< هُوشَع 14 >

اِرْجِعْ يَا إِسْرَائِيلُ إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ، لِأَنَّكَ قَدْ تَعَثَّرْتَ بِإِثْمِكَ. ١ 1
ऐ इस्राईल, ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ रुजू' ला, क्यूँकि तू अपनी बदकिरदारी की वजह से गिर गया है।
خُذُوا مَعَكُمْ كَلَامًا وَٱرْجِعُوا إِلَى ٱلرَّبِّ. قُولُوا لَهُ: «ٱرْفَعْ كُلَّ إِثْمٍ وَٱقْبَلْ حَسَنًا، فَنُقَدِّمَ عُجُولَ شِفَاهِنَا. ٢ 2
कलाम लेकर ख़ुदावन्द की तरफ़ रुजू लाओ, और कहो, हमारी तमाम बदकिरदारी को दूर कर, और फ़ज़ल से हम को कु़बूल फ़रमा; तब हम अपने लबों से कु़र्बानियाँ पेश करेंगे।
لَا يُخَلِّصُنَا أَشُّورُ. لَا نَرْكَبُ عَلَى ٱلْخَيْلِ، وَلَا نَقُولُ أَيْضًا لِعَمَلِ أَيْدِينَا: آلِهَتَنَا. إِنَّهُ بِكَ يُرْحَمُ ٱلْيَتِيمُ». ٣ 3
असूर हम को नहीं बचाएगा; हम घोड़ों पर सवार नहीं होंगे; और अपनी दस्तकारी को ख़ुदा न कहेंगे क्यूँकि यतीमों पर रहम करने वाला तू ही है।
«أَنَا أَشْفِي ٱرْتِدَادَهُمْ. أُحِبُّهُمْ فَضْلًا، لِأَنَّ غَضَبِي قَدِ ٱرْتَدَّ عَنْهُ. ٤ 4
मैं उनकी नाफ़रमानी का चारा करूँगा; मैं कुशादा दिली से उनसे मुहब्बत रखूँगा, क्यूँकि मेरा क़हर उन पर से टल गया है।
أَكُونُ لِإِسْرَائِيلَ كَٱلنَّدَى. يُزْهِرُ كَٱلسَّوْسَنِ، وَيَضْرِبُ أُصُولَهُ كَلُبْنَانَ. ٥ 5
मैं इस्राईल के लिए ओस की तरह हूँगा; वह सोसन की तरह फूलेगा, और लुबनान की तरह अपनी जड़ें फैलाएगा;
تَمْتَدُّ خَرَاعِيبُهُ، وَيَكُونُ بَهَاؤُهُ كَٱلزَّيْتُونَةِ، وَلَهُ رَائِحَةٌ كَلُبْنَانَ. ٦ 6
उसकी डालियाँ फैलेंगी, और उसमें ज़ैतून के दरख़्त की खू़बसूरती और लुबनान की सी खु़शबू होगी।
يَعُودُ ٱلسَّاكِنُونَ فِي ظِلِّهِ يُحْيُونَ حِنْطَةً وَيُزْهِرُونَ كَجَفْنَةٍ. يَكُونُ ذِكْرُهُمْ كَخَمْرِ لُبْنَانَ. ٧ 7
उसके मातहत में रहने वाले कामियाब हो जाएँगे; वह गेहूँ की तरह तर — ओ — ताज़ा और ताक की तरह शिगुफ़्ता होंगे। उनकी शुहरत लुबनान की मय की सी होगी।
يَقُولُ أَفْرَايِمُ: مَا لِي أَيْضًا وَلِلْأَصْنَامِ؟ أَنَا قَدْ أَجَبْتُ فَأُلَاحِظُهُ. أَنَا كَسَرْوَةٍ خَضْرَاءَ. مِنْ قِبَلِي يُوجَدُ ثَمَرُكِ». ٨ 8
इफ़्राईम कहेगा, अब मुझे बुतों से क्या काम?' मैं ख़ुदावन्द ने उसकी सुनी है, और उस पर निगाह करूँगा। मैं सर सब्ज़ सरो की तरह हूँ, तू मुझ ही से कामयाब हुआ।
مَنْ هُوَ حَكِيمٌ حَتَّى يَفْهَمَ هَذِهِ ٱلْأُمُورَ، وَفَهِيمٌ حَتَّى يَعْرِفَهَا! فَإِنَّ طُرُقَ ٱلرَّبِّ مُسْتَقِيمَةٌ، وَٱلْأَبْرَارَ يَسْلُكُونَ فِيهَا، وَأَمَّا ٱلْمُنَافِقُونَ فَيَعْثُرُونَ فِيهَا. ٩ 9
'अक़्लमन्द कौन है कि वह ये बातें समझे और समझदार कौन है जो इनको जाने? क्यूँकि ख़ुदावन्द की राहें रास्त है और सादिक़ उनमें चलेंगे; लेकिन ख़ताकर उनमें गिर पड़ेंगे।

< هُوشَع 14 >