< إِشَعْيَاءَ 47 >

«اِنْزِلِي وَٱجْلِسِي عَلَى ٱلتُّرَابِ أَيَّتُهَا ٱلْعَذْرَاءُ ٱبْنَةُ بَابِلَ. ٱجْلِسِي عَلَى ٱلْأَرْضِ بِلَا كُرْسِيٍّ يَا ٱبْنَةَ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ، لِأَنَّكِ لَا تَعُودِينَ تُدْعَيْنَ نَاعِمَةً وَمُتَرَفِّهَةً. ١ 1
हे बाबेल की कुमारी बेटी, उतर आ और धूल पर बैठ; हे कसदियों की बेटी तू बिना सिंहासन भूमि पर बैठ! क्योंकि तू अब फिर कोमल और सुकुमार न कहलाएगी।
خُذِي ٱلرَّحَى وَٱطْحَنِي دَقِيقًا. ٱكْشِفِي نِقَابَكِ. شَمِّرِي ٱلذَّيْلَ. ٱكْشِفِي ٱلسَّاقَ. ٱعْبُرِي ٱلْأَنْهَارَ. ٢ 2
चक्की लेकर आटा पीस, अपना घूँघट हटा और घाघरा समेट ले और उघाड़ी टाँगों से नदियों को पार कर।
تَنْكَشِفُ عَوْرَتُكِ وَتُرَى مَعَارِيكِ. آخُذُ نَقْمَةً وَلَا أُصَالِحُ أَحَدًا». ٣ 3
तेरी नग्नता उघाड़ी जाएगी और तेरी लज्जा प्रगट होगी। मैं बदला लूँगा और किसी मनुष्य को न छोड़ूँगा।
فَادِينَا رَبُّ ٱلْجُنُودِ ٱسْمُهُ. قُدُّوسُ إِسْرَائِيلَ. ٤ 4
हमारा छुटकारा देनेवाले का नाम सेनाओं का यहोवा और इस्राएल का पवित्र है।
«ٱجْلِسِي صَامِتَةً وَٱدْخُلِي فِي ٱلظَّلَامِ يَا ٱبْنَةَ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ، لِأَنَّكِ لَا تَعُودِينَ تُدْعَيْنَ سَيِّدَةَ ٱلْمَمَالِكِ. ٥ 5
हे कसदियों की बेटी, चुपचाप बैठी रह और अंधियारे में जा; क्योंकि तू अब राज्य-राज्य की स्वामिनी न कहलाएगी।
«غَضِبْتُ عَلَى شَعْبِي. دَنَّسْتُ مِيرَاثِي وَدَفَعْتُهُمْ إِلَى يَدِكِ. لَمْ تَصْنَعِي لَهُمْ رَحْمَةً. عَلَى ٱلشَّيْخِ ثَقَّلْتِ نِيرَكِ جِدًّا. ٦ 6
मैंने अपनी प्रजा से क्रोधित होकर अपने निज भाग को अपवित्र ठहराया और तेरे वश में कर दिया; तूने उन पर कुछ दया न की; बूढ़ों पर तूने अपना अत्यन्त भारी जूआ रख दिया।
وَقُلْتِ: إِلَى ٱلْأَبَدِ أَكُونُ سَيِّدَةً! حَتَّى لَمْ تَضَعِي هَذِهِ فِي قَلْبِكِ. لَمْ تَذْكُرِي آخِرَتَهَا. ٧ 7
तूने कहा, “मैं सर्वदा स्वामिनी बनी रहूँगी,” इसलिए तूने अपने मन में इन बातों पर विचार न किया और यह भी न सोचा कि उनका क्या फल होगा।
فَٱلْآنَ ٱسْمَعِي هَذَا أَيَّتُهَا ٱلْمُتَنَعِّمَةُ ٱلْجَالِسَةُ بِٱلطُّمَأْنِينَةِ، ٱلْقَائِلَةُ فِي قَلْبِهَا: أَنَا وَلَيْسَ غَيْرِي. لَا أَقْعُدُ أَرْمَلَةً وَلَا أَعْرِفُ ٱلثَّكَلَ. ٨ 8
इसलिए सुन, तू जो राग-रंग में उलझी हुई निडर बैठी रहती है और मन में कहती है कि “मैं ही हूँ, और मुझे छोड़ कोई दूसरा नहीं; मैं विधवा के समान न बैठूँगी और न मेरे बाल-बच्चे मिटेंगे।”
فَيَأْتِي عَلَيْكِ هَذَانِ ٱلِٱثْنَانِ بَغْتَةً فِي يَوْمٍ وَاحِدٍ: ٱلثَّكَلُ وَٱلتَّرَمُّلُ. بِٱلتَّمَامِ قَدْ أَتَيَا عَلَيْكِ مَعَ كَثْرَةِ سُحُورِكِ، مَعَ وُفُورِ رُقَاكِ جِدًّا. ٩ 9
सुन, ये दोनों दुःख अर्थात् लड़कों का जाता रहना और विधवा हो जाना, अचानक एक ही दिन तुझ पर आ पड़ेंगे। तेरे बहुत से टोन्हों और तेरे भारी-भारी तंत्र-मंत्रों के रहते भी ये तुझ पर अपने पूरे बल से आ पड़ेंगे।
وَأَنْتِ ٱطْمَأْنَنْتِ فِي شَرِّكِ. قُلْتِ: لَيْسَ مَنْ يَرَانِي. حِكْمَتُكِ وَمَعْرِفَتُكِ هُمَا أَفْتَنَاكِ، فَقُلْتِ فِي قَلْبِكِ: أَنَا وَلَيْسَ غَيْرِي. ١٠ 10
१०तूने अपनी दुष्टता पर भरोसा रखा, तूने कहा, “मुझे कोई नहीं देखता;” तेरी बुद्धि और ज्ञान ने तुझे बहकाया और तूने अपने मन में कहा, “मैं ही हूँ और मेरे सिवाय कोई दूसरा नहीं।”
فَيَأْتِي عَلَيْكِ شَرٌّ لَا تَعْرِفِينَ فَجْرَهُ، وَتَقَعُ عَلَيْكِ مُصِيبَةٌ لَا تَقْدِرِينَ أَنْ تَصُدِّيهَا، وَتَأْتِي عَلَيْكِ بَغْتَةً تَهْلُكَةٌ لَا تَعْرِفِينَ بِهَا. ١١ 11
११परन्तु तेरी ऐसी दुर्गति होगी जिसका मंत्र तू नहीं जानती, और तुझ पर ऐसी विपत्ति पड़ेगी कि तू प्रायश्चित करके उसका निवारण न कर सकेगी; अचानक विनाश तुझ पर आ पड़ेगा जिसका तुझे कुछ भी पता नहीं।
«قِفِي فِي رُقَاكِ وَفِي كَثْرَةِ سُحُورِكِ ٱلَّتِي فِيهَا تَعِبْتِ مُنْذُ صِبَاكِ، رُبَّمَا يُمْكِنُكِ أَنْ تَنْفَعِي، رُبَّمَا تُرْعِبِينَ. ١٢ 12
१२अपने तंत्र-मंत्र और बहुत से टोन्हों को, जिनका तूने बाल्यावस्था ही से अभ्यास किया है, उपयोग में ला, सम्भव है तू उनसे लाभ उठा सके या उनके बल से स्थिर रह सके।
قَدْ ضَعُفْتِ مِنْ كَثْرَةِ مَشُورَاتِكِ. لِيَقِفْ قَاسِمُو ٱلسَّمَاءِ ٱلرَّاصِدُونَ ٱلنُّجُومَ، ٱلْمُعَرِّفُونَ عِنْدَ رُؤُوسِ ٱلشُّهُورِ، وَيُخَلِّصُوكِ مِمَّا يَأْتِي عَلَيْكِ. ١٣ 13
१३तू तो युक्ति करते-करते थक गई है; अब तेरे ज्योतिषी जो नक्षत्रों को ध्यान से देखते और नये-नये चाँद को देखकर होनहार बताते हैं, वे खड़े होकर तुझे उन बातों से बचाएँ जो तुझ पर घटेंगी।
هَا إِنَّهُمْ قَدْ صَارُوا كَٱلْقَشِّ. أَحْرَقَتْهُمُ ٱلنَّارُ. لَا يُنَجُّونَ أَنْفُسَهُمْ مِنْ يَدِ ٱللَّهِيبِ. لَيْسَ هُوَ جَمْرًا لِلِٱسْتِدْفَاءِ وَلَا نَارًا لِلْجُلُوسِ تُجَاهَهَا. ١٤ 14
१४देख, वे भूसे के समान होकर आग से भस्म हो जाएँगे; वे अपने प्राणों को ज्वाला से न बचा सकेंगे। वह आग तापने के लिये नहीं, न ऐसी होगी जिसके सामने कोई बैठ सके!
هَكَذَا صَارَ لَكِ ٱلَّذِينَ تَعِبْتِ فِيهِمْ. تُجَّارُكِ مُنْذُ صِبَاكِ قَدْ شَرَدُوا كُلُّ وَاحِدٍ عَلَى وَجْهِهِ، وَلَيْسَ مَنْ يُخَلِّصُكِ. ١٥ 15
१५जिनके लिये तू परिश्रम करती आई है वे सब तेरे लिये वैसे ही होंगे, और जो तेरी युवावस्था से तेरे संग व्यापार करते आए हैं, उनमें से प्रत्येक अपनी-अपनी दिशा की ओर चले जाएँगे; तेरा बचानेवाला कोई न रहेगा।

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