< هُوشَع 2 >

«قُولُوا لِإِخْوَتِكُمْ «عَمِّي» وَلِأَخَوَاتِكُمْ «رُحَامَةَ». ١ 1
अपने भाइयों से 'अम्मी कहो, और अपनी बहनों से रुहामा।
حَاكِمُوا أُمَّكُمْ حَاكِمُوا، لِأَنَّهَا لَيْسَتِ ٱمْرَأَتِي وَأَنَا لَسْتُ رَجُلَهَا، لِكَيْ تَعْزِلَ زِنَاهَا عَنْ وَجْهِهَا وَفِسْقَهَا مِنْ بَيْنِ ثَدْيَيْهَا، ٢ 2
तुम अपनी माँ से हुज्जत करो — क्यूँकि न वह मेरी बीवी है, और न मैं उसका शौहर हूँ — वह अपनी बदकारी अपने सामने से, अपनी ज़िनाकारी अपने पिस्तानों से दूर करे;
لِئَلَّا أُجَرِّدَهَا عُرْيَانَةً وَأَوْقِفَهَا كَيَوْمِ وِلَادَتِهَا، وَأَجْعَلَهَا كَقَفْرٍ، وَأُصَيِّرَهَا كَأَرْضٍ يَابِسَةٍ، وَأُمِيتَهَا بِٱلْعَطَشِ. ٣ 3
ऐसा न हो कि मैं उसे बेपर्दा करूँ, और उस तरह डाल दूँ जिस तरह वह अपनी पैदाइश के दिन थी, और उसको बियाबान और खु़श्क ज़मीन की तरह बना कर प्यास से मार डालूँ।
وَلَا أَرْحَمُ أَوْلَادَهَا لِأَنَّهُمْ أَوْلَادُ زِنًى. ٤ 4
मैं उसके बच्चों पर रहम न करूँगा, क्यूँकि वह हलालज़ादे नहीं हैं।
«لِأَنَّ أُمَّهُمْ قَدْ زَنَتِ. ٱلَّتِي حَبِلَتْ بِهِمْ صَنَعَتْ خِزْيًا. لِأَنَّهَا قَالَتْ: أَذْهَبُ وَرَاءَ مُحِبِّيَّ ٱلَّذِينَ يُعْطُونَ خُبْزِي وَمَائِي، صُوفِي وَكَتَّانِي، زَيْتِي وَأَشْرِبَتِي. ٥ 5
उनकी माँ ने धोखा किया; उनकी वालिदा ने रूस्याही की। क्यूँकि उसने कहा, 'मैं अपने यारों के पीछे जाऊँगी, जो मुझ को रोटी — पानी और ऊनी, और कतानी कपड़े और रौग़न — ओ — शरबत देते हैं।
لِذَلِكَ هَأَنَذَا أُسَيِّجُ طَرِيقَكِ بِٱلشَّوْكِ، وَأَبْنِي حَائِطَهَا حَتَّى لَا تَجِدَ مَسَالِكَهَا. ٦ 6
इसलिए देखो, मैं उसकी राह काँटों से बन्द करूँगा, और उसके सामने दीवार बना दूँगा, ताकि उसे रास्ता न मिले।
فَتَتْبَعُ مُحِبِّيهَا وَلَا تُدْرِكُهُمْ، وَتُفَتِّشُ عَلَيْهِمْ وَلَا تَجِدُهُمْ. فَتَقُولُ: أَذْهَبُ وَأَرْجِعُ إِلَى رَجُلِي ٱلْأَوَّلِ، لِأَنَّهُ حِينَئِذٍ كَانَ خَيْرٌ لِي مِنَ ٱلْآنَ. ٧ 7
और वह अपने यारों के पीछे जाएगी, पर उनसे जा न मिलेगी; और उनको ढूँडेगी पर न पाएगी। तब वह कहेगी, 'मैं अपने पहले शौहर के पास वापस जाऊँगी, क्यूँकि मेरी वह हालत अब से बेहतर थी।
«وَهِيَ لَمْ تَعْرِفْ أَنِّي أَنَا أَعْطَيْتُهَا ٱلْقَمْحَ وَٱلْمِسْطَارَ وَٱلزَّيْتَ، وَكَثَّرْتُ لَهَا فِضَّةً وَذَهَبًا جَعَلُوهُ لِبَعْلٍ. ٨ 8
क्यूँकि उसने न जाना कि मैं ने ही उसे ग़ल्ला — ओ — मय और रौग़न दिया, और सोने चाँदी की फ़िरवानी बख़्शी जिसको उन्होंने बा'ल पर ख़र्च किया
لِذَلِكَ أَرْجِعُ وَآخُذُ قَمْحِي فِي حِينِهِ، وَمِسْطَارِي فِي وَقْتِهِ، وَأَنْزِعُ صُوفِي وَكَتَّانِي ٱللَّذَيْنِ لِسَتْرِ عَوْرَتِهَا. ٩ 9
इसलिए मैं अपना ग़ल्ला फ़सल के वक़्त, और अपनी मय को उसके मौसम में वापस ले लूँगा, और अपने ऊनी और कतानी कपड़े जो उसकी सत्रपोशी करते हैं, छीन लूँगा।
وَٱلْآنَ أَكْشِفُ عَوْرَتَهَا أَمَامَ عُيُونِ مُحِبِّيهَا وَلَا يُنْقِذُهَا أَحَدٌ مِنْ يَدِي. ١٠ 10
अब मैं उसकी फ़ाहिशागरी उसके यारों के सामने फ़ाश करूँगा, और कोई उसको मेरे हाथ से नहीं छुड़ाएगा।
وَأُبَطِّلُ كُلَّ أَفْرَاحِهَا: أَعْيَادَهَا وَرُؤُوسَ شُهُورِهَا وَسُبُوتَهَا وَجَمِيعَ مَوَاسِمِهَا. ١١ 11
अलावा इसके मैं उसकी तमाम ख़ुशियों, और ज़शनो और नए चाँद और सबत के दिनों और तमाम मु'अय्यन 'ईदों को ख़त्म करूँगा।
وَأُخَرِّبُ كَرْمَهَا وَتِينَهَا ٱللَّذَيْنِ قَالَتْ: هُمَا أُجْرَتِي ٱلَّتِي أَعْطَانِيهَا مُحِبِّيَّ، وَأَجْعَلُهُمَا وَعْرًا فَيَأْكُلُهُمَا حَيَوَانُ ٱلْبَرِّيَّةِ. ١٢ 12
और मैं उसके अंगूर और अंजीर के दरख़्तों को, जिनके बारे में उसने कहा है, ये मेरी उजरत है, जो मेरे यारों ने मुझे दी है,' बर्बाद करूँगा और उनको जंगल बनाऊँगा, और जंगली जानवर उनको खाएँगे।
وَأُعَاقِبُهَا عَلَى أَيَّامِ بَعْلِيمَ ٱلَّتِي فِيهَا كَانَتْ تُبَخِّرُ لَهُمْ وَتَتَزَيَّنُ بِخَزَائِمِهَا وَحُلِيهَا وَتَذْهَبُ وَرَاءَ مُحِبِّيهَا وَتَنْسَانِي أَنَا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١٣ 13
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैं उसे बा'लीम के दिनों के लिए सज़ा दूँगा जिनमें उसने उनके लिए ख़ुशबू जलाई, जब वह बालियों और ज़ेवरों से आरास्ता होकर अपने यारों के पीछे गई, और मुझे भूल गई।
«لَكِنْ هَأَنَذَا أَتَمَلَّقُهَا وَأَذْهَبُ بِهَا إِلَى ٱلْبَرِّيَّةِ وَأُلَاطِفُهَا، ١٤ 14
तोभी मैं उसे फ़रेफ़्ता कर लूँगा, और बियावान में लाकर, उससे तसल्ली की बातें कहूँगा।
وَأُعْطِيهَا كُرُومَهَا مِنْ هُنَاكَ، وَوَادِي عَخُورَ بَابًا لِلرَّجَاءِ. وَهِيَ تُغَنِّي هُنَاكَ كَأَيَّامِ صِبَاهَا، وَكَيَوْمِ صُعُودِهَا مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. ١٥ 15
और वहाँ से उसके ताकिस्तान उसे दूँगा, और 'अकूर की वादी भी, ताकि वह उम्मीद का दरवाज़ा हो, और वह वहाँ गाया करेगी जैसे अपनी जवानी के दिनों में, और मुल्क — ए — मिस्र से निकल आने के दिनों में गाया करती थी
وَيَكُونُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، أَنَّكِ تَدْعِينَنِي: رَجُلِي، وَلَا تَدْعِينَنِي بَعْدُ بَعْلِي. ١٦ 16
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तब वह मुझे ईशी कहेगी और फिर बाली न कहेगी।
وَأَنْزِعُ أَسْمَاءَ ٱلْبَعْلِيمِ مِنْ فَمِهَا، فَلَا تُذْكَرُ أَيْضًا بِأَسْمَائِهَا. ١٧ 17
क्यूँकि मैं बा'लीम के नाम उसके मुँह से दूर करूँगा, और फिर कभी उनका नाम न लिया जाएगा।
وَأَقْطَعُ لَهُمْ عَهْدًا فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مَعَ حَيَوَانِ ٱلْبَرِّيَّةِ وَطُيُورِ ٱلسَّمَاءِ وَدَبَّابَاتِ ٱلْأَرْضِ، وَأَكْسِرُ ٱلْقَوْسَ وَٱلسَّيْفَ وَٱلْحَرْبَ مِنَ ٱلْأَرْضِ، وَأَجْعَلُهُمْ يَضْطَجِعُونَ آمِنِينَ. ١٨ 18
तब मैं उनके लिए जंगली जानवरों, और हवा के परिन्दों, और ज़मीन पर रेंगने वालों से 'अहद करूँगा; और कमान और तलवार और लड़ाई को मुल्क से नेस्त करूँगा, और लोगों को अम्न — ओ — अमान से लेटने का मौक़ा दूँगा।
وَأَخْطُبُكِ لِنَفْسِي إِلَى ٱلْأَبَدِ. وَأَخْطُبُكِ لِنَفْسِي بِٱلْعَدْلِ وَٱلْحَقِّ وَٱلْإِحْسَانِ وَٱلْمَرَاحِمِ. ١٩ 19
और तुझे अपनी अबदी नामज़द करूँगा। हाँ, तुझे सदाक़त और 'अदालत और शफ़क़त — ओ — रहमत से अपनी नामज़द करूँगा।
أَخْطُبُكِ لِنَفْسِي بِٱلْأَمَانَةِ فَتَعْرِفِينَ ٱلرَّبَّ. ٢٠ 20
मैं तुझे वफ़ादारी से अपनी नामज़द बनाऊँगा और तू ख़ुदावन्द को पहचानेगी।
وَيَكُونُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ أَنِّي أَسْتَجِيبُ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، أَسْتَجِيبُ ٱلسَّمَاوَاتِ وَهِيَ تَسْتَجِيبُ ٱلْأَرْضَ، ٢١ 21
“और उस वक़्त मैं सुनूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैं आसमान की सुनूँगा और आसमान ज़मीन की सुनेगा;
وَٱلْأَرْضُ تَسْتَجِيبُ ٱلْقَمْحَ وَٱلْمِسْطَارَ وَٱلزَّيْتَ، وَهِيَ تَسْتَجِيبُ يَزْرَعِيلَ. ٢٢ 22
और ज़मीन अनाज और मय और तेल की सुनेगी, और वह यज़र'एल की सुनेंगे;
وَأَزْرَعُهَا لِنَفْسِي فِي ٱلْأَرْضِ، وَأَرْحَمُ لُورُحَامَةَ، وَأَقُولُ لِلُوعَمِّي: أَنْتَ شَعْبِي، وَهُوَ يَقُولُ: أَنْتَ إِلَهِي». ٢٣ 23
और मैं उसको उस सरज़मीन मेंअपने लिए बोऊँगा। और लूरहामा पर रहम करूँगा, और लो'अम्मी से कहूँगा, 'तुम मेरे लोग हो; और वह कहेंगे, 'ऐ हमारे ख़ुदा।”

< هُوشَع 2 >