< عَزْرَا 7 >

وَبَعْدَ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ فِي مُلْكِ أَرْتَحْشَشْتَا مَلِكِ فَارِسَ، عَزْرَا بْنُ سَرَايَا بْنِ عَزَرْيَا بْنِ حِلْقِيَّا ١ 1
इन बातों के बाद अर्थात् फारस के राजा अर्तक्षत्र के दिनों में, एज्रा बाबेल से यरूशलेम को गया। वह सरायाह का पुत्र था। सरायाह अजर्याह का पुत्र था, अजर्याह हिल्किय्याह का,
بْنِ شَلُّومَ بْنِ صَادُوقَ بْنِ أَخِيطُوبَ ٢ 2
हिल्किय्याह शल्लूम का, शल्लूम सादोक का, सादोक अहीतूब का, अहीतूब अमर्याह का, अमर्याह अजर्याह का,
بْنِ أَمَرْيَا بْنِ عَزَرْيَا بْنِ مَرَايُوثَ ٣ 3
अजर्याह मरायोत का,
بْنِ زَرَحْيَا بْنِ عُزِّي بْنِ بُقِّي ٤ 4
मरायोत जरहयाह का, जरहयाह उज्जी का, उज्जी बुक्की का,
بْنِ أَبِيشُوعَ بْنِ فِينَحَاسَ بْنِ أَلِعَازَارَ بْنِ هَارُونَ ٱلْكَاهِنِ ٱلرَّأْسِ. ٥ 5
बुक्की अबीशू का, अबीशू पीनहास का, पीनहास एलीआजर का और एलीआजर हारून महायाजक का पुत्र था।
عَزْرَا هَذَا صَعِدَ مِنْ بَابِلَ، وَهُوَ كَاتِبٌ مَاهِرٌ فِي شَرِيعَةِ مُوسَى ٱلَّتِي أَعْطَاهَا ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ. وَأَعْطَاهُ ٱلْمَلِكُ حَسَبَ يَدِ ٱلرَّبِّ إِلَهِهِ عَلَيْهِ، كُلَّ سُؤْلهِ. ٦ 6
यही एज्रा मूसा की व्यवस्था के विषय जिसे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने दी थी, निपुण शास्त्री था। उसके परमेश्वर यहोवा की कृपादृष्टि जो उस पर रही, इसके कारण राजा ने उसका मुँह माँगा वर दे दिया।
وَصَعِدَ مَعَهُ مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَٱلْكَهَنَةِ وَٱللَّاوِيِّينَ وَٱلْمُغَنِّينَ وَٱلْبَوَّابِينَ وَٱلنَّثِينِيمِ إِلَى أُورُشَلِيمَ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلسَّابِعَةِ لِأَرْتَحْشَشْتَا ٱلْمَلِكِ. ٧ 7
कुछ इस्राएली, और याजक लेवीय, गवैये, और द्वारपाल और मन्दिर के सेवकों में से कुछ लोग अर्तक्षत्र राजा के सातवें वर्ष में यरूशलेम को गए।
وَجَاءَ إِلَى أُورُشَلِيمَ فِي ٱلشَّهْرِ ٱلْخَامِسِ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلسَّابِعَةِ لِلْمَلِكِ. ٨ 8
वह राजा के सातवें वर्ष के पाँचवें महीने में यरूशलेम को पहुँचा।
لِأَنَّهُ فِي ٱلشَّهْرِ ٱلْأَوَّلِ ٱبْتَدَأَ يَصْعَدُ مِنْ بَابِلَ، وَفِي أَوَّلِ ٱلشَّهْرِ ٱلْخَامِسِ جَاءَ إِلَى أُورُشَلِيمَ حَسَبَ يَدِ ٱللهِ ٱلصَّالِحَةِ عَلَيْهِ. ٩ 9
पहले महीने के पहले दिन को वह बाबेल से चल दिया, और उसके परमेश्वर की कृपादृष्टि उस पर रही, इस कारण पाँचवें महीने के पहले दिन वह यरूशलेम को पहुँचा।
لِأَنَّ عَزْرَا هَيَّأَ قَلْبَهُ لِطَلَبِ شَرِيعَةِ ٱلرَّبِّ وَٱلْعَمَلِ بِهَا، وَلِيُعَلِّمَ إِسْرَائِيلَ فَرِيضَةً وَقَضَاءً. ١٠ 10
१०क्योंकि एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था का अर्थ जान लेने, और उसके अनुसार चलने, और इस्राएल में विधि और नियम सिखाने के लिये अपना मन लगाया था।
وَهَذِهِ صُورَةُ ٱلرِّسَالَةِ ٱلَّتِي أَعْطَاهَا ٱلْمَلِكُ أَرْتَحْشَشْتَا لِعَزْرَا ٱلْكَاهِنِ ٱلْكَاتِبِ، كَاتِبِ كَلَامِ وَصَايَا ٱلرَّبِّ وَفَرَائِضِهِ عَلَى إِسْرَائِيلَ: ١١ 11
११जो चिट्ठी राजा अर्तक्षत्र ने एज्रा याजक और शास्त्री को दी थी जो यहोवा की आज्ञाओं के वचनों का, और उसकी इस्राएलियों में चलाई हुई विधियों का शास्त्री था, उसकी नकल यह है;
«مِنْ أَرْتَحْشَشْتَا مَلِكِ ٱلْمُلُوكِ، إِلَى عَزْرَا ٱلْكَاهِنِ كَاتِبِ شَرِيعَةِ إِلَهِ ٱلسَّمَاءِ ٱلْكَامِلِ، إِلَى آخِرِهِ. ١٢ 12
१२“एज्रा याजक के नाम जो स्वर्ग के परमेश्वर की व्यवस्था का पूर्ण शास्त्री है, उसको अर्तक्षत्र महाराजाधिराज की ओर से।
قَدْ صَدَرَ مِنِّي أَمْرٌ أَنَّ كُلَّ مَنْ أَرَادَ فِي مُلْكِي مِنْ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ وَكَهَنَتِهِ وَٱللَّاوِيِّينَ أَنْ يَرْجِعَ إِلَى أُورُشَلِيمَ مَعَكَ فَلْيَرْجِعْ. ١٣ 13
१३मैं यह आज्ञा देता हूँ, कि मेरे राज्य में जितने इस्राएली और उनके याजक और लेवीय अपनी इच्छा से यरूशलेम जाना चाहें, वे तेरे साथ जाने पाएँ।
مِنْ أَجْلِ أَنَّكَ مُرْسَلٌ مِنْ قِبَلِ ٱلْمَلِكِ وَمُشِيرِيهِ ٱلسَّبْعَةِ لِأَجْلِ ٱلسُّؤَالِ عَنْ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ حَسَبَ شَرِيعَةِ إِلَهِكَ ٱلَّتِي بِيَدِكَ، ١٤ 14
१४“तू तो राजा और उसके सातों मंत्रियों की ओर से इसलिए भेजा जाता है, कि अपने परमेश्वर की व्यवस्था के विषय जो तेरे पास है, यहूदा और यरूशलेम की दशा जान ले,
وَلِحَمْلِ فِضَّةٍ وَذَهَبٍ تَبَرَّعَ بِهِ ٱلْمَلِكُ وَمُشِيرُوهُ لِإِلَهِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ مَسْكَنُهُ. ١٥ 15
१५और जो चाँदी-सोना, राजा और उसके मंत्रियों ने इस्राएल के परमेश्वर को जिसका निवास यरूशलेम में है, अपनी इच्छा से दिया है,
وَكُلُّ ٱلْفِضَّةِ وَٱلذَّهَبِ ٱلَّتِي تَجِدُ فِي كُلِّ بِلَادِ بَابِلَ مَعَ تَبَرُّعَاتِ ٱلشَّعْبِ وَٱلْكَهَنَةِ ٱلْمُتَبَرِّعِينَ لِبَيْتِ إِلَهِهِمِ ٱلَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ، ١٦ 16
१६और जितना चाँदी-सोना समस्त बाबेल प्रान्त में तुझे मिलेगा, और जो कुछ लोग और याजक अपनी इच्छा से अपने परमेश्वर के भवन के लिये जो यरूशलेम में है देंगे, उसको ले जाए।
لِكَيْ تَشْتَرِيَ عَاجِلًا بِهَذِهِ ٱلْفِضَّةِ ثِيرَانًا وَكِبَاشًا وَخِرَافًا وَتَقْدِمَاتِهَا وَسَكَائِبَهَا، وَتُقَرِّبَهَا عَلَى ٱلْمَذْبَحِ ٱلَّذِي فِي بَيْتِ إِلَهِكُمُ ٱلَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ. ١٧ 17
१७इस कारण तू उस रुपये से फुर्ती के साथ बैल, मेढ़े और मेम्ने उनके योग्य अन्नबलि और अर्घ की वस्तुओं समेत मोल लेना और उस वेदी पर चढ़ाना, जो तुम्हारे परमेश्वर के यरूशलेम वाले भवन में है।
وَمَهْمَا حَسُنَ عِنْدَكَ وَعِنْدَ إِخْوَتِكَ أَنْ تَعْمَلُوهُ بِبَاقِي ٱلْفِضَّةِ وَٱلذَّهَبِ، فَحَسَبَ إِرَادَةِ إِلَهِكُمْ تَعْمَلُونَهُ. ١٨ 18
१८और जो चाँदी-सोना बचा रहे, उससे जो कुछ तुझे और तेरे भाइयों को उचित जान पड़े, वही अपने परमेश्वर की इच्छा के अनुसार करना।
وَٱلْآنِيَةُ ٱلَّتِي تُعْطَى لَكَ لِأَجْلِ خِدْمَةِ بَيْتِ إِلَهِكَ فَسَلِّمْهَا أَمَامَ إِلَهِ أُورُشَلِيمَ. ١٩ 19
१९तेरे परमेश्वर के भवन की उपासना के लिये जो पात्र तुझे सौंपे जाते हैं, उन्हें यरूशलेम के परमेश्वर के सामने दे देना।
وَبَاقِي ٱحْتِيَاجِ بَيْتِ إِلَهِكَ ٱلَّذِي يَتَّفِقُ لَكَ أَنْ تُعْطِيَهُ، فَأَعْطِهِ مِنْ بَيْتِ خَزَائِنِ ٱلْمَلِكِ. ٢٠ 20
२०इनसे अधिक जो कुछ तुझे अपने परमेश्वर के भवन के लिये आवश्यक जानकर देना पड़े, वह राज खजाने में से दे देना।
وَمِنِّي أَنَا أَرْتَحْشَشْتَا ٱلْمَلِكِ صَدَرَ أَمْرٌ إِلَى كُلِّ ٱلْخَزَنَةِ ٱلَّذِينَ فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ أَنَّ كُلَّ مَا يَطْلُبُهُ مِنْكُمْ عَزْرَا ٱلْكَاهِنُ كَاتِبُ شَرِيعَةِ إِلَهِ ٱلسَّمَاءِ فَلْيُعْمَلْ بِسُرْعَةٍ، ٢١ 21
२१“मैं अर्तक्षत्र राजा यह आज्ञा देता हूँ, कि तुम महानद के पार के सब खजांचियों से जो कुछ एज्रा याजक, जो स्वर्ग के परमेश्वर की व्यवस्था का शास्त्री है, तुम लोगों से चाहे, वह फुर्ती के साथ किया जाए।
إِلَى مِئَةِ وَزْنَةٍ مِنَ ٱلْفِضَّةِ وَمِئَةِ كُرٍّ مِنَ ٱلْحِنْطَةِ وَمِئَةِ بَثٍّ مِنَ ٱلْخَمْرِ وَمِئَةِ بَثٍّ مِنَ ٱلزَّيْتِ، وَٱلْمِلْحِ مِنْ دُونِ تَقْيِيدٍ. ٢٢ 22
२२अर्थात् सौ किक्कार तक चाँदी, सौ कोर तक गेहूँ, सौ बत तक दाखमधु, सौ बत तक तेल और नमक जितना चाहिये उतना दिया जाए।
كُلُّ مَا أَمَرَ بِهِ إِلَهُ ٱلسَّمَاءِ فَلْيُعْمَلْ بِٱجْتِهَادٍ لِبَيْتِ إِلَهِ ٱلسَّمَاءِ، لِأَنَّهُ لِمَاذَا يَكُونُ غَضَبٌ عَلَى مُلْكِ ٱلْمَلِكِ وَبَنِيهِ؟ ٢٣ 23
२३जो-जो आज्ञा स्वर्ग के परमेश्वर की ओर से मिले, ठीक उसी के अनुसार स्वर्ग के परमेश्वर के भवन के लिये किया जाए, राजा और राजकुमारों के राज्य पर परमेश्वर का क्रोध क्यों भड़कने पाए।
وَنُعْلِمُكُمْ أَنَّ جَمِيعَ ٱلْكَهَنَةِ وَٱللَّاوِيِّينَ وَٱلْمُغَنِّينَ وَٱلْبَوَّابِينَ وَٱلنَّثِينِيمِ وَخُدَّامِ بَيْتِ ٱللهِ هَذَا، لَا يُؤْذَنُ أَنْ يُلْقَى عَلَيْهِمْ جِزْيَةٌ أَوْ خَرَاجٌ أَوْ خِفَارَةٌ. ٢٤ 24
२४फिर हम तुम को चिता देते हैं, कि परमेश्वर के उस भवन के किसी याजक, लेवीय, गवैये, द्वारपाल, नतीन या और किसी सेवक से कर, चुंगी, अथवा राहदारी लेने की आज्ञा नहीं है।
أَمَّا أَنْتَ يَا عَزْرَا، فَحَسَبَ حِكْمَةِ إِلَهِكَ ٱلَّتِي بِيَدِكَ ضَعْ حُكَّامًا وَقُضَاةً يَقْضُونَ لِجَمِيعِ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِي فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ مِنْ جَمِيعِ مَنْ يَعْرِفُ شَرَائِعَ إِلَهِكَ. وَٱلَّذِينَ لَا يَعْرِفُونَ فَعَلِّمُوهُمْ. ٢٥ 25
२५“फिर हे एज्रा! तेरे परमेश्वर से मिली हुई बुद्धि के अनुसार जो तुझ में है, न्यायियों और विचार करनेवालों को नियुक्त कर जो महानद के पार रहनेवाले उन सब लोगों में जो तेरे परमेश्वर की व्यवस्था जानते हों न्याय किया करें; और जो-जो उन्हें न जानते हों, उनको तुम सिखाया करो।
وَكُلُّ مَنْ لَا يَعْمَلُ شَرِيعَةَ إِلَهِكَ وَشَرِيعَةَ ٱلْمَلِكِ، فَلْيُقْضَ عَلَيْهِ عَاجِلًا إِمَّا بِٱلْمَوْتِ أَوْ بِٱلنَّفْيِ أَوْ بِغَرَامَةِ ٱلْمَالِ أَوْ بِٱلْحَبْسِ». ٢٦ 26
२६जो कोई तेरे परमेश्वर की व्यवस्था और राजा की व्यवस्था न माने, उसको फुर्ती से दण्ड दिया जाए, चाहे प्राणदण्ड, चाहे देश निकाला, चाहे माल जप्त किया जाना, चाहे कैद करना।”
مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ إِلَهُ آبَائِنَا ٱلَّذِي جَعَلَ مِثْلَ هَذَا فِي قَلْبِ ٱلْمَلِكِ لِأَجْلِ تَزْيِينِ بَيْتِ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ. ٢٧ 27
२७धन्य है हमारे पितरों का परमेश्वर यहोवा, जिसने ऐसी मनसा राजा के मन में उत्पन्न की है, कि यरूशलेम स्थित यहोवा के भवन को सँवारे,
وَقَدْ بَسَطَ عَلَيَّ رَحْمَةً أَمَامَ ٱلْمَلِكِ وَمُشِيرِيهِ وَأَمَامَ جَمِيعِ رُؤَسَاءِ ٱلْمَلِكِ ٱلْمُقْتَدِرِينَ. وَأَمَّا أَنَا فَقَدْ تَشَدَّدْتُ حَسَبَ يَدِ ٱلرَّبِّ إِلَهِي عَلَيَّ، وَجَمَعْتُ مِنْ إِسْرَائِيلَ رُؤَسَاءَ لِيَصْعَدُوا مَعِي. ٢٨ 28
२८और मुझ पर राजा और उसके मंत्रियों और राजा के सब बड़े हाकिमों को दयालु किया। मेरे परमेश्वर यहोवा की कृपादृष्टि जो मुझ पर हुई, इसके अनुसार मैंने हियाव बाँधा, और इस्राएल में से मुख्य पुरुषों को इकट्ठा किया, कि वे मेरे संग चलें।

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