< حِزْقِيَال 28 >

وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: ١ 1
फिर ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، قُلْ لِرَئِيسِ صُورَ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ أَنَّهُ قَدِ ٱرْتَفَعَ قَلْبُكَ وَقُلْتَ: أَنَا إِلَهٌ. فِي مَجْلِسِ ٱلْآلِهَةِ أَجْلِسُ فِي قَلْبِ ٱلْبِحَارِ. وَأَنْتَ إِنْسَانٌ لَا إِلَهٌ، وَإِنْ جَعَلْتَ قَلْبَكَ كَقَلْبِ ٱلْآلِهَةِ! ٢ 2
कि 'ऐआदमज़ाद, वाली — ए — सूर से कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, इसलिए कि तेरे दिल में ग़ुरूर समाया और तूने कहा, 'मैं ख़ुदा हूँ, और समन्दर के किनारे में इलाही तख़्त पर बैठा हूँ, और तूने अपना दिल इलाह के जैसा बनाया है, अगरचे तू इलाह नहीं बल्कि इंसान है।
هَا أَنْتَ أَحْكَمُ مِنْ دَانِيآلَ! سِرٌّ مَا لَا يَخْفَى عَلَيْكَ. ٣ 3
देख, तू दानीएल से ज़्यादा 'अक़्लमन्द है, ऐसा कोई राज़ नहीं जो तुझ से छिपा हो।
وَبِحِكْمَتِكَ وَبِفَهْمِكَ حَصَّلْتَ لِنَفْسِكَ ثَرْوَةً، وَحَصَّلْتَ ٱلذَّهَبَ وَٱلْفِضَّةَ فِي خَزَائِنِكَ. ٤ 4
तूने अपनी हिकमत और ख़िरद से माल हासिल किया, और सोने चाँदी से अपने ख़ज़ाने भर लिए।
بِكَثْرَةِ حِكْمَتِكَ فِي تِجَارَتِكَ كَثَّرْتَ ثَرْوَتَكَ، فَٱرْتَفَعَ قَلْبُكَ بِسَبَبِ غِنَاكَ. ٥ 5
तूने अपनी बड़ी हिकमत से और अपनी सौदागरी से अपनी दौलत बहुत बढ़ाई, और तेरा दिल तेरी दौलत के ज़रिए' फूल गया है।
فَلِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: مِنْ أَجْلِ أَنَّكَ جَعَلْتَ قَلْبَكَ كَقَلْبِ ٱلْآلِهَةِ، ٦ 6
इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: चूँकि तूने अपना दिल इलाह के जैसा बनाया।
لِذَلِكَ هَأَنَذَا أَجْلِبُ عَلَيْكَ غُرَبَاءَ، عُتَاةَ ٱلْأُمَمِ، فَيُجَرِّدُونَ سُيُوفَهُمْ عَلَى بَهْجَةِ حِكْمَتِكَ وَيُدَنِّسُونَ جَمَالَكَ. ٧ 7
इसलिए देख, मैं तुझ पर परदेसियों को जो क़ौमों में हैबतनाक हैं, चढ़ा लाऊँगा; वह तेरी समझदारी की ख़ूबी के ख़िलाफ़ तलवार खींचेंगे और तेरे जमाल को ख़राब करेंगे।
يُنَزِّلُونَكَ إِلَى ٱلْحُفْرَةِ، فَتَمُوتُ مَوْتَ ٱلْقَتْلَى فِي قَلْبِ ٱلْبِحَارِ. ٨ 8
वह तुझे पाताल में उतारेंगे और तू उनकी मौत मरेगा जो समन्दर के बीच में क़त्ल होते हैं।
هَلْ تَقُولُ قَوْلًا أَمَامَ قَاتِلِكَ: أَنَا إِلَهٌ؟ وَأَنْتَ إِنْسَانٌ لَا إِلَهٌ فِي يَدِ طَاعِنِكَ! ٩ 9
क्या तू अपने क़ातिल के सामने यूँ कहेगा, कि 'मैं ख़ुदावन्द हूँ'? हालाँकि तू अपने क़ातिल के हाथ में ख़ुदा नहीं, बल्कि इंसान है।
مَوْتَ ٱلْغُلْفِ تَمُوتُ بِيَدِ ٱلْغُرَبَاءِ، لِأَنِّي أَنَا تَكَلَّمْتُ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ». ١٠ 10
तू अजनबी के हाथ से नामख़्तून की मौत मरेगा, क्यूँकि मैंने फ़रमाया है ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: ١١ 11
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، ٱرْفَعْ مَرْثَاةً عَلَى مَلِكِ صُورَ وَقُلْ لَهُ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: أَنْتَ خَاتِمُ ٱلْكَمَالِ، مَلآنٌ حِكْمَةً وَكَامِلُ ٱلْجَمَالِ. ١٢ 12
कि 'ऐआदमज़ाद, सूर के बादशाह पर यह नोहा कर और उससे कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि तू ख़ातिम — उल — कमाल 'अक़्ल से मा'मूर और हुस्न में कामिल है।
كُنْتَ فِي عَدْنٍ جَنَّةِ ٱللهِ. كُلُّ حَجَرٍ كَرِيمٍ سِتَارَتُكَ، عَقِيقٌ أَحْمَرُ وَيَاقُوتٌ أَصْفَرُ وَعَقِيقٌ أَبْيَضُ وَزَبَرْجَدٌ وَجَزْعٌ وَيَشْبٌ وَيَاقُوتٌ أَزْرَقُ وَبَهْرَمَانُ وَزُمُرُّدٌ وَذَهَبٌ. أَنْشَأُوا فِيكَ صَنْعَةَ صِيغَةِ ٱلفُصُوصِ وَتَرْصِيعِهَا يَوْمَ خُلِقْتَ. ١٣ 13
तू अदन में बाग़ — ए — ख़ुदा में रहा करता था, हर एक क़ीमती पत्थर तेरी पोशिश के लिए था; मसलन याकू़त — ए — सुर्ख़ और पुखराज और इल्मास और फ़िरोज़ा और संग — ए — सुलेमानी और ज़बरजद और नीलम और जुमर्रद और गौहर — ए — शबचराग़ और सोने से, तुझ में ख़ातिमसाज़ी और नगीनाबन्दी की सन'अत तेरी पैदाइश ही के रोज़ से जारी रही।
أَنْتَ ٱلْكَرُوبُ ٱلْمُنْبَسِطُ ٱلْمُظَلِّلُ، وَأَقَمْتُكَ. عَلَى جَبَلِ ٱللهِ ٱلْمُقَدَّسِ كُنْتَ. بَيْنَ حِجَارَةِ ٱلنَّارِ تَمَشَّيْتَ. ١٤ 14
तू मम्सूह करूबी था जो साया। अफ़गन था, और मैंने तुझे ख़ुदा के कोह — ए — मुक़द्दस पर क़ायम किया; तू वहाँ आतिशी पत्थरों के बीच चलता फिरता था।
أَنْتَ كَامِلٌ فِي طُرُقِكَ مِنْ يَوْمَ خُلِقْتَ حَتَّى وُجِدَ فِيكَ إِثْمٌ. ١٥ 15
तू अपनी पैदाइश ही के रोज़ से अपनी राह — ओ — रस्म में कामिल था, जब तक कि तुझ में नारास्ती न पाई गई।
بِكَثْرَةِ تِجَارَتِكَ مَلَأُوا جَوْفَكَ ظُلْمًا فَأَخْطَأْتَ. فَأَطْرَحُكَ مِنْ جَبَلِ ٱللهِ وَأُبِيدُكَ أَيُّهَا ٱلْكَرُوبُ ٱلْمُظَلِّلُ مِنْ بَيْنِ حِجَارَةِ ٱلنَّارِ. ١٦ 16
तेरी सौदागरी की फ़िरावानी की वजह से उन्होंने तुझ में ज़ुल्म भी भर दिया और तूने गुनाह किया; इसलिए मैंने तुझ को ख़ुदा के पहाड़ पर से गन्दगी की तरह फेंक दिया, और तुझ साया — अफ़गन करूबी को आतिशी पत्थरों के बीच से फ़ना कर दिया।
قَدِ ٱرْتَفَعَ قَلْبُكَ لِبَهْجَتِكَ. أَفْسَدْتَ حِكْمَتَكَ لِأَجْلِ بَهَائِكَ. سَأَطْرَحُكَ إِلَى ٱلْأَرْضِ، وَأَجْعَلُكَ أَمَامَ ٱلْمُلُوكِ لِيَنْظُرُوا إِلَيْكَ. ١٧ 17
तेरा दिल तेरे हुस्न पर ग़ुरूर करता था, तूने अपने जमाल की वजह से अपनी हिकमत खो दी; मैंने तुझे ज़मीन पर पटख दिया और बादशाहों के सामने रख दिया है, ताकि वह तुझे देख लें।
قَدْ نَجَّسْتَ مَقَادِسَكَ بِكَثْرَةِ آثَامِكَ بِظُلْمِ تِجَارَتِكَ، فَأُخْرِجُ نَارًا مِنْ وَسْطِكَ فَتَأْكُلُكَ، وَأُصَيِّرُكَ رَمَادًا عَلَى ٱلْأَرْضِ أَمَامَ عَيْنَيْ كُلِّ مَنْ يَرَاكَ. ١٨ 18
तूने अपनी बदकिरदारी की कसरत, और अपनी सौदागरी की नारास्ती से अपने हैकलों को नापाक किया है। इसलिए मैं तेरे अन्दर से आग निकालूँगा जो तुझे भसम करेगी, और मैं तेरे सब देखने वालों की आँखों के सामने तुझे ज़मीन पर राख कर दूँगा।
فَيَتَحَيَّرُ مِنْكَ جَمِيعُ ٱلَّذِينَ يَعْرِفُونَكَ بَيْنَ ٱلشُّعُوبِ، وَتَكُونُ أَهْوَالًا وَلَا تُوجَدُ بَعْدُ إِلَى ٱلْأَبَدِ». ١٩ 19
क़ौमों के बीच वह सब जो तुझ को जानते हैं, तुझे देख कर हैरान होंगे; तू जा — ए — 'इबरत होगा और बाक़ी न रहेगा।
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: ٢٠ 20
फिर ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، ٱجْعَلْ وَجْهَكَ نَحْوَ صَيْدُونَ وَتَنَبَّأْ عَلَيْهَا، ٢١ 21
कि 'ऐआदमज़ाद, सैदा का रुख़ करके उसके ख़िलाफ़ नबुव्वत कर।
وَقُلْ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا عَلَيْكِ يَا صَيْدُونُ وَسَأَتَمَجَّدُ فِي وَسْطِكِ، فَيَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ حِينَ أُجْرِي فِيهَا أَحْكَامًا وَأَتَقَدَّسُ فِيهَا. ٢٢ 22
और कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि देख, मैं तेरा मुख़ालिफ़ हूँ, ऐ सैदा; और तेरे अन्दर मेरी तम्जीद होगी, और जब मैं उसको सज़ा दूँगा तो लोग मा'लूम कर लेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ, और उसमें मेरी तक़्दीस होगी।
وَأُرْسِلُ عَلَيْهَا وَبَأً وَدَمًا إِلَى أَزِقَّتِهَا، وَيُسْقَطُ ٱلْجَرْحَى فِي وَسْطِهَا بِٱلسَّيْفِ ٱلَّذِي عَلَيْهَا مِنْ كُلِّ جَانِبٍ، فَيَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ. ٢٣ 23
मैं उसमें वबा भेजूँगा, और उसकी गलियों में खू़ँरेज़ी करूँगा, और मक़्तूल उसके बीच उस तलवार से जो चारों तरफ़ से उस पर चलेगी गिरेंगे, और वह मा'लूम करेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
«فَلَا يَكُونُ بَعْدُ لِبَيْتِ إِسْرَائِيلَ سُلَّاءٌ مُمَرِّرٌ وَلَا شَوْكَةٌ مُوجِعَةٌ مِنْ كُلِّ ٱلَّذِينَ حَوْلَهُمُ، ٱلَّذِينَ يُبْغِضُونَهُمْ، فَيَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ٢٤ 24
तब बनी — इस्राईल के लिए उनके चारों तरफ़ के सब लोगों में से, जो उनको बेकार जानते थे, कोई चुभने वाला काँटा या दुखाने वाला ख़ार न रहेगा, और वह जानेंगे कि ख़ुदावन्द ख़ुदा मैं हूँ।
هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُ: عِنْدَمَا أَجْمَعُ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ مِنَ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ تَفَرَّقُوا بَيْنَهُمْ، وَأَتَقَدَّسُ فِيهِمْ أَمَامَ عُيُونِ ٱلْأُمَمِ، يَسْكُنُونَ فِي أَرْضِهِمِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُهَا لِعَبْدِي يَعْقُوبَ، ٢٥ 25
ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: जब मैं बनी — इस्राईल को क़ौमों में से, जिनमें वह तितर बितर हो गए जमा' करूँगा, तब मैं क़ौमों की आँखों के सामने उनसे अपनी तक़दीस कराऊँगा; और वह अपनी सरज़मीन में जो मैंने अपने बन्दे या'क़ूब को दी थी बसेंगे।
وَيَسْكُنُونَ فِيهَا آمِنِينَ وَيَبْنُونَ بُيُوتًا وَيَغْرِسُونَ كُرُومًا، وَيَسْكُنُونَ فِي أَمْنٍ عِنْدَمَا أُجْرِي أَحْكَامًا عَلَى جَمِيعِ مُبْغِضِيهِمْ مِنْ حَوْلِهِمْ، فَيَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُهُمْ». ٢٦ 26
और वह उसमें अम्न से सकूनत करेंगे, बल्कि मकान बनाएँगे और अंगूरिस्तान लगाएँगे और अम्न से सकूनत करेंगे; जब मैं उन सब को जो चारों तरफ़ से उनकी हिक़ारत करते थे, सज़ा दूँगा तो वह जानेंगे के मैं ख़ुदावन्द उनका ख़ुदा हूँ।

< حِزْقِيَال 28 >