< عِبرانِيّين 5 >

لِأَنَّ كُلَّ رَئِيسِ كَهَنَةٍ مَأْخُوذٍ مِنَ ٱلنَّاسِ يُقَامُ لِأَجْلِ ٱلنَّاسِ فِي مَا لِلهِ،لِكَيْ يُقَدِّمَ قَرَابِينَ وَذَبَائِحَ عَنِ ٱلْخَطَايَا، ١ 1
क्योंकि हर एक महायाजक मनुष्यों में से लिया जाता है, और मनुष्यों ही के लिये उन बातों के विषय में जो परमेश्वर से सम्बंध रखती हैं, ठहराया जाता है: कि भेंट और पापबलि चढ़ाया करे।
قَادِرًا أَنْ يَتَرَفَّقَ بِٱلْجُهَّالِ وَٱلضَّالِّينَ، إِذْ هُوَ أَيْضًا مُحَاطٌ بِٱلضَّعْفِ. ٢ 2
और वह अज्ञानियों, और भूले भटकों के साथ नर्मी से व्यवहार कर सकता है इसलिए कि वह आप भी निर्बलता से घिरा है।
وَلِهَذَا ٱلضَّعْفِ يَلْتَزِمُ أَنَّهُ كَمَا يُقَدِّمُ عَنِ ٱلْخَطَايَا لِأَجْلِ ٱلشَّعْبِ هَكَذَا أَيْضًا لِأَجْلِ نَفْسِهِ. ٣ 3
और इसलिए उसे चाहिए, कि जैसे लोगों के लिये, वैसे ही अपने लिये भी पापबलि चढ़ाया करे।
وَلَا يَأْخُذُ أَحَدٌ هَذِهِ ٱلْوَظِيفَةَ بِنَفْسِهِ، بَلِ ٱلْمَدْعُوُّ مِنَ ٱللهِ، كَمَا هَارُونُ أَيْضًا. ٤ 4
और यह आदर का पद कोई अपने आप से नहीं लेता, जब तक कि हारून के समान परमेश्वर की ओर से ठहराया न जाए।
كَذَلِكَ ٱلْمَسِيحُ أَيْضًا لَمْ يُمَجِّدْ نَفْسَهُ لِيَصِيرَ رَئِيسَ كَهَنَةٍ، بَلِ ٱلَّذِي قَالَ لَهُ: «أَنْتَ ٱبْنِي، أَنَا ٱلْيَوْمَ وَلَدْتُكَ». ٥ 5
वैसे ही मसीह ने भी महायाजक बनने की महिमा अपने आप से नहीं ली, पर उसको उसी ने दी, जिसने उससे कहा था, “तू मेरा पुत्र है, आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।”
كَمَا يَقُولُ أَيْضًا فِي مَوْضِعٍ آخَرَ: «أَنْتَ كَاهِنٌ إِلَى ٱلْأَبَدِ عَلَى رُتْبَةِ مَلْكِي صَادَقَ». (aiōn g165) ٦ 6
इसी प्रकार वह दूसरी जगह में भी कहता है, “तू मलिकिसिदक की रीति पर सदा के लिये याजक है।” (aiōn g165)
ٱلَّذِي - فِي أَيَّامِ جَسَدِهِ- إِذْ قَدَّمَ بِصُرَاخٍ شَدِيدٍ وَدُمُوعٍ طَلِبَاتٍ وَتَضَرُّعَاتٍ لِلْقَادِرِ أَنْ يُخَلِّصَهُ مِنَ ٱلْمَوْتِ، وَسُمِعَ لَهُ مِنْ أَجْلِ تَقْوَاهُ، ٧ 7
यीशु ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊँचे शब्द से पुकार पुकारकर, और आँसू बहा-बहाकर उससे जो उसको मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थनाएँ और विनती की और भक्ति के कारण उसकी सुनी गई।
مَعَ كَوْنِهِ ٱبْنًا تَعَلَّمَ ٱلطَّاعَةَ مِمَّا تَأَلَّمَ بِهِ. ٨ 8
और पुत्र होने पर भी, उसने दुःख उठा-उठाकर आज्ञा माननी सीखी।
وَإِذْ كُمِّلَ صَارَ لِجَمِيعِ ٱلَّذِينَ يُطِيعُونَهُ، سَبَبَ خَلَاصٍ أَبَدِيٍّ، (aiōnios g166) ٩ 9
और सिद्ध बनकर, अपने सब आज्ञा माननेवालों के लिये सदाकाल के उद्धार का कारण हो गया। (aiōnios g166)
مَدْعُوًّا مِنَ ٱللهِ رَئِيسَ كَهَنَةٍ عَلَى رُتْبَةِ مَلْكِي صَادَقَ. ١٠ 10
१०और उसे परमेश्वर की ओर से मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक का पद मिला।
اَلَّذِي مِنْ جِهَتِهِ ٱلْكَلَامُ كَثِيرٌ عِنْدَنَا، وَعَسِرُ ٱلتَّفْسِيرِ لِنَنْطِقَ بِهِ، إِذْ قَدْ صِرْتُمْ مُتَبَاطِئِي ٱلْمَسَامِعِ. ١١ 11
११इसके विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिनका समझाना भी कठिन है; इसलिए कि तुम ऊँचा सुनने लगे हो।
لِأَنَّكُمْ -إِذْ كَانَ يَنْبَغِي أَنْ تَكُونُوا مُعَلِّمِينَ لِسَبَبِ طُولِ ٱلزَّمَانِ- تَحْتَاجُونَ أَنْ يُعَلِّمَكُمْ أَحَدٌ مَا هِيَ أَرْكَانُ بَدَاءَةِ أَقْوَالِ ٱللهِ، وَصِرْتُمْ مُحْتَاجِينَ إِلَى ٱللَّبَنِ، لَا إِلَى طَعَامٍ قَوِيٍّ. ١٢ 12
१२समय के विचार से तो तुम्हें गुरु हो जाना चाहिए था, तो भी यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए? तुम तो ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।
لِأَنَّ كُلَّ مَنْ يَتَنَاوَلُ ٱللَّبَنَ هُوَ عَدِيمُ ٱلْخِبْرَةِ فِي كَلَامِ ٱلْبِرِّ لِأَنَّهُ طِفْلٌ، ١٣ 13
१३क्योंकि दूध पीनेवाले को तो धार्मिकता के वचन की पहचान नहीं होती, क्योंकि वह बच्चा है।
وَأَمَّا ٱلطَّعَامُ ٱلْقَوِيُّ فَلِلْبَالِغِينَ، ٱلَّذِينَ بِسَبَبِ ٱلتَّمَرُّنِ قَدْ صَارَتْ لَهُمُ ٱلْحَوَاسُّ مُدَرَّبَةً عَلَى ٱلتَّمْيِيزِ بَيْنَ ٱلْخَيْرِ وَٱلشَّرِّ. ١٤ 14
१४पर अन्न सयानों के लिये है, जिनकी ज्ञानेन्द्रियाँ अभ्यास करते-करते, भले बुरे में भेद करने में निपुण हो गई हैं।

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