< إِشَعْيَاءَ 20 >

فِي سَنَةِ مَجِيءِ تَرْتَانَ إِلَى أَشْدُودَ، حِينَ أَرْسَلَهُ سَرْجُونُ مَلِكُ أَشُّورَ فَحَارَبَ أَشْدُودَ وَأَخَذَهَا، ١ 1
जिस वर्ष अश्शूर के राजा सर्गोन ने सेनापति बनाया, उस वर्ष उसने अशदोद पर हमला कर उस पर अधिकार कर लिया—
فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ تَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ عَنْ يَدِ إِشَعْيَاءَ بْنِ آمُوصَ قَائِلًا: «اِذْهَبْ وَحُلَّ ٱلْمِسْحَ عَنْ حَقْوَيْكَ وَٱخْلَعْ حِذَاءَكَ عَنْ رِجْلَيْكَ». فَفَعَلَ هَكَذَا وَمَشَى مُعَرًّى وَحَافِيًا. ٢ 2
उस समय याहवेह ने आमोज़ के पुत्र यशायाह से कहा, “जाओ, अपनी कमर से टाट खोल दो तथा अपने पांव के जूते उतार दो.” तब यशायाह वस्त्रहीन और नंगे पांव रहता था.
فَقَالَ ٱلرَّبُّ: «كَمَا مَشَى عَبْدِي إِشَعْيَاءُ مُعَرًّى وَحَافِيًا ثَلَاثَ سِنِينٍ، آيَةً وَأُعْجُوبَةً عَلَى مِصْرَ وَعَلَى كُوشَ، ٣ 3
तब याहवेह ने यह कहा, “जिस प्रकार मेरा सेवक यशायाह मिस्र और कूश के लिए एक नमूना बना वह तीन वर्ष तक वस्त्रहीन तथा नंगे पांव रहा,
هَكَذَا يَسُوقُ مَلِكُ أَشُّورَ سَبْيَ مِصْرَ وَجَلَاءَ كُوشَ، ٱلْفِتْيَانَ وَٱلشُّيُوخَ، عُرَاةً وَحُفَاةً وَمَكْشُوفِي ٱلْأَسْتَاهِ خِزْيًا لِمِصْرَ. ٤ 4
उसी प्रकार अश्शूर का राजा मिस्रियों और कूश देश के लोगों को बंधक बनाकर देश से निकाल देगा, सबको चाहे वे जवान हों, बूढ़े हों सबको बंधुआ बनाकर बिना वस्त्र और नंगे पांव ले जाएगा.
فَيَرْتَاعُونَ وَيَخْجَلُونَ مِنْ أَجْلِ كُوشَ رَجَائِهِمْ، وَمِنْ أَجْلِ مِصْرَ فَخْرِهِمْ. ٥ 5
तब कूश के कारण जिस पर उनको आशा थी और मिस्र पर वे घमंड करते थे वे विनाश और लज्जित हो जाएंगे.
وَيَقُولُ سَاكِنُ هَذَا ٱلسَّاحِلِ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ: هُوَذَا هَكَذَا مَلْجَأُنَا ٱلَّذِي هَرَبْنَا إِلَيْهِ لِلْمَعُونَةِ لِنَنْجُو مِنْ مَلِكِ أَشُّورَ، فَكَيْفَ نَسْلَمُ نَحْنُ؟». ٦ 6
और उस समय समुद्रतट के किनारे रहनेवाले कहेंगे कि, ‘देखो जिस पर हमारी आशा थी और अपने आपको बचाने के लिये हम अश्शूर के राजा के पास जानेवाले थे! अब उनकी ही ऐसी दशा हो गई तो अब हम कैसे बचेंगे?’”

< إِشَعْيَاءَ 20 >