< عِبرانِيّين 6 >

لِذَلِكَ وَنَحْنُ تَارِكُونَ كَلَامَ بَدَاءَةِ ٱلْمَسِيحِ، لِنَتَقَدَّمْ إِلَى ٱلْكَمَالِ، غَيْرَ وَاضِعِينَ أَيْضًا أَسَاسَ ٱلتَّوْبَةِ مِنَ ٱلْأَعْمَالِ ٱلْمَيِّتَةِ، وَٱلْإِيمَانِ بِٱللهِ، ١ 1
इस लिए आएँ, हम मसीह के बारे में बुनियादी तालीम को छोड़ कर बलूग़त की तरफ़ आगे बढ़ें। क्यूँकि ऐसी बातें दोहराने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए जिन से ईमान की बुनियाद रखी जाती है, मसलन मौत तक पहुँचाने वाले काम से तौबा,
تَعْلِيمَ ٱلْمَعْمُودِيَّاتِ، وَوَضْعَ ٱلْأَيَادِي، قِيَامَةَ ٱلْأَمْوَاتِ، وَٱلدَّيْنُونَةَ ٱلْأَبَدِيَّةَ، (aiōnios g166) ٢ 2
बपतिस्मा क्या है, किसी पर हाथ रखने की तालीम, मुर्दों के जी उठने और हमेशा सज़ा पाने की तालीम। (aiōnios g166)
وَهَذَا سَنَفْعَلُهُ إِنْ أَذِنَ ٱللهُ. ٣ 3
चुनाँचे ख़ुदा की मर्ज़ी हुई तो हम यह छोड़ कर आगे बढ़ेंगे।
لِأَنَّ ٱلَّذِينَ ٱسْتُنِيرُوا مَرَّةً، وَذَاقُوا ٱلْمَوْهِبَةَ ٱلسَّمَاوِيَّةَ، وَصَارُوا شُرَكَاءَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ، ٤ 4
नामुमकिन है कि उन्हें बहाल करके दुबारा तौबा तक पहुँचाया जाए जिन्हों ने अपना ईमान छोड़ दिया हो। उन्हें तो एक बार ख़ुदा के नूर में लाया गया था, उन्हों ने आसमान की ने'अमत का मज़ा चख लिया था, वह रूह — उल — क़ुद्दूस में शरीक हुए,
وَذَاقُوا كَلِمَةَ ٱللهِ ٱلصَّالِحَةَ وَقُوَّاتِ ٱلدَّهْرِ ٱلْآتِي، (aiōn g165) ٥ 5
उन्हों ने ख़ुदा के कलाम की भलाई और आने वाले ज़माने की ताक़तों का तजुर्बा किया था। (aiōn g165)
وَسَقَطُوا، لَا يُمْكِنُ تَجْدِيدُهُمْ أَيْضًا لِلتَّوْبَةِ، إِذْ هُمْ يَصْلِبُونَ لِأَنْفُسِهِمْ ٱبْنَ ٱللهِ ثَانِيَةً وَيُشَهِّرُونَهُ. ٦ 6
और फिर उन्हों ने अपना ईमान छोड़ दिया! ऐसे लोगों को बहाल करके दुबारा तौबा तक पहुँचाना नामुमकिन है। क्यूँकि ऐसा करने से वह ख़ुदा के फ़र्ज़न्द को दुबारा मस्लूब करके उसे लान — तान का निशाना बना देते हैं।
لِأَنَّ أَرْضًا قَدْ شَرِبَتِ ٱلْمَطَرَ ٱلْآتِيَ عَلَيْهَا مِرَارًا كَثِيرَةً، وَأَنْتَجَتْ عُشْبًا صَالِحًا لِلَّذِينَ فُلِحَتْ مِنْ أَجْلِهِمْ، تَنَالُ بَرَكَةً مِنَ ٱللهِ. ٧ 7
ख़ुदा उस ज़मीन को बर्क़त देता है जो अपने पर बार बार पड़ने वाली बारिश को जज़्ब करके ऐसी फ़सल पैदा करती है जो खेतीबाड़ी करने वाले के लिए फ़ाइदामन्द हो।
وَلَكِنْ إِنْ أَخْرَجَتْ شَوْكًا وَحَسَكًا، فَهِيَ مَرْفُوضَةٌ وَقَرِيبَةٌ مِنَ ٱللَّعْنَةِ، ٱلَّتِي نِهَايَتُهَا لِلْحَرِيقِ. ٨ 8
लेकिन अगर वह सिर्फ़ कांटे दार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करे तो वह बेकार है और इस ख़तरे में है कि उस पर ला'नत भेजी जाए। अन्जाम — ए — कार उस पर का सब कुछ जलाया जाएगा।
وَلَكِنَّنَا قَدْ تَيَقَّنَّا مِنْ جِهَتِكُمْ أَيُّهَا ٱلْأَحِبَّاءُ، أُمُورًا أَفْضَلَ، وَمُخْتَصَّةً بِٱلْخَلَاصِ، وَإِنْ كُنَّا نَتَكَلَّمُ هَكَذَا. ٩ 9
लेकिन ऐ अज़ीज़ो! अगरचे हम इस तरह की बातें कर रहे हैं तो भी हमारा भरोसा यह है कि आप को वह बेहतरीन बर्क़तें हासिल हैं जो नजात से मिलती हैं।
لِأَنَّ ٱللهَ لَيْسَ بِظَالِمٍ حَتَّى يَنْسَى عَمَلَكُمْ وَتَعَبَ ٱلْمَحَبَّةِ ٱلَّتِي أَظْهَرْتُمُوهَا نَحْوَ ٱسْمِهِ، إِذْ قَدْ خَدَمْتُمُ ٱلْقِدِّيسِينَ وَتَخْدِمُونَهُمْ. ١٠ 10
क्यूँकि ख़ुदा बेइन्साफ़ नहीं है। वह आप का काम और वह मुहब्बत नहीं भूलेगा जो आप ने उस का नाम ले कर ज़ाहिर की जब आप ने पाक लोगों की ख़िदमत की बल्कि आज तक कर रहे हैं।
وَلَكِنَّنَا نَشْتَهِي أَنَّ كُلَّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ يُظْهِرُ هَذَا ٱلِٱجْتِهَادَ عَيْنَهُ لِيَقِينِ ٱلرَّجَاءِ إِلَى ٱلنِّهَايَةِ، ١١ 11
लेकिन हमारी बड़ी ख़्वाहिश यह है कि आप में से हर एक इसी सरगर्मी का इज़हार आख़िर तक करता रहे ताकि जिन बातों की उम्मीद आप रखते हैं वह हक़ीक़त में पूरी हो जाएँ।
لِكَيْ لَا تَكُونُوا مُتَبَاطِئِينَ بَلْ مُتَمَثِّلِينَ بِٱلَّذِينَ بِٱلْإِيمَانِ وَٱلْأَنَاةِ يَرِثُونَ ٱلْمَوَاعِيدَ. ١٢ 12
हम नहीं चाहते कि आप सुस्त हो जाएँ बल्कि यह कि आप उन के नमूने पर चलें जो ईमान और सब्र से वह कुछ मीरास में पा रहे हैं जिस का वादा ख़ुदा ने किया है।
فَإِنَّهُ لَمَّا وَعَدَ ٱللهُ إِبْرَاهِيمَ، إِذْ لَمْ يَكُنْ لَهُ أَعْظَمُ يُقْسِمُ بِهِ، أَقْسَمَ بِنَفْسِهِ، ١٣ 13
जब ख़ुदा ने क़सम खा कर अब्रहाम से वादा किया तो उस ने अपनी ही क़सम खा कर यह वादा किया। क्यूँकि कोई और नहीं था जो उस से बड़ा था जिस की क़सम वह खा सकता।
قَائِلًا: «إِنِّي لَأُبَارِكَنَّكَ بَرَكَةً وَأُكَثِّرَنَّكَ تَكْثِيرًا». ١٤ 14
उस वक़्त उस ने कहा, “मैं ज़रूर तुझे बहुत बर्क़त दूँगा, और मैं यक़ीनन तुझे ज़्यादा औलाद दूँगा।”
وَهَكَذَا إِذْ تَأَنَّى نَالَ ٱلْمَوْعِدَ. ١٥ 15
इस पर अब्रहाम ने सब्र से इन्तिज़ार करके वह कुछ पाया जिस का ख़ुदा ने वादा किया था।
فَإِنَّ ٱلنَّاسَ يُقْسِمُونَ بِٱلْأَعْظَمِ، وَنِهَايَةُ كُلِّ مُشَاجَرَةٍ عِنْدَهُمْ لِأَجْلِ ٱلتَّثْبِيتِ هِيَ ٱلْقَسَمُ. ١٦ 16
क़सम खाते वक़्त लोग उस की क़सम खाते हैं जो उन से बड़ा होता है। इस तरह से क़सम में बयानकरदा बात की तस्दीक़ बह्स — मुबाहसा की हर गुन्जाइश को ख़त्म कर देती है।
فَلِذَلِكَ إِذْ أَرَادَ ٱللهُ أَنْ يُظْهِرَ أَكْثَرَ كَثِيرًا لِوَرَثَةِ ٱلْمَوْعِدِ عَدَمَ تَغَيُّرِ قَضَائِهِ، تَوَسَّطَ بِقَسَمٍ، ١٧ 17
ख़ुदा ने भी क़सम खा कर अपने वादे की तस्दीक़ की। क्यूँकि वह अपने वादे के वारिसों पर साफ़ ज़ाहिर करना चाहता था कि उस का इरादा कभी नहीं बदलेगा।
حَتَّى بِأَمْرَيْنِ عَدِيمَيِ ٱلتَّغَيُّرِ، لَا يُمْكِنُ أَنَّ ٱللهَ يَكْذِبُ فِيهِمَا، تَكُونُ لَنَا تَعْزِيَةٌ قَوِيَّةٌ، نَحْنُ ٱلَّذِينَ ٱلْتَجَأْنَا لِنُمْسِكَ بِٱلرَّجَاءِ ٱلْمَوْضُوعِ أَمَامَنَا، ١٨ 18
ग़रज़, यह दो बातें क़ाईम रही हैं, ख़ुदा का वादा और उस की क़सम। वह इन्हें न तो बदलेगा न इन के बारे में झूठ बोलेगा। यूँ हम जिन्हों ने उस के पास पनाह ली है बड़ी तसल्ली पा कर उस उम्मीद को मज़बूती से थामे रख सकते हैं जो हमें पेश की गई है।
ٱلَّذِي هُوَ لَنَا كَمِرْسَاةٍ لِلنَّفْسِ مُؤْتَمَنَةٍ وَثَابِتَةٍ، تَدْخُلُ إِلَى مَا دَاخِلَ ٱلْحِجَابِ، ١٩ 19
क्यूँकि यह उम्मीद हमारी जान के लिए मज़बूत लंगर है। और यह आसमानी बैत — उल — मुक़द्दस के पाकतरीन कमरे के पर्दे में से गुज़र कर उस में दाख़िल होती है।
حَيْثُ دَخَلَ يَسُوعُ كَسَابِقٍ لِأَجْلِنَا، صَائِرًا عَلَى رُتْبَةِ مَلْكِي صَادَقَ، رَئِيسَ كَهَنَةٍ إِلَى ٱلْأَبَدِ. (aiōn g165) ٢٠ 20
वहीं ईसा हमारे आगे आगे जा कर हमारी ख़ातिर दाख़िल हुआ है। यूँ वह मलिक — ए — सिद्क़ की तरह हमेशा के लिए इमाम — ए — आज़म बन गया है। (aiōn g165)

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