< عِبرانِيّين 13 >
لِتَثْبُتِ ٱلْمَحَبَّةُ ٱلْأَخَوِيَّةُ. | ١ 1 |
एक दूसरे से भाइयों की सी मुहब्बत रखते रहें।
لَا تَنْسُوا إِضَافَةَ ٱلْغُرَبَاءِ، لِأَنْ بِهَا أَضَافَ أُنَاسٌ مَلَائِكَةً وَهُمْ لَا يَدْرُونَ. | ٢ 2 |
मेहमान — नवाज़ी मत भूलना, क्यूँकि ऐसा करने से कुछ ने अनजाने तौर पर फ़रिश्तों की मेहमान — नवाज़ी की है।
اُذْكُرُوا ٱلْمُقَيَّدِينَ كَأَنَّكُمْ مُقَيَّدُونَ مَعَهُمْ، وَٱلْمُذَلِّينَ كَأَنَّكُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا فِي ٱلْجَسَدِ. | ٣ 3 |
जो क़ैद में हैं, उन्हें यूँ याद रखना जैसे आप ख़ुद उन के साथ क़ैद में हों। और जिन के साथ बदसुलूकी हो रही है उन्हें यूँ याद रखना जैसे आप से यह बदसुलूकी हो रही हो।
لِيَكُنِ ٱلزِّوَاجُ مُكَرَّمًا عِنْدَ كُلِّ وَاحِدٍ، وَٱلْمَضْجَعُ غَيْرَ نَجِسٍ. وَأَمَّا ٱلْعَاهِرُونَ وَٱلزُّنَاةُ فَسَيَدِينُهُمُ ٱللهُ. | ٤ 4 |
ज़रूरी है कि सब के सब मिली हुई ज़िन्दगी का एहतिराम करें। शौहर और बीवी एक दूसरे के वफ़ादार रहें, क्यूँकि ख़ुदा ज़िनाकारों और शादी का बंधन तोड़ने वालों की अदालत करेगा।
لِتَكُنْ سِيرَتُكُمْ خَالِيَةً مِنْ مَحَبَّةِ ٱلْمَالِ. كُونُوا مُكْتَفِينَ بِمَا عِنْدَكُمْ، لِأَنَّهُ قَالَ: «لَا أُهْمِلُكَ وَلَا أَتْرُكُكَ»، | ٥ 5 |
आप की ज़िन्दगी पैसों के लालच से आज़ाद हो। उसी पर इकतिफ़ा करें जो आप के पास है, क्यूँकि ख़ुदा ने फ़रमाया है, मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा, “मैं तुझे कभी तर्क नहीं करूँगा।”
حَتَّى إِنَّنَا نَقُولُ وَاثِقِينَ: «ٱلرَّبُّ مُعِينٌ لِي فَلَا أَخَافُ. مَاذَا يَصْنَعُ بِي إِنْسَانٌ؟». | ٦ 6 |
इस लिए हम यक़ीन से कह सकते हैं “कि ख़ुदावन्द मेरा मददगार है, मैं ख़ौफ़ न करूँगा इंसान मेरा क्या करेगा?”
اُذْكُرُوا مُرْشِدِيكُمُ ٱلَّذِينَ كَلَّمُوكُمْ بِكَلِمَةِ ٱللهِ. ٱنْظُرُوا إِلَى نِهَايَةِ سِيرَتِهِمْ فَتَمَثَّلُوا بِإِيمَانِهِمْ. | ٧ 7 |
अपने राहनुमाओं को याद रखें जिन्हों ने आप को ख़ुदा का कलाम सुनाया। इस पर ग़ौर करें कि उन के चाल — चलन से कितनी भलाई पैदा हुई है, और उन के ईमान के नमूने पर चलें।
يَسُوعُ ٱلْمَسِيحُ هُوَ هُوَ أَمْسًا وَٱلْيَوْمَ وَإِلَى ٱلْأَبَدِ. (aiōn ) | ٨ 8 |
ईसा मसीह कल और आज और हमेशा तक यक्साँ है। (aiōn )
لَا تُسَاقُوا بِتَعَالِيمَ مُتَنَوِّعَةٍ وَغَرِيبَةٍ، لِأَنَّهُ حَسَنٌ أَنْ يُثَبَّتَ ٱلْقَلْبُ بِٱلنِّعْمَةِ، لَا بِأَطْعِمَةٍ لَمْ يَنْتَفِعْ بِهَا ٱلَّذِينَ تَعَاطَوْهَا. | ٩ 9 |
तरह तरह की और बेगाना तालीमात आप को इधर उधर न भटकाएँ। आप तो ख़ुदा के फ़ज़ल से ताक़त पाते हैं और इस से नहीं कि आप मुख़्तलिफ़ खानों से परहेज़ करते हैं। इस में कोई ख़ास फ़ाइदा नहीं है।
لَنَا «مَذْبَحٌ» لَا سُلْطَانَ لِلَّذِينَ يَخْدِمُونَ ٱلْمَسْكَنَ أَنْ يَأْكُلُوا مِنْهُ. | ١٠ 10 |
हमारे पास एक ऐसी क़ुर्बानगाह है जिस की क़ुर्बानी खाना मुलाक़ात के ख़ेमे में ख़िदमत करने वालों के लिए मनह है।
فَإِنَّ ٱلْحَيَوَانَاتِ ٱلَّتِي يُدْخَلُ بِدَمِهَا عَنِ ٱلْخَطِيَّةِ إِلَى «ٱلْأَقْدَاسِ» بِيَدِ رَئِيسِ ٱلْكَهَنَةِ تُحْرَقُ أَجْسَامُهَا خَارِجَ ٱلْمَحَلَّةِ. | ١١ 11 |
क्यूँकि अगरचे इमाम — ए — आज़म जानवरों का ख़ून गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर पाक तरीन कमरे में ले जाता है, लेकिन उन की लाशों को ख़ेमागाह के बाहर जलाया जाता है।
لِذَلِكَ يَسُوعُ أَيْضًا، لِكَيْ يُقَدِّسَ ٱلشَّعْبَ بِدَمِ نَفْسِهِ، تَأَلَّمَ خَارِجَ ٱلْبَابِ. | ١٢ 12 |
इस वजह से ईसा को भी शहर के बाहर सलीबी मौत सहनी पड़ी ताकि क़ौम को अपने ख़ून से ख़ास — ओ — पाक करे।
فَلْنَخْرُجْ إِذًا إِلَيْهِ خَارِجَ ٱلْمَحَلَّةِ حَامِلِينَ عَارَهُ. | ١٣ 13 |
इस लिए आएँ, हम ख़ेमागाह से निकल कर उस के पास जाएँ और उस की बेइज़्ज़ती में शरीक हो जाएँ।
لِأَنْ لَيْسَ لَنَا هُنَا مَدِينَةٌ بَاقِيَةٌ، لَكِنَّنَا نَطْلُبُ ٱلْعَتِيدَةَ. | ١٤ 14 |
क्यूँकि यहाँ हमारा कोई क़ाईम रहने वाला शहर नहीं है बल्कि हम आने वाले शहर की शदीद आरज़ु रखते हैं।
فَلْنُقَدِّمْ بِهِ فِي كُلِّ حِينٍ لِلهِ ذَبِيحَةَ ٱلتَّسْبِيحِ، أَيْ ثَمَرَ شِفَاهٍ مُعْتَرِفَةٍ بِٱسْمِهِ. | ١٥ 15 |
चुनाँचे आएँ, हम ईसा के वसीले से ख़ुदा को हम्द — ओ — सना की क़ुर्बानी पेश करें, यानी हमारे होंटों से उस के नाम की तारीफ़ करने वाला फल निकले।
وَلَكِنْ لَا تَنْسُوا فِعْلَ ٱلْخَيْرِ وَٱلتَّوْزِيعَ، لِأَنَّهُ بِذَبَائِحَ مِثْلِ هَذِهِ يُسَرُّ ٱللهُ. | ١٦ 16 |
नेज़, भलाई करना और दूसरों को अपनी बर्क़तों में शरीक करना मत भूलना, क्यूँकि ऐसी क़ुर्बानियाँ ख़ुदा को पसन्द हैं।
أَطِيعُوا مُرْشِدِيكُمْ وَٱخْضَعُوا، لِأَنَّهُمْ يَسْهَرُونَ لِأَجْلِ نُفُوسِكُمْ كَأَنَّهُمْ سَوْفَ يُعْطُونَ حِسَابًا، لِكَيْ يَفْعَلُوا ذَلِكَ بِفَرَحٍ، لَا آنِّينَ، لِأَنَّ هَذَا غَيْرُ نَافِعٍ لَكُمْ. | ١٧ 17 |
अपने राहनुमाओं की सुनें और उन की बात मानें। क्यूँकि वह आप की देख — भाल करते करते जागते रहते हैं, और इस में वह ख़ुदा के सामने जवाबदेह हैं। उन की बात मानें ताकि वह ख़ुशी से अपनी ख़िदमत सरअन्जाम दें। वर्ना वह कराहते कराहते अपनी ज़िम्मेदारी निभाएँगे, और यह आप के लिए मुफ़ीद नहीं होगा।
صَلُّوا لِأَجْلِنَا، لِأَنَّنَا نَثِقُ أَنَّ لَنَا ضَمِيرًا صَالِحًا، رَاغِبِينَ أَنْ نَتَصَرَّفَ حَسَنًا فِي كُلِّ شَيْءٍ. | ١٨ 18 |
हमारे लिए दुआ करें, गरचे हमें यक़ीन है कि हमारा ज़मीर साफ़ है और हम हर लिहाज़ से अच्छी ज़िन्दगी गुज़ारने के ख़्वाहिशमन्द हैं।
وَلَكِنْ أَطْلُبُ أَكْثَرَ أَنْ تَفْعَلُوا هَذَا لِكَيْ أُرَدَّ إِلَيْكُمْ بِأَكْثَرِ سُرْعَةٍ. | ١٩ 19 |
मैं ख़ासकर इस पर ज़ोर देना चाहता हूँ कि आप दुआ करें कि ख़ुदा मुझे आप के पास जल्द वापस आने की तौफ़ीक़ बख़्शे।
وَإِلَهُ ٱلسَّلَامِ ٱلَّذِي أَقَامَ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ رَاعِيَ ٱلْخِرَافِ ٱلْعَظِيمَ، رَبَّنَا يَسُوعَ، بِدَمِ ٱلْعَهْدِ ٱلْأَبَدِيِّ، (aiōnios ) | ٢٠ 20 |
अब सलामती का ख़ुदा जो अबदी 'अह्द के ख़ून से हमारे ख़ुदावन्द और भेड़ों के अज़ीम चरवाहे ईसा को मुर्दों में से वापस लाया (aiōnios )
لِيُكَمِّلْكُمْ فِي كُلِّ عَمَلٍ صَالِحٍ لِتَصْنَعُوا مَشِيئَتَهُ، عَامِلًا فِيكُمْ مَا يُرْضِي أَمَامَهُ بِيَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، ٱلَّذِي لَهُ ٱلْمَجْدُ إِلَى أَبَدِ ٱلْآبِدِينَ. آمِينَ. (aiōn ) | ٢١ 21 |
वह आप को हर अच्छी चीज़ से नवाज़े ताकि आप उस की मर्ज़ी पूरी कर सकें। और वह ईसा मसीह के ज़रिए हम में वह कुछ पैदा करे जो उसे पसन्द आए। उस का जलाल शुरू से हमेशा तक होता रहे! आमीन। (aiōn )
وَأَطْلُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ أَنْ تَحْتَمِلُوا كَلِمَةَ ٱلْوَعْظِ، لِأَنِّي بِكَلِمَاتٍ قَلِيلَةٍ كَتَبْتُ إِلَيْكُمْ. | ٢٢ 22 |
भाइयों! मेहरबानी करके नसीहत की इन बातों पर सन्जीदगी से ग़ौर करें, क्यूँकि मैंने आप को सिर्फ़ चन्द अल्फ़ाज़ लिखे हैं।
اِعْلَمُوا أَنَّهُ قَدْ أُطْلِقَ ٱلْأَخُ تِيمُوثَاوُسُ، ٱلَّذِي مَعَهُ سَوْفَ أَرَاكُمْ، إِنْ أَتَى سَرِيعًا. | ٢٣ 23 |
यह बात आप के इल्म में होनी चाहिए कि हमारे भाई तीमुथियुस को रिहा कर दिया गया है। अगर वह जल्दी पहुँचे तो उसे साथ ले कर आप से मिलने आऊँगा।
سَلِّمُوا عَلَى جَمِيعِ مُرْشِدِيكُمْ وَجَمِيعِ ٱلْقِدِّيسِينَ. يُسَلِّمُ عَلَيْكُمُ ٱلَّذِينَ مِنْ إِيطَالِيَا. | ٢٤ 24 |
अपने तमाम राहनुमाओं और तमाम मुक़द्दसीन को मेरा सलाम कहना। इतालिया मुल्क के ईमानदार आप को सलाम कहते हैं।
اَلنِّعْمَةُ مَعَ جَمِيعِكُمْ. آمِينَ. -إِلَى الْعِبْرانِيِّينَ، كُتِبَتْ مِنْ إِيطَاليَا، عَلَى يَدِ تِيمُوثَاوُسَ- | ٢٥ 25 |
ख़ुदा का फ़ज़ल आप सब के साथ रहे।