< عَزْرَا 4 >

وَلَمَّا سَمِعَ أَعْدَاءُ يَهُوذَا وَبَنْيَامِينَ أَنَّ بَنِي ٱلسَّبْيِ يَبْنُونَ هَيْكَلًا لِلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ، ١ 1
जब यहूदा और बिन्यामीन के शत्रुओं ने यह सुना कि बँधुआई से छूटे हुए लोग इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये मन्दिर बना रहे हैं,
تَقَدَّمُوا إِلَى زَرُبَّابِلَ وَرُؤُوسِ ٱلْآبَاءِ وَقَالُوا لَهُمْ: «نَبْنِي مَعَكُمْ لِأَنَّنَا نَظِيرَكُمْ نَطْلُبُ إِلَهَكُمْ، وَلَهُ قَدْ ذَبَحْنَا مِنْ أَيَّامِ أَسَرْحَدُّونَ مَلِكِ أَشُّورَ ٱلَّذِي أَصْعَدَنَا إِلَى هُنَا». ٢ 2
तब वे जरुब्बाबेल और पूर्वजों के घरानों के मुख्य-मुख्य पुरुषों के पास आकर उनसे कहने लगे, “हमें भी अपने संग बनाने दो; क्योंकि तुम्हारे समान हम भी तुम्हारे परमेश्वर की खोज में लगे हुए हैं, और अश्शूर का राजा एसर्हद्दोन जिसने हमें यहाँ पहुँचाया, उसके दिनों से हम उसी को बलि चढ़ाते भी हैं।”
فَقَالَ لَهُمْ زَرُبَّابِلُ وَيَشُوعُ وَبَقِيَّةُ رُؤُوسِ آبَاءِ إِسْرَائِيلَ: «لَيْسَ لَكُمْ وَلَنَا أَنْ نَبْنِيَ بَيْتًا لِإِلَهِنَا، وَلَكِنَّنَا نَحْنُ وَحْدَنَا نَبْنِي لِلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ كَمَا أَمَرَنَا ٱلْمَلِكُ كُورَشُ مَلِكُ فَارِسَ». ٣ 3
जरुब्बाबेल, येशुअ और इस्राएल के पितरों के घरानों के मुख्य पुरुषों ने उनसे कहा, “हमारे परमेश्वर के लिये भवन बनाने में, तुम को हम से कुछ काम नहीं; हम ही लोग एक संग मिलकर फारस के राजा कुस्रू की आज्ञा के अनुसार इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये उसे बनाएँगे।”
وَكَانَ شَعْبُ ٱلْأَرْضِ يُرْخُونَ أَيْدِيَ شَعْبِ يَهُوذَا وَيُذْعِرُونَهُمْ عَنِ ٱلْبِنَاءِ. ٤ 4
तब उस देश के लोग यहूदियों को निराश करने और उन्हें डराकर मन्दिर बनाने में रुकावट डालने लगे।
وَٱسْتَأْجَرُوا ضِدَّهُمْ مُشِيرِينَ لِيُبْطِلُوا مَشُورَتَهُمْ كُلَّ أَيَّامِ كُورَشَ مَلِكِ فَارِسَ وَحَتَّى مُلْكِ دَارِيُوسَ مَلِكِ فَارِسَ. ٥ 5
और फारस के राजा कुस्रू के जीवन भर वरन् फारस के राजा दारा के राज्य के समय तक उनके मनोरथ को निष्फल करने के लिये वकीलों को रुपया देते रहे।
وَفِي مُلْكِ أَحَشْوِيرُوشَ، فِي ٱبْتِدَاءِ مُلْكِهِ، كَتَبُوا شَكْوَى عَلَى سُكَّانِ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ. ٦ 6
क्षयर्ष के राज्य के आरम्भिक दिनों में उन्होंने यहूदा और यरूशलेम के निवासियों का दोषपत्र उसे लिख भेजा।
وَفِي أَيَّامِ أَرْتَحْشَشْتَا كَتَبَ بِشْلَامُ وَمِثْرَدَاثُ وَطَبْئِيلُ وَسَائِرُ رُفَقَائِهِمْ إِلَى أَرْتَحْشَشْتَا مَلِكِ فَارِسَ. وَكِتَابَةُ ٱلرِّسَالَةِ مَكْتُوبَةٌ بِٱلْأَرَامِيَّةِ وَمُتَرْجَمَةٌ بِٱلْأَرَامِيَّةِ. ٧ 7
फिर अर्तक्षत्र के दिनों में बिशलाम, मिथ्रदात और ताबेल ने और उसके सहयोगियों ने फारस के राजा अर्तक्षत्र को चिट्ठी लिखी, और चिट्ठी अरामी अक्षरों और अरामी भाषा में लिखी गई।
رَحُومُ صَاحِبُ ٱلْقَضَاءِ وَشِمْشَايُ ٱلْكَاتِبُ كَتَبَا رِسَالَةً ضِدَّ أُورُشَلِيمَ إِلَى أَرْتَحْشَشْتَا ٱلْمَلِكِ هَكَذَا: ٨ 8
अर्थात् रहूम राजमंत्री और शिमशै मंत्री ने यरूशलेम के विरुद्ध राजा अर्तक्षत्र को इस आशय की चिट्ठी लिखी।
كَتَبَ حِينَئِذٍ رَحُومُ صَاحِبُ ٱلْقَضَاءِ وَشِمْشَايُ ٱلْكَاتِبُ وَسَائِرُ رُفَقَائِهِمَا ٱلدِّينِيِّينَ وَٱلْأَفَرَسْتِكِيِّينَ وَٱلطَّرْفِلِيِّينَ وَٱلْأَفْرَسِيِّينَ وَٱلْأَرَكْوِيِّينَ وَٱلْبَابِلِيِّينَ وَٱلشُّوشَنِيِّينَ وَٱلدَّهْوِيِّينَ وَٱلْعِيلَامِيِّينَ، ٩ 9
उस समय रहूम राजमंत्री और शिमशै मंत्री और उनके अन्य सहयोगियों ने, अर्थात् दीनी, अपर्सतकी, तर्पली, अफ़ारसी, एरेकी, बाबेली, शूशनी, देहवी, एलामी,
وَسَائِرِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ سَبَاهُمْ أُسْنَفَّرُ ٱلْعَظِيمُ ٱلشَّرِيفُ وَأَسْكَنَهُمْ مُدُنَ ٱلسَّامِرَةِ، وَسَائِرِ ٱلَّذِينَ فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ وَإِلَى آخِرِهِ. ١٠ 10
१०आदि जातियों ने जिन्हें महान और प्रधान ओस्‍नप्पर ने पार ले आकर सामरिया नगर में और महानद के इस पार के शेष देश में बसाया था, एक चिट्ठी लिखी।
هَذِهِ صُورَةُ ٱلرِّسَالَةِ ٱلَّتِي أَرْسَلُوهَا إِلَيْهِ، إِلَى أَرْتَحْشَشْتَا ٱلْمَلِكِ: «عَبِيدُكَ ٱلْقَوْمُ ٱلَّذِينَ فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ إِلَى آخِرِهِ. ١١ 11
११जो चिट्ठी उन्होंने अर्तक्षत्र राजा को लिखी, उसकी यह नकल है- “राजा अर्तक्षत्र की सेवा में तेरे दास जो महानद के पार के मनुष्य हैं, तुझे शुभकामनाएँ भेजते हैं।
لِيُعْلَمِ ٱلْمَلِكُ أَنَّ ٱلْيَهُودَ ٱلَّذِينَ صَعِدُوا مِنْ عِنْدِكَ إِلَيْنَا قَدْ أَتَوْا إِلَى أُورُشَلِيمَ وَيَبْنُونَ ٱلْمَدِينَةَ ٱلْعَاصِيَةَ ٱلرَّدِيَّةَ، وَقَدْ أَكْمَلُوا أَسْوَارَهَا وَرَمَّمُوا أُسُسَهَا. ١٢ 12
१२राजा को यह विदित हो, कि जो यहूदी तेरे पास से चले आए, वे हमारे पास यरूशलेम को पहुँचे हैं। वे उस दंगैत और घिनौने नगर को बसा रहे हैं; वरन् उसकी शहरपनाह को खड़ा कर चुके हैं और उसकी नींव को जोड़ चुके हैं।
لِيَكُنِ ٱلْآنَ مَعْلُومًا لَدَى ٱلْمَلِكِ أَنَّهُ إِذَا بُنِيَتْ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةُ وَأُكْمِلَتْ أَسْوَارُهَا لَا يُؤَدُّونَ جِزْيَةً وَلَا خَرَاجًا وَلَا خِفَارَةً، فَأَخِيرًا تَضُرُّ ٱلْمُلُوكَ. ١٣ 13
१३अब राजा को विदित हो कि यदि वह नगर बस गया और उसकी शहरपनाह बन गई, तब तो वे लोग कर, चुंगी और राहदारी फिर न देंगे, और अन्त में राजाओं की हानि होगी।
وَٱلْآنَ بِمَا إِنَّنَا نَأْكُلُ مِلْحَ دَارِ ٱلْمَلِكِ، وَلَا يَلِيقُ بِنَا أَنْ نَرَى ضَرَرَ ٱلْمَلِكِ، لِذَلِكَ أَرْسَلْنَا فَأَعْلَمْنَا ٱلْمَلِكَ، ١٤ 14
१४हम लोग तो राजभवन का नमक खाते हैं और उचित नहीं कि राजा का अनादर हमारे देखते हो, इस कारण हम यह चिट्ठी भेजकर राजा को चिता देते हैं।
لِكَيْ يُفَتَّشَ فِي سِفْرِ أَخْبَارِ آبَائِكَ، فَتَجِدَ فِي سِفْرِ ٱلْأَخْبَارِ وَتَعْلَمَ أَنَّ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةَ مَدِينَةٌ عَاصِيَةٌ وَمُضِرَّةٌ لِلْمُلُوكِ وَٱلْبِلَادِ، وَقَدْ عَمِلُوا عِصْيَانًا فِي وَسَطِهَا مُنْذُ ٱلْأَيَّامِ ٱلْقَدِيمَةِ، لِذَلِكَ أُخْرِبَتْ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةُ. ١٥ 15
१५तेरे पुरखाओं के इतिहास की पुस्तक में खोज की जाए; तब इतिहास की पुस्तक में तू यह पाकर जान लेगा कि वह नगर बलवा करनेवाला और राजाओं और प्रान्तों की हानि करनेवाला है, और प्राचीनकाल से उसमें बलवा मचता आया है। इसी कारण वह नगर नष्ट भी किया गया था।
وَنَحْنُ نُعْلِمُ ٱلْمَلِكَ أَنَّهُ إِذَا بُنِيَتْ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةُ وَأُكْمِلَتْ أَسْوَارُهَا لَا يَكُونُ لَكَ عِنْدَ ذَلِكَ نَصِيبٌ فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ». ١٦ 16
१६हम राजा को निश्चय करा देते हैं कि यदि वह नगर बसाया जाए और उसकी शहरपनाह बन चुके, तब इसके कारण महानद के इस पार तेरा कोई भाग न रह जाएगा।”
فَأَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ جَوَابًا: «إِلَى رَحُومَ صَاحِبِ ٱلْقَضَاءِ وَشَمْشَايَ ٱلْكَاتِبِ وَسَائِرِ رُفَقَائِهِمَا ٱلسَّاكِنِينَ فِي ٱلسَّامِرَةِ وَبَاقِي ٱلَّذِينَ فِي عَبْرِ ٱلنَّهْرِ. سَلَامٌ إِلَى آخِرِهِ. ١٧ 17
१७तब राजा ने रहूम राजमंत्री और शिमशै मंत्री और सामरिया और महानद के इस पार रहनेवाले उनके अन्य सहयोगियों के पास यह उत्तर भेजा, “कुशल, हो!
ٱلرِّسَالَةُ ٱلَّتِي أَرْسَلْتُمُوهَا إِلَيْنَا قَدْ قُرِئَتْ بِوُضُوحٍ أَمَامِي. ١٨ 18
१८जो चिट्ठी तुम लोगों ने हमारे पास भेजी वह मेरे सामने पढ़कर साफ-साफ सुनाई गई।
وَقَدْ خَرَجَ مِنْ عِنْدِي أَمْرٌ فَفَتَّشُوا وَوُجِدَ أَنَّ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةَ مُنْذُ ٱلْأَيَّامِ ٱلْقَدِيمَةِ تَقُومُ عَلَى ٱلْمُلُوكِ، وَقَدْ جَرَى فِيهَا تَمَرُّدٌ وَعِصْيَانٌ. ١٩ 19
१९और मेरी आज्ञा से खोज किए जाने पर जान पड़ा है, कि वह नगर प्राचीनकाल से राजाओं के विरुद्ध सिर उठाता आया है और उसमें दंगा और बलवा होता आया है।
وَقَدْ كَانَ مُلُوكٌ مُقْتَدِرُونَ عَلَى أُورُشَلِيمَ وَتَسَلَّطُوا عَلَى جَمِيعِ عَبْرِ ٱلنَّهْرِ، وَقَدْ أُعْطُوا جِزْيَةً وَخَرَاجًا وَخِفَارَةً. ٢٠ 20
२०यरूशलेम के सामर्थी राजा भी हुए जो महानद के पार से समस्त देश पर राज्य करते थे, और कर, चुंगी और राहदारी उनको दी जाती थी।
فَٱلْآنَ أَخْرِجُوا أَمْرًا بِتَوْقِيفِ أُولَئِكَ ٱلرِّجَالِ فَلَا تُبْنَى هَذِهِ ٱلْمَدِينَةُ حَتَّى يَصْدُرَ مِنِّي أَمْرٌ. ٢١ 21
२१इसलिए अब इस आज्ञा का प्रचार कर कि वे मनुष्य रोके जाएँ और जब तक मेरी ओर से आज्ञा न मिले, तब तक वह नगर बनाया न जाए।
فَٱحْذَرُوا مِنْ أَنْ تَقْصُرُوا عَنْ عَمَلِ ذَلِكَ. لِمَاذَا يَكْثُرُ ٱلضَّرَرُ لِخَسَارَةِ ٱلْمُلُوكِ؟». ٢٢ 22
२२और चौकस रहो, इस बात में ढीले न होना; राजाओं की हानि करनेवाली वह बुराई क्यों बढ़ने पाए?”
حِينَئِذٍ لَمَّا قُرِئَتْ رِسَالَةُ أَرْتَحْشَشْتَا ٱلْمَلِكِ أَمَامَ رَحُومَ وَشِمْشَايَ ٱلْكَاتِبِ وَرُفَقَائِهِمَا ذَهَبُوا بِسُرْعَةٍ إِلَى أُورُشَلِيمَ، إِلَى ٱلْيَهُودِ، وَأَوْقَفُوهُمْ بِذِرَاعٍ وَقُوَّةٍ. ٢٣ 23
२३जब राजा अर्तक्षत्र की यह चिट्ठी रहूम और शिमशै मंत्री और उनके सहयोगियों को पढ़कर सुनाई गई, तब वे उतावली करके यरूशलेम को यहूदियों के पास गए और बलपूर्वक उनको रोक दिया।
حِينَئِذٍ تَوَقَّفَ عَمَلُ بَيْتِ ٱللهِ ٱلَّذِي فِي أُورُشَلِيمَ، وَكَانَ مُتَوَقِّفًا إِلَى ٱلسَّنَةِ ٱلثَّانِيَةِ مِنْ مُلْكِ دَارِيُوسَ مَلِكِ فَارِسَ. ٢٤ 24
२४तब परमेश्वर के भवन का काम जो यरूशलेम में है, रुक गया; और फारस के राजा दारा के राज्य के दूसरे वर्ष तक रुका रहा।

< عَزْرَا 4 >