< اَلتَّكْوِينُ 11 >

وَكَانَتِ ٱلْأَرْضُ كُلُّهَا لِسَانًا وَاحِدًا وَلُغَةً وَاحِدَةً. ١ 1
और तमाम ज़मीन पर एक ही ज़बान और एक ही बोली थी।
وَحَدَثَ فِي ٱرْتِحَالِهِمْ شَرْقًا أَنَّهُمْ وَجَدُوا بُقْعَةً فِي أَرْضِ شِنْعَارَ وَسَكَنُوا هُنَاكَ. ٢ 2
और ऐसा हुआ कि मशरिक़ की तरफ़ सफ़र करते करते उनको मुल्क — ए — सिन'आर में एक मैदान मिला और वह वहाँ बस गए।
وَقَالَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «هَلُمَّ نَصْنَعُ لِبْنًا وَنَشْوِيهِ شَيًّا». فَكَانَ لَهُمُ ٱللِّبْنُ مَكَانَ ٱلْحَجَرِ، وَكَانَ لَهُمُ ٱلْحُمَرُ مَكَانَ ٱلطِّينِ. ٣ 3
और उन्होंने आपस में कहा, 'आओ, हम ईटें बनाएँ और उनको आग में खू़ब पकाएँ। तब उन्होंने पत्थर की जगह ईट से और चूने की जगह गारे से काम लिया।
وَقَالُوا: «هَلُمَّ نَبْنِ لِأَنْفُسِنَا مَدِينَةً وَبُرْجًا رَأْسُهُ بِٱلسَّمَاءِ. وَنَصْنَعُ لِأَنْفُسِنَا ٱسْمًا لِئَلَّا نَتَبَدَّدَ عَلَى وَجْهِ كُلِّ ٱلْأَرْضِ». ٤ 4
फिर वह कहने लगे, कि आओ हम अपने लिए एक शहर और एक बुर्ज जिसकी चोटी आसमान तक पहुँचे बनाए और यहाँ अपना नाम करें, ऐसा न हो कि हम तमाम रु — ए — ज़मीन पर बिखर जाएँ।
فَنَزَلَ ٱلرَّبُّ لِيَنْظُرَ ٱلْمَدِينَةَ وَٱلْبُرْجَ ٱللَّذَيْنِ كَانَ بَنُو آدَمَ يَبْنُونَهُمَا. ٥ 5
और ख़ुदावन्द इस शहर और बुर्ज, को जिसे बनी आदम बनाने लगे देखने को उतरा।
وَقَالَ ٱلرَّبُّ: «هُوَذَا شَعْبٌ وَاحِدٌ وَلِسَانٌ وَاحِدٌ لِجَمِيعِهِمْ، وَهَذَا ٱبْتِدَاؤُهُمْ بِٱلْعَمَلِ. وَٱلْآنَ لَا يَمْتَنِعُ عَلَيْهِمْ كُلُّ مَا يَنْوُونَ أَنْ يَعْمَلُوهُ. ٦ 6
और ख़ुदावन्द ने कहा, “देखो, यह लोग सब एक हैं और इन सभों की एक ही ज़बान है। वह जो यह करने लगे हैं तो अब कुछ भी जिसका वह इरादा करें उनसे बाक़ी न छूटेगा।
هَلُمَّ نَنْزِلْ وَنُبَلْبِلْ هُنَاكَ لِسَانَهُمْ حَتَّى لَا يَسْمَعَ بَعْضُهُمْ لِسَانَ بَعْضٍ». ٧ 7
इसलिए आओ, हम वहाँ जाकर उनकी ज़बान में इख्तिलाफ़ डालें, ताकि वह एक दूसरे की बात समझ न सकें।”
فَبَدَّدَهُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ هُنَاكَ عَلَى وَجْهِ كُلِّ ٱلْأَرْضِ، فَكَفُّوا عَنْ بُنْيَانِ ٱلْمَدِينَةِ، ٨ 8
तब, ख़ुदावन्द ने उनको वहाँ से तमाम रू — ए — ज़मीन में बिखेर दिया; तब वह उस शहर के बनाने से बाज़ आए।
لِذَلِكَ دُعِيَ ٱسْمُهَا «بَابِلَ» لِأَنَّ ٱلرَّبَّ هُنَاكَ بَلْبَلَ لِسَانَ كُلِّ ٱلْأَرْضِ. وَمِنْ هُنَاكَ بَدَّدَهُمُ ٱلرَّبُّ عَلَى وَجْهِ كُلِّ ٱلْأَرْضِ. ٩ 9
इसलिए उसका नाम बाबुल हुआ क्यूँकि ख़ुदावन्द ने वहाँ सारी ज़मीन की ज़बान में इख्तिलाफ़ डाला और वहाँ से ख़ुदावन्द ने उनको तमाम रू — ए — ज़मीन पर बिखेर दिया।
هَذِهِ مَوَالِيدُ سَامٍ: لَمَّا كَانَ سَامٌ ٱبْنَ مِئَةِ سَنَةٍ وَلَدَ أَرْفَكْشَادَ، بَعْدَ ٱلطُّوفَانِ بِسَنَتَيْنِ. ١٠ 10
यह सिम का नसबनामा है: सिम एक सौ साल का था जब उससे तूफ़ान के दो साल बाद अरफ़कसद पैदा हुआ;
وَعَاشَ سَامٌ بَعْدَ مَا وَلَدَ أَرْفَكْشَادَ خَمْسَ مِئَةِ سَنَةٍ، وَوَلَدَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ. ١١ 11
और अरफ़कसद की पैदाइश के बाद सिम पाँच सौ साल ज़िन्दा रहा, और उससे बेटे और बेटियाँ पैदा हुई।
وَعَاشَ أَرْفَكْشَادُ خَمْسًا وَثَلَاثِينَ سَنَةً وَوَلَدَ شَالَحَ. ١٢ 12
जब अरफ़कसद पैतीस साल का हुआ, तो उससे सिलह पैदा हुआ;
وَعَاشَ أَرْفَكْشَادُ بَعْدَ مَا وَلَدَ شَالَحَ أَرْبَعَ مِئَةٍ وَثَلَاثَ سِنِينَ، وَوَلَدَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ. ١٣ 13
और सिलह की पैदाइश के बाद अरफ़कसद चार सौ तीन साल और ज़िन्दा रहा, और उससे बेटे और बेटियाँ पैदा हुई।
وَعَاشَ شَالَحُ ثَلَاثِينَ سَنَةً وَوَلَدَ عَابِرَ. ١٤ 14
सिलह जब तीस साल का हुआ, तो उससे इब्र पैदा हुआ;
وَعَاشَ شَالَحُ بَعْدَ مَا وَلَدَ عَابِرَ أَرْبَعَ مِئَةٍ وَثَلَاثَ سِنِينَ، وَوَلَدَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ. ١٥ 15
और इब्र की पैदाइश के बाद सिलह चार सौ तीन साल और ज़िन्दा रहा, और उससे बेटे और बेटियाँ पैदा हुई।
وَعَاشَ عَابِرُ أَرْبَعًا وَثَلَاثِينَ سَنَةً وَوَلَدَ فَالَجَ. ١٦ 16
जब इब्र चौंतीस साल का था, तो उससे फ़लज पैदा हुआ;
وَعَاشَ عَابِرُ بَعْدَ مَا وَلَدَ فَالَجَ أَرْبَعَ مِئَةٍ وَثَلَاثِينَ سَنَةً، وَوَلَدَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ. ١٧ 17
और फ़लज की पैदाइश के बाद इब्र चार सौ तीस साल और ज़िन्दा रहा, और उससे बेटे और बेटियाँ पैदा हुई।
وَعَاشَ فَالَجُ ثَلَاثِينَ سَنَةً وَوَلَدَ رَعُوَ. ١٨ 18
फ़लज तीस साल का था, जब उससे र'ऊ पैदा हुआ;
وَعَاشَ فَالَجُ بَعْدَ مَا وَلَدَ رَعُوَ مِئَتَيْنِ وَتِسْعَ سِنِينَ، وَوَلَدَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ. ١٩ 19
और र'ऊ की पैदाइश के बाद फ़लज दो सौ नौ साल और ज़िन्दा रहा, और उससे बेटे और बेटियाँ पैदा हुई।
وَعَاشَ رَعُو ٱثْنَتَيْنِ وَثَلَاثِينَ سَنَةً وَوَلَدَ سَرُوجَ. ٢٠ 20
और र'ऊ बत्तीस साल का था, जब उससे सरूज पैदा हुआ;
وَعَاشَ رَعُو بَعْدَ مَا وَلَدَ سَرُوجَ مِئَتَيْنِ وَسَبْعَ سِنِينَ، وَوَلَدَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ. ٢١ 21
और सरूज की पैदाइश के बाद र'ऊ दो सौ सात साल और ज़िन्दा रहा, और उससे बेटे और बेटियाँ पैदा हुई।
وَعَاشَ سَرُوجُ ثَلَاثِينَ سَنَةً وَوَلَدَ نَاحُورَ. ٢٢ 22
और सरूज तीस साल का था, जब उससे नहूर पैदा हुआ।
وَعَاشَ سَرُوجُ بَعْدَ مَا وَلَدَ نَاحُورَ مِئَتَيْ سَنَةٍ، وَوَلَدَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ. ٢٣ 23
और नहूर की पैदाइश के बाद सरूज दो सौ साल और ज़िन्दा रहा, और उससे बेटे और बेटियाँ पैदा हुईं।
وَعَاشَ نَاحُورُ تِسْعًا وَعِشْرِينَ سَنَةً وَوَلَدَ تَارَحَ. ٢٤ 24
नहूर उन्तीस साल का था, जब उससे तारह पैदा हुआ।
وَعَاشَ نَاحُورُ بَعْدَ مَا وَلَدَ تَارَحَ مِئَةً وَتِسْعَ عَشَرَةَ سَنَةً، وَوَلَدَ بَنِينَ وَبَنَاتٍ. ٢٥ 25
और तारह की पैदाइश के बाद नहूर एक सौ उन्नीस साल और ज़िन्दा रहा, और उससे बेटे और बेटियाँ पैदा हुई।
وَعَاشَ تَارَحُ سَبْعِينَ سَنَةً، وَوَلَدَ أَبْرَامَ وَنَاحُورَ وَهَارَانَ. ٢٦ 26
और तारह सत्तर साल का था, जब उससे इब्रहाम और नहूर और हारान पैदा हुए।
وَهَذِهِ مَوَالِيدُ تَارَحَ: وَلَدَ تَارَحُ أَبْرَامَ وَنَاحُورَ وَهَارَانَ. وَوَلَدَ هَارَانُ لُوطًا. ٢٧ 27
और यह तारह का नसबनामा है: तारह से इब्रहाम और नहूर और हारान पैदा हुए और हारान से लूत पैदा हुआ।
وَمَاتَ هَارَانُ قَبْلَ تَارَحَ أَبِيهِ فِي أَرْضِ مِيلَادِهِ فِي أُورِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ. ٢٨ 28
और हारान अपने बाप तारह के आगे अपनी पैदाइशी जगह यानी कसदियों के ऊर में मरा।
وَٱتَّخَذَ أَبْرَامُ وَنَاحُورُ لِأَنْفُسِهِمَا ٱمْرَأَتَيْنِ: ٱسْمُ ٱمْرَأَةِ أَبْرَامَ سَارَايُ، وَٱسْمُ ٱمْرَأَةِ نَاحُورَ مِلْكَةُ بِنْتُ هَارَانَ، أَبِي مِلْكَةَ وَأَبِي يِسْكَةَ. ٢٩ 29
और अब्राम और नहूर ने अपना — अपना ब्याह कर लिया। इब्रहाम की बीवी का नाम सारय और नहुर की बीवी का नाम मिल्का था जो हारान की बेटी थी। वही मिल्का का बाप और इस्का का बाप था।
وَكَانَتْ سَارَايُ عَاقِرًا لَيْسَ لَهَا وَلَدٌ. ٣٠ 30
और सारय बाँझ थी; उसके कोई बाल — बच्चा न था।
وَأَخَذَ تَارَحُ أَبْرَامَ ٱبْنَهُ، وَلُوطًا بْنَ هَارَانَ، ٱبْنَ ٱبْنِهِ، وَسَارَايَ كَنَّتَهُ ٱمْرَأَةَ أَبْرَامَ ٱبْنِهِ، فَخَرَجُوا مَعًا مِنْ أُورِ ٱلْكَلْدَانِيِّينَ لِيَذْهَبُوا إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ. فَأَتَوْا إِلَى حَارَانَ وَأَقَامُوا هُنَاكَ. ٣١ 31
और तारह ने अपने बेटे इब्रहाम को और अपने पोते लूत को, जो हारान का बेटा था, और अपनी बहू सारय को जो उसके बेटे इब्रहाम की बीवी थी, साथ लिया और वह सब कसदियों के ऊर से रवाना हुए की कनान के मुल्क में जाएँ; और वह हारान तक आए और वहीं रहने लगे।
وَكَانَتْ أَيَّامُ تَارَحَ مِئَتَيْنِ وَخَمْسَ سِنِينَ. وَمَاتَ تَارَحُ فِي حَارَانَ. ٣٢ 32
और तारह की उम्र दो सौ पाँच साल की हुई और उस ने हारान में वफ़ात पाई।

< اَلتَّكْوِينُ 11 >