< اَلتَّكْوِينُ 15 >

بَعْدَ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ صَارَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَى أَبْرَامَ فِي ٱلرُّؤْيَا قَائِلًا: «لَا تَخَفْ يَا أَبْرَامُ. أَنَا تُرْسٌ لَكَ. أَجْرُكَ كَثِيرٌ جِدًّا». ١ 1
इन बातों के बाद ख़ुदावन्द का कलाम ख़्वाब में इब्रहाम पर नाज़िल हुआ और उसने फ़रमाया, “ऐ अब्राम, तू मत डर; मैं तेरी ढाल और तेरा बहुत बड़ा अज्र हूँ।”
فَقَالَ أَبْرَامُ: «أَيُّهَا ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، مَاذَا تُعْطِينِي وَأَنَا مَاضٍ عَقِيمًا، وَمَالِكُ بَيْتِي هُوَ أَلِيعَازَرُ ٱلدِّمَشْقِيُّ؟» ٢ 2
इब्रहाम ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, तू मुझे क्या देगा? क्यूँकि मैं तो बेऔलाद जाता हूँ, और मेरे घर का मुख़्तार दमिश्क़ी इली'एलियाज़र है।”
وَقَالَ أَبْرَامُ أَيْضًا: «إِنَّكَ لَمْ تُعْطِنِي نَسْلًا، وَهُوَذَا ٱبْنُ بَيْتِي وَارِثٌ لِي». ٣ 3
फिर इब्रहाम ने कहा, “देख, तूने मुझे कोई औलाद नहीं दी और देख मेरा खानाज़ाद मेरा वारिस होगा।”
فَإِذَا كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَيْهِ قَائِلًا: «لَا يَرِثُكَ هَذَا، بَلِ ٱلَّذِي يَخْرُجُ مِنْ أَحْشَائِكَ هُوَ يَرِثُكَ». ٤ 4
तब ख़ुदावन्द का कलाम उस पर नाज़िल हुआ और उसने फ़रमाया, “यह तेरा वारिस न होगा, बल्कि वह जो तेरे सुल्ब से पैदा होगा वही तेरा वारिस होगा।”
ثُمَّ أَخْرَجَهُ إِلَى خَارِجٍ وَقَالَ: «ٱنْظُرْ إِلَى ٱلسَّمَاءِ وَعُدَّ ٱلنُّجُومَ إِنِ ٱسْتَطَعْتَ أَنْ تَعُدَّهَا». وَقَالَ لَهُ: «هَكَذَا يَكُونُ نَسْلُكَ». ٥ 5
और वह उसको बाहर ले गया और कहा, कि अब आसमान कि तरफ़ निगाह कर और अगर तू सितारों को गिन सकता है तो गिन। और उससे कहा कि तेरी औलाद ऐसी ही होगी।
فَآمَنَ بِٱلرَّبِّ فَحَسِبَهُ لَهُ بِرًّا. ٦ 6
और वह ख़ुदावन्द पर ईमान लाया और इसे उसने उसके हक़ में रास्तबाज़ी शुमार किया।
وَقَالَ لَهُ: «أَنَا ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي أَخْرَجَكَ مِنْ أُورِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ لِيُعْطِيَكَ هَذِهِ ٱلْأَرْضَ لِتَرِثَهَا». ٧ 7
और उसने उससे कहा कि मैं ख़ुदावन्द हूँ जो तुझे कसदियों के ऊर से निकाल लाया, कि तुझ को यह मुल्क मीरास में दूँ।
فَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، بِمَاذَا أَعْلَمُ أَنِّي أَرِثُهَا؟» ٨ 8
और उसने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा! मैं क्यूँ कर जानूँ कि मैं उसका वारिस हूँगा?”
فَقَالَ لَهُ: «خُذْ لِي عِجْلَةً ثُلَاثِيَّةً، وَعَنْزَةً ثُلَاثِيَّةً، وَكَبْشًا ثُلَاثِيًّا، وَيَمَامَةً وَحَمَامَةً». ٩ 9
उसने उस से कहा कि मेरे लिए तीन साल की एक बछिया, और तीन साल की एक बकरी, और तीन साल का एक मेंढा, और एक कुमरी, और एक कबूतर का बच्चा ले।
فَأَخَذَ هَذِهِ كُلَّهَا وَشَقَّهَا مِنَ ٱلْوَسَطِ، وَجَعَلَ شِقَّ كُلِّ وَاحِدٍ مُقَابِلَ صَاحِبِهِ. وَأَمَّا ٱلطَّيْرُ فَلَمْ يَشُقَّهُ. ١٠ 10
उसने उन सभों को लिया और उनके बीच से दो टुकड़े किया, और हर टुकड़े को उसके साथ के दूसरे टुकड़े के सामने रख्खा, मगर परिन्दों के टुकड़े न किए।
فَنَزَلَتِ ٱلْجَوَارِحُ عَلَى ٱلْجُثَثِ، وَكَانَ أَبْرَامُ يَزْجُرُهَا. ١١ 11
तब शिकारी परिन्दे उन टुकड़ों पर झपटने लगे पर इब्रहाम उनकी हँकता रहा।
وَلَمَّا صَارَتِ ٱلشَّمْسُ إِلَى ٱلْمَغِيبِ، وَقَعَ عَلَى أَبْرَامَ سُبَاتٌ، وَإِذَا رُعْبَةٌ مُظْلِمَةٌ عَظِيمَةٌ وَاقِعَةٌ عَلَيْهِ. ١٢ 12
सूरज डूबते वक़्त इब्रहाम पर गहरी नींद ग़ालिब हुई और देखो, एक बडा ख़तरनाक अँधेरा उस पर छा गया।
فَقَالَ لِأَبْرَامَ: «ٱعْلَمْ يَقِينًا أَنَّ نَسْلَكَ سَيَكُونُ غَرِيبًا فِي أَرْضٍ لَيْسَتْ لَهُمْ، وَيُسْتَعْبَدُونَ لَهُمْ. فَيُذِلُّونَهُمْ أَرْبَعَ مِئَةِ سَنَةٍ. ١٣ 13
और उसने इब्रहाम से कहा, यक़ीन जान कि तेरी नसल के लोग ऐसे मुल्क में जो उनका नहीं परदेसी होंगे और वहाँ के लोगों की ग़ुलामी करेंगे और वह चार सौ साल तक उनको दुख देंगे।
ثُمَّ ٱلْأُمَّةُ ٱلَّتِي يُسْتَعْبَدُونَ لَهَا أَنَا أَدِينُهَا، وَبَعْدَ ذَلِكَ يَخْرُجُونَ بِأَمْلَاكٍ جَزِيلَةٍ. ١٤ 14
लेकिन मैं उस कौम की 'अदालत करूँगा जिसकी वह गु़लामी करेंगे, और बाद में वह बड़ी दौलत लेकर वहाँ से निकल आएँगे।
وَأَمَّا أَنْتَ فَتَمْضِي إِلَى آبَائِكَ بِسَلَامٍ وَتُدْفَنُ بِشَيْبَةٍ صَالِحَةٍ. ١٥ 15
और तू सही सलामत अपने बाप — दादा से जा मिलेगा और बहुत ही बुढापे में दफ़न होगा।
وَفِي ٱلْجِيلِ ٱلرَّابِعِ يَرْجِعُونَ إِلَى هَهُنَا، لِأَنَّ ذَنْبَ ٱلْأَمُورِيِّينَ لَيْسَ إِلَى ٱلْآنَ كَامِلًا». ١٦ 16
और वह चौथी पुश्त में यहाँ लौट आएँगे, क्यूँकि अमोरियों के गुनाह अब तक पूरे नहीं हुए।
ثُمَّ غَابَتِ ٱلشَّمْسُ فَصَارَتِ ٱلْعَتَمَةُ، وَإِذَا تَنُّورُ دُخَانٍ وَمِصْبَاحُ نَارٍ يَجُوزُ بَيْنَ تِلْكَ ٱلْقِطَعِ. ١٧ 17
और जब सूरज डूबा और अन्धेरा छा गया, तो एक तनूर जिसमें से धुंआ उठता था दिखाई दिया, और एक जलती मश'अल उन टुकड़ों के बीच में से होकर गुज़री।
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ قَطَعَ ٱلرَّبُّ مَعَ أَبْرَامَ مِيثَاقًا قَائِلًا: «لِنَسْلِكَ أُعْطِي هَذِهِ ٱلْأَرْضَ، مِنْ نَهْرِ مِصْرَ إِلَى ٱلنَّهْرِ ٱلْكَبِيرِ، نَهْرِ ٱلْفُرَاتِ. ١٨ 18
उसी रोज़ ख़ुदावन्द ने इब्रहाम से 'अहद किया और फ़रमाया, यह मुल्क दरिया — ए — मिस्र से लेकर उस बड़े दरिया या'नी दरयाए — फ़रात तक,
ٱلْقِينِيِّينَ وَٱلْقَنِزِّيِّينَ وَٱلْقَدْمُونِيِّينَ ١٩ 19
क़ैनियों और क़नीज़ियों और क़दमूनियों,
وَٱلْحِثِّيِّينَ وَٱلْفَرِزِّيِّينَ وَٱلرَّفَائِيِّينَ ٢٠ 20
और हित्तियों और फ़रिज़्ज़ियों और रिफ़ाईम,
وَٱلْأَمُورِيِّينَ وَٱلْكَنْعَانِيِّينَ وَٱلْجِرْجَاشِيِّينَ وَٱلْيَبُوسِيِّينَ». ٢١ 21
और अमोरियों और कना'नियों और जिरजासियों और यबूसियों समेत मैंने तेरी औलाद को दिया है।

< اَلتَّكْوِينُ 15 >