< غَلاطِيَّة 6 >

أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ، إِنِ ٱنْسَبَقَ إِنْسَانٌ فَأُخِذَ فِي زَلَّةٍ مَا، فَأَصْلِحُوا أَنْتُمُ ٱلرُّوحَانِيِّينَ مِثْلَ هَذَا بِرُوحِ ٱلْوَدَاعَةِ، نَاظِرًا إِلَى نَفْسِكَ لِئَلَّا تُجَرَّبَ أَنْتَ أَيْضًا. ١ 1
ऐ भाइयों! अगर कोई आदमी किसी क़ुसूर में पकड़ा भी जाए तो तुम जो रूहानी हो, उसको नर्म मिज़ाजी से बहाल करो, और अपना भी ख्याल रख कहीं तू भी आज़माइश में न पड़ जाए।
اِحْمِلُوا بَعْضُكُمْ أَثْقَالَ بَعْضٍ، وَهَكَذَا تَمِّمُوا نَامُوسَ ٱلْمَسِيحِ. ٢ 2
तुम एक दूसरे का बोझ उठाओ, और यूँ मसीह की शरी' अत को पूरा करो।
لِأَنَّهُ إِنْ ظَنَّ أَحَدٌ أَنَّهُ شَيْءٌ وَهُوَ لَيْسَ شَيْئًا، فَإِنَّهُ يَغُشُّ نَفْسَهُ. ٣ 3
क्यूँकि अगर कोई शख़्स अपने आप को कुछ समझे और कुछ भी न हो, तो अपने आप को धोखा देता है।
وَلَكِنْ لِيَمْتَحِنْ كُلُّ وَاحِدٍ عَمَلَهُ، وَحِينَئِذٍ يَكُونُ لَهُ ٱلْفَخْرُ مِنْ جِهَةِ نَفْسِهِ فَقَطْ، لَا مِنْ جِهَةِ غَيْرِهِ. ٤ 4
पस हर शख़्स अपने ही काम को आज़माले, इस सूरत में उसे अपने ही बारे में फ़ख़्र करने का मौक़ा'होगा न कि दूसरे के बारे में।
لِأَنَّ كُلَّ وَاحِدٍ سَيَحْمِلُ حِمْلَ نَفْسِهِ. ٥ 5
क्यूँकि हर शख़्स अपना ही बोझ उठाएगा।
وَلَكِنْ لِيُشَارِكِ ٱلَّذِي يَتَعَلَّمُ ٱلْكَلِمَةَ ٱلْمُعَلِّمَ فِي جَمِيعِ ٱلْخَيْرَاتِ. ٦ 6
कलाम की ता'लीम पानेवाला, ता'लीम देनेवाले को सब अच्छी चीज़ों में शरीक करे।
لَا تَضِلُّوا! ٱللهُ لَا يُشْمَخُ عَلَيْهِ. فَإِنَّ ٱلَّذِي يَزْرَعُهُ ٱلْإِنْسَانُ إِيَّاهُ يَحْصُدُ أَيْضًا. ٧ 7
धोखा न खाओ; ख़ुदा ठठ्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्यूँकि आदमी जो कुछ बोता है वही काटेगा।
لِأَنَّ مَنْ يَزْرَعُ لِجَسَدِهِ فَمِنَ ٱلْجَسَدِ يَحْصُدُ فَسَادًا، وَمَنْ يَزْرَعُ لِلرُّوحِ فَمِنَ ٱلرُّوحِ يَحْصُدُ حَيَاةً أَبَدِيَّةً. (aiōnios g166) ٨ 8
जो कोई अपने जिस्म के लिए बोता है, वो जिस्म से हलाकत की फ़स्ल काटेगा; और जो रूह के लिए बोता है, वो पाक रूह से हमेशा की ज़िन्दगी की फ़सल काटेगा। (aiōnios g166)
فَلَا نَفْشَلْ فِي عَمَلِ ٱلْخَيْرِ لِأَنَّنَا سَنَحْصُدُ فِي وَقْتِهِ إِنْ كُنَّا لَا نَكِلُّ. ٩ 9
हम नेक काम करने में हिम्मत न हारें, क्यूँकि अगर बेदिल न होंगे तो 'सही वक़्त पर काटेंगे।
فَإِذًا حَسْبَمَا لَنَا فُرْصَةٌ، فَلْنَعْمَلِ ٱلْخَيْرَ لِلْجَمِيعِ، وَلَا سِيَّمَا لِأَهْلِ ٱلْإِيمَانِ. ١٠ 10
पस जहाँ तक मौक़ा मिले सबके साथ नेकी करें ख़ासकर अहले ईमान के साथ।
اُنْظُرُوا، مَا أَكْبَرَ ٱلْأَحْرُفَ ٱلَّتِي كَتَبْتُهَا إِلَيْكُمْ بِيَدِي! ١١ 11
देखो, मैंने कैसे बड़े बड़े हरफों में तुम को अपने हाथ से लिखा है।
جَمِيعُ ٱلَّذِينَ يُرِيدُونَ أَنْ يَعْمَلُوا مَنْظَرًا حَسَنًا فِي ٱلْجَسَدِ، هَؤُلَاءِ يُلْزِمُونَكُمْ أَنْ تَخْتَتِنُوا، لِئَلَّا يُضْطَهَدُوا لِأَجْلِ صَلِيبِ ٱلْمَسِيحِ فَقَطْ. ١٢ 12
जितने लोग जिस्मानी ज़ाहिर होना चाहते हैं वो तुम्हें ख़तना कराने पर मजबूर करते हैं, सिर्फ़ इसलिए कि मसीह की सलीब के वजह से सताए न जाँए।
لِأَنَّ ٱلَّذِينَ يَخْتَتِنُونَ هُمْ لَا يَحْفَظُونَ ٱلنَّامُوسَ، بَلْ يُرِيدُونَ أَنْ تَخْتَتِنُوا أَنْتُمْ لِكَيْ يَفْتَخِرُوا فِي جَسَدِكُمْ. ١٣ 13
क्यूँकि ख़तना कराने वाले ख़ुद भी शरी'अत पर अमल नहीं करते, मगर तुम्हारा ख़तना इस लिए कराना चाहते हैं, कि तुम्हारी जिस्मानी हालत पर फ़ख़्र करें।
وَأَمَّا مِنْ جِهَتِي، فَحَاشَا لِي أَنْ أَفْتَخِرَ إِلَّا بِصَلِيبِ رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، ٱلَّذِي بِهِ قَدْ صُلِبَ ٱلْعَالَمُ لِي وَأَنَا لِلْعَالَمِ. ١٤ 14
लेकिन ख़ुदा न करे कि मैं किसी चीज़ पर फ़ख़्र, करूँ सिवा अपने ख़ुदावन्द मसीह ईसा की सलीब के, जिससे दुनिया मेरे ए'तिबार से।
لِأَنَّهُ فِي ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ لَيْسَ ٱلْخِتَانُ يَنْفَعُ شَيْئًا وَلَا ٱلْغُرْلَةُ، بَلِ ٱلْخَلِيقَةُ ٱلْجَدِيدَةُ. ١٥ 15
क्यूँकि न ख़तना कुछ चीज़ है न नामख़्तूनी, बल्कि नए सिरे से मख़लूक़ होना।
فَكُلُّ ٱلَّذِينَ يَسْلُكُونَ بِحَسَبِ هَذَا ٱلْقَانُونِ عَلَيْهِمْ سَلَامٌ وَرَحْمَةٌ، وَعَلَى إِسْرَائِيلِ ٱللهِ. ١٦ 16
और जितने इस क़ईदे पर चलें उन्हें, और ख़ुदा के इस्राईल को इत्मीनान और रहम हासिल होता रहे।
فِي مَا بَعْدُ لَا يَجْلِبُ أَحَدٌ عَلَيَّ أَتْعَابًا، لِأَنِّي حَامِلٌ فِي جَسَدِي سِمَاتِ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ. ١٧ 17
आगे को कोई मुझे तकलीफ़ न दे, क्यूँकि मैं अपने जिस्म पर मसीह के दाग़ लिए फिरता हूँ।
نِعْمَةُ رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ مَعَ رُوحِكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ. آمِينَ. ١٨ 18
ऐ भाइयों! हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह का फ़ज़ल तुम्हारे साथ रहे। अमीन

< غَلاطِيَّة 6 >