< حِزْقِيَال 39 >

«وَأَنْتَ يَا ٱبْنَ آدَمَ، تَنَبَّأْ عَلَى جُوجٍ وَقُلْ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا عَلَيْكَ يَا جُوجُ رَئِيسُ رُوشٍ مَاشِكَ وَتُوبَالَ. ١ 1
इसलिए ऐ आदमज़ाद, तू जूज के ख़िलाफ़ नबुव्वत कर और कह, कि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: देख, ऐ जूज, रोश और मसक और तूबल के फ़रमारवा, मैं तेरा मुख़ालिफ़ हूँ।
وَأَرُدُّكَ وَأَقُودُكَ وَأُصْعِدُكَ مِنْ أَقَاصِي ٱلشِّمَالِ وَآتِي بِكَ عَلَى جِبَالِ إِسْرَائِيلَ. ٢ 2
और मैं तुझे फिरा दूँगा और तुझे लिए फिरूँगा और उत्तर की दूर 'अतराफ़ से चढ़ा लाऊँगा और तुझे इस्राईल के पहाड़ों पर पहुचाऊँगा।
وَأَضْرِبُ قَوْسَكَ مِنْ يَدِكَ ٱلْيُسْرَى، وَأُسْقِطُ سِهَامَكَ مِنْ يَدِكَ ٱلْيُمْنَى. ٣ 3
और तेरी कमान तेरे बाएँ हाथ से छुड़ा दूँगा और तेरे तीर तेरे दहने हाथ से गिरा दूँगा।
فَتَسْقُطُ عَلَى جِبَالِ إِسْرَائِيلَ أَنْتَ وَكُلُّ جَيْشِكَ وَٱلشُّعُوبُ ٱلَّذِينَ مَعَكَ. أَبْذُلُكَ مَأْكَلًا لِلطُّيُورِ ٱلْكَاسِرَةِ مِنْ كُلِّ نَوْعٍ وَلِوُحُوشِ ٱلْحَقْلِ. ٤ 4
तू इस्राईल के पहाड़ों पर अपने सब लश्कर और हिमायतियों के साथ गिर जाएगा, और मैं तुझे हर क़िस्म के शिकारी परिन्दों और मैदान के दरिन्दों को दूँगा कि खा जाएँ।
عَلَى وَجْهِ ٱلْحَقْلِ تَسْقُطُ، لِأَنِّي تَكَلَّمْتُ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ٥ 5
तू खुले मैदान में गिरेगा, क्यूँकि मैंने ही कहा, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
وَأُرْسِلُ نَارًا عَلَى مَاجُوجَ وَعَلَى ٱلسَّاكِنِينَ فِي ٱلْجَزَائِرِ آمِنِينَ، فَيَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ. ٦ 6
और मैं माजूज पर और उन पर जो समन्दरी मुल्कों में अमन से सुकूनत करते हैं, आग भेजूँगा और वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
وَأُعَرِّفُ بِٱسْمِي ٱلْمُقَدَّسِ فِي وَسْطِ شَعْبِي إِسْرَائِيلَ، وَلَا أَدَعُ ٱسْمِي ٱلْمُقَدَّسَ يُنَجَّسُ بَعْدُ، فَتَعْلَمُ ٱلْأُمَمُ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ قُدُّوسُ إِسْرَائِيلَ. ٧ 7
और मैं अपने मुक़द्दस नाम को अपनी उम्मत इस्राईल में ज़ाहिर करूँगा, और फिर अपने मुक़द्दस नाम की बेहुरमती न होने दूँगा; और क़ौमे जानेंगी कि मैं ख़ुदावन्द इस्राईल का क़ुददूस हूँ।
«هَا هُوَ قَدْ أَتَى وَصَارَ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. هَذَا هُوَ ٱلْيَوْمُ ٱلَّذِي تَكَلَّمْتُ عَنْهُ. ٨ 8
देख, वह पहुँचा और वजूद में आया, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है; यह वही दिन है जिसके ज़रिए' मैंने फ़रमाया था।
وَيَخْرُجُ سُكَّانُ مُدُنِ إِسْرَائِيلَ وَيُشْعِلُونَ وَيُحْرِقُونَ ٱلسِّلَاحَ وَٱلْمَجَانَّ وَٱلْأَتْرَاسَ وَٱلْقِسِيَّ وَٱلسِّهَامَ وَٱلْحِرَابَ وَٱلرِّمَاحَ، وَيُوقِدُونَ بِهَا ٱلنَّارَ سَبْعَ سِنِينَ. ٩ 9
तब इस्राईल के शहरों के बसने वाले निकलेंगे और आग लगाकर हथियारों को जलाएँगे, या'नी सिपरों और फरियों को, कमानों और तीरों को, और भालों और बर्छियों को, और वह सात बरस तक उनको जलाते रहेंगे।
فَلَا يَأْخُذُونَ مِنَ ٱلْحَقْلِ عُودًا، وَلَا يَحْتَطِبُونَ مِنَ ٱلْوُعُورِ، لِأَنَّهُمْ يُحْرِقُونَ ٱلسِّلَاحَ بِٱلنَّارِ، وَيَنْهَبُونَ ٱلَّذِينَ نَهَبُوهُمْ، وَيَسْلُبُونَ ٱلَّذِينَ سَلَبُوهُمْ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ١٠ 10
यहाँ तक कि न वह मैदानों से लकड़ी लाएँगे और न जंगलों से काटेंगे क्यूँकि वह हथियार ही जलाएँगे, और वह अपने लूटने वालों को लूटेंगे और अपने ग़ारत करने वालों को ग़ारत करेंगे, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
وَيَكُونُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، أَنِّي أُعْطِي جُوجًا مَوْضِعًا هُنَاكَ لِلْقَبْرِ فِي إِسْرَائِيلَ، وَوَادِي عَبَارِيمَ بِشَرْقِيِّ ٱلْبَحْرِ، فَيَسُدُّ نَفَسَ ٱلْعَابِرِينَ. وَهُنَاكَ يَدْفِنُونَ جُوجًا وَجُمْهُورَهُ كُلَّهُ، وَيُسَمُّونَهُ: وَادِيَ جُمْهُورِ جُوجٍ. ١١ 11
और उसी दिन यूँ होगा कि मैं वहाँ इस्राईल में जूज को एक क़ब्रिस्तान दूँगा, या'नी रहगुज़रों की वादी जो समन्दर के पूरब में वहाँ जूज को और उसकी तमाम जमियत को दफ़न करेंगे, और जमियत — ए — जूज की वादी उसका नाम रख्खेंगे।
وَيَقْبِرُهُمْ بَيْتُ إِسْرَائِيلَ لِيُطَهِّرُوا ٱلْأَرْضَ سَبْعَةَ أَشْهُرٍ. ١٢ 12
और सात महीनों तक बनी इस्राईल उनको दफ़न करते रहेंगे ताकि मुल्क को साफ़ करें।
كُلُّ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ يَقْبِرُونَ، وَيَكُونُ لَهُمْ يَوْمُ تَمْجِيدِي مَشْهُورًا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ١٣ 13
हाँ, उस मुल्क के सब लोग उनको दफ़न करेंगे; और यह उनके लिए उनका भी नाम होगा जिस रोज़ मेरी बड़ाई होगी, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
وَيُفْرِزُونَ أُنَاسًا مُسْتَدِيمِينَ عَابِرِينَ فِي ٱلْأَرْضِ، قَابِرِينَ مَعَ ٱلْعَابِرِينَ أُولَئِكَ ٱلَّذِينَ بَقُوا عَلَى وَجْهِ ٱلْأَرْضِ. تَطْهِيرًا لَهَا. بَعْدَ سَبْعَةِ أَشْهُرٍ يَفْحَصُونَ. ١٤ 14
और वह चन्द आदमियों को चुन लेंगे जो इस काम में हमेशा मशगू़ल रहेंगे, और वह ज़मीन पर से गुज़रते हुए रहगुज़रों की मदद से, उनको जो सतह — ए — ज़मीन पर पड़े रह गए हों, दफ़न करेंगे ताकि उसे साफ़ करें, पूरे सात महीनों के बाद तलाश करेंगे।
فَيَعْبُرُ ٱلْعَابِرُونَ فِي ٱلْأَرْضِ، وَإِذَا رَأَى أَحَدٌ عَظْمَ إِنْسَانٍ يَبْنِي بِجَانِبِهِ صُوَّةً حَتَّى يَقْبِرَهُ ٱلْقَابِرُونَ فِي وَادِي جُمْهُورِ جُوجٍ، ١٥ 15
और जब वह मुल्क में से गुज़रें और उनमें से कोई किसी आदमी की हड्डी देखे, तो उसके पास एक निशान खड़ा करेगा, जब तक दफ़न करने वाले जमियत — ए — जूज की वादी में उसे दफ़न न करें।
وَأَيْضًا ٱسْمُ ٱلْمَدِينَةِ «هَمُونَةُ»، فَيُطَهِّرُونَ ٱلْأَرْضَ. ١٦ 16
और शहर भी ज'मिय्यत कहलाएगा। यूँ वह ज़मीन को पाक करेंगे।
«وَأَنْتَ يَا ٱبْنَ آدَمَ، فَهَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: قُلْ لِطَائِرِ كُلِّ جَنَاحٍ، وَلِكُلِّ وُحُوشِ ٱلْبَرِّ: ٱجْتَمِعُوا، وَتَعَالَوْا، ٱحْتَشِدُوا مِنْ كُلِّ جِهَةٍ، إِلَى ذَبِيحَتِي ٱلَّتِي أَنَا ذَابِحُهَا لَكُمْ، ذَبِيحَةً عَظِيمَةً عَلَى جِبَالِ إِسْرَائِيلَ، لِتَأْكُلُوا لَحْمًا وَتَشْرَبُوا دَمًا. ١٧ 17
और ऐ आदमज़ाद, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है: कि हर क़िस्म के परिन्दे और मैदान के हर एक जानवर से कह, जमा' होकर आओ, मेरे उस ज़बीहे पर जिसे मैं तुम्हारे लिए ज़बह करता हूँ; हाँ, इस्राईल के पहाड़ों पर एक बड़े ज़बीहे पर हर तरफ़ से जमा' हो, ताकि तुम गोश्त खाओ और खू़न पियो।
تَأْكُلُونَ لَحْمَ ٱلْجَبَابِرَةِ وَتَشْرَبُونَ دَمَ رُؤَسَاءِ ٱلْأَرْضِ. كِبَاشٌ وَحُمْلَانٌ وَأَعْتِدَةٌ وَثِيرَانٌ كُلُّهَا مِنْ مُسَمَّنَاتِ بَاشَانَ. ١٨ 18
तुम बहादुरों का गोश्त खाओगे और ज़मीन के 'उमरा का खू़न पिओगे, हाँ, मेंढों, बर्रों, बकरों और बैलों का वह सब के सब बसन के फ़र्बा हैं।
وَتَأْكُلُونَ ٱلشَّحْمَ إِلَى ٱلشَّبَعِ، وَتَشْرَبُونَ ٱلدَّمَ إِلَى ٱلسُّكْرِ مِنْ ذَبِيحَتِي ٱلَّتِي ذَبَحْتُهَا لَكُمْ. ١٩ 19
और तुम मेरे ज़बीहे की जिसे मैंने तुम्हारे लिए ज़बह किया यहाँ तक खाओगे कि सेर हो जाओगे, और इतना खू़न पिओगे कि मस्त हो जाओगे।
فَتَشْبَعُونَ عَلَى مَائِدَتِي مِنَ ٱلْخَيْلِ وَٱلْمَرْكَبَاتِ وَٱلْجَبَابِرَةِ وَكُلِّ رِجَالِ ٱلْحَرْبِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ٢٠ 20
और तुम मेरे दस्तरख़्वान पर घोड़ों और सवारों से, और बहादुरों और तमाम जंगीमर्दों से सेर होगे, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
وَأَجْعَلُ مَجْدِي فِي ٱلْأُمَمِ، وَجَمِيعُ ٱلْأُمَمِ يَرَوْنَ حُكْمِي ٱلَّذِي أَجْرَيْتُهُ، وَيَدِي ٱلَّتِي جَعَلْتُهَا عَلَيْهِمْ، ٢١ 21
'और मैं क़ौमों के बीच अपनी बुज़ुर्गी ज़ाहिर करूँगा और तमाम क़ोमें मेरी सज़ा को जो मैंने दी और मेरे हाथ को जो मैंने उन पर रख्खा देखेंगी।
فَيَعْلَمُ بَيْتُ إِسْرَائِيلَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُهُمْ مِنْ ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ فَصَاعِدًا. ٢٢ 22
और बनी — इस्राईल जानेंगे कि उस दिन से लेकर आगे को मैं ही ख़ुदावन्द उनका ख़ुदा हूँ।
وَتَعْلَمُ ٱلْأُمَمُ أَنَّ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ قَدْ أُجْلُوا بِإِثْمِهِمْ لِأَنَّهُمْ خَانُونِي، فَحَجَبْتُ وَجْهِي عَنْهُمْ وَسَلَّمْتُهُمْ لِيَدِ مُضَايِقِيهِمْ، فَسَقَطُوا كُلُّهُمْ بِٱلسَّيْفِ. ٢٣ 23
और क़ौमें जानेंगी कि बनी — इस्राईल अपनी बदकिरदारी की वजह से ग़ुलामी में गए, चूँकि वह मुझ से बाग़ी हुए, इसलिए मैंने उनसे मुँह छिपाया; और उनको उनके दुश्मनों के हाथ में कर दिया, और वह सब के सब तलवार से क़त्ल हुए।
كَنَجَاسَتِهِمْ وَكَمَعَاصِيهِمْ فَعَلْتُ مَعَهُمْ وَحَجَبْتُ وَجْهِي عَنْهُمْ. ٢٤ 24
उनकी नापाकी और ख़ताकारी के मुताबिक़, मैंने उनसे सुलूक किया और उनसे अपना मुँह छिपाया।
«لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: ٱلْآنَ أَرُدُّ سَبْيَ يَعْقُوبَ، وَأَرْحَمُ كُلَّ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ، وَأَغَارُ عَلَى ٱسْمِي ٱلْقُدُّوسِ. ٢٥ 25
लेकिन ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि अब मैं या'क़ूब की ग़ुलामी को ख़त्म करूँगा, और तमाम बनी इस्राईल पर रहम करूँगा और अपने पाक नाम के लिए ग़य्यूर हूँगा।
فَيَحْمِلُونَ خِزْيَهُمْ وَكُلَّ خِيَانَتِهِمِ ٱلَّتِي خَانُونِي إِيَّاهَا عِنْدَ سَكَنِهِمْ فِي أَرْضِهِمْ مُطْمَئِنِّينَ وَلَا مُخِيفٌ. ٢٦ 26
और वह अपनी रुस्वाई और तमाम ख़ताकारी, जिससे वह मेरे गुनहगार हुए बर्दाश्त करेंगे; जब वह अपनी सरज़मीन में अमन से क़याम करेंगे, तो कोई उनको न डराएगा।
عِنْدَ إِرْجَاعِي إِيَّاهُمْ مِنَ ٱلشُّعُوبِ، وَجَمْعِي إِيَّاهُمْ مِنْ أَرَاضِي أَعْدَائِهِمْ، وَتَقْدِيسِي فِيهِمْ أَمَامَ عُيُونِ أُمَمٍ كَثِيرِينَ، ٢٧ 27
जब मैं उनकी उम्मतों में से वापस लाऊँगा, और उनके दुश्मनों के मुल्कों से जमा' करूँगा, और बहुत सी क़ौमों की नज़रों में उनके बीच मेरी तक़दीस होगी।
يَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُهُمْ بِإِجْلَائِي إِيَّاهُمْ إِلَى ٱلْأُمَمِ، ثُمَّ جَمْعِهِمْ إِلَى أَرْضِهِمْ. وَلَا أَتْرُكُ بَعْدُ هُنَاكَ أَحَدًا مِنْهُمْ، ٢٨ 28
तब वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द उनका ख़ुदा हूँ, इसलिए कि मैंने उनको क़ौम के बीच ग़ुलामी में भेजा और मैं ही ने उनको उनके मुल्क में जमा' किया और उनमें से एक को भी वहाँ न छोड़ा।
وَلَا أَحْجُبُ وَجْهِي عَنْهُمْ بَعْدُ، لِأَنِّي سَكَبْتُ رُوحِي عَلَى بَيْتِ إِسْرَائِيلَ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ». ٢٩ 29
और मैं फिर कभी उनसे मुँह न छिपाऊँगा, क्यूँकि मैंने अपनी रूह बनी — इस्राईल पर नाज़िल की है ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।

< حِزْقِيَال 39 >