< حِزْقِيَال 43 >

ثُمَّ ذَهَبَ بِي إِلَى ٱلْبَابِ، ٱلْبَابِ ٱلْمُتَّجِهِ نَحْوَ ٱلشَّرْقِ. ١ 1
फिर वह मुझे फाटक पर ले आया, या'नी उस फाटक पर जिसका रुख़ पूरब की तरफ़ है;
وَإِذَا بِمَجْدِ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ جَاءَ مِنْ طَرِيقِ ٱلشَّرْقِ وَصَوْتُهُ كَصَوْتِ مِيَاهٍ كَثِيرَةٍ، وَٱلْأَرْضُ أَضَاءَتْ مِنْ مَجْدِهِ. ٢ 2
और क्या देखता हूँ कि इस्राईल के ख़ुदा का जलाल पूरब की तरफ़ से आया, और उसकी आवाज़ सैलाब के शोर के जैसी थी, और ज़मीन उसके जलाल से मुनव्वर हो गई।
وَٱلْمَنْظَرُ كَٱلْمَنْظَرِ ٱلَّذِي رَأَيْتُهُ، كَٱلْمَنْظَرِ ٱلَّذِي رَأَيْتُهُ لَمَّا جِئْتُ لِأُخْرِبَ ٱلْمَدِينَةَ، وَٱلْمَنَاظِرُ كَٱلْمَنْظَرِ ٱلَّذِي رَأَيْتُ عِنْدَ نَهْرِ خَابُورَ، فَخَرَرْتُ عَلَى وَجْهِي. ٣ 3
और यह उस ख़्वाब की नुमाइश के मुताबिक़ था जो मैंने देखा था, हाँ, उस ख़्वाब के मुताबिक़ जो मैंने उस वक़्त देखा था जब मैं शहर को बर्बाद करने आया था, और यह रोयतें उस ख़्वाब की तरह थीं जो मैंने नहर — ए — किबार के किनारे पर देखा था; तब मैं मुँह के बल गिरा।
فَجَاءَ مَجْدُ ٱلرَّبِّ إِلَى ٱلْبَيْتِ مِنْ طَرِيقِ ٱلْبَابِ ٱلْمُتَّجِهِ نَحْوَ ٱلشَّرْقِ. ٤ 4
और ख़ुदावन्द का जलाल उस फाटक की राह से, जिसका रुख़ पूरब की तरफ़ है हैकल में दाख़िल हुआ।
فَحَمَلَنِي رُوحٌ وَأَتَى بِي إِلَى ٱلدَّارِ ٱلدَّاخِلِيَّةِ، وَإِذَا بِمَجْدِ ٱلرَّبِّ قَدْ مَلَأَ ٱلْبَيْتَ، ٥ 5
और रूह ने मुझे उठा कर अन्दरूनी सहन में पहुँचा दिया, और क्या देखता हूँ कि हैकल ख़ुदावन्द के जलाल से मा'मूर है।
وَسَمِعْتُهُ يُكَلِّمُنِي مِنَ ٱلْبَيْتِ، وَكَانَ رَجُلٌ وَاقِفًا عِنْدِي. ٦ 6
और मैंने किसी की आवाज़ सुनी, जो हैकल में से मेरे साथ बातें करता था, और एक शख़्स मेरे पास खड़ा था।
وَقَالَ لِي: «يَا ٱبْنَ آدَمَ، هَذَا مَكَانُ كُرْسِيِّي وَمَكَانُ بَاطِنِ قَدَمَيَّ حَيْثُ أَسْكُنُ فِي وَسْطِ بَنِي إِسْرَائِيلَ إِلَى ٱلْأَبَدِ، وَلَا يُنَجِّسُ بَعْدُ بَيْتُ إِسْرَائِيلَ ٱسْمِي ٱلْقُدُّوسَ، لَا هُمْ وَلَا مُلُوكُهُمْ، لَا بِزِنَاهُمْ وَلَا بِجُثَثِ مُلُوكِهِمْ فِي مُرْتَفَعَاتِهِمْ. ٧ 7
और उसने मुझे फ़रमाया, कि 'ऐ आदमज़ाद, यह मेरी तख़्तगाह और मेरे पाँव की कुर्सी है जहाँ मैं बनी — इस्राईल के बीच हमेशा तक रहूँगा और बनी इस्राईल और उनके बादशाह फिर कभी मेरे पाक नाम को अपनी बदकारी और अपने बादशाहों की लाशों से उनके मरने पर नापाक न करेंगे।
بِجَعْلِهِمْ عَتَبَتَهُمْ لَدَى عَتَبَتِي، وَقَوَائِمَهُمْ لَدَى قَوَائِمِي، وَبَيْنِي وَبَيْنَهُمْ حَائِطٌ، فَنَجَّسُوا ٱسْمِي ٱلْقُدُّوسَ بِرَجَاسَاتِهِمِ ٱلَّتِي فَعَلُوهَا، فَأَفْنَيْتُهُمْ بِغَضَبِي. ٨ 8
क्यूँकि वह अपने आस्ताने मेरे आस्तानों के पास, और अपनी चौखटें मेरी चौखटों के पास लगाते थे, और मेरे और उनके बीच सिर्फ़ एक दीवार थी; उन्होंने अपने उन घिनौने कामों से जो उन्होंने किए मेरे पाक नाम को नापाक किया, इसलिए मैंने अपने क़हर में उनको हलाक किया।
فَلْيُبْعِدُوا عَنِّي ٱلْآنَ زِنَاهُمْ وَجُثَثَ مُلُوكِهِمْ فَأَسْكُنَ فِي وَسْطِهِمْ إِلَى ٱلْأَبَدِ. ٩ 9
अगरचे अब वह अपनी बदकारी और अपने बादशाहों की लाशें मुझ से दूर कर दें, तो मैं हमेशा तक उनके बीच रहूँगा।
«وَأَنْتَ يَا ٱبْنَ آدَمَ، فَأَخْبِرْ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ عَنِ ٱلْبَيْتِ لِيَخْزَوْا مِنْ آثَامِهِمْ، وَلْيَقِيسُوا ٱلرَّسْمَ. ١٠ 10
'ऐ आदमज़ाद, तू बनी — इस्राईल को यह घर दिखा, ताकि वह अपनी बदकिरदारी से शर्मिन्दा हो जाएँ और इस नमूने को नापें।
فَإِنْ خَزُوا مِنْ كُلِّ مَا فَعَلُوهُ، فَعَرِّفْهُمْ صُورَةَ ٱلْبَيْتِ وَرَسْمَهُ وَمَخَارِجَهُ وَمَدَاخِلَهُ وَكُلَّ أَشْكَالِهِ وَكُلَّ فَرَائِضِهِ وَكُلَّ أَشْكَالِهِ وَكُلَّ شَرَائِعِهِ، وَٱكْتُبْ ذَلِكَ قُدَّامَ أَعْيُنِهِمْ لِيَحْفَظُوا كُلَّ رُسُومِهِ وَكُلَّ فَرَائِضِهِ وَيَعْمَلُوا بِهَا. ١١ 11
और अगर वह अपने सब कामों से शर्मिंदा हों, तो उस घर का नक़्शा और उसकी तरतीब और उसके मख़ारिज और मदख़ल और उसकी तमाम शक्ल और उसके कुल हुक्मों और उसकी पूरी वज़ह और तमाम क़वानीन उनको दिखा, और उनकी आँखों के सामने उसको लिख, ताकि वह उसका कुल नक़्शा और उसके तमाम हुक्मों को मानकर उन पर 'अमल करें।
هَذِهِ سُنَّةُ ٱلْبَيْتِ: عَلَى رَأْسِ ٱلْجَبَلِ كُلُّ تُخْمِهِ حَوَالَيْهِ قُدْسُ أَقْدَاسٍ. هَذِهِ هِيَ سُنَّةُ ٱلْبَيْتِ. ١٢ 12
इस घर का क़ानून यह है कि इसकी तमाम सरहदें पहाड़ की चोटी पर और इसके चारों तरफ़ बहुत पाक होंगी; देख, यही इस घर का क़ानून है।
«وَهَذِهِ أَقْيِسَةُ ٱلْمَذْبَحِ بِٱلْأَذْرُعِ، وَٱلذِّرَاعُ هِيَ ذِرَاعٌ وَفِتْرٌ: ٱلْحِضْنُ ذِرَاعٌ، وَٱلْعَرْضُ ذِرَاعٌ، وَحَاشِيَتُهُ إِلَى شَفَتِهِ حَوَالَيْهِ شِبْرٌ وَاحِدٌ. هَذَا ظَهْرُ ٱلْمَذْبَحِ. ١٣ 13
'और हाथ के नाप से मज़बह के यह नाप हैं, और इस हाथ की लम्बाई एक हाथ चार उँगल है। पाया एक हाथ का होगा, और चौड़ाई एक हाथ और उसके चारो तरफ़ बालिश्त भर चौड़ा हाशिया, और मज़बह का पाया यही है।
وَمِنَ ٱلْحِضْنِ عِنْدَ ٱلْأَرْضِ إِلَى ٱلْخُصْمِ ٱلْأَسْفَلِ ذِرَاعَانِ، وَٱلْعَرْضُ ذِرَاعٌ. وَمِنَ ٱلْخُصْمِ ٱلْأَصْغَرِ إِلَى ٱلْخُصْمِ ٱلْأَكْبَرِ أَرْبَعُ أَذْرُعٍ، وَٱلْعَرْضُ ذِرَاعٌ. ١٤ 14
और ज़मीन पर के इस पाये से लेकर नीचे की कुर्सी तक दो हाथ, और उसकी चौड़ाई एक हाथ और छोटी कुर्सी से बड़ी कुर्सी तक चार हाथ और चौड़ाई एक हाथ।
وَٱلْمَوْقِدُ أَرْبَعُ أَذْرُعٍ. وَمِنَ ٱلْمَوْقِدِ إِلَى فَوْقُ أَرْبَعَةُ قُرُونٍ. ١٥ 15
और ऊपर का मज़बह चार हाथ का होगा, और मज़बह के ऊपर चार सींग होंगे।
وَٱلْمَوْقِدُ ٱثْنَتَا عَشَرَةَ طُولًا، بِٱثْنَتَيْ عَشَرَةَ عَرْضًا، مُرَبَّعًا عَلَى جَوَانِبِهِ ٱلْأَرْبَعَةِ. ١٦ 16
और मज़बह बारह हाथ लम्बा होगा और बारह हाथ चौड़ा मुरब्बा।
وَٱلْخُصْمُ أَرْبَعَ عَشَرَةَ طُولًا بِأَرْبَعَ عَشْرَةَ عَرْضًا عَلَى جَوَانِبِهِ ٱلْأَرْبَعَةِ. وَٱلْحَاشِيَةُ حَوَالَيْهِ نِصْفُ ذِرَاعٍ، وَحِضْنُهُ ذِرَاعٌ حَوَالَيْهِ، وَدَرَجَاتُهُ تُجَاهَ ٱلْمَشْرِقِ». ١٧ 17
और कुर्सी चौदह हाथ लम्बी और चौदह हाथ चौड़ी मुरब्बा' और चारों तरफ़ उसका किनारा आधा हाथ, उसका पाया चारो तरफ़ एक हाथ और उसका ज़ीना पूरब रू होगा।
وَقَالَ لِي: «يَا ٱبْنَ آدَمَ، هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: هَذِهِ فَرَائِضُ ٱلْمَذْبَحِ يَوْمَ صُنْعِهِ لِإِصْعَادِ ٱلْمُحْرَقَةِ عَلَيْهِ وَلِرَشِّ ٱلدَّمِ عَلَيْهِ: ١٨ 18
और उसने मुझ से कहा, ऐ आदमज़ाद, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मज़बह के यह हुक्म उस दिन जारी होंगे जब वह उसे बनाएँगे, ताकि उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी पेश करें और उस पर ख़ून छिड़कें।
فَتُعْطِي ٱلْكَهَنَةَ ٱللَّاوِيِّينَ ٱلَّذِينَ مِنْ نَسْلِ صَادُوقَ ٱلْمُقْتَرِبِينَ إِلَيَّ لِيَخْدِمُونِي، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، ثَوْرًا مِنَ ٱلْبَقَرِ لِذَبِيحَةِ خَطِيَّةٍ. ١٩ 19
और तू लावी काहिनों को जो सदूक़ की नसल से हैं, जो मेरी ख़िदमत के लिए मेरे सामने आते हैं, ख़ता की क़ुर्बानी के लिए बछड़ा देना, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
وَتَأْخُذُ مِنْ دَمِهِ وَتَضَعُهُ عَلَى قُرُونِهِ ٱلْأَرْبَعَةِ، وَعَلَى أَرْبَعِ زَوَايَا ٱلْخُصْمِ وَعَلَى ٱلْحَاشِيَةِ حَوَالَيْهَا، فَتُطَهِّرُهُ وَتُكَفِّرُ عَنْهُ. ٢٠ 20
और तू उसके खू़न में से लेना और मज़बह के चारों सींगों पर, उसकी कुर्सी के चारों कोनों पर और उसके चारो तरफ़ के हाशिए पर लगाना; इसी तरह कफ़्फ़ारा देकर उसे पाक — ओ — साफ़ करना।
وَتَأْخُذُ ثَوْرَ ٱلْخَطِيَّةِ فَيُحْرَقُ فِي ٱلْمَوْضِعِ ٱلْمُعَيَّنِ مِنَ ٱلْبَيْتِ خَارِجَ ٱلْمَقْدِسِ. ٢١ 21
और ख़ता की क़ुर्बानी के लिए बछड़ा लेना, और वह घर की मुक़र्रर जगह में हैकल के बाहर जलाया जाएगा।
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّانِي تُقَرِّبُ تَيْسًا مِنَ ٱلْمَعْزِ صَحِيحًا ذَبِيحَةَ خَطِيَّةٍ، فَيُطَهِّرُونَ ٱلْمَذْبَحَ كَمَا طَهَّرُوهُ بِٱلثَّوْرِ. ٢٢ 22
और तू दूसरे दिन एक बे'ऐब बकरा ख़ता की क़ुर्बानी के लिए पेश करना, और वह मज़बह को कफ़्फ़ारा देकर उसी तरह पाक करेंगे, जिस तरह बछड़े से पाक किया था।
وَإِذَا أَكْمَلْتَ ٱلتَّطْهِيرَ، تُقَرِّبُ ثَوْرًا مِنَ ٱلْبَقَرِ صَحِيحًا، وَكَبْشًا مِنَ ٱلضَّأْنِ صَحِيحًا. ٢٣ 23
और जब तू उसे पाक कर चुके तो एक बे'ऐब बछड़ा और गल्ले का एक बे'ऐब मेंढा पेश करना।
وَتُقَرِّبُهُمَا قُدَّامَ ٱلرَّبِّ، وَيُلْقِي عَلَيْهِمَا ٱلْكَهَنَةُ مِلْحًا وَيُصْعِدُونَهُمَا مُحْرَقَةً لِلرَّبِّ. ٢٤ 24
और तू उनको ख़ुदावन्द के सामने लाना और काहिन उनपर नमक छिड़कें और उनको सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए ख़ुदावन्द के सामने पेश करें।
سَبْعَةَ أَيَّامٍ تَعْمَلُ فِي كُلِّ يَوْمٍ تَيْسَ ٱلْخَطِيَّةِ. وَيَعْمَلُونَ ثَوْرًا مِنَ ٱلْبَقَرِ وَكَبْشًا مِنَ ٱلضَّأْنِ صَحِيحَيْنِ. ٢٥ 25
और तू सात दिन तक हर रोज़ एक बकरा ख़ता की क़ुर्बानी के लिए तैयार कर रखना, वह एक बछड़ा और गल्ले का एक मेंढा भी जो बे'ऐब हों तैयार कर रख्खें।
سَبْعَةَ أَيَّامٍ يُكَفِّرُونَ عَنِ ٱلْمَذْبَحِ وَيُطَهِّرُونَهُ وَيَمْلَأُونَ يَدَهُ. ٢٦ 26
सात दिन तक वह मज़बह को कफ़्फ़ारा देकर पाक — ओ — साफ़ करेंगे और उसको मख़्सूस करेंगे।
فَإِذَا تَمَّتْ هَذِهِ ٱلْأَيَّامُ يَكُونُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ فَصَاعِدًا أَنَّ ٱلْكَهَنَةَ يَعْمَلُونَ عَلَى ٱلْمَذْبَحِ مُحْرَقَاتِكُمْ وَذَبَائِحَكُمْ ٱلسَّلَامِيَّةَ، فَأَرْضَى عَنْكُمْ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ». ٢٧ 27
और जब यह दिन पूरे होंगे, तो यूँ होगा कि आठवें दिन और आइन्दा काहिन तुम्हारी सोख़्तनी कुर्बानियों को और तुम्हारी सलामती की कु़र्बानियों को मज़बह पर पेश करूँगे, और मैं तुम को क़ुबूल करूँगा; ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।

< حِزْقِيَال 43 >