< حِزْقِيَال 31 >

وَكَانَ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلْحَادِيَةِ عَشَرَةَ، فِي ٱلشَّهْرِ ٱلثَّالِثِ، فِي أَوَّلِ ٱلشَّهْرِ، أَنَّ كَلَامَ ٱلرَّبِّ كَانَ إِلَيَّ قَائِلًا: ١ 1
फिर ग्यारहवें बरस के तीसरे महीने की पहली तारीख़ को, ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، قُلْ لِفِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ وَجُمْهُورِهِ: مَنْ أَشْبَهْتَ فِي عَظَمَتِكَ؟ ٢ 2
कि 'ऐ आदमज़ाद शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन और उसके लोगों से कह, तुम अपनी बुजु़र्गी में किसकी तरह हो?
هُوَذَا أَعْلَى ٱلْأَرْزِ فِي لُبْنَانَ جَمِيلُ ٱلْأَغْصَانِ وَأَغْبَى ٱلظِّلِّ، وَقَامَتُهُ طَوِيلَةٌ، وَكَانَ فَرْعُهُ بَيْنَ ٱلْغُيُومِ. ٣ 3
देख असूर लुबनान का बुलन्द देवदार था, जिसकी डालियाँ ख़ूबसूरत थीं, और पत्तियों की कसरत से वह ख़ूब सायादार था और उसका क़द बुलन्द था, और उसकी चोटी घनी शाख़ों के बीच थी।
قَدْ عَظَّمَتْهُ ٱلْمِيَاهُ، وَرَفَعَهُ ٱلْغَمْرُ. أَنْهَارُهُ جَرَتْ مِنْ حَوْلِ مَغْرِسِهِ، وَأَرْسَلَتْ جَدَاوِلَهَا إِلَى كُلِّ أَشْجَارِ ٱلْحَقْلِ. ٤ 4
पानी ने उसकी परवरिश की, गहराव ने उसे बढ़ाया, उसकी नहरें चारों तरफ़ जारी थीं, और उसने अपनी नालियों को मैदान के सब दरख़्तों तक पहुँचाया।
فَلِذَلِكَ ٱرْتَفَعَتْ قَامَتُهُ عَلَى جَمِيعِ أَشْجَارِ ٱلْحَقْلِ، وَكَثُرَتْ أَغْصَانُهُ، وَطَالَتْ فُرُوعُهُ لِكَثْرَةِ ٱلْمِيَاهِ إِذْ نَبَتَ. ٥ 5
इसलिए पानी की कसरत से उसका क़द मैदान के सब दरख़्तों से बुलन्द हुआ, और जब वह लहलहाने लगा, तो उसकी शाख़ें फ़िरावान और उसकी डालियाँ दराज़ हुई।
وَعَشَّشَتْ فِي أَغْصَانِهِ كُلُّ طُيُورِ ٱلسَّمَاءِ، وَتَحْتَ فُرُوعِهِ وَلَدَتْ كُلُّ حَيَوَانِ ٱلْبَرِّ، وَسَكَنَ تَحْتَ ظِلِّهِ كُلُّ ٱلْأُمَمِ ٱلْعَظِيمَةِ. ٦ 6
हवा के सब परिन्दे उसकी शाख़ों पर अपने घोंसले बनाते थे, और उसकी डालियों के नीचे सब दश्ती हैवान बच्चे देते थे, और सब बड़ी बड़ी क़ौमें उसके साये में बसती थीं।
فَكَانَ جَمِيلًا فِي عَظَمَتِهِ وَفِي طُولِ قُضْبَانِهِ، لِأَنَّ أَصْلَهُ كَانَ عَلَى مِيَاهٍ كَثِيرَةٍ. ٧ 7
यूँ वह अपनी बुजु़र्गी में अपनी डलियों की दराज़ी की वजह से ख़ुशनुमा था, क्यूँकि उसकी जड़ों के पास पानी की कसरत थी।
اَلْأَرْزُ فِي جَنَّةِ ٱللهِ لَمْ يَفُقْهُ، ٱلسَّرْوُ لَمْ يُشْبِهْ أَغْصَانَهُ، وَٱلدُّلْبُ لَمْ يَكُنْ مِثْلَ فُرُوعِهِ. كُلُّ ٱلْأَشْجَارِ فِي جَنَّةِ ٱللهِ لَمْ تُشْبِهْهُ فِي حُسْنِهِ. ٨ 8
ख़ुदा के बाग़ के देवदार उसे छिपा न सके, सरो उसकी शाख़ों और चिनार उसकी डालियों के बराबर न थे और ख़ुदा के बाग़ का कोई दरख़्त ख़ूबसूरती में उसकी तरह न था।
جَعَلْتُهُ جَمِيلًا بِكَثْرَةِ قُضْبَانِهِ، حَتَّى حَسَدَتْهُ كُلُّ أَشْجَارِ عَدْنٍ ٱلَّتِي فِي جَنَّةِ ٱللهِ. ٩ 9
मैंने उसकी डालियों की फ़िरावानी से उसे हुस्न बख़्शा, यहाँ तक कि अदन के सब दरख़्तों को जो ख़ुदा के बाग़ में थे उस पर रश्क आता था।
«لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ أَنَّكَ ٱرْتَفَعَتْ قَامَتُكَ، وَقَدْ جَعَلَ فَرْعَهُ بَيْنَ ٱلْغُيُومِ، وَٱرْتَفَعَ قَلْبُهُ بِعُلُوِّهِ، ١٠ 10
इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि चूँकि उसने आपको बुलन्द और अपनी चोटी को घनी शाख़ों के बीच ऊँचा किया, और उसके दिल में उसकी बूलन्दी पर गु़रूर समाया।
أَسْلَمْتُهُ إِلَى يَدِ قَوِيِّ ٱلْأُمَمِ، فَيَفْعَلُ بِهِ فِعْلًا. لِشَرِّهِ طَرَدْتُهُ. ١١ 11
इसलिए मैं उसको क़ौमों में से एक उहदे दार के हवाले कर दूँगा, यक़ीनन वह उसका फ़ैसला करेगा, मैंने उसे उसकी शरारत की वजह से निकाल दिया।
وَيَسْتَأْصِلُهُ ٱلْغُرَبَاءُ عُتَاةُ ٱلْأُمَمِ، وَيَتْرُكُونَهُ، فَتَتَسَاقَطُ قُضْبَانُهُ عَلَى ٱلْجِبَالِ وَفِي جَمِيعِ ٱلْأَوْدِيَةِ، وَتَنْكَسِرُ قُضْبَانُهُ عِنْدَ كُلِّ أَنْهَارِ ٱلْأَرْضِ، وَيَنْزِلُ عَنْ ظِلِّهِ كُلُّ شُعُوبِ ٱلْأَرْضِ، وَيَتْرُكُونَهُ. ١٢ 12
और अजनबी लोग जो क़ौमों में से हैबतनाक हैं, उसे काट डालेंगे और फेंक देंगे पहाड़ों और सब वादियों पर उसकी शाख़ें गिर पड़ेगी, और ज़मीन की सब नहरों के आस — पास उसकी डालियाँ तोड़ी जाएँगी, और इस ज़मीन के सब लोग उसके साये से निकल जाएँगे और उसे छोड़ देंगे।
عَلَى هَشِيمِهِ تَسْتَقِرُّ جَمِيعُ طُيُورِ ٱلسَّمَاءِ، وَجَمِيعُ حَيَوَانِ ٱلْبَرِّ تَكُونُ عَلَى قُضْبَانِهِ. ١٣ 13
हवा के सब परिन्दे उसके टूटे तने में बसेंगे, और तमाम दश्ती जानवर उसकी शाख़ों पर होंगे।
لِكَيْلَا تَرْتَفِعَ شَجَرَةٌ مَّا وَهِيَ عَلَى ٱلْمِيَاهِ لِقَامَتِهَا، وَلَا تَجْعَلُ فَرْعَهَا بَيْنَ ٱلْغُيُومِ، وَلَا تَقُومُ بَلُّوطَاتُهَا فِي ٱرْتِفَاعِهَا كُلُّ شَارِبَةٍ مَاءً، لِأَنَّهَا قَدْ أُسْلِمَتْ جَمِيعًا إِلَى ٱلْمَوْتِ، إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلسُّفْلَى، فِي وَسْطِ بَنِي آدَمَ مَعَ ٱلْهَابِطِينَ فِي ٱلْجُبِّ. ١٤ 14
ताकि लब — ए — आब के सब बलूतों के दरख़्तों में से कोई अपनी बुलन्दी पर मग़रूर न हो, और अपनी चोटी घनी शाख़ों के बीच ऊँची न करे, और उनमें से बड़े बड़े और पानी जज़्ब करने वाले सीधे खड़े न हों, क्यूँकि वह सबके सब मौत के हवाले किए जाएँगे, या'नी ज़मीन के तह में बनी आदम के बीच जो पाताल में उतरते हैं।
هَكَذَا قَالَ السَّيِّدُ الرَّبُّ: فِي يَوْمِ نُزُولِهِ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ أَقَمْتُ نَوْحًا. كَسَوْتُ عَلَيْهِ ٱلْغَمْرَ، وَمَنَعْتُ أَنْهَارَهُ، وَفَنِيَتِ ٱلْمِيَاهُ ٱلْكَثِيرَةُ، وَأَحْزَنْتُ لُبْنَانَ عَلَيْهِ، وَكُلُّ أَشْجَارِ ٱلْحَقْلِ ذَبُلَتْ عَلَيْهِ. (Sheol h7585) ١٥ 15
ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि जिस रोज़ वह पाताल में उतरे मैं मातम कराऊँगा, मैं उसकी वजह से गहराव को छिपा दूँगा और उसकी नहरों को रोक दूँगा और बड़े सैलाब थम जाएँगे; हाँ, मैं लुबनान को उसके लिए सियाह पोश कराऊँगा, और उसके लिए मैदान के सब दरख़्त ग़शी में आएँगे। (Sheol h7585)
مِنْ صَوْتِ سُقُوطِهِ أَرْجَفْتُ ٱلْأُمَمَ عِنْدَ إِنْزَالِي إِيَّاهُ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ مَعَ ٱلْهَابِطِينَ فِي ٱلْجُبِّ، فَتَتَعَزَّى فِي ٱلْأَرْضِ ٱلسُّفْلَى كُلُّ أَشْجَارِ عَدْنٍ، مُخْتَارُ لُبْنَانَ وَخِيَارُهُ كُلُّ شَارِبَةٍ مَاءً. (Sheol h7585) ١٦ 16
जिस वक़्त मैं उसे उन सब के साथ जो गढ़े में गिरते हैं, पाताल में डालूँगा, तो उसके गिरने के शोर से तमाम क़ौम लरज़ाँ होंगी; और अदन के सब दरख़्त, लुबनान के चीदा और नफ़ीस, वह सब जो पानी जज़्ब करते हैं ज़मीन के तह में तसल्ली पाएँगे। (Sheol h7585)
هُمْ أَيْضًا نَزَلُوا إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ مَعَهُ، إِلَى ٱلْقَتْلَى بِٱلسَّيْفِ، وَزَرْعُهُ ٱلسَّاكِنُونَ تَحْتَ ظِلِّهِ فِي وَسْطِ ٱلْأُمَمِ. (Sheol h7585) ١٧ 17
वह भी उसके साथ उन तक, जो तलवार से मारे गए, पाताल में उतर जाएँगे और वह भी जो उसके बाज़ू थे, और क़ौमों के बीच उसके साये में बसते थे वहीं होंगे। (Sheol h7585)
مَنْ أَشْبَهْتَ فِي ٱلْمَجْدِ وَٱلْعَظَمَةِ هَكَذَا بَيْنَ أَشْجَارِ عَدْنٍ؟ سَتُحْدَرُ مَعَ أَشْجَارِ عَدْنٍ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلسُّفْلَى، وَتَضْطَجِعُ بَيْنَ ٱلْغُلْفِ مَعَ ٱلْمَقْتُولِينَ بِٱلسَّيْفِ. هَذَا فِرْعَوْنُ وَكُلُّ جُمْهُورِهِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ». ١٨ 18
“तू शान — ओ — शौकत में अदन के दरख़्तों में से किसकी तरह है? लेकिन तू अदन के दरख़्तों के साथ ज़मीन के तह में डाला जाएगा, तू उनके साथ जो तलवार से क़त्ल हुए, नामख़्तूनों के बीच पड़ा रहेगा; यही फ़िर'औन और उसके सब लोग हैं, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।”

< حِزْقِيَال 31 >