< إِشَعْيَاءَ 16 >

أَرْسِلُوا خِرْفَانَ حَاكِمِ ٱلْأَرْضِ مِنْ سَالِعَ نَحْوَ ٱلْبَرِّيَّةِ إِلَى جَبَلِ ٱبْنَةِ صِهْيَوْنَ. ١ 1
जंगल की ओर से सेला नगर से सिय्योन की बेटी के पर्वत पर देश के हाकिम के लिये भेड़ों के बच्चों को भेजो।
وَيَحْدُثُ أَنَّهُ كَطَائِرٍ تَائِهٍ، كَفِرَاخٍ مُنَفَّرَةٍ تَكُونُ بَنَاتُ مُوآبَ فِي مَعَابِرِ أَرْنُونَ. ٢ 2
मोआब की बेटियाँ अर्नोन के घाट पर उजाड़े हुए घोंसले के पक्षी और उनके भटके हुए बच्चों के समान हैं।
هَاتِي مَشُورَةً، ٱصْنَعِي إِنْصَافًا، ٱجْعَلِي ظِلَّكِ كَٱللَّيْلِ فِي وَسَطِ ٱلظَّهِيرَةِ، ٱسْتُرِي ٱلْمَطْرُودِينَ، لَا تُظْهِرِي ٱلْهَارِبِينَ. ٣ 3
सम्मति करो, न्याय चुकाओ; दोपहर ही में अपनी छाया को रात के समान करो; घर से निकाले हुओं को छिपा रखो, जो मारे-मारे फिरते हैं उनको मत पकड़वाओ।
لِيَتَغَرَّبْ عِنْدَكِ مَطْرُودُو مُوآبَ. كُونِي سِتْرًا لَهُمْ مِنْ وَجْهِ ٱلْمُخَرِّبِ، لِأَنَّ ٱلظَّالِمَ يَبِيدُ، وَيَنْتَهِي ٱلْخَرَابُ، وَيَفْنَى عَنِ ٱلْأَرْضِ ٱلدَّائِسُونَ. ٤ 4
मेरे लोग जो निकाले हुए हैं वे तेरे बीच में रहें; नाश करनेवाले से मोआब को बचाओ। पीसनेवाला नहीं रहा, लूट पाट फिर न होगी; क्योंकि देश में से अंधेर करनेवाले नाश हो गए हैं।
فَيُثَبَّتُ ٱلْكُرْسِيُّ بِٱلرَّحْمَةِ، وَيَجْلِسُ عَلَيْهِ بِٱلْأَمَانَةِ فِي خَيْمَةِ دَاوُدَ قَاضٍ، وَيَطْلُبُ ٱلْحَقَّ وَيُبَادِرُ بِٱلْعَدْلِ. ٥ 5
तब दया के साथ एक सिंहासन स्थिर किया जाएगा और उस पर दाऊद के तम्बू में सच्चाई के साथ एक विराजमान होगा जो सोच विचार कर सच्चा न्याय करेगा और धार्मिकता के काम पर तत्पर रहेगा।
قَدْ سَمِعْنَا بِكِبْرِيَاءِ مُوآبَ ٱلْمُتَكَبِّرَةِ جِدًّا عَظَمَتِهَا وَكِبْرِيَائِهَا وَصَلَفِهَا بُطْلِ ٱفْتِخَارِهَا. ٦ 6
हमने मोआब के गर्व के विषय सुना है कि वह अत्यन्त अभिमानी था; उसके अभिमान और गर्व और रोष के सम्बंध में भी सुना है—परन्तु उसका बड़ा बोल व्यर्थ है।
لِذَلِكَ تُوَلْوِلُ مُوآبُ. عَلَى مُوآبَ كُلُّهَا يُوَلْوِلُ. تَئِنُّونَ عَلَى أُسُسِ قِيرَ حَارِسَةَ، إِنَّمَا هِيَ مَضْرُوبَةٌ. ٧ 7
क्योंकि मोआब हाय! हाय! करेगा; सब के सब मोआब के लिये हाहाकार करेंगे। कीरहरासत की दाख की टिकियों के लिये वे अति निराश होकर लम्बी-लम्बी साँस लिया करेंगे।
لِأَنَّ حُقُولَ حَشْبُونَ ذَبُلَتْ. كَرْمَةُ سِبْمَةَ كَسَّرَ أُمَرَاءُ ٱلْأُمَمِ أَفْضَلَهَا. وَصَلَتْ إِلَى يَعْزِيرَ. تَاهَتْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، ٱمْتَدَّتْ أَغْصَانُهَا، عَبَرَتِ ٱلْبَحْرَ. ٨ 8
क्योंकि हेशबोन के खेत और सिबमा की दाखलताएँ मुर्झा गईं; जाति-जाति के अधिकारियों ने उनकी उत्तम-उत्तम लताओं को काट-काटकर गिरा दिया है, वे याजेर तक पहुँची और जंगल में भी फैलती गईं; और बढ़ते-बढ़ते ताल के पार दूर तक बढ़ गई थीं।
لِذَلِكَ أَبْكِي بُكَاءَ يَعْزِيرَ عَلَى كَرْمَةِ سِبْمَةَ. أُرْوِيكُمَا بِدُمُوعِي يَا حَشْبُونُ وَأَلْعَالَةُ، لِأَنَّهُ عَلَى قِطَافِكِ وَعَلَى حَصَادِكِ قَدْ وَقَعَتْ جَلَبَةٌ. ٩ 9
मैं याजेर के साथ सिबमा की दाखलताओं के लिये भी रोऊँगा; हे हेशबोन और एलाले, मैं तुम्हें अपने आँसुओं से सींचूँगा; क्योंकि तुम्हारे धूपकाल के फलों के और अनाज की कटनी के समय की ललकार सुनाई पड़ी है।
وَٱنْتُزِعَ ٱلْفَرَحُ وَٱلِٱبْتِهَاجُ مِنَ ٱلْبُسْتَانِ، وَلَا يُغَنَّى فِي ٱلْكُرُومِ وَلَا يُتَرَنَّمُ، وَلَا يَدُوسُ دَائِسٌ خَمْرًا فِي ٱلْمَعَاصِرِ. أَبْطَلْتُ ٱلْهُتَافَ. ١٠ 10
१०फलदाई बारियों में से आनन्द और मगनता जाती रही; दाख की बारियों में गीत न गाया जाएगा, न हर्ष का शब्द सुनाई देगा; और दाखरस के कुण्डों में कोई दाख न रौंदेगा, क्योंकि मैं उनके हर्ष के शब्द को बन्द करूँगा।
لِذَلِكَ تَرِنُّ أَحْشَائِي كَعُودٍ مِنْ أَجْلِ مُوآبَ وَبَطْنِي مِنْ أَجْلِ قِيرَ حَارِسَ. ١١ 11
११इसलिए मेरा मन मोआब के कारण और मेरा हृदय कीरहेरेस के कारण वीणा का सा क्रन्दन करता है।
وَيَكُونُ إِذَا ظَهَرَتْ، إِذَا تَعِبَتْ مُوآبُ عَلَى ٱلْمُرْتَفَعَةِ وَدَخَلَتْ إِلَى مَقْدِسِهَا تُصَلِّي، أَنَّهَا لَا تَفُوزُ. ١٢ 12
१२और जब मोआब ऊँचे स्थान पर मुँह दिखाते-दिखाते थक जाए, और प्रार्थना करने को अपने पवित्रस्थान में आए, तो उसे कुछ लाभ न होगा।
هَذَا هُوَ ٱلْكَلَامُ ٱلَّذِي كَلَّمَ بِهِ ٱلرَّبُّ مُوآبَ مُنْذُ زَمَانٍ. ١٣ 13
१३यही वह बात है जो यहोवा ने इससे पहले मोआब के विषय में कही थी।
وَٱلْآنَ تَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ قَائِلًا: «فِي ثَلَاثِ سِنِينَ كَسِنِي ٱلْأَجِيرِ يُهَانُ مَجْدُ مُوآبَ بِكُلِّ ٱلْجُمْهُورِ ٱلْعَظِيمِ، وَتَكُونُ ٱلْبَقِيَّةُ قَلِيلَةً صَغِيرَةً لَا كَبِيرَةً». ١٤ 14
१४परन्तु अब यहोवा ने यह कहा है, “मजदूरों के वर्षों के समान तीन वर्ष के भीतर मोआब का वैभव और उसकी भीड़-भाड़ सब तुच्छ ठहरेगी; और थोड़े जो बचेंगे उनका कोई बल न होगा।”

< إِشَعْيَاءَ 16 >