< اَلتَّكْوِينُ 31 >

فَسَمِعَ كَلَامَ بَنِي لَابَانَ قَائِلِينَ: «أَخَذَ يَعْقُوبُ كُلَّ مَا كَانَ لِأَبِينَا، وَمِمَّا لِأَبِينَا صَنَعَ كُلَّ هَذَا ٱلْمَجْدِ». ١ 1
फिर लाबान के पुत्रों की ये बातें याकूब के सुनने में आईं, “याकूब ने हमारे पिता का सब कुछ छीन लिया है, और हमारे पिता के धन के कारण उसकी यह प्रतिष्ठा है।”
وَنَظَرَ يَعْقُوبُ وَجْهَ لَابَانَ وَإِذَا هُوَ لَيْسَ مَعَهُ كَأَمْسِ وَأَوَّلَ مِنْ أَمْسِ. ٢ 2
और याकूब ने लाबान के चेहरे पर दृष्टि की और ताड़ लिया, कि वह उसके प्रति पहले के समान नहीं है।
وَقَالَ ٱلرَّبُّ لِيَعْقُوبَ: «ٱرْجِعْ إِلَى أَرْضِ آبَائِكَ وَإِلَى عَشِيرَتِكَ، فَأَكُونَ مَعَكَ». ٣ 3
तब यहोवा ने याकूब से कहा, “अपने पितरों के देश और अपनी जन्म-भूमि को लौट जा, और मैं तेरे संग रहूँगा।”
فَأَرْسَلَ يَعْقُوبُ وَدَعَا رَاحِيلَ وَلَيْئَةَ إِلَى ٱلْحَقْلِ إِلَى غَنَمِهِ، ٤ 4
तब याकूब ने राहेल और लिआ को, मैदान में अपनी भेड़-बकरियों के पास बुलवाकर कहा,
وَقَالَ لَهُمَا: «أَنَا أَرَى وَجْهَ أَبِيكُمَا أَنَّهُ لَيْسَ نَحْوِي كَأَمْسِ وَأَوَّلَ مِنْ أَمْسِ. وَلَكِنْ إِلَهُ أَبِي كَانَ مَعِي. ٥ 5
“तुम्हारे पिता के चेहरे से मुझे समझ पड़ता है, कि वह तो मुझे पहले के समान अब नहीं देखता; पर मेरे पिता का परमेश्वर मेरे संग है।
وَأَنْتُمَا تَعْلَمَانِ أَنِّي بِكُلِّ قُوَّتِي خَدَمْتُ أَبَاكُمَا، ٦ 6
और तुम भी जानती हो, कि मैंने तुम्हारे पिता की सेवा शक्ति भर की है।
وَأَمَّا أَبُوكُمَا فَغَدَرَ بِي وَغَيَّرَ أُجْرَتِي عَشَرَ مَرَّاتٍ. لَكِنَّ ٱللهَ لَمْ يَسْمَحْ لَهُ أَنْ يَصْنَعَ بِي شَرًّا. ٧ 7
फिर भी तुम्हारे पिता ने मुझसे छल करके मेरी मजदूरी को दस बार बदल दिया; परन्तु परमेश्वर ने उसको मेरी हानि करने नहीं दिया।
إِنْ قَالَ هَكَذَا: ٱلرُّقْطُ تَكُونُ أُجْرَتَكَ، وَلَدَتْ كُلُّ ٱلْغَنَمِ رُقْطًا. وَإِنْ قَالَ هَكَذَا: ٱلْمُخَطَّطَةُ تَكُونُ أُجْرَتَكَ، وَلَدَتْ كُلُّ ٱلْغَنَمِ مُخَطَّطَةً. ٨ 8
जब उसने कहा, ‘चित्तीवाले बच्चे तेरी मजदूरी ठहरेंगे,’ तब सब भेड़-बकरियाँ चित्तीवाले ही जनने लगीं, और जब उसने कहा, ‘धारीवाले बच्चे तेरी मजदूरी ठहरेंगे,’ तब सब भेड़-बकरियाँ धारीवाले जनने लगीं।
فَقَدْ سَلَبَ ٱللهُ مَوَاشِيَ أَبِيكُمَا وَأَعْطَانِي. ٩ 9
इस रीति से परमेश्वर ने तुम्हारे पिता के पशु लेकर मुझ को दे दिए।
وَحَدَثَ فِي وَقْتِ تَوَحُّمِ ٱلْغَنَمِ أَنِّي رَفَعْتُ عَيْنَيَّ وَنَظَرْتُ فِي حُلْمٍ، وَإِذَا ٱلْفُحُولُ ٱلصَّاعِدَةُ عَلَى ٱلْغَنَمِ مُخَطَّطَةٌ وَرَقْطَاءُ وَمُنَمَّرَةٌ. ١٠ 10
१०भेड़-बकरियों के गाभिन होने के समय मैंने स्वप्न में क्या देखा, कि जो बकरे बकरियों पर चढ़ रहे हैं, वे धारीवाले, चित्तीवाले, और धब्बेवाले हैं।
وَقَالَ لِي مَلَاكُ ٱللهِ فِي ٱلْحُلْمِ: يَا يَعْقُوبُ. فَقُلْتُ: هَأَنَذَا. ١١ 11
११तब परमेश्वर के दूत ने स्वप्न में मुझसे कहा, ‘हे याकूब,’ मैंने कहा, ‘क्या आज्ञा।’
فَقَالَ: ٱرْفَعْ عَيْنَيْكَ وَٱنْظُرْ. جَمِيعُ ٱلْفُحُولِ ٱلصَّاعِدَةِ عَلَى ٱلْغَنَمِ مُخَطَّطَةٌ وَرَقْطَاءُ وَمُنَمَّرَةٌ، لِأَنِّي قَدْ رَأَيْتُ كُلَّ مَا يَصْنَعُ بِكَ لَابَانُ. ١٢ 12
१२उसने कहा, ‘आँखें उठाकर उन सब बकरों को जो बकरियों पर चढ़ रहे हैं, देख, कि वे धारीवाले, चित्तीवाले, और धब्बेवाले हैं; क्योंकि जो कुछ लाबान तुझ से करता है, वह मैंने देखा है।
أَنَا إِلَهُ بَيْتِ إِيلَ حَيْثُ مَسَحْتَ عَمُودًا، حَيْثُ نَذَرْتَ لِي نَذْرًا. ٱلْآنَ قُمِ ٱخْرُجْ مِنْ هَذِهِ ٱلْأَرْضِ وَٱرْجِعْ إِلَى أَرْضِ مِيلَادِكَ». ١٣ 13
१३मैं उस बेतेल का परमेश्वर हूँ, जहाँ तूने एक खम्भे पर तेल डाल दिया था और मेरी मन्नत मानी थी। अब चल, इस देश से निकलकर अपनी जन्म-भूमि को लौट जा।’”
فَأَجَابَتْ رَاحِيلُ وَلَيْئَةُ وَقَاَلتَا لَهُ: «أَلَنَا أَيْضًا نَصِيبٌ وَمِيرَاثٌ فِي بَيْتِ أَبِينَا؟ ١٤ 14
१४तब राहेल और लिआ ने उससे कहा, “क्या हमारे पिता के घर में अब भी हमारा कुछ भाग या अंश बचा है?
أَلَمْ نُحْسَبْ مِنْهُ أَجْنَبِيَّتَيْنِ، لِأَنَّهُ بَاعَنَا وَقَدْ أَكَلَ أَيْضًا ثَمَنَنَا؟ ١٥ 15
१५क्या हम उसकी दृष्टि में पराए न ठहरीं? देख, उसने हमको तो बेच डाला, और हमारे रूपे को खा बैठा है।
إِنَّ كُلَّ ٱلْغِنَى ٱلَّذِي سَلَبَهُ ٱللهُ مِنْ أَبِينَا هُوَ لَنَا وَلِأَوْلَادِنَا، فَٱلْآنَ كُلَّ مَا قَالَ لَكَ ٱللهُ ٱفْعَلْ». ١٦ 16
१६इसलिए परमेश्वर ने हमारे पिता का जितना धन ले लिया है, वह हमारा, और हमारे बच्चों का है; अब जो कुछ परमेश्वर ने तुझ से कहा है, वही कर।”
فَقَامَ يَعْقُوبُ وَحَمَلَ أَوْلَادَهُ وَنِسَاءَهُ عَلَى ٱلْجِمَالِ، ١٧ 17
१७तब याकूब ने अपने बच्चों और स्त्रियों को ऊँटों पर चढ़ाया;
وَسَاقَ كُلَّ مَوَاشِيهِ وَجَمِيعَ مُقْتَنَاهُ ٱلَّذِي كَانَ قَدِ ٱقْتَنَى: مَوَاشِيَ ٱقْتِنَائِهِ ٱلَّتِي ٱقْتَنَى فِي فَدَّانِ أَرَامَ، لِيَجِيءَ إِلَى إِسْحَاقَ أَبِيهِ إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ. ١٨ 18
१८और जितने पशुओं को वह पद्दनराम में इकट्ठा करके धनाढ्य हो गया था, सब को कनान में अपने पिता इसहाक के पास जाने की मनसा से, साथ ले गया।
وَأَمَّا لَابَانُ فَكَانَ قَدْ مَضَى لِيَجُزَّ غَنَمَهُ، فَسَرَقَتْ رَاحِيلُ أَصْنَامَ أَبِيهَا. ١٩ 19
१९लाबान तो अपनी भेड़ों का ऊन कतरने के लिये चला गया था, और राहेल अपने पिता के गृहदेवताओं को चुरा ले गई।
وَخَدَعَ يَعْقُوبُ قَلْبَ لَابَانَ ٱلْأَرَامِيِّ إِذْ لَمْ يُخْبِرْهُ بِأَنَّهُ هَارِبٌ. ٢٠ 20
२०अतः याकूब लाबान अरामी के पास से चोरी से चला गया, उसको न बताया कि मैं भागा जाता हूँ।
فَهَرَبَ هُوَ وَكُلُّ مَا كَانَ لَهُ، وَقَامَ وَعَبَرَ ٱلنَّهْرَ وَجَعَلَ وَجْهَهُ نَحْوَ جَبَلِ جِلْعَادَ. ٢١ 21
२१वह अपना सब कुछ लेकर भागा, और महानद के पार उतरकर अपना मुँह गिलाद के पहाड़ी देश की ओर किया।
فَأُخْبِرَ لَابَانُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ بِأَنَّ يَعْقُوبَ قَدْ هَرَبَ. ٢٢ 22
२२तीसरे दिन लाबान को समाचार मिला कि याकूब भाग गया है।
فَأَخَذَ إِخْوَتَهُ مَعَهُ وَسَعَى وَرَاءَهُ مَسِيرَةَ سَبْعَةِ أَيَّامٍ، فَأَدْرَكَهُ فِي جَبَلِ جِلْعَادَ. ٢٣ 23
२३इसलिए उसने अपने भाइयों को साथ लेकर उसका सात दिन तक पीछा किया, और गिलाद के पहाड़ी देश में उसको जा पकड़ा।
وَأَتَى ٱللهُ إِلَى لَابَانَ ٱلْأَرَامِيِّ فِي حُلْمِ ٱللَّيْلِ وَقَالَ لَهُ: «ٱحْتَرِزْ مِنْ أَنْ تُكَلِّمَ يَعْقُوبَ بِخَيْرٍ أَوْ شَرٍّ». ٢٤ 24
२४तब परमेश्वर ने रात के स्वप्न में अरामी लाबान के पास आकर कहा, “सावधान रह, तू याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।”
فَلَحِقَ لَابَانُ يَعْقُوبَ، وَيَعْقُوبُ قَدْ ضَرَبَ خَيْمَتَهُ فِي ٱلْجَبَلِ. فَضَرَبَ لَابَانُ مَعَ إِخْوَتِهِ فِي جَبَلِ جِلْعَادَ. ٢٥ 25
२५और लाबान याकूब के पास पहुँच गया। याकूब अपना तम्बू गिलाद नामक पहाड़ी देश में खड़ा किए पड़ा था; और लाबान ने भी अपने भाइयों के साथ अपना तम्बू उसी पहाड़ी देश में खड़ा किया।
وَقَالَ لَابَانُ لِيَعْقُوبَ: «مَاذَا فَعَلْتَ، وَقَدْ خَدَعْتَ قَلْبِي، وَسُقْتَ بَنَاتِي كَسَبَايَا ٱلسَّيْفِ؟ ٢٦ 26
२६तब लाबान याकूब से कहने लगा, “तूने यह क्या किया, कि मेरे पास से चोरी से चला आया, और मेरी बेटियों को ऐसा ले आया, जैसा कोई तलवार के बल से बन्दी बनाई गई हों?
لِمَاذَا هَرَبْتَ خُفْيَةً وَخَدَعْتَنِي وَلَمْ تُخْبِرْنِي حَتَّى أُشَيِّعَكَ بِٱلْفَرَحِ وَٱلْأَغَانِيِّ، بِٱلدُّفِّ وَٱلْعُودِ، ٢٧ 27
२७तू क्यों चुपके से भाग आया, और मुझसे बिना कुछ कहे मेरे पास से चोरी से चला आया; नहीं तो मैं तुझे आनन्द के साथ मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते विदा करता?
وَلَمْ تَدَعْنِي أُقَبِّلُ بَنِيَّ وَبَنَاتِي؟ ٱلْآنَ بِغَبَاوَةٍ فَعَلْتَ! ٢٨ 28
२८तूने तो मुझे अपने बेटे-बेटियों को चूमने तक न दिया? तूने मूर्खता की है।
فِي قُدْرَةِ يَدِي أَنْ أَصْنَعَ بِكُمْ شَرًّا، وَلَكِنْ إِلَهُ أَبِيكُمْ كَلَّمَنِيَ ٱلْبَارِحَةَ قَائِلًا: ٱحْتَرِزْ مِنْ أَنْ تُكَلِّمَ يَعْقُوبَ بِخَيْرٍ أَوْ شَرٍّ. ٢٩ 29
२९तुम लोगों की हानि करने की शक्ति मेरे हाथ में तो है; पर तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने मुझसे बीती हुई रात में कहा, ‘सावधान रह, याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।’
وَٱلْآنَ أَنْتَ ذَهَبْتَ لِأَنَّكَ قَدِ ٱشْتَقْتَ إِلَى بَيْتِ أَبِيكَ، وَلَكِنْ لِمَاذَا سَرَقْتَ آلِهَتِي؟». ٣٠ 30
३०भला, अब तू अपने पिता के घर का बड़ा अभिलाषी होकर चला आया तो चला आया, पर मेरे देवताओं को तू क्यों चुरा ले आया है?”
فَأَجَابَ يَعْقُوبُ وَقَالَ لِلَابَانَ: «إِنِّي خِفْتُ لِأَنِّي قُلْتُ لَعَلَّكَ تَغْتَصِبُ ٱبْنَتَيْكَ مِنِّي. ٣١ 31
३१याकूब ने लाबान को उत्तर दिया, “मैं यह सोचकर डर गया था कि कहीं तू अपनी बेटियों को मुझसे छीन न ले।
اَلَّذِي تَجِدُ آلِهَتَكَ مَعَهُ لَا يَعِيشُ. قُدَّامَ إِخْوَتِنَا ٱنْظُرْ مَاذَا مَعِي وَخُذْهُ لِنَفْسِكَ». وَلَمْ يَكُنْ يَعْقُوبُ يَعْلَمُ أَنَّ رَاحِيلَ سَرَقَتْهَا. ٣٢ 32
३२जिस किसी के पास तू अपने देवताओं को पाए, वह जीवित न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ निकले, उसे भाई-बन्धुओं के सामने पहचानकर ले ले।” क्योंकि याकूब न जानता था कि राहेल गृहदेवताओं को चुरा ले आई है।
فَدَخَلَ لَابَانُ خِبَاءَ يَعْقُوبَ وَخِبَاءَ لَيْئَةَ وَخِبَاءَ ٱلْجَارِيَتَيْنِ وَلَمْ يَجِدْ. وَخَرَجَ مِنْ خِبَاءِ لَيْئَةَ وَدَخَلَ خِبَاءَ رَاحِيلَ. ٣٣ 33
३३यह सुनकर लाबान, याकूब और लिआ और दोनों दासियों के तम्बुओं में गया; और कुछ न मिला। तब लिआ के तम्बू में से निकलकर राहेल के तम्बू में गया।
وَكَانَتْ رَاحِيلُ قَدْ أَخَذَتِ ٱلْأَصْنَامَ وَوَضَعَتْهَا فِي حِدَاجَةِ ٱلْجَمَلِ وَجَلَسَتْ عَلَيْهَا. فَجَسَّ لَابَانُ كُلَّ ٱلْخِبَاءِ وَلَمْ يَجِدْ. ٣٤ 34
३४राहेल तो गृहदेवताओं को ऊँट की काठी में रखकर उन पर बैठी थी। लाबान ने उसके सारे तम्बू में टटोलने पर भी उन्हें न पाया।
وَقَالَتْ لِأَبِيهَا: «لَا يَغْتَظْ سَيِّدِي أَنِّي لَا أَسْتَطِيعُ أَنْ أَقُومَ أَمَامَكَ لِأَنَّ عَلَيَّ عَادَةَ ٱلنِّسَاءِ». فَفَتَّشَ وَلَمْ يَجِدِ ٱلْأَصْنَامَ. ٣٥ 35
३५राहेल ने अपने पिता से कहा, “हे मेरे प्रभु; इससे अप्रसन्न न हो, कि मैं तेरे सामने नहीं उठी; क्योंकि मैं मासिक धर्म से हूँ।” अतः उसके ढूँढ़-ढाँढ़ करने पर भी गृहदेवता उसको न मिले।
فَٱغْتَاظَ يَعْقُوبُ وَخَاصَمَ لَابَانَ. وَأجَابَ يَعْقُوبُ وَقَالَ لِلَابَانَ: «مَا جُرْمِي؟ مَا خَطِيَّتِي حَتَّى حَمِيتَ وَرَائِي؟ ٣٦ 36
३६तब याकूब क्रोधित होकर लाबान से झगड़ने लगा, और कहा, “मेरा क्या अपराध है? मेरा क्या पाप है, कि तूने इतना क्रोधित होकर मेरा पीछा किया है?
إِنَّكَ جَسَسْتَ جَمِيعَ أَثَاثِي. مَاذَا وَجَدْتَ مِنْ جَمِيعِ أَثَاثِ بَيْتِكَ؟ ضَعْهُ هَهُنَا قُدَّامَ إِخْوَتِي وَإِخْوَتِكَ، فَلْيُنْصِفُوا بَيْنَنَا ٱلِٱثْنَيْنِ. ٣٧ 37
३७तूने जो मेरी सारी सामग्री को टटोलकर देखा, तो तुझको अपने घर की सारी सामग्री में से क्या मिला? कुछ मिला हो तो उसको यहाँ अपने और मेरे भाइयों के सामने रख दे, और वे हम दोनों के बीच न्याय करें।
اَلْآنَ عِشْرِينَ سَنَةً أَنَا مَعَكَ. نِعَاجُكَ وَعِنَازُكَ لَمْ تُسْقِطْ، وَكِبَاشَ غَنَمِكَ لَمْ آكُلْ. ٣٨ 38
३८इन बीस वर्षों से मैं तेरे पास रहा; इनमें न तो तेरी भेड़-बकरियों के गर्भ गिरे, और न तेरे मेढ़ों का माँस मैंने कभी खाया।
فَرِيسَةً لَمْ أُحْضِرْ إِلَيْكَ. أَنَا كُنْتُ أَخْسَرُهَا. مِنْ يَدِي كُنْتَ تَطْلُبُهَا. مَسْرُوقَةَ ٱلنَّهَارِ أَوْ مَسْرُوقَةَ ٱللَّيْلِ. ٣٩ 39
३९जिसे जंगली जन्तुओं ने फाड़ डाला उसको मैं तेरे पास न लाता था, उसकी हानि मैं ही उठाता था; चाहे दिन को चोरी जाता चाहे रात को, तू मुझ ही से उसको ले लेता था।
كُنْتُ فِي ٱلنَّهَارِ يَأْكُلُنِي ٱلْحَرُّ وَفِي ٱللَّيْلِ ٱلْجَلِيدُ، وَطَارَ نَوْمِي مِنْ عَيْنَيَّ. ٤٠ 40
४०मेरी तो यह दशा थी कि दिन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नींद मेरी आँखों से भाग जाती थी।
اَلْآنَ لِي عِشْرُونَ سَنَةً فِي بَيْتِكَ. خَدَمْتُكَ أَرْبَعَ عَشَرَةَ سَنَةً بَٱبْنَتَيْكَ، وَسِتَّ سِنِينٍ بِغَنَمِكَ. وَقَدْ غَيَّرْتَ أُجْرَتِي عَشَرَ مَرَّاتٍ. ٤١ 41
४१बीस वर्ष तक मैं तेरे घर में रहा; चौदह वर्ष तो मैंने तेरी दोनों बेटियों के लिये, और छः वर्ष तेरी भेड़-बकरियों के लिये सेवा की; और तूने मेरी मजदूरी को दस बार बदल डाला।
لَوْلَا أَنَّ إِلَهَ أَبِي إِلَهَ إِبْرَاهِيمَ وَهَيْبَةَ إِسْحَاقَ كَانَ مَعِي، لَكُنْتَ ٱلْآنَ قَدْ صَرَفْتَنِي فَارِغًا. مَشَقَّتِي وَتَعَبَ يَدَيَّ قَدْ نَظَرَ ٱللهُ، فَوَبَّخَكَ ٱلْبَارِحَةَ». ٤٢ 42
४२मेरे पिता का परमेश्वर अर्थात् अब्राहम का परमेश्वर, जिसका भय इसहाक भी मानता है, यदि मेरी ओर न होता, तो निश्चय तू अब मुझे खाली हाथ जाने देता। मेरे दुःख और मेरे हाथों के परिश्रम को देखकर परमेश्वर ने बीती हुई रात में तुझे डाँटा।”
فَأَجَابَ لَابَانُ وَقَالَ لِيَعقُوبَ: «ٱلْبَنَاتُ بَنَاتِي، وَٱلْبَنُونَ بَنِيَّ، وَٱلْغَنَمُ غَنَمِي، وَكُلُّ مَا أَنْتَ تَرَى فَهُوَ لِي. فَبَنَاتِي مَاذَا أَصْنَعُ بِهِنَّ ٱلْيَوْمَ أَوْ بِأَوْلَادِهِنَّ ٱلَّذِينَ وَلَدْنَ؟ ٤٣ 43
४३लाबान ने याकूब से कहा, “ये बेटियाँ तो मेरी ही हैं, और ये पुत्र भी मेरे ही हैं, और ये भेड़-बकरियाँ भी मेरे ही हैं, और जो कुछ तुझे देख पड़ता है वह सब मेरा ही है परन्तु अब मैं अपनी इन बेटियों और इनकी सन्तान से क्या कर सकता हूँ?
فَٱلْآنَ هَلُمَّ نَقْطَعْ عَهْدًا أَنَا وَأَنْتَ، فَيَكُونُ شَاهِدًا بَيْنِي وَبَيْنَكَ». ٤٤ 44
४४अब आ, मैं और तू दोनों आपस में वाचा बाँधें, और वह मेरे और तेरे बीच साक्षी ठहरी रहे।”
فَأَخَذَ يَعْقُوبُ حَجَرًا وَأَوْقَفَهُ عَمُودًا، ٤٥ 45
४५तब याकूब ने एक पत्थर लेकर उसका खम्भा खड़ा किया।
وَقَالَ يَعْقُوبُ لِإِخْوَتِهِ: «ٱلْتَقِطُوا حِجَارَةً». فَأَخَذُوا حِجَارَةً وَعَمِلُوا رُجْمَةً وَأَكَلُوا هُنَاكَ عَلَى ٱلرُّجْمَةِ. ٤٦ 46
४६तब याकूब ने अपने भाई-बन्धुओं से कहा, “पत्थर इकट्ठा करो,” यह सुनकर उन्होंने पत्थर इकट्ठा करके एक ढेर लगाया और वहीं ढेर के पास उन्होंने भोजन किया।
وَدَعَاهَا لَابَانُ «يَجَرْ سَهْدُوثَا» وَأَمَّا يَعْقُوبُ فَدَعَاهَا «جَلْعِيدَ». ٤٧ 47
४७उस ढेर का नाम लाबान ने तो जैगर सहादुथा, पर याकूब ने गिलियाद रखा।
وَقَالَ لَابَانُ: «هَذِهِ ٱلرُّجْمَةُ هِيَ شَاهِدَةٌ بَيْنِي وَبَيْنَكَ ٱلْيَوْمَ». لِذَلِكَ دُعِيَ ٱسْمُهَا «جَلْعِيدَ». ٤٨ 48
४८लाबान ने कहा, “यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा।” इस कारण उसका नाम गिलियाद रखा गया,
وَ«ٱلْمِصْفَاةَ»، لِأَنَّهُ قَالَ: «لِيُرَاقِبِ ٱلرَّبُّ بَيْنِي وَبَيْنَكَ حِينَمَا نَتَوَارَى بَعْضُنَا عَنْ بَعْضٍ. ٤٩ 49
४९और मिस्पा भी; क्योंकि उसने कहा, “जब हम एक दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देख-भाल करता रहे।
إِنَّكَ لَا تُذِلُّ بَنَاتِي، وَلَا تَأْخُذُ نِسَاءً عَلَى بَنَاتِي. لَيْسَ إِنْسَانٌ مَعَنَا. اُنْظُرْ، ٱللهُ شَاهِدٌ بَيْنِي وَبَيْنَكَ». ٥٠ 50
५०यदि तू मेरी बेटियों को दुःख दे, या उनके सिवाय और स्त्रियाँ ब्याह ले, तो हमारे साथ कोई मनुष्य तो न रहेगा; पर देख मेरे तेरे बीच में परमेश्वर साक्षी रहेगा।”
وَقَالَ لَابَانُ لِيَعْقُوبَ: «هُوَذَا هَذِهِ ٱلرُّجْمَةُ، وَهُوَذَا ٱلْعَمُودُ ٱلَّذِي وَضَعْتُ بَيْنِي وَبَيْنَكَ. ٥١ 51
५१फिर लाबान ने याकूब से कहा, “इस ढेर को देख और इस खम्भे को भी देख, जिनको मैंने अपने और तेरे बीच में खड़ा किया है।
شَاهِدَةٌ هَذِهِ ٱلرُّجْمَةُ وَشَاهِدٌ ٱلْعَمُودُ أَنِّي لَا أَتَجَاوَزُ هَذِهِ ٱلرُّجْمَةَ إِلَيْكَ، وَأَنَّكَ لَا تَتَجَاوَزُ هَذِهِ ٱلرُّجْمَةَ وَهَذَا ٱلْعَمُودَ إِلَيَّ لِلشَّرِّ. ٥٢ 52
५२यह ढेर और यह खम्भा दोनों इस बात के साक्षी रहें कि हानि करने की मनसा से न तो मैं इस ढेर को लाँघकर तेरे पास जाऊँगा, न तू इस ढेर और इस खम्भे को लाँघकर मेरे पास आएगा।
إِلَهُ إِبْرَاهِيمَ وَآلِهَةُ نَاحُورَ، آلِهَةُ أَبِيهِمَا، يَقْضُونَ بَيْنَنَا». وَحَلَفَ يَعْقُوبُ بِهَيْبَةِ أَبِيهِ إِسْحَاقَ. ٥٣ 53
५३अब्राहम और नाहोर और उनके पिता; तीनों का जो परमेश्वर है, वही हम दोनों के बीच न्याय करे।” तब याकूब ने उसकी शपथ खाई जिसका भय उसका पिता इसहाक मानता था।
وَذَبَحَ يَعْقُوبُ ذَبِيحَةً فِي ٱلْجَبَلِ وَدَعَا إِخْوَتَهُ لِيَأْكُلُوا طَعَامًا، فَأَكَلُوا طَعَامًا وَبَاتُوا فِي ٱلْجَبَلِ. ٥٤ 54
५४और याकूब ने उस पहाड़ पर बलि चढ़ाया, और अपने भाई-बन्धुओं को भोजन करने के लिये बुलाया, तब उन्होंने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई।
ثُمَّ بَكَّرَ لَابَانُ صَبَاحًا وَقَبَّلَ بَنِيهِ وَبَنَاتِهِ وَبَارَكَهُمْ وَمَضَى. وَرَجَعَ لَابَانُ إِلَى مَكَانِهِ. ٥٥ 55
५५भोर को लाबान उठा, और अपने बेटे-बेटियों को चूमकर और आशीर्वाद देकर चल दिया, और अपने स्थान को लौट गया।

< اَلتَّكْوِينُ 31 >