ ٱلْبُطْلِ، وَٱلْخَطِيَّةَ كَأَنَّهُ بِرُبُطِ ٱلْعَجَلَةِ، ١٨ 18
उनपर अफ़सोस, जो बतालत की तनाबों से बदकिरदारी को और जैसे गाड़ी के रस्सों से गुनाह को खींच लाते हैं,
ٱلْقَائِلِينَ: «لِيُسْرِعْ، لِيُعَجِّلْ عَمَلَهُ لِكَيْ نَرَى، وَلْيَقْرُبْ وَيَأْتِ مَقْصَدُ قُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ لِنَعْلَمَ». ١٩ 19
और जो कहते हैं, कि जल्दी करें और फुर्ती से अपना काम करें कि हम देखें; और इस्राईल के क़ुद्दूस की मशवरत नज़दीक हो और आ पहुँचे ताकि हम उसे जानें।
وَيْلٌ لِلْقَائِلِينَ لِلشَّرِّ خَيْرًا وَلِلْخَيْرِ شَرًّا، ٱلْجَاعِلِينَ ٱلظَّلَامَ نُورًا وَٱلنُّورَ ظَلَامًا، ٱلْجَاعِلِينَ ٱلْمُرَّ حُلْوًا وَٱلْحُلْوَ مُرًّا. ٢٠ 20
उन पर अफ़सोस, जो बदी को नेकी और नेकी को बदी कहते हैं, और नूर की जगह तारीकी को और तारीकी की जगह नूर को देते हैं; और शीरीनी के बदले तल्ख़ी और तल्ख़़ी के बदले शीरीनी रखते हैं!
وَيْلٌ لِلْحُكَمَاءِ فِي أَعْيُنِ أَنْفُسِهِمْ، وَٱلْفُهَمَاءِ عِنْدَ ذَوَاتِهِمْ. ٢١ 21
उनपर अफ़सोस, जो अपनी नज़र में अक़्लमन्द और अपनी निगाह में साहिब — ए — इम्तियाज़ हैं।
وَيْلٌ لِلْأَبْطَالِ عَلَى شُرْبِ ٱلْخَمْرِ، وَلِذَوِي ٱلْقُدْرَةِ عَلَى مَزْجِ ٱلْمُسْكِرِ. ٢٢ 22
उनपर अफ़सोस, जो मय पीने में ताक़तवर और शराब मिलाने में पहलवान हैं;
ٱلَّذِينَ يُبَرِّرُونَ ٱلشِّرِّيرَ مِنْ أَجْلِ ٱلرُّشْوَةِ، وَأَمَّا حَقُّ ٱلصِّدِّيقِينَ فَيَنْزِعُونَهُ مِنْهُمْ. ٢٣ 23
जो रिश्वत लेकर शरीरों की सादिक़ और सादिक़ों को नारास्त ठहराते हैं!
لِذَلِكَ كَمَا يَأْكُلُ لَهِيبُ ٱلنَّارِ ٱلْقَشَّ، وَيَهْبِطُ ٱلْحَشِيشُ ٱلْمُلْتَهِبُ، يَكُونُ أَصْلُهُمْ كَٱلْعُفُونَةِ، وَيَصْعَدُ زَهْرُهُمْ كَٱلْغُبَارِ، لِأَنَّهُمْ رَذَلُوا شَرِيعَةَ رَبِّ ٱلْجُنُودِ، وَٱسْتَهَانُوا بِكَلَامِ قُدُّوسِ إِسْرَائِيلَ. ٢٤ 24
फिर जिस तरह आग भूसे को खा जाती है और जलता हुआ फूस बैठ जाता है, उसी तरह उनकी जड़ बोसीदा होगी और उनकी कली गर्द की तरह उड़ जाएगी; क्यूँकि उन्होंने रब्ब — उल — अफ़वाज की शरी'अत को छोड़ दिया, और इस्राईल के क़ुददूस के कलाम को हक़ीर जाना।
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ حَمِيَ غَضَبُ ٱلرَّبِّ عَلَى شَعْبِهِ، وَمَدَّ يَدَهُ عَلَيْهِ وَضَرَبَهُ، حَتَّى ٱرْتَعَدَتِ ٱلْجِبَالُ وَصَارَتْ جُثَثُهُمْ كَٱلزِّبْلِ فِي ٱلْأَزِقَّةِ. مَعَ كُلِّ هَذَا لَمْ يَرْتَدَّ غَضَبُهُ، بَلْ يَدُهُ مَمْدُودَةٌ بَعْدُ. ٢٥ 25
इसलिए ख़ुदावन्द का क़हर उसके लोगों पर भड़का, और उसने उनके ख़िलाफ़ अपना हाथ बढ़ाया और उनको मारा; चुनाँचे पहाड़ कॉप गए और उनकी लाशें बाज़ारों में ग़लाज़त की तरह पड़ी हैं। बावजूद इसके उसका क़हर टल नहीं गया बल्कि उसका हाथ अभी बढ़ा हुआ है।
فَيَرْفَعُ رَايَةً لِلْأُمَمِ مِنْ بَعِيدٍ، وَيَصْفِرُ لَهُمْ مِنْ أَقْصَى ٱلْأَرْضِ، فَإِذَا هُمْ بِٱلْعَجَلَةِ يَأْتُونَ سَرِيعًا. ٢٦ 26
और वह क़ौमों के लिए दूर से झण्डा खड़ा करेगा, और उनको ज़मीन की इन्तिहा से सुसकार कर बुलाएगा; और देख वह दौड़े चले आएँगें।
لَيْسَ فِيهِمْ رَازِحٌ وَلَا عَاثِرٌ. لَا يَنْعَسُونَ وَلَا يَنَامُونَ، وَلَا تَنْحَلُّ حُزُمُ أَحْقَائِهِمْ، وَلَا تَنْقَطِعُ سُيُورُ أَحْذِيَتِهِمْ. ٢٧ 27
न कोई उनमें थकेगा न फिसलेगा, न कोई ऊँघेगा न सोएगा, न उनका कमरबन्द खुलेगा और न उनकी जूतियों का तस्मा टूटेगा।
ٱلَّذِينَ سِهَامُهُمْ مَسْنُونَةٌ، وَجَمِيعُ قِسِيِّهِمْ مَمْدُودَةٌ. حَوَافِرُ خَيْلِهِمْ تُحْسَبُ كَٱلصَّوَّانِ، وَبَكَرَاتُهُمْ كَٱلزَّوْبَعَةِ. ٢٨ 28
उनके तीर तेज़ हैं और उनकी सब कमानें कशीदा होंगी, उनके घोड़ों के सुम चक़माक़ और उनकी गाड़ियाँ गिर्दबाद की तरह होंगी।
لَهُمْ زَمْجَرَةٌ كَٱللَّبْوَةِ، وَيُزَمْجِرُونَ كَٱلشِّبْلِ، وَيَهِرُّونَ وَيُمْسِكُونَ ٱلْفَرِيسَةَ وَيَسْتَخْلِصُونَهَا وَلَا مُنْقِذَ. ٢٩ 29
वह शेरनी की तरह गरजेंगे, हाँ वह जवान शेरों की तरह दहाड़ेंगे; वह गु़र्रा कर शिकार पकड़ेंगे और उसे बे रोकटोक ले जाएँगे, कोई बचानेवाला न होगा।
يَهِرُّونَ عَلَيْهِمْ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ كَهَدِيرِ ٱلْبَحْرِ. فَإِنْ نُظِرَ إِلَى ٱلْأَرْضِ فَهُوَذَا ظَلَامُ ٱلضِّيقِ، وَٱلنُّورُ قَدْ أَظْلَمَ بِسُحُبِهَا. ٣٠ 30
और उस रोज़ वह उन पर ऐसा शोर मचाएँगे जैसा समन्दर का शोर होता है; और अगर कोई इस मुल्क पर नज़र करे, तो बस, अन्धेरा और तंगहाली है, और रोशनी उसके बादलों से तारीक हो जाती है।

< إِشَعْيَاءَ 5 >