< اَلتَّكْوِينُ 35 >

ثُمَّ قَالَ ٱللهُ لِيَعْقُوبَ: «قُمِ ٱصْعَدْ إِلَى بَيْتِ إِيلَ وَأَقِمْ هُنَاكَ، وَٱصْنَعْ هُنَاكَ مَذْبَحًا لِلهِ ٱلَّذِي ظَهَرَ لَكَ حِينَ هَرَبْتَ مِنْ وَجْهِ عِيسُو أَخِيكَ». ١ 1
और ख़ुदा ने या'क़ूब से कहा, कि उठ बैतएल को जा और वहीं रह और वहाँ ख़ुदा के लिए, जो तुझे उस वक़्त दिखाई दिया जब तू अपने भाई 'ऐसौ के पास से भागा जा रहा था, एक मज़बह बना।
فَقَالَ يَعْقُوبُ لِبَيْتِهِ وَلِكُلِّ مَنْ كَانَ مَعَهُ: «ٱعْزِلُوا ٱلْآلِهَةَ ٱلْغَرِيبَةَ ٱلَّتِي بَيْنَكُمْ وَتَطَهَّرُوا وَأَبْدِلُوا ثِيَابَكُمْ. ٢ 2
तब या'क़ूब ने अपने घराने और अपने सब साथियों से कहा “ग़ैर मा'बूदों को जो तुम्हारे बीच हैं दूर करो, और पाकी हासिल करके अपने कपड़े बदल डालो।
وَلْنَقُمْ وَنَصْعَدْ إِلَى بَيْتِ إِيلَ، فَأَصْنَعَ هُنَاكَ مَذْبَحًا لِلهِ ٱلَّذِي ٱسْتَجَابَ لِي فِي يَوْمِ ضِيقَتِي، وَكَانَ مَعِي فِي ٱلطَّرِيقِ ٱلَّذِي ذَهَبْتُ فِيهِ». ٣ 3
और आओ, हम रवाना हों और बैत — एल को जाएँ, वहाँ मैं ख़ुदा के लिए जिसने मेरी तंगी के दिन मेरी दुआ क़ुबूल की और जिस राह में मैं चला मेरे साथ रहा, मज़बह बनाऊँगा।”
فَأَعْطَوْا يَعْقُوبَ كُلَّ ٱلْآلِهَةِ ٱلْغَرِيبَةِ ٱلَّتِي فِي أَيْدِيهِمْ وَٱلْأَقْرَاطِ ٱلَّتِي فِي آذَانِهِمْ، فَطَمَرَهَا يَعْقُوبُ تَحْتَ ٱلْبُطْمَةِ ٱلَّتِي عِنْدَ شَكِيمَ. ٤ 4
तब उन्होंने सब ग़ैर मा'बूदों को जो उनके पास थे और मुन्दरों को जो उनके कानों में थे, या'क़ूब को दे दिया और या'क़ूब ने उनको उस बलूत के दरख़्त के नीचे जो सिकम के नज़दीक था दबा दिया।
ثُمَّ رَحَلُوا، وَكَانَ خَوْفُ ٱللهِ عَلَى ٱلْمُدُنِ ٱلَّتِي حَوْلَهُمْ، فَلَمْ يَسْعَوْا وَرَاءَ بَنِي يَعْقُوبَ. ٥ 5
और उन्होंने कूच किया और उनके आस पास के शहरों पर ऐसा बड़ा ख़ौफ़ छाया हुआ था कि उन्होंने या'क़ूब के बेटों का पीछा न किया।
فَأَتَى يَعْقُوبُ إِلَى لُوزَ ٱلَّتِي فِي أَرْضِ كَنْعَانَ، وَهِيَ بَيْتُ إِيلَ. هُوَ وَجَمِيعُ ٱلْقَوْمِ ٱلَّذِينَ مَعَهُ. ٦ 6
और या'क़ूब उन सब लोगों के साथ जो उसके साथ थे लूज़ पहुँचा, बैत — एल यही है और मुल्क — ए — कना'न में है।
وَبَنَى هُنَاكَ مَذْبَحًا، وَدَعَا ٱلْمَكَانَ «إِيلَ بَيْتِ إِيلَ» لِأَنَّهُ هُنَاكَ ظَهَرَ لَهُ ٱللهُ حِينَ هَرَبَ مِنْ وَجْهِ أَخِيهِ. ٧ 7
और उसने वहाँ मज़बह बनाया और उस मुक़ाम का नाम एल — बैतएल रख्खा, क्यूँकि जब वह अपने भाई के पास से भागा जा रहा था तो ख़ुदा वहीं उस पर ज़ाहिर हुआ था।
وَمَاتَتْ دَبُورَةُ مُرْضِعَةُ رِفْقَةَ وَدُفِنَتْ تَحْتَ بَيْتَ إِيلَ تَحْتَ ٱلْبَلُّوطَةِ، فَدَعَا ٱسْمَهَا «أَلُّونَ بَاكُوتَ». ٨ 8
और रिब्क़ा की दाया दबोरा मर गई और वह बैतएल की उतराई में बलूत के दरख़्त के नीचे दफ़्न हुई, और उस बलूत का नाम अल्लोन बकूत रख्खा गया।
وَظَهَرَ ٱللهُ لِيَعْقُوبَ أَيْضًا حِينَ جَاءَ مِنْ فَدَّانِ أَرَامَ وَبَارَكَهُ. ٩ 9
और या'क़ूब के फ़द्दान अराम से आने के बाद ख़ुदा उसे फिर दिखाई दिया और उसे बरकत बख़्शी।
وَقَالَ لَهُ ٱللهُ: «ٱسْمُكَ يَعْقُوبُ. لَا يُدْعَى ٱسْمُكَ فِيمَا بَعْدُ يَعْقُوبَ، بَلْ يَكُونُ ٱسْمُكَ إِسْرَائِيلَ». فَدَعَا ٱسْمَهُ «إِسْرَائِيلَ». ١٠ 10
और ख़ुदा ने उसे कहा कि तेरा नाम या'क़ूब है; तेरा नाम आगे को या'क़ूब न कहलाएगा, बल्कि तेरा नाम इस्राईल होगा। तब उसने उसका नाम इस्राईल रख्खा।
وَقَالَ لَهُ ٱللهُ: «أَنَا ٱللهُ ٱلْقَدِيرُ. أَثْمِرْ وَٱكْثُرْ. أُمَّةٌ وَجَمَاعَةُ أُمَمٍ تَكُونُ مِنْكَ، وَمُلُوكٌ سَيَخْرُجُونَ مِنْ صُلْبِكَ. ١١ 11
फिर ख़ुदा ने उसे कहा, कि मैं ख़ुदा — ए — क़ादिर — ए — मुतलक हूँ, तू कामयाब हो और बहुत हो जा। तुझ से एक क़ौम, बल्कि क़ौमों के क़बीले पैदा होंगे और बादशाह तेरे सुल्ब से निकलेंगे।
وَٱلْأَرْضُ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ، لَكَ أُعْطِيهَا، وَلِنَسْلِكَ مِنْ بَعْدِكَ أُعْطِي ٱلْأَرْضَ». ١٢ 12
और यह मुल्क जो मैंने अब्रहाम और इस्हाक़ को दिया है, वह तुझ को दूँगा और तेरे बाद तेरी नसल को भी यही मुल्क दूँगा।
ثُمَّ صَعِدَ ٱللهُ عَنْهُ فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي فِيهِ تَكَلَّمَ مَعَهُ. ١٣ 13
और ख़ुदा जिस जगह उससे हम कलाम हुआ, वहीं से उसके पास से ऊपर चला गया।
فَنَصَبَ يَعْقُوبُ عَمُودًا فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي فِيهِ تَكَلَّمَ مَعَهُ، عَمُودًا مِنْ حَجَرٍ، وَسَكَبَ عَلَيْهِ سَكِيبًا، وَصَبَّ عَلَيْهِ زَيْتًا. ١٤ 14
तब या'क़ूब ने उस जगह जहाँ वह उससे हम — कलाम हुआ, पत्थर का एक सुतून खड़ा किया और उस पर तपावन किया और तेल डाला।
وَدَعَا يَعْقُوبُ ٱسْمَ ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي فِيهِ تَكَلَّمَ ٱللهُ مَعَهُ «بَيْتَ إِيلَ». ١٥ 15
और या'क़ूब ने उस मक़ाम का नाम जहाँ ख़ुदा उससे हम कलाम हुआ 'बैतएल' रख्खा।
ثُمَّ رَحَلُوا مِنْ بَيْتِ إِيلَ. وَلَمَّا كَانَ مَسَافَةٌ مِنَ ٱلْأَرْضِ بَعْدُ حَتَّى يَأْتُوا إِلَى أَفْرَاتَةَ، وَلَدَتْ رَاحِيلُ وَتَعَسَّرَتْ وِلَادَتُهَا. ١٦ 16
और वह बैतएल से चले और इफ़रात थोड़ी ही दूर रह गया था कि राख़िल के दर्द — ए — ज़िह लगा, और वज़ा' — ए — हम्ल में निहायत दिक्कत हुई।
وَحَدَثَ حِينَ تَعسَّرَتْ وِلَادَتُهِا أَنَّ ٱلْقَابِلَةَ قَالَتِ لَهَا: «لَا تَخَافِي، لِأَنَّ هَذَا أَيْضًا ٱبْنٌ لَكِ». ١٧ 17
और जब वह सख़्त दर्द में मुब्तिला थी तो दाई ने उससे कहा, “डर मत, अब के भी तेरे बेटा ही होगा।”
وَكَانَ عِنْدَ خُرُوجِ نَفْسِهَا، لِأَنَّهَا مَاتَتْ، أَنَّهَا دَعَتِ ٱسْمَهُ «بَنْ أُونِي». وَأَمَّا أَبُوهُ فَدَعَاهُ «بَنْيَامِينَ». ١٨ 18
और यूँ हुआ कि उसने मरते — मरते उसका नाम बिनऊनी रख्खा और मर गई, लेकिन उसके बाप ने उसका नाम बिनयमीन रख्खा।
فَمَاتَتْ رَاحِيلُ وَدُفِنَتْ فِي طَرِيقِ أَفْرَاتَةَ، ٱلَّتِي هِيَ بَيْتُ لَحْمٍ. ١٩ 19
और राख़िल मर गई और इफ़रात, या'नी बैतलहम के रास्ते में दफ़्न हुई।
فَنَصَبَ يَعْقُوبُ عَمُودًا عَلَى قَبْرِهَا، وَهُوَ «عَمُودُ قَبْرِ رَاحِيلَ» إِلَى ٱلْيَوْمِ. ٢٠ 20
और या'क़ूब ने उसकी क़ब्र पर एक सुतून खड़ा कर दिया। राख़िल की क़ब्र का यह सुतून आज तक मौजूद है।
ثُمَّ رَحَلَ إِسْرَائِيلُ وَنَصَبَ خَيْمَتَهُ وَرَاءَ مَجْدَلَ عِدْرٍ. ٢١ 21
और इस्राईल आगे बढ़ा और 'अद्र के बुर्ज की परली तरफ़ अपना डेरा लगाया।
وَحَدَثَ إِذْ كَانَ إِسْرَائِيلُ سَاكِنًا فِي تِلْكَ ٱلْأَرْضِ، أَنَّ رَأُوبَيْنَ ذَهَبَ وَٱضْطَجَعَ مَعَ بِلْهَةَ سُرِّيَّةِ أَبِيهِ، وَسَمِعَ إِسْرَائِيلُ. وَكَانَ بَنُو يَعْقُوبَ ٱثْنَيْ عَشَرَ: ٢٢ 22
और इस्राईल के उस मुल्क में रहते हुए ऐसा हुआ कि रूबिन ने जाकर अपने बाप की हरम बिल्हाह से मुबाश्रत की और इस्राईल को यह मा'लूम हो गया।
بَنُو لَيْئَةَ: رَأُوبَيْنُ بِكْرُ يَعْقُوبَ، وَشِمْعُونُ وَلَاوِي وَيَهُوذَا وَيَسَّاكَرُ وَزَبُولُونُ. ٢٣ 23
उस वक़्त या'क़ूब के बारह बेटे थे लियाह के बेटे यह थे: रूबिन या'क़ूब का पहलौठा, और शमौन और लावी और यहूदाह, इश्कार और ज़बूलून।
وَٱبْنَا رَاحِيلَ: يُوسُفُ وَبَنْيَامِينُ. ٢٤ 24
और राख़िल के बेटे: यूसुफ़ और बिनयमीन थे।
وَٱبْنَا بِلْهَةَ جَارِيَةِ رَاحِيلَ: دَانُ وَنَفْتَالِي. ٢٥ 25
और राख़िल की लौंडी बिल्हाह के बेटे, दान और नफ़्ताली थे।
وَٱبْنَا زِلْفَةَ جَارِيَةِ لَيْئَةَ: جَادُ وَأَشِيرُ. هَؤُلَاءِ بَنُو يَعْقُوبَ ٱلَّذِينَ وُلِدُوا لَهُ فِي فَدَّانِ أَرَامَ. ٢٦ 26
और लियाह की लौडी ज़िलफ़ा के बेटे, जद्द और आशर थे। यह सब या'क़ूब के बेटे हैं जो फ़द्दान अराम में पैदा हुए।
وَجَاءَ يَعْقُوبُ إِلَى إِسْحَاقَ أَبِيهِ إِلَى مَمْرَا، قِرْيَةِ أَرْبَعَ، ٱلَّتِي هِيَ حَبْرُونُ، حَيْثُ تَغَرَّبَ إِبْرَاهِيمُ وَإِسْحَاقُ. ٢٧ 27
और या'क़ूब ममरे में जो करयत अरबा' या'नी हबरून है जहाँ अब्रहाम और इस्हाक़ ने डेरा किया था, अपने बाप इस्हाक़ के पास आया।
وَكَانَتْ أَيَّامُ إِسْحَاقَ مِئَةً وَثَمَانِينَ سَنَةً. ٢٨ 28
और इस्हाक़ एक सौ अस्सी साल का हुआ।
فَأَسْلَمَ إِسْحَاقُ رُوحَهُ وَمَاتَ وَٱنْضَمَّ إِلَى قَوْمِهِ، شَيْخًا وَشَبْعَانَ أَيَّامًا. وَدَفَنَهُ عِيسُو وَيَعْقُوبُ ٱبْنَاهُ. ٢٩ 29
तब इस्हाक़ ने दम छोड़ दिया और वफ़ात पाई और बूढ़ा और पूरी उम्र का हो कर अपने लोगों में जा मिला, और उसके बेटों 'ऐसौ और या'क़ूब ने उसे दफ़न किया।

< اَلتَّكْوِينُ 35 >