< اَلتَّكْوِينُ 47 >

فَأَتَى يُوسُفُ وَأَخبَرَ فِرْعَوْنَ وَقَالَ: «أَبِي وَإِخْوَتِي وَغَنَمُهُمْ وَبَقَرُهُمْ وَكُلُّ مَا لَهُمْ جَاءُوا مِنْ أَرْضِ كَنْعَانَ، وَهُوَذَا هُمْ فِي أَرْضِ جَاسَانَ». ١ 1
योसेफ़ ने जाकर फ़रोह को बताया, “मेरे पिता तथा मेरे भाई अपने सब भेड़-बकरी, पशु तथा अपनी पूरी संपत्ति लेकर कनान देश से आ चुके हैं तथा वे गोशेन देश में हैं.”
وَأَخَذَ مِنْ جُمْلَةِ إِخْوَتِهِ خَمْسَةَ رِجَالٍ وَأَوْقَفَهُمْ أَمَامَ فِرْعَوْنَ. ٢ 2
योसेफ़ ने अपने पांच भाइयों को फ़रोह के सामने प्रस्तुत किया.
فَقَالَ فِرْعَوْنُ لِإِخْوَتِهِ: «مَا صِنَاعَتُكُمْ؟» فَقَالُوا لِفِرْعَوْنَ: «عَبِيدُكَ رُعَاةُ غَنَمٍ نَحْنُ وَآبَاؤُنَا جَمِيعًا». ٣ 3
फ़रोह ने उनके भाइयों से पूछा, “आप लोग क्या काम करते हैं?” उन्होंने फ़रोह से कहा, “हम हमारे पूर्वजों की ही तरह पशु पालते हैं.
وَقَالُوا لِفِرْعَوْنَ: «جِئْنَا لِنَتَغَرَّبَ فِي ٱلْأَرْضِ، إِذْ لَيْسَ لِغَنَمِ عَبِيدِكَ مَرْعًى، لِأَنَّ ٱلْجُوعَ شَدِيدٌ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ. فَٱلْآنَ لِيَسْكُنْ عَبِيدُكَ فِي أَرْضِ جَاسَانَ». ٤ 4
अब इस देश में कुछ समय के लिये रहने आए हैं, क्योंकि कनान में भयंकर अकाल होने के कारण आपके दासों के पशुओं के लिए चारा नहीं है. तब कृपा कर हमें गोशेन में रहने की अनुमति दे दीजिए.”
فَكَلَّمَ فِرْعَوْنُ يُوسُفَ قَائِلًا: «أَبُوكَ وَإِخْوَتُكَ جَاءُوا إِلَيْكَ. ٥ 5
फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “तुम्हारे पिता एवं तुम्हारे भाई तुम्हारे पास आए हैं,
أَرْضُ مِصْرَ قُدَّامَكَ. فِي أَفْضَلِ ٱلْأَرْضِ أَسْكِنْ أَبَاكَ وَإِخْوَتَكَ، لِيَسْكُنُوا فِي أَرْضِ جَاسَانَ. وَإِنْ عَلِمْتَ أَنَّهُ يُوجَدُ بَيْنَهُمْ ذَوُو قُدْرَةٍ، فَٱجْعَلْهُمْ رُؤَسَاءَ مَوَاشٍ عَلَى ٱلَّتِي لِي». ٦ 6
पूरा मिस्र देश तुम्हारे लिए खुला है; अपने पिता एवं अपने भाइयों को गोशेन के सबसे अच्छे भाग में रहने की सुविधा दे दो. और भाइयों में से कोई समझदार हो तो उसे मेरे पशुओं की देखभाल की पूरी जवाबदारी दे दो.”
ثُمَّ أَدْخَلَ يُوسُفُ يَعْقُوبَ أَبَاهُ وَأَوْقَفَهُ أَمَامَ فِرْعَوْنَ. وَبَارَكَ يَعْقُوبُ فِرْعَوْنَ. ٧ 7
फिर योसेफ़ पिता याकोब को भी फ़रोह से मिलाने लाए. याकोब ने फ़रोह को आशीष दी.
فَقَالَ فِرْعَوْنُ لِيَعْقُوبَ: «كَمْ هِيَ أَيَّامُ سِنِي حَيَاتِكَ؟» ٨ 8
फ़रोह ने याकोब से पूछा, “आपकी उम्र क्या है?”
فَقَالَ يَعْقُوبُ لِفِرْعَوْنَ: «أَيَّامُ سِنِي غُرْبَتِي مِئَةٌ وَثَلَاثُونَ سَنَةً. قَلِيلَةً وَ رَدِيَّةً كَانَتْ أَيَّامُ سِنِي حَيَاتِي، وَلَمْ تَبْلُغْ إِلَى أَيَّامِ سِنِي حَيَاةِ آبَائِي فِي أَيَّامِ غُرْبَتِهِمْ». ٩ 9
याकोब ने फ़रोह को बताया “मेरी तीर्थ यात्रा के वर्ष एक सौ तीस रहे हैं. मेरी आयु बहुत छोटी और कष्टभरी रही है और वह मेरे पूर्वजों सी लंबी नहीं रही है!”
وَبَارَكَ يَعْقُوبُ فِرْعَوْنَ وَخَرَجَ مِنْ لَدُنْ فِرْعَوْنَ. ١٠ 10
याकोब फ़रोह को आशीष देकर वहां से चले गये.
فَأَسْكَنَ يُوسُفُ أَبَاهُ وَإِخْوَتَهُ وَأَعْطَاهُمْ مُلْكًا فِي أَرْضِ مِصْرَ، فِي أَفْضَلِ ٱلْأَرْضِ، فِي أَرْضِ رَعَمْسِيسَ كَمَا أَمَرَ فِرْعَوْنُ. ١١ 11
योसेफ़ ने अपने पिता एवं भाइयों को फ़रोह की आज्ञा अनुसार मिस्र में सबसे अच्छी जगह रामेसेस में ज़मीन दी.
وَعَالَ يُوسُفُ أَبَاهُ وَإِخْوَتَهُ وَكُلَّ بَيْتِ أَبِيهِ بِطَعَامٍ عَلَى حَسَبِ ٱلْأَوْلَادِ. ١٢ 12
योसेफ़ ने अपने पिता, अपने भाइयों तथा पिता के पूरे परिवार को उनके बच्चों की गिनती के अनुसार भोजन उपलब्ध कराया.
وَلَمْ يَكُنْ خُبْزٌ فِي كُلِّ ٱلْأَرْضِ، لِأَنَّ ٱلْجُوعَ كَانَ شَدِيدًا جِدًّا. فَخَوَّرَتْ أَرْضُ مِصْرَ وَأَرْضُ كَنْعَانَ مِنْ أَجْلِ ٱلْجُوعِ. ١٣ 13
पूरे देश में अकाल के कारण भोजन की कमी थी. मिस्र देश तथा कनान देश अकाल के कारण भूखा पड़ा था.
فَجَمَعَ يُوسُفُ كُلَّ ٱلْفِضَّةِ ٱلْمَوْجُودَةِ فِي أَرْضِ مِصْرَ وَفِي أَرْضِ كَنْعَانَ بِٱلْقَمْحِ ٱلَّذِي ٱشْتَرُوا، وَجَاءَ يُوسُفُ بِٱلْفِضَّةِ إِلَى بَيْتِ فِرْعَوْنَ. ١٤ 14
मिस्र देश तथा कनान देश का सारा धन योसेफ़ ने फ़रोह के राजमहल में अनाज के बदले इकट्ठा कर लिया था.
فَلَمَّا فَرَغَتِ ٱلْفِضَّةُ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ وَمِنْ أَرْضِ كَنْعَانَ أَتَى جَمِيعُ ٱلْمِصْرِيِّينَ إِلَى يُوسُفَ قَائِلِينَ: «أَعْطِنَا خُبْزًا، فَلِمَاذَا نَمُوتُ قُدَّامَكَ؟ لِأَنْ لَيْسَ فِضَّةٌ أَيْضًا». ١٥ 15
जब लोगों के पास अनाज खरीदने के लिए रुपया नहीं था तब वह योसेफ़ के पास आकर बिनती करने लगे, “हमें खाने को भोजन दीजिए. हम आपकी आंखों के सामने क्यों मरें? हमारा रुपया सब खत्म हो गया है.”
فَقَالَ يُوسُفُ: «هَاتُوا مَوَاشِيَكُمْ فَأُعْطِيَكُمْ بِمَوَاشِيكُمْ، إِنْ لَمْ يَكُنْ فِضَّةٌ أَيْضًا». ١٦ 16
योसेफ़ ने कहा, “यदि तुमारा रुपया खत्म हो गया हैं तो तुम अपने पशु हमें देते जाओ और हम तुम्हें उसके बदले अनाज देंगे.”
فَجَاءُوا بِمَوَاشِيهِمْ إِلَى يُوسُفَ، فَأَعْطَاهُمْ يُوسُفُ خُبْزًا بِٱلْخَيْلِ وَبِمَوَاشِي ٱلْغَنَمِ وَٱلْبَقَرِ وَبِٱلْحَمِيرِ. فَقَاتَهُمْ بِٱلْخُبْزِ تِلْكَ ٱلسَّنَةَ بَدَلَ جَمِيعِ مَوَاشِيهِمْ. ١٧ 17
इसलिये वे अपने पशु योसेफ़ को देने लगे; और योसेफ़ उन्हें उनके घोड़े, पशुओं, भेड़-बकरी तथा गधों के बदले में अनाज देने लगे. योसेफ़ ने उस वर्ष उनके समस्त पशुओं के बदले में उनकी भोजन की व्यवस्था की.
وَلَمَّا تَمَّتْ تِلْكَ ٱلسَّنَةُ أَتَوْا إِلَيْهِ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلْثَّانِيَةِ وَقَالُوا لَهُ: «لَا نُخْفِي عَنْ سَيِّدِي أَنَّهُ إِذْ قَدْ فَرَغَتِ ٱلْفِضَّةُ، وَمَوَاشِي ٱلْبَهَائِمِ عِنْدَ سَيِّدِي، لَمْ يَبْقَ قُدَّامَ سَيِّدِي إِلَا أَجْسَادُنَا وَأَرْضُنَا. ١٨ 18
जब वह वर्ष खत्म हुआ तब अगले वर्ष वह योसेफ़ के पास आए और उनसे कहा, “स्वामी यह सच्चाई आपसे छुपी नहीं रह सकती कि हमारा सारा रुपया खर्च हो गया हैं और पशु भी आपके हो गये है; अब हमारा शरीर और हमारी ज़मीन ही बच गई है.
لِمَاذَا نَمُوتُ أَمَامَ عَيْنَيْكَ نَحْنُ وَأَرْضُنَا جَمِيعًا؟ اِشْتَرِنَا وَأَرْضَنَا بِٱلْخُبْزِ، فَنَصِيرَ نَحْنُ وَأَرْضُنَا عَبِيدًا لِفِرْعَوْنَ، وَأَعْطِ بِذَارًا لِنَحْيَا وَلَا نَمُوتَ وَلَا تَصِيرَ أَرْضُنَا قَفْرًا». ١٩ 19
क्या हम और हमारी ज़मीन आपकी आंखों के सामने नाश हो जायेंगी? अब भोजन के बदले आप हमारी ज़मीन को ही खरीद लीजिए, और हम अपनी ज़मीन के साथ फ़रोह के दास बन जाएंगे. हमें सिर्फ बीज दे दीजिये कि हम नहीं मरें परंतु जीवित रहें कि हमारी भूमि निर्जन न हो.”
فَٱشْتَرَى يُوسُفُ كُلَّ أَرْضِ مِصْرَ لِفِرْعَوْنَ، إِذْ بَاعَ ٱلْمِصْرِيُّونَ كُلُّ وَاحِدٍ حَقْلَهُ، لِأَنَّ ٱلْجُوعَ ٱشْتَدَّ عَلَيْهِمْ. فَصَارَتِ ٱلْأَرْضُ لِفِرْعَوْنَ. ٢٠ 20
इस प्रकार योसेफ़ ने मिस्र देश की पूरी ज़मीन फ़रोह के लिये खरीद ली. सभी मिस्रवासियों ने अपनी भूमि बेच दी क्योंकि अकाल भयंकर था और ज़मीन फ़रोह की हो गई.
وَأَمَّا ٱلشَّعْبُ فَنَقَلَهُمْ إِلَى ٱلْمُدُنِ مِنْ أَقْصَى حَدِّ مِصْرَ إِلَى أَقْصَاهُ. ٢١ 21
योसेफ़ ने मिस्र के एक छोर से दूसरे छोर तक लोगों को, दास बना दिया.
إِلَا إِنَّ أَرْضَ ٱلْكَهَنَةِ لَمْ يَشْتَرِهَا، إِذْ كَانَتْ لِلْكَهَنَةِ فَرِيضَةٌ مِنْ قِبَلِ فِرْعَوْنَ، فَأَكَلُوا فَرِيضَتَهُمُ ٱلَّتِي أَعْطَاهُمْ فِرْعَوْنُ، لِذَلِكَ لَمْ يَبِيعُوا أَرْضَهُمْ. ٢٢ 22
सिर्फ पुरोहितों की भूमि को नहीं खरीदा, क्योंकि उनको फ़रोह की ओर से निर्धारित भोजन मिलता था और वह उनके जीने के लिये पर्याप्‍त था, इसलिये उन्होंने अपनी ज़मीन नहीं बेची.
فَقَالَ يُوسُفُ لِلشَّعْبِ: «إِنِّي قَدِ ٱشْتَرَيْتُكُمُ ٱلْيَوْمَ وَأَرْضَكُمْ لِفِرْعَوْنَ. هُوَذَا لَكُمْ بِذَارٌ فَتَزْرَعُونَ ٱلْأَرْضَ. ٢٣ 23
योसेफ़ ने लोगों से कहा, “मैंने फ़रोह के लिए आपको तथा आपकी भूमि को आज खरीद लिया है, अब आपके लिये यह बीज दिया है कि आप अपनी ज़मीन पर इस बीज को बोना और खेती करना.
وَيَكُونُ عِنْدَ ٱلْغَلَّةِ أَنَّكُمْ تُعْطُونَ خُمْسًا لِفِرْعَوْنَ، وَٱلْأَرْبَعَةُ ٱلْأَجْزَاءُ تَكُونُ لَكُمْ بِذَارًا لِلْحَقْلِ، وَطَعَامًا لَكُمْ وَلِمَنْ فِي بْيُوتِكُمْ، وَطَعَامًا لِأَوْلَادِكُمْ». ٢٤ 24
और जब उपज आयेगी उसमें से फ़रोह को पांचवां भाग देना होगा और शेष चार भाग आपके होंगे; ज़मीन में बोने के बीज के लिये और आप, आपके परिवार और आपके बच्चों के भोजन के लिये होंगे.”
فَقَالُوا: «أَحْيَيْتَنَا. لَيْتَنَا نَجِدُ نِعْمَةً فِي عَيْنَيْ سَيِّدِي فَنَكُونَ عَبِيدًا لِفِرْعَوْنَ». ٢٥ 25
तब लोगों ने कहा, “आपने हमारा जीवन बचा लिया; यदि हमारे स्वामी की दया हम पर बनी रहे और हम फ़रोह के दास बने रहेंगे.”
فَجَعَلَهَا يُوسُفُ فَرْضًا عَلَى أَرْضِ مِصْرَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ: لِفِرْعَوْنَ ٱلْخُمْسُ. إِلَا إِنَّ أَرْضَ ٱلْكَهَنَةِ وَحْدَهُمْ لَمْ تَصِرْ لِفِرْعَوْنَ. ٢٦ 26
योसेफ़ ने जो नियम बनाया था कि उपज का पांचवां भाग फ़रोह को देना ज़रूरी है वह आज भी स्थापित है. सिर्फ पुरोहितों की भूमि फ़रोह की नहीं हुई.
وَسَكَنَ إِسْرَائِيلُ فِي أَرْضِ مِصْرَ، فِي أَرْضِ جَاسَانَ، وَتَمَلَّكُوا فِيهَا وَأَثْمَرُوا وَكَثُرُوا جِدًّا. ٢٧ 27
इस्राएल मिस्र देश के गोशेन नामक जगह पर रह रहे थे, वहां वे फलते फूलते धन-संपत्ति अर्जित करते गये और संख्या में कई गुणा बढ़ते गये.
وَعَاشَ يَعْقُوبُ فِي أَرْضِ مِصْرَ سَبْعَ عَشَرَةَ سَنَةً. فَكَانَتْ أَيَّامُ يَعْقُوبَ، سِنُو حَيَاتِهِ مِئَةً وَسَبْعًا وَأَرْبَعِينَ سَنَةً. ٢٨ 28
मिस्र में याकोब को सत्रह साल हो चुके थे, और वे एक सौ सैंतालीस वर्ष तक रहे.
وَلَمَّا قَرُبَتْ أَيَّامُ إِسْرَائِيلَ أَنْ يَمُوتَ دَعَا ٱبْنَهُ يُوسُفَ وَقَالَ لَهُ: «إِنْ كُنْتُ قَدْ وَجَدْتُ نِعْمَةً فِي عَيْنَيْكَ فَضَعْ يَدَكَ تَحْتَ فَخْذِي وَٱصْنَعْ مَعِي مَعْرُوفًا وَأَمَانَةً: لَا تَدْفِنِّي فِي مِصْرَ، ٢٩ 29
जब इस्राएल मरने पर थे, उन्होंने अपने पुत्र योसेफ़ को पास बुलाया और कहा, “यदि तुम मुझसे प्रेम करते हो तो मेरी जांघ के नीचे अपना हाथ रखकर शपथ लो, कि तुम मुझसे करुणा और विश्वास का बर्ताव करोगे और मुझे मिस्र में नहीं दफ़नाओगे,
بَلْ أَضْطَجِعُ مَعَ آبَائِي، فَتَحْمِلُنِي مِنْ مِصْرَ وَتَدْفِنُنِي فِي مَقْبَرَتِهِمْ». فَقَالَ: «أَنَا أَفْعَلُ بِحَسَبِ قَوْلِكَ». ٣٠ 30
जब मैं चिर-निद्रा में अपने पूर्वजों से जा मिलूं, तब मुझे मिस्र देश से ले जाना और पूर्वजों के साथ उन्हीं के पास मुझे दफ़नाना.” योसेफ़ ने कहा, “मैं ऐसा ही करूंगा जैसा आपने कहा है.”
فَقَالَ: «ٱحْلِفْ لِي». فَحَلَفَ لَهُ. فَسَجَدَ إِسْرَائِيلُ عَلَى رَأْسِ ٱلسَّرِيرِ. ٣١ 31
याकोब ने कहा, “मुझसे वायदा करो!” योसेफ़ ने उनसे वायदा किया और इस्राएल खाट के सिरहाने की ओर झुक गए.

< اَلتَّكْوِينُ 47 >