< حِزْقِيَال 27 >

وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: ١ 1
फिर ख़ुदावन्द का कलाम मुझपर नाज़िल हुआ।
«وَأَنْتَ يَا ٱبْنَ آدَمَ، فَٱرْفَعْ مَرْثَاةً عَلَى صُورَ، ٢ 2
कि 'ऐ आदमज़ाद, तू सूर पर नोहा शुरू' कर।
وَقُلْ لِصُورَ: أَيَّتُهَا ٱلسَّاكِنَةُ عِنْدَ مَدَاخِلِ ٱلْبَحْرِ، تَاجِرَةُ ٱلشُّعُوبِ إِلَى جَزَائِرَ كَثِيرَةٍ، هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: يَا صُورُ، أَنْتِ قُلْتِ: أَنَا كَامِلَةُ ٱلْجَمَالِ. ٣ 3
और सूर से कह तुझे, जिसने समन्दर के मदख़ल में जगह पाई और बहुत से बहरी मुल्क के लोगों के लिए तिजारत गाह है, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि 'ऐ सूर, तू कहता है, मेरा हुस्न कामिल है। किया।
تُخُومُكِ فِي قَلْبِ ٱلْبُحُورِ. بَنَّاؤُوكِ تَمَّمُوا جَمَالَكِ. ٤ 4
तेरी सरहदें समन्दर के बीच हैं, तेरे मिस्तिरियों ने तेरी ख़ुशनुमाई को कामिल किया है।
عَمِلُوا كُلَّ أَلْوَاحِكِ مِنْ سَرْوِ سَنِيرَ. أَخَذُوا أَرْزًا مِنْ لُبْنَانَ لِيَصْنَعُوهُ لَكِ سَوَارِيَ. ٥ 5
उन्होंने सनीर के सरोओं से लाकर तेरे जहाज़ों के तख़्ते बनाए, और लुबनान से देवदार काटकर तेरे लिए मस्तूल बनाए।
صَنَعُوا مِنْ بَلُّوطِ بَاشَانَ مَجَاذِيفَكِ. صَنَعُوا مَقَاعِدَكِ مِنْ عَاجٍ مُطَعَّمٍ فِي ٱلْبَقْسِ مِنْ جَزَائِرِ كِتِّيمَ. ٦ 6
बसन के बलूत से टाट बनाए तेरे तख़्ते जज़ाइर — ए — कित्तीम के सनूबर से हाथी दांत जड़कर तैयार किये गए।
كَتَّانٌ مُطَرَّزٌ مِنْ مِصْرَ هُوَ شِرَاعُكِ لِيَكُونَ لَكِ رَايَةً. ٱلْأَسْمَانْجُونِيُّ وَٱلْأُرْجُوانُ مِنْ جَزَائِرِ أَلِيشَةَ كَانَا غِطَاءَكِ. ٧ 7
तेरा बादबान मिस्री मुनक़्क़श कतान का था ताकि तेरे लिए झन्डे का काम दे, तेरा शामियाना जज़ाईरे इलिसा के कबूदी व अर्गवानी रंग का था।
أَهْلُ صِيدُونَ وَإِرْوَادَ كَانُوا مَلَّاحِيكِ. حُكَمَاؤُكِ يَا صُورُ ٱلَّذِينَ كَانُوا فِيكِ هُمْ رَبَابِينُكِ. ٨ 8
सैदा और अर्वद के रहने वाले तेरे मल्लाह थे और ऐ सूर तेरे 'अक़्लमन्द तुझ में तेरे नाख़ुदा थे।
شُيُوخُ جُبَيْلَ وَحُكَمَاؤُهَا كَانُوا فِيكِ قَلَّافُوكِ. جَمِيعُ سُفُنِ ٱلْبَحْرِ وَمَلَّاحُوهَا كَانُوا فِيكِ لِيُتَاجِرُوا بِتِجَارَتِكِ. ٩ 9
जबल के बुजु़र्ग और 'अक़्लमन्द तुझ में थे कि रखना बन्दी करें, समन्दर के सब जहाज़ और उनके मल्लाह तुझमें हाज़िर थे कि तेरे लिए तिजारत का काम करें।
فَارِسُ وَلُودُ وَفُوطُ كَانُوا فِي جَيْشِكِ، رِجَالَ حَرْبِكِ. عَلَّقُوا فِيكِ تُرْسًا وَخُوذَةً. هُمْ صَيَّرُوا بَهَاءَكِ. ١٠ 10
फ़ारस और लूद और फूत के लोग तेरे लिए लश्कर के जंगी बहादुर थे। वह तुझ में सिपर और खूद को लटकाते और तुझे रौनक बख़्शाते थे।
بَنُو إِرْوَادَ مَعَ جَيْشِكِ عَلَى ٱلْأَسْوَارِ مِنْ حَوْلِكِ، وَٱلْأَبْطَالِ كَانُوا فِي بُرُوجِكِ. عَلَّقُوا أَتْرَاسَهُمْ عَلَى أَسْوَارِكِ مِنْ حَوْلِكِ. هُمْ تَمَّمُوا جَمَالَكِ. ١١ 11
अर्वद के मर्द तेरी ही फ़ौज के साथ चारों तरफ़ तेरी शहरपनाह पर मौजूद थे और बहादुर तेरे बुर्जों पर हाज़िर थे, उन्होंने अपनी सिप्परें चारों तरफ़ तेरी दीवारों पर लटकाई और तेरे जमाल को कामिल किया।
تَرْشِيشُ تَاجِرَتُكِ بِكَثْرَةِ كُلِّ غِنًى. بِٱلْفِضَّةِ وَٱلْحَدِيدِ وَٱلْقَصْدِيرِ وَٱلرَّصَاصِ أَقَامُوا أَسْوَاقَكِ. ١٢ 12
'तरसीस ने हर तरह के माल की कसरत की वजह से तेरे साथ तिजारत की, वह चाँदी और लोहा और रॉगा और सीसा लाकर तेरे बाज़ारों में सौदागरी करते थे।
يَاوَانُ وَتُوبَالُ وَمَاشِكُ هُمْ تُجَّارُكِ. بِنُفُوسِ ٱلنَّاسِ وَبِآنِيَةِ ٱلنُّحَاسِ أَقَامُوا تِجَارَتَكِ. ١٣ 13
यावान तूबल और मसक तेरे ताजिर थे, वह तेरे बाज़ारों में और लुबनान तेरे बाज़ारों में गु़लामों और पीतल के बर्तनों की सौदागरी करते थे।
وَمِنْ بَيْتِ تُوجَرْمَةَ بِٱلْخَيْلِ وَٱلْفُرْسَانِ وَٱلْبِغَالِ أَقَامُوا أَسْوَاقَكِ. ١٤ 14
अहल — ए — तुजरमा ने तेरे बाज़ारों में घोड़ों, जंगी घोड़ों और खच्चरों की तिजारत की।
بَنُو دَدَانَ تُجَّارُكِ. جَزَائِرُ كَثِيرَةٌ تُجَّارُ يَدِكِ. أَدَّوْا هَدِيَّتَكِ قُرُونًا مِنَ ٱلْعَاجِ وَٱلْآبْنُوسِ. ١٥ 15
अहल ए — ददान तेरे ताजिर थे बहुत से बहरी मुल्क तिजारत के लिए तेरे इख़्तियार में वह हाथी दान्त और आबनूस मुबादला के लिए तेरे पास लाते थे
أَرَامُ تَاجِرَتُكِ بِكَثْرَةِ صَنَائِعِكِ، تَاجَرُوا فِي أَسْوَاقِكِ بِٱلْبَهْرَمَانِ وَٱلْأُرْجُوانِ وَٱلْمُطَرَّزِ وَٱلْبُوصِ وَٱلْمَرْجَانِ وَٱلْيَاقُوتِ. ١٦ 16
अरामी तेरी दस्तकारी की कसरत की वजह से तेरे साथ तिजारत करते थे वह गौहर — ए — शब — चराग़ और अर्गवानी रंग और चिकनदोज़ी और कतान और मूंगा और मल्लाह थे लाल लाकर तुझ से ख़रीद — ओ — फ़रोख़्त करते थे।
يَهُوذَا وَأَرْضُ إِسْرَائِيلَ هُمْ تُجَّارُكِ. تَاجَرُوا فِي سُوقِكِ بِحِنْطَةِ مِنِّيتَ وَحَلَاوَى وَعَسَلٍ وَزَيْتٍ وَبَلَسَانٍ. ١٧ 17
यहूदाह और इस्राईल का मुल्क तेरे ताजिर थे, वह मिनीत और पन्नग का गेहूँ और शहद और रोगन और बिलसान लाकर तेरे साथ तिजारत करते थे।
دِمَشْقُ تَاجِرَتُكِ بِكَثْرَةِ صَنَائِعِكِ وَكَثْرَةِ كُلِّ غِنًى، بِخَمْرِ حَلْبُونَ وَٱلصُّوفِ ٱلْأَبْيَضِ. ١٨ 18
अहल — ए — दमिश्क़ तेरी दस्तकारी की कसरत की वजह से, और क़िस्म क़िस्म के माल की ज़्यादती के ज़रिए' हलबून की मय और सफ़ेद ऊन की तिजारत तेरे यहाँ करते थे।
وَدَانُ وَيَاوَانُ قَدَّمُوا غَزْلًا فِي أَسْوَاقِكِ. حَدِيدٌ مَشْغُولٌ وَسَلِيخَةٌ وَقَصَبُ ٱلذَّرِيرَةِ كَانَتْ فِي سُوقِكِ. ١٩ 19
दान और यावान ऊज़ाल से तज और आबदार फ़ौलाद और अगर तेरे बाज़ारों में लाते थे।
دَدَانُ تَاجِرَتُكِ بِطَنَافِسَ لِلرُّكُوبِ. ٢٠ 20
ददान तेरा ताजिर था, जो सवारी के चार — जामे तेरे हाथ बेचता था।
اَلْعَرَبُ وَكُلُّ رُؤَسَاءِ قِيدَارَ هُمْ تُجَّارُ يَدِكِ بِٱلْخِرْفَانِ وَٱلْكِبَاشِ وَٱلْأَعْتِدَةِ. فِي هَذِهِ كَانُوا تُجَّارَكِ. ٢١ 21
'अरब और कीदार के सब अमीर तिजारत की राह से तेरे हाथ में थे, वह बर्रे और मेंढे और बकरियाँ लाकर तेरे साथ तिजारत करते थे।
تُجَّارُ شَبَا وَرَعْمَةَ هُمْ تُجَّارُكِ. بِأَفْخَرِ كُلِّ أَنْوَاعِ ٱلطِّيبِ وَبِكُلِّ حَجَرٍ كَرِيمٍ وَٱلذَّهَبِ أَقَامُوا أَسْوَاقَكِ. ٢٢ 22
सबा और रा'माह के सौदागर तेरे साथ सौदागरी करते थे; वह हर क़िस्म के नफ़ीस मसाल्हे और हर तरह के क़ीमती पत्थर और सोना, तेरे बाज़ारों में लाकर ख़रीद — ओ — फ़रोख़्त करते थे।
حُرَّانُ وَكِنَّةُ وَعَدَنُ تُجَّارُ شَبَا وَأَشُّورَ وَكِلْمَدَ تُجَّارُكِ. ٢٣ 23
हरान और कन्ना और अदन और सबा के सौदागर, और असूर और किलमद के बाशिन्दे तेरे साथ सौदागरी करते थे।
هَؤُلَاءِ تُجَّارُكِ بِنَفَائِسَ، بِأَرْدِيَةٍ أَسْمَانْجُونِيَّةٍ وَمُطَرَّزَةٍ، وَأَصْوِنَةٍ مُبْرَمٍ مَعْكُومَةٍ بِٱلْحِبَالِ مَصْنُوعَةٍ مِنَ ٱلْأَرْزِ بَيْنَ بَضَائِعِكِ. ٢٤ 24
यही तेरे सौदागर थे, जो लाजूर्दी कपड़े और कम ख़्वाब और नफ़ीस लिबासों से भरे देवदार के सन्दूक़, डोरी से कसे हुए तेरी तिजारतगाह में बेचने को लाते थे।
«سُفُنُ تَرْشِيشَ قَوَافِلُكِ لِتِجَارَتِكِ، فَٱمْتَلَأْتِ وَتَمَجَّدْتِ جِدًّا فِي قَلْبِ ٱلْبِحَارِ. ٢٥ 25
तरसीस के जहाज़ तेरी तिजारत के कारवान थे, तू मा'मूर और वस्त — ए — बहर में बहुत शान — ओ — शौकत रखता था।
مَلَّاحُوكِ قَدْ أَتَوْا بِكِ إِلَى مِيَاهٍ كَثِيرَةٍ. كَسَرَتْكِ ٱلرِّيحُ ٱلشَّرْقِيَّةُ فِي قَلْبِ ٱلْبِحَارِ. ٢٦ 26
“तेरे मल्लाह तुझे गहरे पानी में लाए, पूरबी हवा ने तुझ को वस्त — ए — बहर में तोड़ा है।
ثَرْوَتُكِ وَأَسْوَاقُكِ وَبِضَاعَتُكِ وَمَلَّاحُوكِ وَرَبَابِينُكِ وَقَلَّافُوكِ وَٱلْمُتَاجِرُونَ بِمَتْجَرِكِ، وَجَمِيعُ رِجَالِ حَرْبِكِ ٱلَّذِينَ فِيكِ، وَكُلُّ جَمْعِكِ ٱلَّذِي فِي وَسْطِكِ يَسْقُطُونَ فِي قَلْبِ ٱلْبِحَارِ فِي يَوْمِ سُقُوطِكِ. ٢٧ 27
तेरा माल — ओ — अस्बाब और तेरी अजनास — ए — तिजारत और तेरे अहल — ए — जहाज़ व ना ख़ुदा तेरे रखना बन्दी करनेवाले और तेरे कारोबार के गुमाश्ते और सब जंगी मर्द जो तुझ में हैं, उस तमाम जमा'अत के साथ जो तुझ में है, तेरी तबाही के दिन समन्दर के बीच में गिरेंगे।
مِنْ صَوْتِ صُرَاخِ رَبَابِينِكِ تَتَزَلْزَلُ ٱلْمَسَارِحُ. ٢٨ 28
तेरे नाख़ुदाओं के चिल्लाने के शोर से तमाम 'इलाक़े थर्रा जायेंगे।
وَكُلُّ مُمْسِكِي ٱلْمِجْذَافِ وَٱلْمَلَّاحُونَ، وَكُلُّ رَبَابِينِ ٱلْبَحْرِ يَنْزِلُونَ مِنْ سُفُنِهِمْ وَيَقِفُونَ عَلَى ٱلْبَرِّ، ٢٩ 29
और तमाम मल्लाह और अहल — ए — जहाज़ और समन्दर के सब नाख़ुदा, अपने जहाज़ों पर से उतर आएँगे; वह ख़ुश्की पर खड़े होंगे।
وَيُسْمِعُونَ صَوْتَهُمْ عَلَيْكِ، وَيَصْرُخُونَ بِمَرَارَةٍ، وَيُذَرُّونَ تُرَابًا فَوْقَ رُؤُوسِهِمْ، وَيَتَمَرَّغُونَ فِي ٱلرَّمَادِ. ٣٠ 30
और अपनी आवाज़ बुलन्द करके तेरी वजह से चिल्लाएँगे, और अपने सिरों पर ख़ाक डालेंगे और राख में लोटेंगे।
وَيَجْعَلُونَ فِي أَنْفُسِهِمْ قَرْعَةً عَلَيْكِ، وَيَتَنَطَّقُونَ بِٱلْمُسُوحِ، وَيَبْكُونَ عَلَيْكِ بِمَرَارَةِ نَفْسٍ نَحِيبًا مُرًّا. ٣١ 31
वह तेरी वजह से सिर मुंडाएँगे और टाट ओढेंगे वह तेरे लिए दिल शिकस्ता होकर रोएँगे और जॉगुदाज़ नोहा करेंगे।
وَفِي نَوْحِهِمْ يَرْفَعُونَ عَلَيْكِ مَنَاحَةً وَيَرْثُونَكِ، وَيَقُولُونَ: أَيَّةُ مَدِينَةٍ كَصُورَ كَٱلْمُسْكَتَةِ فِي قَلْبِ ٱلْبَحْرِ؟ ٣٢ 32
और नोहा करते हुए तुझ पर मरसिया ख़वानी करेंगे और तुझ पर यूँ रोएँगे; 'कौन सूर की तरह है, जो समन्दर के बीच में तबाह हुआ?
عِنْدَ خُرُوجِ بَضَائِعِكِ مِنَ ٱلْبِحَارِ أَشْبَعْتِ شُعُوبًا كَثِيرِينَ. بِكَثْرَةِ ثَرْوَتِكِ وَتِجَارَتِكِ أَغْنَيْتِ مُلُوكَ ٱلْأَرْضِ. ٣٣ 33
जब तेरा माल — ए — तिजारत समन्दर पर से जाता था, तब तुझ से बहुत सी क़ौमें मालामाल होती थीं; तू अपनी दौलत और अजनास — ए — तिजारत की कसरत से इस ज़मीन के बादशाहों को दौलतमन्द बनाता था।
حِينَ ٱنْكِسَارِكِ مِنَ ٱلْبِحَارِ فِي أَعْمَاقِ ٱلْمِيَاهِ سَقَطَ مَتْجَرُكِ وَكُلُّ جَمْعِكِ. ٣٤ 34
लेकिन अब तू समन्दर की गहराई में पानी के ज़ोर से टूट गया है, तेरी अजनास — ए — तिजारत। और तेरे अन्दर की तमाम जमा'अत गिर गई।
كُلُّ سُكَّانِ ٱلْجَزَائِرِ يَتَحَيَّرُونَ عَلَيْكِ، وَمُلُوكِهِنَّ يَقْشَعِرُّونَ ٱقْشِعْرَارًا. يَضْطَرِبُونَ فِي ٱلْوُجُوهِ. ٣٥ 35
बहरी मुल्क के सब रहने वाले तेरे ज़रिए' हैरत ज़दह होंगे और उनके बादशाह बहुत तरसान होंगे और उनका चेहरा ज़र्द हो जाएगा।
اَلتُّجَّارُ بَيْنَ ٱلشُّعُوبِ يَصْفِرُونَ عَلَيْكِ فَتَكُونِينَ أَهْوَالًا، وَلَا تَكُونِينَ بَعْدُ إِلَى ٱلْأَبَدِ». ٣٦ 36
क़ौमों के सौदागर तेरा ज़िक्र सुनकर सुसकारेंगे, तू जा — ए — 'इबरत होगा और बाक़ी न रहेगा।”

< حِزْقِيَال 27 >