< حَبَقُّوق 1 >

اَلْوَحْيُ ٱلَّذِي رَآهُ حَبَقُّوقُ ٱلنَّبِيُّ. ١ 1
भारी वचन जिसको हबक्कूक नबी ने दर्शन में पाया।
حَتَّى مَتَى يَارَبُّ أَدْعُو وَأَنْتَ لَا تَسْمَعُ؟ أَصْرُخُ إِلَيْكَ مِنَ ٱلظُّلْمِ وَأَنْتَ لَا تُخَلِّصُ؟ ٢ 2
हे यहोवा मैं कब तक तेरी दुहाई देता रहूँगा, और तू न सुनेगा? मैं कब तक तेरे सम्मुख “उपद्रव”, “उपद्रव” चिल्लाता रहूँगा? क्या तू उद्धार नहीं करेगा?
لِمَ تُرِينِي إِثْمًا، وَتُبْصِرُ جَوْرًا؟ وَقُدَّامِي ٱغْتِصَابٌ وَظُلْمٌ وَيَحْدُثُ خِصَامٌ وَتَرْفَعُ ٱلْمُخَاصَمَةُ نَفْسَهَا. ٣ 3
तू मुझे अनर्थ काम क्यों दिखाता है? और क्या कारण है कि तू उत्पात को देखता ही रहता है? मेरे सामने लूट-पाट और उपद्रव होते रहते हैं; और झगड़ा हुआ करता है और वाद-विवाद बढ़ता जाता है।
لِذَلِكَ جَمَدَتِ ٱلشَّرِيعَةُ وَلَا يَخْرُجُ ٱلْحُكْمُ بَتَّةً، لِأَنَّ ٱلشِّرِّيرَ يُحِيطُ بِٱلصِّدِّيقِ، فَلِذَلِكَ يَخْرُجُ ٱلْحُكْمُ مُعْوَجًّا. ٤ 4
इसलिए व्यवस्था ढीली हो गई और न्याय कभी नहीं प्रगट होता। दुष्ट लोग धर्मी को घेर लेते हैं; इसलिए न्याय का खून हो रहा है।
«اُنْظُرُوا بَيْنَ ٱلْأُمَمِ، وَأَبْصِرُوا وَتَحَيَّرُوا حَيْرَةً. لِأَنِّي عَامِلٌ عَمَلًا فِي أَيَّامِكُمْ لَا تُصَدِّقُونَ بِهِ إِنْ أُخْبِرَ بِهِ. ٥ 5
जाति-जाति की ओर चित्त लगाकर देखो, और बहुत ही चकित हो। क्योंकि मैं तुम्हारे ही दिनों में ऐसा काम करने पर हूँ कि जब वह तुम को बताया जाए तो तुम उस पर विश्वास न करोगे।
فَهَأَنَذَا مُقِيمٌ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ ٱلْأُمَّةَ ٱلْمُرَّةَ ٱلْقَاحِمَةَ ٱلسَّالِكَةَ فِي رِحَابِ ٱلْأَرْضِ لِتَمْلِكَ مَسَاكِنَ لَيْسَتْ لَهَا. ٦ 6
देखो, मैं कसदियों को उभारने पर हूँ, वे क्रूर और उतावली करनेवाली जाति हैं, जो पराए वासस्थानों के अधिकारी होने के लिये पृथ्वी भर में फैल गए हैं।
هِيَ هَائِلَةٌ وَمَخُوفَةٌ. مِنْ قِبَلِ نَفْسِهَا يَخْرُجُ حُكْمُهَا وَجَلَالُهَا. ٧ 7
वे भयानक और डरावने हैं, वे आप ही अपने न्याय की बड़ाई और प्रशंसा का कारण हैं।
وَخَيْلُهَا أَسْرَعُ مِنَ ٱلنُّمُورِ، وَأَحَدُّ مِنْ ذِئَابِ ٱلْمَسَاءِ. وَفُرْسَانُهَا يَنْتَشِرُونَ، وَفُرْسَانُهَا يَأْتُونَ مِنْ بَعِيدٍ، وَيَطِيرُونَ كَٱلنَّسْرِ ٱلْمُسْرِعِ إِلَى ٱلْأَكْلِ. ٨ 8
उनके घोड़े चीतों से भी अधिक वेग से चलनेवाले हैं, और साँझ को आहेर करनेवाले भेड़ियों से भी अधिक क्रूर हैं; उनके सवार दूर-दूर कूदते-फाँदते आते हैं। हाँ, वे दूर से चले आते हैं; और आहेर पर झपटनेवाले उकाब के समान झपट्टा मारते हैं।
يَأْتُونَ كُلُّهُمْ لِلظُّلْمِ. مَنْظَرُ وُجُوهِهِمْ إِلَى قُدَّامٍ، وَيَجْمَعُونَ سَبْيًا كَٱلرَّمْلِ. ٩ 9
वे सब के सब उपद्रव करने के लिये आते हैं; सामने की ओर मुख किए हुए वे सीधे बढ़े चले जाते हैं, और बंधुओं को रेत के किनकों के समान बटोरते हैं।
وَهِيَ تَسْخَرُ مِنَ ٱلْمُلُوكِ، وَٱلرُّؤَسَاءُ ضُحْكَةٌ لَهَا. وَتَضْحَكُ عَلَى كُلِّ حِصْنٍ، وَتُكَوِّمُ ٱلتُّرَابَ وَتَأْخُذُهُ. ١٠ 10
१०राजाओं को वे उपहास में उड़ाते और हाकिमों का उपहास करते हैं; वे सब दृढ़ गढ़ों को तुच्छ जानते हैं, क्योंकि वे दमदमा बाँधकर उनको जीत लेते हैं।
ثُمَّ تَتَعَدَّى رُوحُهَا فَتَعْبُرُ وَتَأْثَمُ. هَذِهِ قُوَّتُهَا إِلَهُهَا». ١١ 11
११तब वे वायु के समान चलते और मर्यादा छोड़कर दोषी ठहरते हैं, क्योंकि उनका बल ही उनका देवता है।
أَلَسْتَ أَنْتَ مُنْذُ ٱلْأَزَلِ يَارَبُّ إِلَهِي قُدُّوسِي؟ لَا نَمُوتُ. يَارَبُّ لِلْحُكْمِ جَعَلْتَهَا، وَيَا صَخْرُ لِلتَّأْدِيبِ أَسَّسْتَهَا. ١٢ 12
१२हे मेरे प्रभु यहोवा, हे मेरे पवित्र परमेश्वर, क्या तू अनादिकाल से नहीं है? इस कारण हम लोग नहीं मरने के। हे यहोवा, तूने उनको न्याय करने के लिये ठहराया है; हे चट्टान, तूने उलाहना देने के लिये उनको बैठाया है।
عَيْنَاكَ أَطْهَرُ مِنْ أَنْ تَنْظُرَا ٱلشَّرَّ، وَلَا تَسْتَطِيعُ ٱلنَّظَرَ إِلَى ٱلْجَوْرِ، فَلِمَ تَنْظُرُ إِلَى ٱلنَّاهِبِينَ، وَتَصْمُتُ حِينَ يَبْلَعُ ٱلشِّرِّيرُ مَنْ هُوَ أَبَرُّ مِنْهُ؟ ١٣ 13
१३तेरी आँखें ऐसी शुद्ध हैं कि तू बुराई को देख ही नहीं सकता, और उत्पात को देखकर चुप नहीं रह सकता; फिर तू विश्वासघातियों को क्यों देखता रहता, और जब दुष्ट निर्दोष को निगल जाता है, तब तू क्यों चुप रहता है?
وَتَجْعَلُ ٱلنَّاسَ كَسَمَكِ ٱلْبَحْرِ، كَدَبَّابَاتٍ لَا سُلْطَانَ لَهَا. ١٤ 14
१४तू क्यों मनुष्यों को समुद्र की मछलियों के समान और उन रेंगनेवाले जन्तुओं के समान बनाता है जिन पर कोई शासन करनेवाला नहीं है।
تُطْلِعُ ٱلْكُلَّ بِشِصِّهَا، وَتَصْطَادُهُمْ بِشَبَكَتِهَا وَتَجْمَعُهُمْ فِي مِصْيَدَتِهَا، فَلِذَلِكَ تَفْرَحُ وَتَبْتَهِجُ. ١٥ 15
१५वह उन सब मनुष्यों को बंसी से पकड़कर उठा लेता और जाल में घसीटता और महाजाल में फँसा लेता है; इस कारण वह आनन्दित और मगन है।
لِذَلِكَ تَذْبَحُ لِشَبَكَتِهَا، وَتُبَخِّرُ لِمِصْيَدَتِهَا، لِأَنَّهُ بِهِمَا سَمِنَ نَصِيبُهَا، وَطَعَامُهَا مُسَمَّنٌ. ١٦ 16
१६इसी लिए वह अपने जाल के सामने बलि चढ़ाता और अपने महाजाल के आगे धूप जलाता है; क्योंकि इन्हीं के द्वारा उसका भाग पुष्ट होता, और उसका भोजन चिकना होता है।
أَفَلِأَجْلِ هَذَا تَفْرَغُ شَبَكَتُهَا وَلَا تَعْفُو عَنْ قَتْلِ ٱلْأُمَمِ دَائِمًا؟ ١٧ 17
१७क्या वह जाल को खाली करने और जाति-जाति के लोगों को लगातार निर्दयता से घात करने से हाथ न रोकेगा?

< حَبَقُّوق 1 >