< حِزْقِيَال 46 >

«هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: بَابُ ٱلدَّارِ ٱلدَّاخِلِيَّةِ ٱلْمُتَّجِهُ لِلْمَشْرِقِ يَكُونُ مُغْلَقًا سِتَّةَ أَيَّامِ ٱلْعَمَلِ، وَفِي ٱلسَّبْتِ يُفْتَحُ. وَأَيْضًا فِي يَوْمِ رَأْسِ ٱلشَّهْرِ يُفْتَحُ. ١ 1
“‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: भीतरी आंगन का वह द्वार जो पूर्व की ओर है, सभी छः कार्य दिवसों पर बंद रहे, पर विश्राम दिन और नये चांद के दिन इसे खोल दिया जाए.
وَيَدْخُلُ ٱلرَّئِيسُ مِنْ طَرِيقِ رِوَاقِ ٱلْبَابِ مِنْ خَارِجٍ وَيَقِفُ عِنْدَ قَائِمَةِ ٱلْبَابِ، وَتَعْمَلُ ٱلْكَهَنَةُ مُحْرَقَتَهُ وَذَبَائِحَهُ ٱلسَّلَامِيَّةَ، فَيَسْجُدُ عَلَى عَتَبَةِ ٱلْبَابِ ثُمَّ يَخْرُجُ. أَمَّا ٱلْبَابُ فَلَا يُغْلَقُ إِلَى ٱلْمَسَاءِ. ٢ 2
राजकुमार बाहर से द्वार के मंडप से होकर प्रवेश करे और द्वार के चौखट पर खड़ा रहे. पुरोहित उसके होमबलिदान और मेल बलिदान को चढ़ाएं. राजकुमार द्वार के चौखट पर श्रद्धा में सिर झुकाए और तब बाहर चला जाए, परंतु द्वार शाम तक बंद न किया जाए.
وَيَسْجُدُ شَعْبُ ٱلْأَرْضِ عِنْدَ مَدْخَلِ هَذَا ٱلْبَابِ قُدَّامَ ٱلرَّبِّ فِي ٱلسُّبُوتِ وَفِي رُؤُوسِ ٱلشُّهُورِ. ٣ 3
विश्राम दिनों और नये चांद के दिनों में देश के लोग उसी द्वार के प्रवेश पर याहवेह की उपस्थिति में आराधना करें.
وَٱلْمُحْرَقَةُ ٱلَّتِي يُقَرِّبُهَا ٱلرَّئِيسُ لِلرَّبِّ فِي يَوْمِ ٱلسَّبْتِ: سِتَّةُ حُمْلَانٍ صَحِيحَةٍ وَكَبْشٌ صَحِيحٌ. ٤ 4
राजकुमार याहवेह के लिये शब्बाथ में जो होमबलिदान लाता है, उसमें छः निर्दोष मेमने और एक निर्दोष मेढ़ा हो.
وَٱلتَّقْدِمَةُ إِيفَةٌ لِلْكَبْشِ، وَلِلْحُمْلَانِ تَقْدِمَةُ عَطِيَّةِ يَدِهِ، وَهِينُ زَيْتٍ لِلْإِيفَةِ. ٥ 5
मेढ़ा के साथ दिया जानेवाला अन्‍नबलि एक एफाह हो, और मेमनों के साथ दिया जानेवाला अन्‍नबलि अपनी खुशी से जितना ज्यादा दे सकता है, दे, इसके साथ हर एफाह के लिये एक हीन जैतून तेल भी दे.
وَفِي يَوْمِ رَأْسِ ٱلشَّهْرِ: ثَوْرٌ ٱبْنُ بَقَرٍ صَحِيحٌ وَسِتَّةُ حُمْلَانٍ وَكَبْشٌ تَكُونُ صَحِيحَةً. ٦ 6
नये चांद के दिन वह एक निर्दोष बछड़ा, छः निर्दोष मेमने और एक निर्दोष मेढ़ा चढ़ाए.
وَيَعْمَلُ تَقْدِمَةً إِيفَةً لِلثَّوْرِ وَإِيفَةً لِلْكَبْشِ. أَمَّا لِلْحُمْلَانِ فَحَسْبَمَا تَنَالُ يَدُهُ، وَلِلْإِيفَةِ هِينُ زَيْتٍ. ٧ 7
वह अन्‍नबलि के रूप में बछड़े के साथ एक एफाह, मेढ़े के साथ एक एफाह और मेमनों के साथ जितना ज्यादा वह चाहता है, दे, इसके साथ हर एफाह के लिये एक हीन जैतून तेल भी दे.
«وَعْنْدَ دُخُولِ ٱلرَّئِيسِ يَدْخُلُ مِنْ طَرِيقِ رِوَاقِ ٱلْبَابِ، وَمِنْ طَرِيقِهِ يَخْرُجُ. ٨ 8
जब राजकुमार प्रवेश करे, तो वह द्वार के मंडप से प्रवेश करे, और वह उसी रास्ते से बाहर आए.
وَعِنْدَ دُخُولِ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ قُدَّامَ ٱلرَّبِّ فِي ٱلْمَوَاسِمِ، فَٱلدَّاخِلُ مِنْ طَرِيقِ بَابِ ٱلشِّمَالِ لِيَسْجُدَ يَخْرُجُ مِنْ طَرِيقِ بَابِ ٱلْجَنُوبِ، وَٱلدَّاخِلُ مِنْ طَرِيقِ بَابِ ٱلْجَنُوبِ يَخْرُجُ مِنْ طَرِيقِ بَابِ ٱلشِّمَالِ. لَا يَرْجِعُ مِنْ طَرِيقِ ٱلْبَابِ ٱلَّذِي دَخَلَ مِنْهُ، بَلْ يَخْرُجُ مُقَابِلَهُ. ٩ 9
“‘जब देश के लोग ठहराये गए त्योहारों पर याहवेह के सामने आएं, तो जो आराधना के लिए उत्तरी द्वार से प्रवेश करे, वह दक्षिणी द्वार से बाहर जाए; और जो कोई दक्षिणी द्वार से प्रवेश करे, वह उत्तरी द्वार से बाहर जाए. कोई भी उस द्वार से बाहर न जाए, जिससे उसने प्रवेश किया था, पर हर एक विरुद्ध दिशा के द्वार से बाहर निकले.
وَٱلرَّئِيسُ فِي وَسْطِهِمْ يَدْخُلُ عِنْدَ دُخُولِهِمْ، وَعِنْدَ خُرُوجِهِمْ يَخْرُجُونَ مَعًا. ١٠ 10
राजकुमार उनके बीच हो; जब वे भीतर जाएं, तब वह उनके साथ भीतर जाए और जब वे बाहर आएं, तब वह भी उनके साथ बाहर आए.
وَفِي ٱلْأَعْيَادِ وَفِي ٱلْمَوَاسِمِ تَكُونُ ٱلتَّقْدِمَةُ إِيفَةً لِلثَّوْرِ وَإِيفَةً لِلْكَبْشِ. وَلِلْحُمْلَانِ عَطِيَّةُ يَدِهِ، وَلِلْإِيفَةِ هِينُ زَيْتٍ. ١١ 11
भोजों और ठहराये गए त्योहारों पर, अन्‍नबलि एक बछड़े के साथ एक एफाह, एक मेढ़े के साथ एक एफाह, और मेमनों के साथ अपनी खुशी से जितना ज्यादा दे सके, वह दे, इसके साथ हर एफाह के लिये एक हीन तेल भी दे.
وَإِذَا عَمِلَ ٱلرَّئِيسُ نَافِلَةً، مُحْرَقَةً أَوْ ذَبَائِحَ سَلَامَةٍ، نَافِلَةً لِلرَّبِّ، يُفْتَحُ لَهُ ٱلْبَابُ ٱلْمُتَّجِهُ لِلْمَشْرِقِ، فَيَعْمَلُ مُحْرَقَتَهُ وَذَبَائِحَهُ ٱلسَّلَامِيَّةَ كَمَا يَعْمَلُ فِي يَوْمِ ٱلسَّبْتِ ثُمَّ يَخْرُجُ. وَبَعْدَ خُرُوجِهِ يُغْلَقُ ٱلْبَابُ. ١٢ 12
“‘जब राजकुमार याहवेह को स्वेच्छाबलिदान दे—चाहे एक होमबलिदान या मेल बलिदान हो, तब पूर्व की ओर के द्वार को उसके लिए खोल दिया जाए. वह अपना होमबलिदान या मेल बलिदान वैसा ही चढ़ाए, जैसा कि वह विश्राम दिन में चढ़ाता है. तब वह बाहर चला जाए, और उसके बाहर चले जाने के बाद, द्वार बंद कर दिया जाए.
وَتَعْمَلُ كُلَّ يَوْمٍ مُحْرَقَةً لِلرَّبِّ حَمَلًا حَوْلِيًّا صَحِيحًا. صَبَاحًا صَبَاحًا تَعْمَلُهُ. ١٣ 13
“‘तुम प्रतिदिन याहवेह को एक साल का निर्दोष मेमना होमबलिदान के लिये देना; तुम इसे हर सुबह देना.
وَتَعْمَلُ عَلَيْهِ تَقْدِمَةً صَبَاحًا صَبَاحًا سُدْسَ ٱلْإِيفَةِ، وَزَيْتًا ثُلُثَ ٱلْهِينِ لِرَشِّ ٱلدَّقِيقِ. تَقْدِمَةً لِلرَّبِّ، فَرِيضَةً أَبَدِيَّةً دَائِمَةً. ١٤ 14
तुम्हें इसके साथ हर सुबह अन्‍नबलि भी देना है, जिसमें एक एफाह का छठवां भाग और आटा (मैदा) को गूंधने के लिये एक हीन तेल का तीसरा भाग हो. याहवेह को यह अन्‍नबलि देना एक स्थायी अध्यादेश है.
وَيَعْمَلُونَ ٱلْحَمَلَ وَٱلتَّقْدِمَةَ وَٱلزَّيْتَ صَبَاحًا صَبَاحًا مُحْرَقَةً دَائِمَةً. ١٥ 15
इसलिये नियमित होमबलिदान के लिए हर सुबह मेमना, अन्‍नबलि और तेल दिया जाए.
«هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: إِنْ أَعْطَى ٱلرَّئِيسُ رَجُلًا مِنْ بَنِيهِ عَطِيَّةً، فَإِرْثُهَا يَكُونُ لِبَنِيهِ. مُلْكُهُمْ هِيَ بِٱلْوَرَاثَةِ. ١٦ 16
“‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: यदि राजकुमार अपने उत्तराधिकार में पाये संपत्ति में से अपने किसी भी पुत्र को कोई उपहार देता है, तो वह उसके संतानों का भी होगा; यह उत्तराधिकार के द्वारा उनकी संपत्ति है.
فَإِنْ أَعْطَى أَحَدًا مِنْ عَبِيدِهِ عَطِيَّةً مِنْ مِيرَاثِهِ فَتَكُونُ لَهُ إِلَى سَنَةِ ٱلْعِتْقِ، ثُمَّ تَرْجِعُ لِلرَّئِيسِ. وَلَكِنَّ مِيرَاثَهُ يَكُونُ لِأَوْلَادِهِ. ١٧ 17
किंतु यदि वह अपने उत्तराधिकार की संपत्ति में से कोई उपहार अपने किसी सेवक को देता है, तो सेवक उस उपहार को अपने स्वतंत्र होने के वर्ष तक रखे, उसके बाद वह उपहार राजकुमार को लौटा दिया जाए. राजकुमार के उत्तराधिकार की संपत्ति सिर्फ उसके बेटों की है; यह उनकी है.
وَلَا يَأْخُذُ ٱلرَّئِيسُ مِنْ مِيرَاثِ ٱلشَّعْبِ طَرْدًا لَهُمْ مِنْ مُلْكِهِمْ. مِنْ مُلْكِهِ يُورِثُ بَنِيهِ، لِكَيْلَا يُفَرَّقَ شَعْبِي، ٱلرَّجُلُ عَنْ مِلْكِهِ». ١٨ 18
राजकुमार लोगों के उत्तराधिकार की कोई संपत्ति न ले, वह उन्हें उनकी संपत्ति से बेदखल न करे. वह अपने बेटों को अपनी ही संपत्ति में से उत्तराधिकार दे, ताकि मेरे लोगों में से कोई भी अपनी संपत्ति से अलग न हो.’”
ثُمَّ أَدْخَلَنِي بِٱلْمَدْخَلِ ٱلَّذِي بِجَانِبِ ٱلْبَابِ إِلَى مَخَادِعِ ٱلْقُدْسِ ٱلَّتِي لِلْكَهَنَةِ ٱلْمُتَّجِهَةِ لِلشِّمَالِ، وَإِذَا هُنَاكَ مَوْضِعٌ عَلَى ٱلْجَانِبَيْنِ إِلَى ٱلْغَرْبِ. ١٩ 19
तब वह व्यक्ति मुझे द्वार के किनारे से पुरोहितों के पवित्र कमरों में ले आया, जिनका मुख उत्तर की ओर है, और उसने मुझे पश्चिमी छोर पर एक जगह दिखाई.
وَقَالَ لِي: «هَذَا هُوَ ٱلْمَوْضِعُ ٱلَّذِي تَطْبُخُ فِيهِ ٱلْكَهَنَةُ ذَبِيحَةَ ٱلْإِثْمِ وَذَبِيحَةَ ٱلْخَطِيَّةِ، وَحَيْثُ يَخْبِزُونَ ٱلتَّقْدِمَةَ، لِئَلَّا يَخْرُجُوا بِهَا إِلَى ٱلدَّارِ ٱلْخَارِجِيَّةِ لِيُقَدِّسُوا ٱلشَّعْبَ». ٢٠ 20
उसने मुझसे कहा, “यह वह स्थान है, जहां पुरोहित दोष बलिदान और पाप बलिदान को पकाएं और अन्‍नबलि को सेंकें, इससे इन्हें बाहरी आंगन में लाना न पड़े और लोगों को पवित्र करना न पड़े.”
ثُمَّ أَخْرَجَنِي إِلَى ٱلدَّارِ ٱلْخَارِجِيَّةِ وَعَبَّرَنِي عَلَى زَوَايَا ٱلدَّارِ ٱلْأَرْبَعِ، فَإِذَا فِي كُلِّ زَاوِيَةٍ مِنَ ٱلدَّارِ دَارٌ. ٢١ 21
तब वह मुझे बाहरी आंगन में ले आया और चारों ओर इसके चारों कोनों में ले गया, और मैंने हर एक कोने में एक दूसरा आंगन देखा.
فِي زَوَايَا ٱلدَّارِ ٱلْأَرْبَعِ دُورٌ مُصَوَّنَةٌ طُولُهَا أَرْبَعُونَ وَعَرْضُهَا ثَلَاثُونَ. لِلزَّوَايَا ٱلْأَرْبَعِ قِيَاسٌ وَاحِدٌ. ٢٢ 22
बाहरी आंगन के चारों कोनों में घिरे हुए आंगन थे, लगभग इक्कीस मीटर लंबे और लगभग सोलह मीटर चौड़े; हर आंगन चारों कोनों में एक ही नाप के थे.
وَمُحِيطَةٌ بِهَا حَافَةٌ حَوْلَ ٱلْأَرْبَعَةِ، وَمَطَابِخُ مَعْمُولَةٌ تَحْتَ ٱلْحَافَاتِ ٱلْمُحِيطَةِ بِهَا. ٢٣ 23
चारों आंगनों के प्रत्येक के भीतर चारों ओर पत्थर का एक निकला हुआ भाग था, जहां निकले हुए भाग के नीचे चारों ओर आग जलाने की जगह थी.
ثُمَّ قَالَ لِي: «هَذَا بَيْتُ ٱلطَّبَّاخِينَ حَيْثُ يَطْبُخُ خُدَّامُ ٱلْبَيْتِ ذَبِيحَةَ ٱلشَّعْبِ». ٢٤ 24
तब उसने मुझसे कहा, “ये रसोईघर हैं, जहां मंदिर में सेवा करनेवाले, लोगों के बलिदानों को पकाएं.”

< حِزْقِيَال 46 >