< حِزْقِيَال 18 >
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: | ١ 1 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«مَا لَكُمْ أَنْتُمْ تَضْرِبُونَ هَذَا ٱلْمَثَلَ عَلَى أَرْضِ إِسْرَائِيلَ، قَائِلِينَ: ٱلْآبَاءُ أَكَلُوا ٱلْحِصْرِمَ وَأَسْنَانُ ٱلْأَبْنَاءِ ضَرِسَتْ؟ | ٢ 2 |
कि तुम इस्राईल के मुल्क के हक़ में क्यूँ यह मिसाल कहते हो, कि 'बाप — दादा ने कच्चे अँगूर खाए और औलाद के दाँत खट्टे हुए'?
حَيٌّ أَنَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، لَا يَكُونُ لَكُمْ مِنْ بَعْدُ أَنْ تَضْرِبُوا هَذَا ٱلْمَثَلَ فِي إِسْرَائِيلَ. | ٣ 3 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, मुझे अपनी हयात की क़सम कि तुम फिर इस्राईल में यह मिसाल न कहोगे।
هَا كُلُّ ٱلنُّفُوسِ هِيَ لِي. نَفْسُ ٱلْأَبِ كَنَفْسِ ٱلِٱبْنِ، كِلَاهُمَا لِي. اَلنَّفْسُ ٱلَّتِي تُخْطِئُ هِيَ تَمُوتُ. | ٤ 4 |
देख, सब जाने मेरी हैं, जैसी बाप की जान वैसी ही बेटे की जान भी मेरी है; जो जान गुनाह करती है वही मरेगी।
وَٱلْإِنْسَانُ ٱلَّذِي كَانَ بَارًّا وَفَعَلَ حَقًّا وَعَدْلًا، | ٥ 5 |
'लेकिन जो इंसान सादिक़ है, और उसके काम 'अदालत और इन्साफ़ के मुताबिक़ हैं।
لَمْ يَأْكُلْ عَلَى ٱلْجِبَالِ وَلَمْ يَرْفَعْ عَيْنَيْهِ إِلَى أَصْنَامِ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ، وَلَمْ يُنَجِّسِ ٱمْرَأَةَ قَرِيبِهِ، وَلَمْ يَقْرُبِ ٱمْرَأَةً طَامِثًا، | ٦ 6 |
जिसने बुतों की कु़र्बानी से नहीं खाया, और बनी — इस्राईल के बुतों की तरफ़ अपनी आँखें नहीं उठाई; और अपने पड़ोसी की बीवी को नापाक नहीं किया, और 'औरत की नापाकी के वक़्त उसके पास नहीं गया,
وَلَمْ يَظْلِمْ إِنْسَانًا، بَلْ رَدَّ لِلْمَدْيُونِ رَهْنَهُ، وَلَمْ يَغْتَصِبِ ٱغْتِصَابًا بَلْ بَذَلَ خُبْزَهُ لِلْجَوْعَانِ، وَكَسَا ٱلْعُرْيَانَ ثَوْبًا، | ٧ 7 |
और किसी पर सितम नहीं किया, और क़र्ज़दार का गिरवी वापस कर दिया और जु़ल्म से कुछ छीन नहीं लिया; भूकों को अपनी रोटी खिलाई और नंगों को कपड़ा पहनाया;
وَلَمْ يُعْطِ بِٱلرِّبَا، وَلَمْ يَأْخُذْ مُرَابَحَةً، وَكَفَّ يَدَهُ عَنِ ٱلْجَوْرِ، وَأَجْرَى ٱلْعَدْلَ ٱلْحَقَّ بَيْنَ ٱلْإِنْسَانِ وَٱلْإِنْسَانِ، | ٨ 8 |
सूद पर लेन — देन नहीं किया, बदकिरदारी से दस्तबरदार हुआ और लोगों में सच्चा इन्साफ़ किया;
وَسَلَكَ فِي فَرَائِضِي وَحَفِظَ أَحْكَامِي لِيَعْمَلَ بِٱلْحَقِّ فَهُوَ بَارٌّ. حَيَاةً يَحْيَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. | ٩ 9 |
मेरे क़ानून पर चला और मेरे हुक्मों पर 'अमल किया, ताकि रास्ती से मु'आमिला करे; वह सादिक़ है, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, वह यक़ीनन ज़िन्दा रहेगा।
«فَإِنْ وَلَدَ ٱبْنًا مُعْتَنِفًا سَفَّاكَ دَمٍ، فَفَعَلَ شَيْئًا مِنْ هَذِهِ، | ١٠ 10 |
'लेकिन अगर उसके यहाँ बेटा पैदा हो, जो राहज़नी या खू़ँरेज़ी करे और इन गुनाहों में से कोई गुनाह करे,
وَلَمْ يَفْعَلْ كُلَّ تِلْكَ، بَلْ أَكَلَ عَلَى ٱلْجِبَالِ، وَنَجَّسَ ٱمْرَأَةَ قَرِيبِهِ، | ١١ 11 |
और इन फ़राइज़ को बजा न लाए, बल्कि बुतों की कु़र्बानी से खाए और अपने पड़ोसी की बीवी को नापाक करे;
وَظَلَمَ ٱلْفَقِيرَ وَٱلْمِسْكِينَ، وَٱغْتَصَبَ ٱغْتِصَابًا، وَلَمْ يَرُدَّ ٱلرَّهْنَ، وَقَدْ رَفَعَ عَيْنَيْهِ إِلَى ٱلْأَصْنَامِ وَفَعَلَ ٱلرِّجْسَ، | ١٢ 12 |
ग़रीब और मोहताज पर सितम करे, जु़ल्म करके छीन ले, गिरवी वापस न दे, और बुतों की तरफ़ अपनी आँखें उठाये और घिनौने काम करे;
وَأَعْطَى بِٱلرِّبَا وَأَخَذَ ٱلْمُرَابَحَةَ، أَفَيَحْيَا؟ لَا يَحْيَا! قَدْ عَمِلَ كُلَّ هَذِهِ ٱلرَّجَاسَاتِ فَمَوْتًا يَمُوتُ. دَمُهُ يَكُونُ عَلَى نَفْسِهِ. | ١٣ 13 |
सूद पर लेन देन करे, तो क्या वह ज़िन्दा रहेगा? वह ज़िन्दा न रहेगा, उसने यह सब नफ़रती काम किए हैं; वह यक़ीनन मरेगा, उसका खू़न उसी पर होगा।
«وَإِنْ وَلَدَ ٱبْنًا رَأَى جَمِيعَ خَطَايَا أَبِيهِ ٱلَّتِي فَعَلَهَا، فَرَآهَا وَلَمْ يَفْعَلْ مِثْلَهَا. | ١٤ 14 |
लेकिन अगर उसके यहाँ ऐसा बेटा पैदा हो, जो उन तमाम गुनाहों को जो उसका बाप करता है देखे और ख़ौफ़ खाकर उसके से काम न करे
لَمْ يَأْكُلْ عَلَى ٱلْجِبَالِ، وَلَمْ يَرْفَعْ عَيْنَيْهِ إِلَى أَصْنَامِ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ، وَلَا نَجَّسَ ٱمْرَأَةَ قَرِيبِهِ، | ١٥ 15 |
और बुतों की कु़र्बानी से न खाए, और बनी — इस्राईल के बुतों की तरफ़ अपनी आँखें न उठाए और अपने पड़ोसी की बीवी को नापाक न करे;
وَلَا ظَلَمَ إِنْسَانًا، وَلَا ٱرْتَهَنَ رَهْنًا، وَلَا ٱغْتَصَبَ ٱغْتِصَابًا، بَلْ بَذَلَ خُبْزَهُ لِلْجَوْعَانِ، وَكَسَا ٱلْعُرْيَانَ ثَوْبًا | ١٦ 16 |
और किसी पर सितम न करे, गिरवी न ले, और जु़ल्म करके कुछ छीन न ले, भूके को अपनी रोटी खिलाए और नंगे को कपड़े पहनाए;
وَرَفَعَ يَدَهُ عَنِ ٱلْفَقِيرِ، وَلَمْ يَأْخُذْ رِبًا وَلَا مُرَابَحَةً، بَلْ أَجْرَى أَحْكَامِي وَسَلَكَ فِي فَرَائِضِي، فَإِنَّهُ لَا يَمُوتُ بِإِثْمِ أَبِيهِ. حَيَاةً يَحْيَا. | ١٧ 17 |
ग़रीब से दस्तबरदार हो, और सूद पर लेन — देन न करे, लेकिन मेरे हुक्मों पर 'अमल करे और मेरे क़ानून पर चले, वह अपने बाप के गुनाहों के लिए न मरेगा; वह यक़ीनन ज़िन्दा रहेगा।
أَمَّا أَبُوهُ فَلِأَنَّهُ ظَلَمَ ظُلْمًا، وَٱغْتَصَبَ أَخَاهُ ٱغْتِصَابًا، وَعَمِلَ غَيْرَ ٱلصَّالِحِ بَيْنَ شَعْبِهِ، فَهُوَذَا يَمُوتُ بِإِثْمِهِ. | ١٨ 18 |
लेकिन उसका बाप, क्यूँकि उसने बेरहमी से सितम किया और अपने भाई को जु़ल्म से लूटा, और अपने लोगों के बीच बुरे काम किए; इसलिए वह अपनी बदकिरदारी के ज़रिए' मरेगा।
«وَأَنْتُمْ تَقُولُونَ: لِمَاذَا لَا يَحْمِلُ ٱلِٱبْنُ مِنْ إِثْمِ ٱلْأَبِ؟ أَمَّا ٱلِٱبْنُ فَقَدْ فَعَلَ حَقًّا وَعَدْلًا. حَفِظَ جَمِيعَ فَرَائِضِي وَعَمِلَ بِهَا فَحَيَاةً يَحْيَا. | ١٩ 19 |
“तोभी तुम कहते हो, 'बेटा बाप के गुनाह का बोझ क्यूँ नहीं उठाता?” जब बेटे ने वही जो जाएज़ और रवा है किया, और मेरे सब क़ानून को याद करके उन पर 'अमल किया; तो वह यक़ीनन ज़िन्दा रहेगा।
اَلنَّفْسُ ٱلَّتِي تُخْطِئُ هِيَ تَمُوتُ. اَلِٱبْنُ لَا يَحْمِلُ مِنْ إِثْمِ ٱلْأَبِ، وَٱلْأَبُ لَا يَحْمِلُ مِنْ إِثْمِ ٱلِٱبْنِ. بِرُّ ٱلْبَارِّ عَلَيْهِ يَكُونُ، وَشَرُّ ٱلشِّرِّيرِ عَلَيْهِ يَكُونُ. | ٢٠ 20 |
जो जान गुनाह करती है वही मरेगी, बेटा बाप के गुनाह का बोझ न उठाएगा और न बाप बेटे के गुनाह का बोझ; सादिक़ की सदाक़त उसी के लिए होगी, और शरीर की शरारत शरीर के लिए।
فَإِذَا رَجَعَ ٱلشِّرِّيرُ عَنْ جَمِيعِ خَطَايَاهُ ٱلَّتِي فَعَلَهَا وَحَفِظَ كُلَّ فَرَائِضِي وَفَعَلَ حَقًّا وَعَدْلًا فَحَيَاةً يَحْيَا. لَا يَمُوتُ. | ٢١ 21 |
लेकिन अगर शरीर अपने तमाम गुनाहों से जो उसने किए हैं, बाज़ आए और मेरे सब तौर तरीक़े पर चलकर, जो जाएज़ और रवा है करे तो वह यक़ीनन ज़िन्दा रहेगा, वह न मरेगा।
كُلُّ مَعَاصِيهِ ٱلَّتِي فَعَلَهَا لَا تُذْكَرُ عَلَيْهِ. فِي بِرِّهِ ٱلَّذِي عَمِلَ يَحْيَا. | ٢٢ 22 |
वह सब गुनाह जो उसने किए हैं, उसके ख़िलाफ़ महसूब न होंगे। वह अपनी रास्तबाज़ी में जो उसने की ज़िन्दा रहेगा।
هَلْ مَسَرَّةً أُسَرُّ بِمَوْتِ ٱلشِّرِّيرِ؟ يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. أَلَا بِرُجُوعِهِ عَنْ طُرُقِهِ فَيَحْيَا؟ | ٢٣ 23 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, क्या शरीर की मौत में मेरी खु़शी है, और इसमें नहीं कि वह अपनी चाल चलन से बाज़ आए और ज़िन्दा रहे?
وَإِذَا رَجَعَ ٱلْبَارُّ عَنْ بِرِّهِ وَعَمِلَ إِثْمًا وَفَعَلَ مِثْلَ كُلِّ ٱلرَّجَاسَاتِ ٱلَّتِي يَفْعَلُهَا ٱلشِّرِّيرُ، أَفَيَحْيَا؟ كُلُّ بِرِّهِ ٱلَّذِي عَمِلَهُ لَا يُذْكَرُ. فِي خِيَانَتِهِ ٱلَّتِي خَانَهَا وَفِي خَطِيَّتِهِ ٱلَّتِي أَخْطَأَ بِهَا يَمُوتُ. | ٢٤ 24 |
लेकिन अगर सादिक़ अपनी सदाक़त से बाज़ आए, और गुनाह करे और उन सब घिनौने कामों के मुताबिक़ जो शरीर करता है करे, तो क्या वह ज़िन्दा रहेगा? उसकी तमाम सदाक़त जो उसने की फ़रामोश होगी; वह अपने गुनाहों में जो उसने किए हैं और अपनी ख़ताओं में जो उसने की हैं मरेगा।
«وَأَنْتُمْ تَقُولُونَ: لَيْسَتْ طَرِيقُ ٱلرَّبِّ مُسْتَوِيَةً. فَٱسْمَعُوا ٱلْآنَ يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ: أَطَرِيقِي هِيَ غَيْرُ مُسْتَوِيَةٍ؟ أَلَيْسَتْ طُرُقُكُمْ غَيْرَ مُسْتَوِيَةٍ؟ | ٢٥ 25 |
“तोभी तुम कहते हो, 'ख़ुदावन्द की रविश रास्त नहीं। ऐ बनी — इस्राईल सुनो तो, क्या मेरा चाल चलन रास्त नहीं? क्या तुम्हारा चाल चलन नारास्त नहीं?
إِذَا رَجَعَ ٱلْبَارُّ عَنْ بِرِّهِ وَعَمِلَ إِثْمًا وَمَاتَ فِيهِ، فَبِإِثْمِهِ ٱلَّذِي عَمِلَهُ يَمُوتُ. | ٢٦ 26 |
जब सादिक़ अपनी सदाक़त से बाज़ आए और बदकिरदारी करे और उसमें मरे, तो वह अपनी बदकिरदारी की वजह से जो उसने की है मरेगा।
وَإِذَا رَجَعَ ٱلشِّرِّيرُ عَنْ شَرِّهِ ٱلَّذِي فَعَلَ، وَعَمِلَ حَقًّا وَعَدْلًا، فَهُوَ يُحْيِي نَفْسَهُ. | ٢٧ 27 |
और अगर शरीर अपनी शरारत से, जो वह करता है बा'ज़ आए, और वह काम करे जो जाएज़ और रवा है; तो वह अपनी जान ज़िन्दा रख्खेगा।
رَأَى فَرَجَعَ عَنْ كُلِّ مَعَاصِيهِ ٱلَّتِي عَمِلَهَا فَحَيَاةً يَحْيَا. لَا يَمُوتُ. | ٢٨ 28 |
इसलिए कि उसने सोचा और अपने सब गुनाहों से जो करता था बा'ज़ आया; वह यक़ीनन ज़िन्दा रहेगा, वह न मरेगा।
وَبَيْتُ إِسْرَائِيلَ يَقُولُ: لَيْسَتْ طَرِيقُ ٱلرَّبِّ مُسْتَوِيَةً. أَطُرُقِي غَيْرُ مُسْتَقِيمَةٍ يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ؟ أَلَيْسَتْ طُرُقُكُمْ غَيْرَ مُسْتَقِيمَةٍ؟ | ٢٩ 29 |
तोभी बनी — इस्राईल कहते हैं, 'ख़ुदावन्द की रविश रास्त नहीं?” ऐ बनी इस्राईल, क्या मेरा चाल चलन रास्त नहीं? क्या तुम्हारा चाल चलन नारास्त नहीं?
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ أَقْضِي عَلَيْكُمْ يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ، كُلِّ وَاحِدٍ كَطُرُقِهِ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. تُوبُوا وَٱرْجِعُوا عَنْ كُلِّ مَعَاصِيكُمْ، وَلَا يَكُونُ لَكُمُ ٱلْإِثْمُ مَهْلَكَةً. | ٣٠ 30 |
इसलिए ख़ुदावन्द फ़रमाता है, ऐ बनी इस्राईल मैं हर एक के चाल चलन के मुताबिक़ तुम्हारी 'अदालत करूँगा; तोबा करो और अपने तमाम गुनाहों से बाज़ आओ, ताकि बदकिरदारी तुम्हारी हलाकत का ज़रिया' न हो।
اِطْرَحُوا عَنْكُمْ كُلَّ مَعَاصِيكُمُ ٱلَّتِي عَصَيْتُمْ بِهَا، وَٱعْمَلُوا لِأَنْفُسِكُمْ قَلْبًا جَدِيدًا وَرُوحًا جَدِيدَةً. فَلِمَاذَا تَمُوتُونَ يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ؟ | ٣١ 31 |
उन तमाम गुनाहों को, जिनसे तुम गुनहगार हुए दूर करो और अपने लिए नया दिल और नई रूह पैदा करो! ऐ बनी — इस्राईल, तुम क्यूँ हलाक होगे?
لِأَنِّي لَا أُسَرُّ بِمَوْتِ مَنْ يَمُوتُ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، فَٱرْجِعُوا وَٱحْيَوْا. | ٣٢ 32 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, “मुझे मरने वाले की मौत से ख़ुशी नहीं, इसलिए बाज़ आओ और ज़िन्दा रहो।”