< اَلتَّكْوِينُ 31 >

فَسَمِعَ كَلَامَ بَنِي لَابَانَ قَائِلِينَ: «أَخَذَ يَعْقُوبُ كُلَّ مَا كَانَ لِأَبِينَا، وَمِمَّا لِأَبِينَا صَنَعَ كُلَّ هَذَا ٱلْمَجْدِ». ١ 1
याकोब के कानों में यह समाचार पड़ा कि लाबान के पुत्र बड़बड़ा रहे थे, “याकोब ने तो वह सब हड़प लिया है, जो हमारे पिता का था और अब वह हमारे पिता ही की संपत्ति के आधार पर समृद्ध बना बैठा है.”
وَنَظَرَ يَعْقُوبُ وَجْهَ لَابَانَ وَإِذَا هُوَ لَيْسَ مَعَهُ كَأَمْسِ وَأَوَّلَ مِنْ أَمْسِ. ٢ 2
यहां याकोब ने पाया कि लाबान की अभिवृत्ति उनके प्रति अब पहले जैसी नहीं रह गई थी.
وَقَالَ ٱلرَّبُّ لِيَعْقُوبَ: «ٱرْجِعْ إِلَى أَرْضِ آبَائِكَ وَإِلَى عَشِيرَتِكَ، فَأَكُونَ مَعَكَ». ٣ 3
इस स्थिति के प्रकाश में याहवेह ने याकोब को आदेश दिया, “अपने पिता एवं अपने संबंधियों के देश को लौट जाओ. मैं इसमें तुम्हारे पक्ष में हूं.”
فَأَرْسَلَ يَعْقُوبُ وَدَعَا رَاحِيلَ وَلَيْئَةَ إِلَى ٱلْحَقْلِ إِلَى غَنَمِهِ، ٤ 4
इसलिये याकोब ने राहेल तथा लियाह को वहीं बुला लिया, जहां वे भेड़-बकरियों के साथ थे.
وَقَالَ لَهُمَا: «أَنَا أَرَى وَجْهَ أَبِيكُمَا أَنَّهُ لَيْسَ نَحْوِي كَأَمْسِ وَأَوَّلَ مِنْ أَمْسِ. وَلَكِنْ إِلَهُ أَبِي كَانَ مَعِي. ٥ 5
उन्होंने उनसे कहा, “मैं तुम्हारे पिता की अभिवृत्ति स्पष्ट देख रहा हूं; अब यह मेरे प्रति पहले जैसी सौहार्दपूर्ण नहीं रह गई; किंतु मेरे पिता के परमेश्वर मेरे साथ रहे हैं.
وَأَنْتُمَا تَعْلَمَانِ أَنِّي بِكُلِّ قُوَّتِي خَدَمْتُ أَبَاكُمَا، ٦ 6
तुम दोनों को ही यह उत्तम रीति से ज्ञात है कि मैंने यथाशक्ति तुम्हारे पिता की सेवा की है.
وَأَمَّا أَبُوكُمَا فَغَدَرَ بِي وَغَيَّرَ أُجْرَتِي عَشَرَ مَرَّاتٍ. لَكِنَّ ٱللهَ لَمْ يَسْمَحْ لَهُ أَنْ يَصْنَعَ بِي شَرًّا. ٧ 7
इतना होने पर भी तुम्हारे पिता ने मेरे साथ छल किया और दस अवसरों पर मेरे पारिश्रमिक में परिवर्तन किए हैं; फिर भी परमेश्वर ने उन्हें मेरी कोई हानि न करने दी.
إِنْ قَالَ هَكَذَا: ٱلرُّقْطُ تَكُونُ أُجْرَتَكَ، وَلَدَتْ كُلُّ ٱلْغَنَمِ رُقْطًا. وَإِنْ قَالَ هَكَذَا: ٱلْمُخَطَّطَةُ تَكُونُ أُجْرَتَكَ، وَلَدَتْ كُلُّ ٱلْغَنَمِ مُخَطَّطَةً. ٨ 8
यदि उन्होंने कहा, ‘चित्तीयुक्त पशु तुम्हारे पारिश्रमिक होंगे,’ तो सभी भेड़ चित्तीयुक्त मेमने ही पैदा करने लगे; यदि उन्होंने कहा, ‘अच्छा, धारीयुक्त पशु तुम्हारा पारिश्रमिक होंगे,’ तो भेड़ धारीयुक्त मेमने उत्पन्‍न करने लगे.
فَقَدْ سَلَبَ ٱللهُ مَوَاشِيَ أَبِيكُمَا وَأَعْطَانِي. ٩ 9
यह तो परमेश्वर का ही कृत्य था, जो उन्होंने तुम्हारे पिता के ये पशु मुझे दे दिए हैं.
وَحَدَثَ فِي وَقْتِ تَوَحُّمِ ٱلْغَنَمِ أَنِّي رَفَعْتُ عَيْنَيَّ وَنَظَرْتُ فِي حُلْمٍ، وَإِذَا ٱلْفُحُولُ ٱلصَّاعِدَةُ عَلَى ٱلْغَنَمِ مُخَطَّطَةٌ وَرَقْطَاءُ وَمُنَمَّرَةٌ. ١٠ 10
“तब पशुओं के समागम के अवसर पर मैंने एक स्वप्न देखा कि वे बकरे, जो संभोग कर रहे थे, वे धारीयुक्त, चित्तीयुक्त एवं धब्बे युक्त थे.
وَقَالَ لِي مَلَاكُ ٱللهِ فِي ٱلْحُلْمِ: يَا يَعْقُوبُ. فَقُلْتُ: هَأَنَذَا. ١١ 11
परमेश्वर के दूत ने स्वप्न में मुझसे कहा, ‘याकोब,’ मैंने कहा, ‘क्या आज्ञा है, प्रभु?’
فَقَالَ: ٱرْفَعْ عَيْنَيْكَ وَٱنْظُرْ. جَمِيعُ ٱلْفُحُولِ ٱلصَّاعِدَةِ عَلَى ٱلْغَنَمِ مُخَطَّطَةٌ وَرَقْطَاءُ وَمُنَمَّرَةٌ، لِأَنِّي قَدْ رَأَيْتُ كُلَّ مَا يَصْنَعُ بِكَ لَابَانُ. ١٢ 12
और उसने कहा, ‘याकोब, देखो-देखो, जितने भी बकरे इस समय संभोग कर रहे हैं, वे धारीयुक्त हैं, चित्तीयुक्त हैं तथा धब्बे युक्त हैं; क्योंकि मैंने वह सब देख लिया है, जो लाबान तुम्हारे साथ करता रहा है.
أَنَا إِلَهُ بَيْتِ إِيلَ حَيْثُ مَسَحْتَ عَمُودًا، حَيْثُ نَذَرْتَ لِي نَذْرًا. ٱلْآنَ قُمِ ٱخْرُجْ مِنْ هَذِهِ ٱلْأَرْضِ وَٱرْجِعْ إِلَى أَرْضِ مِيلَادِكَ». ١٣ 13
मैं बेथेल का परमेश्वर हूं, जहां तुमने उस शिलाखण्ड का अभ्यंजन किया था, जहां तुमने मेरे समक्ष संकल्प लिया था; अब उठो. छोड़ दो इस स्थान को और अपने जन्मस्थान को लौट जाओ.’”
فَأَجَابَتْ رَاحِيلُ وَلَيْئَةُ وَقَاَلتَا لَهُ: «أَلَنَا أَيْضًا نَصِيبٌ وَمِيرَاثٌ فِي بَيْتِ أَبِينَا؟ ١٤ 14
राहेल तथा लियाह ने उनसे कहा, “क्या अब भी हमारे पिता की संपत्ति में हमारा कोई अंश अथवा उत्तराधिकार शेष रह गया है?
أَلَمْ نُحْسَبْ مِنْهُ أَجْنَبِيَّتَيْنِ، لِأَنَّهُ بَاعَنَا وَقَدْ أَكَلَ أَيْضًا ثَمَنَنَا؟ ١٥ 15
क्या अब हम उनके आंकलन में विदेशी नहीं हो गई हैं? उन्होंने हमें बेच दिया है, तथा हमारे अंश की धनराशि भी हड़प ली है.
إِنَّ كُلَّ ٱلْغِنَى ٱلَّذِي سَلَبَهُ ٱللهُ مِنْ أَبِينَا هُوَ لَنَا وَلِأَوْلَادِنَا، فَٱلْآنَ كُلَّ مَا قَالَ لَكَ ٱللهُ ٱفْعَلْ». ١٦ 16
निःसंदेह अब तो, जो संपत्ति परमेश्वर ने हमारे पिता से छीन ली है, हमारी तथा हमारी संतान की हो चुकी है. तो आप वही कीजिए, जिसका निर्देश आपको परमेश्वर दे चुके हैं.”
فَقَامَ يَعْقُوبُ وَحَمَلَ أَوْلَادَهُ وَنِسَاءَهُ عَلَى ٱلْجِمَالِ، ١٧ 17
तब याकोब ने अपने बालकों एवं पत्नियों को ऊंटों पर बैठा दिया,
وَسَاقَ كُلَّ مَوَاشِيهِ وَجَمِيعَ مُقْتَنَاهُ ٱلَّذِي كَانَ قَدِ ٱقْتَنَى: مَوَاشِيَ ٱقْتِنَائِهِ ٱلَّتِي ٱقْتَنَى فِي فَدَّانِ أَرَامَ، لِيَجِيءَ إِلَى إِسْحَاقَ أَبِيهِ إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ. ١٨ 18
याकोब ने अपने समस्त पशुओं को, अपनी समस्त संपत्ति को, जो उनके वहां रहते हुए संकलित होती गई थी तथा वह पशु धन, जो पद्दन-अराम में उनके प्रवासकाल में संकलित होता चला गया था, इन सबको लेकर अपने पिता यित्सहाक के आवास कनान की ओर प्रस्थान किया.
وَأَمَّا لَابَانُ فَكَانَ قَدْ مَضَى لِيَجُزَّ غَنَمَهُ، فَسَرَقَتْ رَاحِيلُ أَصْنَامَ أَبِيهَا. ١٩ 19
जब लाबान ऊन कतरने के लिए बाहर गया हुआ था, राहेल ने अपने पिता के गृहदेवता—प्रतिमाओं की चोरी कर ली.
وَخَدَعَ يَعْقُوبُ قَلْبَ لَابَانَ ٱلْأَرَامِيِّ إِذْ لَمْ يُخْبِرْهُ بِأَنَّهُ هَارِبٌ. ٢٠ 20
तब याकोब ने भी अरामी लाबान के साथ प्रवंचना की; याकोब ने लाबान को सूचित ही नहीं किया कि वे पलायन कर रहे थे.
فَهَرَبَ هُوَ وَكُلُّ مَا كَانَ لَهُ، وَقَامَ وَعَبَرَ ٱلنَّهْرَ وَجَعَلَ وَجْهَهُ نَحْوَ جَبَلِ جِلْعَادَ. ٢١ 21
इसलिये याकोब अपनी समस्त संपत्ति को लेकर पलायन कर गए. उन्होंने फरात नदी पार की और पर्वतीय प्रदेश गिलआद की दिशा में आगे बढ़ गए.
فَأُخْبِرَ لَابَانُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ بِأَنَّ يَعْقُوبَ قَدْ هَرَبَ. ٢٢ 22
तीसरे दिन जब लाबान को यह सूचना दी गई कि याकोब पलायन कर चुके हैं,
فَأَخَذَ إِخْوَتَهُ مَعَهُ وَسَعَى وَرَاءَهُ مَسِيرَةَ سَبْعَةِ أَيَّامٍ، فَأَدْرَكَهُ فِي جَبَلِ جِلْعَادَ. ٢٣ 23
तब लाबान ने अपने संबंधियों को साथ लेकर याकोब का पीछा किया. सात दिन पीछा करने के बाद वे गिलआद के पर्वतीय प्रदेश में उनके निकट पहुंच गए.
وَأَتَى ٱللهُ إِلَى لَابَانَ ٱلْأَرَامِيِّ فِي حُلْمِ ٱللَّيْلِ وَقَالَ لَهُ: «ٱحْتَرِزْ مِنْ أَنْ تُكَلِّمَ يَعْقُوبَ بِخَيْرٍ أَوْ شَرٍّ». ٢٤ 24
परमेश्वर ने अरामी लाबान पर रात्रि में स्वप्न में प्रकट होकर उसे चेतावनी दी, “सावधान रहना कि तुम याकोब से कुछ प्रिय-अप्रिय न कह बैठो.”
فَلَحِقَ لَابَانُ يَعْقُوبَ، وَيَعْقُوبُ قَدْ ضَرَبَ خَيْمَتَهُ فِي ٱلْجَبَلِ. فَضَرَبَ لَابَانُ مَعَ إِخْوَتِهِ فِي جَبَلِ جِلْعَادَ. ٢٥ 25
लाबान याकोब तक जा पहुंचा. याकोब के शिविर पर्वतीय क्षेत्र में थे तथा लाबान ने भी अपने शिविर अपने संबंधियों सदृश गिलआद के पर्वतीय क्षेत्र में खड़े किए हुए थे.
وَقَالَ لَابَانُ لِيَعْقُوبَ: «مَاذَا فَعَلْتَ، وَقَدْ خَدَعْتَ قَلْبِي، وَسُقْتَ بَنَاتِي كَسَبَايَا ٱلسَّيْفِ؟ ٢٦ 26
लाबान ने याकोब से कहा, “यह क्या कर रहे हो तुम? यह तो मेरे साथ छल है! तुम तो मेरी पुत्रियों को ऐसे लिए जा रहे हो, जैसे युद्धबन्दियों को तलवार के आतंक में ले जाया जाता है.
لِمَاذَا هَرَبْتَ خُفْيَةً وَخَدَعْتَنِي وَلَمْ تُخْبِرْنِي حَتَّى أُشَيِّعَكَ بِٱلْفَرَحِ وَٱلْأَغَانِيِّ، بِٱلدُّفِّ وَٱلْعُودِ، ٢٧ 27
क्या आवश्यकता थी ऐसे छिपकर भागने की, मुझसे छल करने की? यदि तुमने मुझे इसकी सूचना दी होती, तो मैं तुम्हें डफ तथा किन्‍नोर की संगत पर गीतों के साथ सहर्ष विदा करता!
وَلَمْ تَدَعْنِي أُقَبِّلُ بَنِيَّ وَبَنَاتِي؟ ٱلْآنَ بِغَبَاوَةٍ فَعَلْتَ! ٢٨ 28
तुमने तो मुझे सुअवसर ही न दिया कि मैं अपने पुत्र-पुत्रियों को चुंबन के साथ विदा कर सकता. तुम्हारा यह कृत्य मूर्खतापूर्ण है.
فِي قُدْرَةِ يَدِي أَنْ أَصْنَعَ بِكُمْ شَرًّا، وَلَكِنْ إِلَهُ أَبِيكُمْ كَلَّمَنِيَ ٱلْبَارِحَةَ قَائِلًا: ٱحْتَرِزْ مِنْ أَنْ تُكَلِّمَ يَعْقُوبَ بِخَيْرٍ أَوْ شَرٍّ. ٢٩ 29
मुझे यह अधिकार है कि तुम्हें इसके लिए प्रताड़ित करूं; किंतु तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने कल रात्रि मुझ पर प्रकट होकर मुझे आदेश दिया है कि मैं तुमसे कुछ भी प्रिय-अप्रिय न कहूं.
وَٱلْآنَ أَنْتَ ذَهَبْتَ لِأَنَّكَ قَدِ ٱشْتَقْتَ إِلَى بَيْتِ أَبِيكَ، وَلَكِنْ لِمَاذَا سَرَقْتَ آلِهَتِي؟». ٣٠ 30
ठीक है, तुम्हें अपने पिता के निकट रहने की इच्छा है, मान लिया; किंतु क्या आवश्यकता थी तुम्हें मेरे गृह-देवताओं की चोरी करने की?”
فَأَجَابَ يَعْقُوبُ وَقَالَ لِلَابَانَ: «إِنِّي خِفْتُ لِأَنِّي قُلْتُ لَعَلَّكَ تَغْتَصِبُ ٱبْنَتَيْكَ مِنِّي. ٣١ 31
तब याकोब ने लाबान को उत्तर दिया, “मेरे इस प्रकार आने का कारण थी मेरी यह आशंका, कि आप मुझसे अपनी पुत्रियां बलात छीन लेते.
اَلَّذِي تَجِدُ آلِهَتَكَ مَعَهُ لَا يَعِيشُ. قُدَّامَ إِخْوَتِنَا ٱنْظُرْ مَاذَا مَعِي وَخُذْهُ لِنَفْسِكَ». وَلَمْ يَكُنْ يَعْقُوبُ يَعْلَمُ أَنَّ رَاحِيلَ سَرَقَتْهَا. ٣٢ 32
किंतु आपको जिस किसी के पास से वे गृहदेवता प्राप्‍त होंगे, उसे जीवित न छोड़ा जाएगा. आपके ही संबंधियों की उपस्थिति में आप हमारी संपत्ति में से जो कुछ आपका है, ले लीजिए.” याकोब को इस तथ्य का कोई संज्ञान न था कि राहेल ने उन गृह-देवताओं की मूर्तियों को चुराई हैं.
فَدَخَلَ لَابَانُ خِبَاءَ يَعْقُوبَ وَخِبَاءَ لَيْئَةَ وَخِبَاءَ ٱلْجَارِيَتَيْنِ وَلَمْ يَجِدْ. وَخَرَجَ مِنْ خِبَاءِ لَيْئَةَ وَدَخَلَ خِبَاءَ رَاحِيلَ. ٣٣ 33
इसलिये लाबान याकोब के शिविर के भीतर गया, उसके बाद लियाह के शिविर में, और उसके बाद परिचारिकाओं के शिविर में. किंतु वह देवता उसे वहां प्राप्‍त न हुआ. तब वह लियाह के शिविर से निकलकर राहेल के शिविर में गया.
وَكَانَتْ رَاحِيلُ قَدْ أَخَذَتِ ٱلْأَصْنَامَ وَوَضَعَتْهَا فِي حِدَاجَةِ ٱلْجَمَلِ وَجَلَسَتْ عَلَيْهَا. فَجَسَّ لَابَانُ كُلَّ ٱلْخِبَاءِ وَلَمْ يَجِدْ. ٣٤ 34
राहेल ने ही वे गृहदेवता छिपाए हुए थे, जिन्हें उसने ऊंट की काठी में रखा हुआ था. वह स्वयं उन पर बैठ गई थी. लाबान ने समस्त शिविर में खोज कर ली थी, किंतु उसे कुछ प्राप्‍त न हुआ था.
وَقَالَتْ لِأَبِيهَا: «لَا يَغْتَظْ سَيِّدِي أَنِّي لَا أَسْتَطِيعُ أَنْ أَقُومَ أَمَامَكَ لِأَنَّ عَلَيَّ عَادَةَ ٱلنِّسَاءِ». فَفَتَّشَ وَلَمْ يَجِدِ ٱلْأَصْنَامَ. ٣٥ 35
उसने अपने पिता से आग्रह किया, “पिताजी, आप क्रुद्ध न हों. मैं आपके समक्ष खड़ी होने के असमर्थ हूं; क्योंकि इस समय मैं रजस्वला हूं.” तब लाबान के खोजने पर भी उसे वे गृह-देवताओं की मूर्तियां नहीं मिलीं.
فَٱغْتَاظَ يَعْقُوبُ وَخَاصَمَ لَابَانَ. وَأجَابَ يَعْقُوبُ وَقَالَ لِلَابَانَ: «مَا جُرْمِي؟ مَا خَطِيَّتِي حَتَّى حَمِيتَ وَرَائِي؟ ٣٦ 36
तब याकोब का क्रोध उद्दीप्‍त हो उठा. वह लाबान से तर्क-वितर्क करने लगे, “क्या अपराध है मेरा?” क्या पाप किया है मैंने, जो आप इस प्रकार मेरा पीछा करते हुए आ रहे हैं?
إِنَّكَ جَسَسْتَ جَمِيعَ أَثَاثِي. مَاذَا وَجَدْتَ مِنْ جَمِيعِ أَثَاثِ بَيْتِكَ؟ ضَعْهُ هَهُنَا قُدَّامَ إِخْوَتِي وَإِخْوَتِكَ، فَلْيُنْصِفُوا بَيْنَنَا ٱلِٱثْنَيْنِ. ٣٧ 37
आपने मेरी समस्त वस्तुओं में उन देवताओं की खोज कर ली है, किंतु आपको कोई भी अपनी वस्तु प्राप्‍त हुई है? आपके तथा मेरे संबंधियों के समक्ष यह स्पष्ट हो जाए, कि वे हम दोनों के मध्य अपना निर्णय दे सकें.
اَلْآنَ عِشْرِينَ سَنَةً أَنَا مَعَكَ. نِعَاجُكَ وَعِنَازُكَ لَمْ تُسْقِطْ، وَكِبَاشَ غَنَمِكَ لَمْ آكُلْ. ٣٨ 38
“इन बीस वर्षों तक मैं आपके साथ रहा हूं. आपकी भेड़ों एवं बकरियों में कभी गर्भपात नहीं हुआ. अपने भोजन के लिए मैंने कभी आपके पशुवृन्द में से मेढ़े नहीं उठाए.
فَرِيسَةً لَمْ أُحْضِرْ إِلَيْكَ. أَنَا كُنْتُ أَخْسَرُهَا. مِنْ يَدِي كُنْتَ تَطْلُبُهَا. مَسْرُوقَةَ ٱلنَّهَارِ أَوْ مَسْرُوقَةَ ٱللَّيْلِ. ٣٩ 39
जब कभी किसी वन्य पशु ने हमारे पशु को फाड़ा, मैंने उसे कभी आपके वृन्द में सम्मिलित नहीं किया; इसे मैंने अपनी ही हानि में सम्मिलित किया था. चाहे कोई पशु दिन में चोरी हुआ अथवा रात्रि में, आपने मुझसे भुगतान की मांग की.
كُنْتُ فِي ٱلنَّهَارِ يَأْكُلُنِي ٱلْحَرُّ وَفِي ٱللَّيْلِ ٱلْجَلِيدُ، وَطَارَ نَوْمِي مِنْ عَيْنَيَّ. ٤٠ 40
मेरी स्थिति तो ऐसी रही कि दिन में मुझ पर ऊष्मा का प्रहार होता रहा तथा रात्रि में ठंड का. मेरे नेत्रों से निद्रा दूर ही दूर रही.
اَلْآنَ لِي عِشْرُونَ سَنَةً فِي بَيْتِكَ. خَدَمْتُكَ أَرْبَعَ عَشَرَةَ سَنَةً بَٱبْنَتَيْكَ، وَسِتَّ سِنِينٍ بِغَنَمِكَ. وَقَدْ غَيَّرْتَ أُجْرَتِي عَشَرَ مَرَّاتٍ. ٤١ 41
इन बीस वर्षों में मैं आपके परिवार में रहा हूं; चौदह वर्ष आपकी पुत्रियों के लिए तथा छः वर्ष आपके भेड़-बकरियों के लिए. इन वर्षों में आपने दस बार मेरा पारिश्रमिक परिवर्तित किया है.
لَوْلَا أَنَّ إِلَهَ أَبِي إِلَهَ إِبْرَاهِيمَ وَهَيْبَةَ إِسْحَاقَ كَانَ مَعِي، لَكُنْتَ ٱلْآنَ قَدْ صَرَفْتَنِي فَارِغًا. مَشَقَّتِي وَتَعَبَ يَدَيَّ قَدْ نَظَرَ ٱللهُ، فَوَبَّخَكَ ٱلْبَارِحَةَ». ٤٢ 42
यदि मेरे पिता के परमेश्वर, अब्राहाम तथा यित्सहाक के परमेश्वर का भय मेरे साथ न होता, तो आपने तो मुझे रिक्त हस्त ही विदा कर दिया होता. परमेश्वर ने मेरे कष्ट एवं मेरे हाथों के परिश्रम को देखा है, और उसका प्रतिफल उन्होंने मुझे कल रात में प्रदान कर दिया है.”
فَأَجَابَ لَابَانُ وَقَالَ لِيَعقُوبَ: «ٱلْبَنَاتُ بَنَاتِي، وَٱلْبَنُونَ بَنِيَّ، وَٱلْغَنَمُ غَنَمِي، وَكُلُّ مَا أَنْتَ تَرَى فَهُوَ لِي. فَبَنَاتِي مَاذَا أَصْنَعُ بِهِنَّ ٱلْيَوْمَ أَوْ بِأَوْلَادِهِنَّ ٱلَّذِينَ وَلَدْنَ؟ ٤٣ 43
यह सब सुनकर लाबान ने याकोब को उत्तर दिया, “ये स्त्रियां मेरी पुत्रियां हैं, ये बालक मेरे बालक हैं, ये भेड़-बकरियां भी मेरी ही हैं, तथा जो कुछ तुम्हें दिखाई दे रहा है, वह मेरा ही है; किंतु अब मैं अपनी पुत्रियों एवं इन बालकों का क्या करूं, जो इनकी सन्तति हैं?
فَٱلْآنَ هَلُمَّ نَقْطَعْ عَهْدًا أَنَا وَأَنْتَ، فَيَكُونُ شَاهِدًا بَيْنِي وَبَيْنَكَ». ٤٤ 44
इसलिये आओ, हम परस्पर यह वाचा स्थापित कर लें, तुम और मैं, और यही हमारे मध्य साक्ष्य हो जाए.”
فَأَخَذَ يَعْقُوبُ حَجَرًا وَأَوْقَفَهُ عَمُودًا، ٤٥ 45
इसलिये याकोब ने एक शिलाखण्ड को स्तंभ स्वरूप खड़ा किया.
وَقَالَ يَعْقُوبُ لِإِخْوَتِهِ: «ٱلْتَقِطُوا حِجَارَةً». فَأَخَذُوا حِجَارَةً وَعَمِلُوا رُجْمَةً وَأَكَلُوا هُنَاكَ عَلَى ٱلرُّجْمَةِ. ٤٦ 46
याकोब ने अपने संबंधियों से कहा, “पत्थर एकत्र करो.” इसलिये उन्होंने पत्थर एकत्र कर एक ढेर बना दिया तथा उस ढेर के निकट बैठ उन्होंने भोजन किया.
وَدَعَاهَا لَابَانُ «يَجَرْ سَهْدُوثَا» وَأَمَّا يَعْقُوبُ فَدَعَاهَا «جَلْعِيدَ». ٤٧ 47
लाबान ने तो इसे नाम दिया येगर-सहदूथा किंतु याकोब ने इसे गलएद कहकर पुकारा.
وَقَالَ لَابَانُ: «هَذِهِ ٱلرُّجْمَةُ هِيَ شَاهِدَةٌ بَيْنِي وَبَيْنَكَ ٱلْيَوْمَ». لِذَلِكَ دُعِيَ ٱسْمُهَا «جَلْعِيدَ». ٤٨ 48
लाबान ने कहा, “पत्थरों का यह ढेर आज मेरे तथा तुम्हारे मध्य एक साक्ष्य है.” इसलिये इसे गलएद तथा मिज़पाह नाम दिया गया,
وَ«ٱلْمِصْفَاةَ»، لِأَنَّهُ قَالَ: «لِيُرَاقِبِ ٱلرَّبُّ بَيْنِي وَبَيْنَكَ حِينَمَا نَتَوَارَى بَعْضُنَا عَنْ بَعْضٍ. ٤٩ 49
क्योंकि उनका कथन था, “जब हम एक दूसरे की दृष्टि से दूर हों, याहवेह ही तुम्हारे तथा मेरे मध्य चौकसी बनाए रखें.
إِنَّكَ لَا تُذِلُّ بَنَاتِي، وَلَا تَأْخُذُ نِسَاءً عَلَى بَنَاتِي. لَيْسَ إِنْسَانٌ مَعَنَا. اُنْظُرْ، ٱللهُ شَاهِدٌ بَيْنِي وَبَيْنَكَ». ٥٠ 50
यदि तुम मेरी पुत्रियों के साथ दुर्व्यवहार करो अथवा मेरी पुत्रियों के अतिरिक्त पत्नियां ले आओ, यद्यपि कोई मनुष्य यह देख न सकेगा, किंतु स्मरण रहे, तुम्हारे तथा मेरे मध्य परमेश्वर साक्ष्य हैं.”
وَقَالَ لَابَانُ لِيَعْقُوبَ: «هُوَذَا هَذِهِ ٱلرُّجْمَةُ، وَهُوَذَا ٱلْعَمُودُ ٱلَّذِي وَضَعْتُ بَيْنِي وَبَيْنَكَ. ٥١ 51
लाबान ने याकोब से कहा, “इस ढेर को तथा इस स्तंभ को देखो, जो मैंने तुम्हारे तथा मेरे मध्य में स्थापित किया है.
شَاهِدَةٌ هَذِهِ ٱلرُّجْمَةُ وَشَاهِدٌ ٱلْعَمُودُ أَنِّي لَا أَتَجَاوَزُ هَذِهِ ٱلرُّجْمَةَ إِلَيْكَ، وَأَنَّكَ لَا تَتَجَاوَزُ هَذِهِ ٱلرُّجْمَةَ وَهَذَا ٱلْعَمُودَ إِلَيَّ لِلشَّرِّ. ٥٢ 52
यह स्तंभ तथा पत्थरों का ढेर साक्ष्य है, कि मैं इसके निकट से होकर तुम्हारी हानि करने के लक्ष्य से आगे नहीं बढ़ूंगा, वैसे ही तुम भी इस ढेर तथा इस स्तंभ के निकट से होकर मेरी हानि के उद्देश्य से आगे नहीं बढ़ोगे.
إِلَهُ إِبْرَاهِيمَ وَآلِهَةُ نَاحُورَ، آلِهَةُ أَبِيهِمَا، يَقْضُونَ بَيْنَنَا». وَحَلَفَ يَعْقُوبُ بِهَيْبَةِ أَبِيهِ إِسْحَاقَ. ٥٣ 53
इसके लिए अब्राहाम के परमेश्वर, नाहोर के परमेश्वर तथा उनके पिता के परमेश्वर हमारा न्याय करें.” इसलिये याकोब ने अपने पिता यित्सहाक के प्रति भय-भाव में शपथ ली.
وَذَبَحَ يَعْقُوبُ ذَبِيحَةً فِي ٱلْجَبَلِ وَدَعَا إِخْوَتَهُ لِيَأْكُلُوا طَعَامًا، فَأَكَلُوا طَعَامًا وَبَاتُوا فِي ٱلْجَبَلِ. ٥٤ 54
फिर याकोब ने उस पर्वत पर ही बलि अर्पित की तथा अपने संबंधियों को भोज के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने भोजन किया तथा पर्वत पर ही रात्रि व्यतीत की.
ثُمَّ بَكَّرَ لَابَانُ صَبَاحًا وَقَبَّلَ بَنِيهِ وَبَنَاتِهِ وَبَارَكَهُمْ وَمَضَى. وَرَجَعَ لَابَانُ إِلَى مَكَانِهِ. ٥٥ 55
बड़े तड़के लाबान उठा, अपने पुत्र-पुत्रियों का चुंबन लिया तथा उन्हें आशीर्वाद दिया. फिर लाबान स्वदेश लौट गया.

< اَلتَّكْوِينُ 31 >