< إِشَعْيَاءَ 2 >

اَلْأُمُورُ ٱلَّتِي رَآهَا إِشَعْيَاءُ بْنُ آمُوصَ مِنْ جِهَةِ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ: ١ 1
यहूदिया और येरूशलेम के विषय में आमोज़ के पुत्र यशायाह ने दर्शन देखा:
وَيَكُونُ فِي آخِرِ ٱلْأَيَّامِ أَنَّ جَبَلَ بَيْتِ ٱلرَّبِّ يَكُونُ ثَابِتًا فِي رَأْسِ ٱلْجِبَالِ، وَيَرْتَفِعُ فَوْقَ ٱلتِّلَالِ، وَتَجْرِي إِلَيْهِ كُلُّ ٱلْأُمَمِ. ٢ 2
कि अंत के दिनों में वह पर्वत और पहाड़ जिस पर याहवेह का भवन है; उसे दृढ़ और ऊंचा किया जायेगा, और सब जाति के लोग बहती हुई नदी के समान उस ओर आएंगे.
وَتَسِيرُ شُعُوبٌ كَثِيرَةٌ، وَيَقُولُونَ: «هَلُمَّ نَصْعَدْ إِلَى جَبَلِ ٱلرَّبِّ، إِلَى بَيْتِ إِلَهِ يَعْقُوبَ، فَيُعَلِّمَنَا مِنْ طُرُقِهِ وَنَسْلُكَ فِي سُبُلِهِ». لِأَنَّهُ مِنْ صِهْيَوْنَ تَخْرُجُ ٱلشَّرِيعَةُ، وَمِنْ أُورُشَلِيمَ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ. ٣ 3
और कहेंगे, “आओ, हम याहवेह के पर्वत, याकोब के परमेश्वर के भवन को चलें. कि वह हमें अपने नियम सिखाएं, और हम उनके मार्गों पर चलें.” क्योंकि ज़ियोन से व्यवस्था निकलेगी, और येरूशलेम से याहवेह का वचन आएगा.
فَيَقْضِي بَيْنَ ٱلْأُمَمِ وَيُنْصِفُ لِشُعُوبٍ كَثِيرِينَ، فَيَطْبَعُونَ سُيُوفَهُمْ سِكَكًا وَرِمَاحَهُمْ مَنَاجِلَ. لَا تَرْفَعُ أُمَّةٌ عَلَى أُمَّةٍ سَيْفًا، وَلَا يَتَعَلَّمُونَ ٱلْحَرْبَ فِي مَا بَعْدُ. ٤ 4
परमेश्वर राज्यों के बीच न्याय करेंगे और लोगों की परेशानियां दूर करेंगे. तब वे अपनी तलवारों को पीट-पीटकर हल के फाल तथा अपने भालों को हंसिया बना लेंगे. एक देश दूसरे के विरुद्ध तलवार नहीं उठायेगा, तथा उन्हें फिर कभी लड़ने के लिए तैयार नहीं किया जाएगा.
يَا بَيْتَ يَعْقُوبَ، هَلُمَّ فَنَسْلُكُ فِي نُورِ ٱلرَّبِّ. ٥ 5
याकोब के लोग आओ, हम याहवेह के प्रकाश में चलें.
فَإِنَّكَ رَفَضْتَ شَعْبَكَ بَيْتَ يَعْقُوبَ لِأَنَّهُمُ ٱمْتَلَأُوا مِنَ ٱلْمَشْرِقِ، وَهُمْ عَائِفُونَ كَٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ، وَيُصَافِحُونَ أَوْلَادَ ٱلْأَجَانِبِ. ٦ 6
याहवेह, ने तो अपनी प्रजा, याकोब के वंश को छोड़ दिया है. क्योंकि वे पूर्णतः पूर्वी लोगों के समान हो गये; और फिलिस्तीनियों के समान उनकी सोच और काम हो गया है.
وَٱمْتَلَأَتْ أَرْضُهُمْ فِضَّةً وَذَهَبًا وَلَا نِهَايَةَ لِكُنُوزِهِمْ، وَٱمْتَلَأَتْ أَرْضُهُمْ خَيْلًا وَلَا نِهَايَةَ لِمَرْكَبَاتِهِمْ. ٧ 7
उनका देश भी सोना और चांदी से भरा है; और उनके पास धन की कमी नहीं. और उनका देश घोड़ों और रथों से भरा है.
وَٱمْتَلَأَتْ أَرْضُهُمْ أَوْثَانًا. يَسْجُدُونَ لِعَمَلِ أَيْدِيهِمْ لِمَا صَنَعَتْهُ أَصَابِعُهُمْ. ٨ 8
उनका देश मूर्तियों से भरा है; जो अपने हाथों से बनाया हुआ है.
وَيَنْخَفِضُ ٱلْإِنْسَانُ، وَيَنْطَرِحُ ٱلرَّجُلُ، فَلَا تَغْفِرْ لَهُمْ. ٩ 9
और मनुष्य उसके सामने झुकते और प्रणाम करते हैं, इसलिये उन्हें माफ नहीं किया जाएगा.
اُدْخُلْ إِلَى ٱلصَّخْرَةِ وَٱخْتَبِئْ فِي ٱلتُّرَابِ مِنْ أَمَامِ هَيْبَةِ ٱلرَّبِّ وَمِنْ بَهَاءِ عَظَمَتِهِ. ١٠ 10
याहवेह के डर तथा उनके प्रताप के तेज के कारण चट्टान में चले जाओ और छिप जाओ!
تُوضَعُ عَيْنَا تَشَامُخِ ٱلْإِنْسَانِ، وَتُخْفَضُ رِفْعَةُ ٱلنَّاسِ، وَيَسْمُو ٱلرَّبُّ وَحْدَهُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ. ١١ 11
मनुष्यों का घमंड नीचा करके; याहवेह को ऊंचा किया जायेगा.
فَإِنَّ لِرَبِّ ٱلْجُنُودِ يَوْمًا عَلَى كُلِّ مُتَعَظِّمٍ وَعَالٍ، وَعَلَى كُلِّ مُرْتَفِعٍ فَيُوضَعُ، ١٢ 12
क्योंकि हर घमंडी एवं अहंकारी व्यक्ति के लिए सर्वशक्तिमान याहवेह ने दिन ठहराया है, उस दिन उनका घमंड तोड़ दिया जाएगा,
وَعَلَى كُلِّ أَرْزِ لُبْنَانَ ٱلْعَالِي ٱلْمُرْتَفِعِ، وَعَلَى كُلِّ بَلُّوطِ بَاشَانَ، ١٣ 13
और लबानोन के समस्त ऊंचे देवदारों, तथा बाशान के सब बांज वृक्षों पर,
وَعَلَى كُلِّ ٱلْجِبَالِ ٱلْعَالِيَةِ، وَعَلَى كُلِّ ٱلتِّلَالِ ٱلْمُرْتَفِعَةِ، ١٤ 14
समस्त ऊंचे पहाडों और ऊंची पहाड़ियों पर,
وَعَلَى كُلِّ بُرْجٍ عَالٍ، وَعَلَى كُلِّ سُورٍ مَنِيعٍ، ١٥ 15
समस्त ऊंचे गुम्मटों और सब शहरपनाहों पर और,
وَعَلَى كُلِّ سُفُنِ تَرْشِيشَ، وَعَلَى كُلِّ ٱلْأَعْلَامِ ٱلْبَهِجَةِ. ١٦ 16
तरशीश के सब जहाजों तथा सब सुंदर चित्रकारी पर.
فَيُخْفَضُ تَشَامُخُ ٱلْإِنْسَانِ، وَتُوضَعُ رِفْعَةُ ٱلنَّاسِ، وَيَسْمُو ٱلرَّبُّ وَحْدَهُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ. ١٧ 17
जो मनुष्य का घमंड और अहंकार है दूर किया जाएगा; और केवल याहवेह ही ऊंचे पर विराजमान होगा,
وَتَزُولُ ٱلْأَوْثَانُ بِتَمَامِهَا. ١٨ 18
सब मूर्तियां नष्ट कर दी जाएंगी.
وَيَدْخُلُونَ فِي مَغَايِرِ ٱلصُّخُورِ، وَفِي حَفَائِرِ ٱلتُّرَابِ مِنْ أَمَامِ هَيْبَةِ ٱلرَّبِّ، وَمِنْ بَهَاءِ عَظَمَتِهِ، عِنْدَ قِيَامِهِ لِيَرْعَبَ ٱلْأَرْضَ. ١٩ 19
जब याहवेह पृथ्वी को कंपित करने के लिए उठेंगे तब उनके भय तथा प्रताप के तेज के कारण मनुष्य चट्टानों की गुफाओं में तथा भूमि के गड्ढों में जा छिपेंगे.
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ يَطْرَحُ ٱلْإِنْسَانُ أَوْثَانَهُ ٱلْفِضِّيَّةَ وَأَوْثَانَهُ ٱلذَّهَبِيَّةَ، ٱلَّتِي عَمِلُوهَا لَهُ لِلسُّجُودِ، لِلْجُرْذَانِ وَٱلْخَفَافِيشِ، ٢٠ 20
उस दिन मनुष्य अपनी सोने-चांदी की मूर्तियां जिन्हें उन्होंने बनाई थी, उन्हें छछूंदरों और चमगादड़ों के सामने फेंक देंगे.
لِيَدْخُلَ فِي نُقَرِ ٱلصُّخُورِ وَفِي شُقُوقِ ٱلْمَعَاقِلِ، مِنْ أَمَامِ هَيْبَةِ ٱلرَّبِّ وَمِنْ بَهَاءِ عَظَمَتِهِ عِنْدَ قِيَامِهِ لِيَرْعَبَ ٱلْأَرْضَ. ٢١ 21
जब याहवेह पृथ्वी को कंपित करने के लिए उठेंगे तब उनके भय तथा उनके प्रताप के तेज के कारण, मनुष्य चट्टानों की गुफाओं में तथा चट्टानों में जा छिपेंगे.
كُفُّوا عَنِ ٱلْإِنْسَانِ ٱلَّذِي فِي أَنْفِهِ نَسَمَةٌ، لِأَنَّهُ مَاذَا يُحْسَبُ؟ ٢٢ 22
तुम मनुष्यों से दूर रहो, जिनका सांस कुछ पल का है. जिनका कोई महत्व नहीं.

< إِشَعْيَاءَ 2 >